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भारत का अंतर्देशीय जल परिवहन

  • 20 Mar 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030, जल विकास मार्ग परियोजना (JVMP), अर्थ गंगा, शून्य कार्बन उत्सर्जन। 

मेन्स के लिये:

भारत का अंतर्देशीय जल परिवहन। 

चर्चा में क्यों? 

मेरीटाइम इंडिया विज़न (MIV)-2030 के अनुसार, सरकार का लक्ष्य अंतर्देशीय जल परिवहन (IWT) की हिस्सेदारी को 5% तक बढ़ाना है।

अंतर्देशीय जल परिवहन (IWT): 

  • परिचय: 
    • अंतर्देशीय जल परिवहन का तात्पर्य नदियों, नहरों, झीलों और जल के अन्य नौगम्य निकायों जैसे जलमार्गों के माध्यम से लोगों, वस्तुओं तथा सामग्रियों के परिवहन से है जो किसी देश की सीमाओं के भीतर स्थित हैं। 
    • IWT परिवहन का सबसे किफायती तरीका है, विशेष रूप से कोयला, लौह अयस्क, सीमेंट, खाद्यान्न और उर्वरक जैसे बड़े कार्गो के लिये। वर्तमान में भारत के मिश्रित मॉडल में 2% की हिस्सेदारी के साथ इसका बहुत कम उपयोग किया जाता है।
  • IWT के सामाजिक-आर्थिक लाभ: 
    • किफायती परिचालन लागत और अपेक्षाकृत कम ईंधन की खपत
    • परिवहन का कम प्रदूषणकारी तरीका 
    • परिवहन के अन्य साधनों की तुलना में भूमि की कम आवश्यकता 
    • परिवहन का अधिक पर्यावरण अनुकूल तरीका 
    • इसके अलावा जलमार्गों का उपयोग नौका विहार और मछली पकड़ने जैसे मनोरंजक उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है। 

भारत में अंतर्देशीय जलमार्गों का दायरा और चुनौतियाँ: 

  • परिचय: 
    • भारत में अंतर्देशीय जलमार्गों का व्यापक नेटवर्क है, जिसमें नदियाँ, नहरें और बैकवाटर शामिल हैं, जिनकी लंबाई 20,000 किलोमीटर से अधिक है। अंतर्देशीय जल परिवहन में यात्रियों और कार्गो दोनों के लिये परिवहन के एक साधन के रूप में भारत में अपार संभावनाएँ हैं।
    • जल विकास मार्ग परियोजना (JVMP) के माध्यम से राष्ट्रीय जलमार्ग -1 का प्राथमिक विकास किया गया, जिसमें अर्थ गंगा शामिल है और इससे आगामी पाँच वर्षों में 1,000 करोड़ रुपए का आर्थिक प्रोत्साहन प्राप्त होगा।
    • अंतर्देशीय जलमार्ग वर्ष 2070 तक भारत को शून्य-कार्बन उत्सर्जन वाला देश बनाने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को साकार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • चुनौतियाँ: 
    • वर्ष भर कोई नौगम्यता नहीं:
      • कुछ नदियाँ मौसमी होती हैं और वर्ष भर नौगम्यता प्रदान नहीं करती हैं। चिह्नित 111 राष्ट्रीय जलमार्गों में से लगभग 20 कथित तौर पर अव्यवहार्य पाए गए हैं।
    • गहन पूंजी और रख-रखाव ड्रेजिंग: 
      • सभी चिह्नित जलमार्गों के लिये गहन पूंजी और रखरखाव ड्रेजिंग की आवश्यकता होती है, जिसका स्थानीय समुदाय द्वारा विस्थापन के भय से एवं पर्यावरणीय आधार पर विरोध किया सकता है, इससे कार्यान्वयन संबंधी चुनौतियाँ खड़ी हो सकती हैं।
    • जल के अन्य उपयोग: 
      • जल के कई महत्त्वपूर्ण उपयोग हैं, जैसे- जीवनयापन के साथ-साथ सिंचाई, विद्युत उत्पादन में उपयोग आदि। स्थानीय सरकार/अन्य के लिये इन ज़रूरतों की अनदेखी करना संभव नहीं है।
    • केंद्र सरकार का विशेषाधिकार क्षेत्र: 
      • संसद के एक अधिनियम द्वारा "राष्ट्रीय जलमार्ग" के रूप में नामित केवल अंतर्देशीय नदियाँ शिपिंग और नौवहन के लिये केंद्र सरकार के विशेष अधिकार क्षेत्र के अधीन हैं।
      • अन्य जलमार्गों में जहाज़ों का उपयोग/नौकायन, समवर्ती सूची के दायरे के अंतर्गत आता है या फिर यह संबंधित राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत होता है।

मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030:

  • परिचय: 
    • यह समुद्री क्षेत्र के लिये 10 वर्ष का खाका है जिसे प्रधानमंत्री द्वारा नवंबर 2020 में मैरीटाइम भारत शिखर सम्मेलन में जारी किया गया था।
    • यह सागरमाला पहल का स्थान लेगा और इसका उद्देश्य जलमार्गों के साथ जहाज़ निर्माण उद्योग को बढ़ावा देना और भारत में क्रूज़ पर्यटन को प्रोत्साहित करना है।
  •  नीतिगत पहलें और विकास परियोजनाएँ:
    • समुद्री विकास निधि: 25,000 करोड़ रुपए की निधि, जो इस क्षेत्र को कम लागत तथा दीर्घकालिक वित्तपोषण प्रदान करेगी, जिसमें केंद्र सात वर्षों में 2,500 करोड़ रुपए का योगदान देगा। 
    • बंदरगाह नियामक प्राधिकरण: नए भारतीय बंदरगाह अधिनियम (पुराने भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 1908 को बदलने के लिये) के तहत एक अखिल भारतीय बंदरगाह प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी ताकि प्रमुख और गैर-प्रमुख बंदरगाहों में निगरानी को सक्षम किया जा सके, बंदरगाहों के लिये संस्थागत कवरेज बढ़ाया जा सके और निवेशकों के विश्वास को बढ़ाने के लिये बंदरगाह क्षेत्र के संरचित विकास की व्यवस्था की जा सके। 
    • पूर्वी जलमार्ग संपर्क परिवहन ग्रिड परियोजना: इसका उद्देश्य बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और म्याँमार के साथ क्षेत्रीय संपर्क विकसित करना है।
    • नदी विकास निधि (RDF): RDF के समर्थन से अंतर्देशीय जहाज़ों के लिये कम लागत, दीर्घकालिक वित्तपोषण का विस्तार करने और ऐसे जहाज़ों की उपलब्धता बढ़ाने के लिये अंतर्देशीय जहाज़ों हेतु टनभार कर योजना (समुद्री जहाज़ों और ड्रेजर पर लागू) के कवरेज का विस्तार करने का आह्वान करता है। 
    • पोर्ट शुल्कों का युक्तिकरण: पारदर्शिता बढ़ाने हेतु शिप लाइनर्स द्वारा लगाए गए सभी अप्रत्यक्ष शुल्कों को समाप्त करने के अलावा यह उन्हें और अधिक प्रतिस्पर्द्धी बना देगा।
    • जल परिवहन को बढ़ावा: शहरी क्षेत्रों की भीड़-भाड़ को कम करने और शहरी परिवहन के वैकल्पिक साधन के रूप में जलमार्ग विकसित कर जल परिवहन को बढ़ावा देना। 

संबंधित सरकारी पहलें: 

आगे की राह

  • भारत में बढ़ती आबादी एवं बढ़ते यातायात के साथ अंतर्देशीय जलमार्गों का विकास न केवल यात्रा के समय को कम करेगा, लोगों तथा वस्तुओं हेतु निर्बाध आवागमन सुनिश्चित करने के साथ लागत प्रभावी होगा और प्रदूषण के स्तर को कम करेगा। हम एक ऐसी नीति तैयार कर सकते हैं जो सुरक्षा, बुनियादी ढाँचे के समर्थन, अंतर-राज्य समन्वय व परिवहन के अन्य साधनों के साथ एकीकरण को बढ़ावा दे सकती है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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