सामाजिक न्याय
वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2024
- 22 Oct 2024
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:वैश्विक भुखमरी सूचकांक, बाल विकास में कमी, अल्पपोषण (Undernourishment), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, पोषण अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन), पीएम गरीब कल्याण योजना (PMGKAY), राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन मेन्स के लिये:भारत में गरीबी और भुखमरी से संबंधित मुद्दे, प्रभावी सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों को तैयार करने में विश्वसनीय आँकड़ों की भूमिका, खाद्य सुरक्षा, सरकारी पहल और भूख में योगदान देने वाले सामाजिक-आर्थिक कारक। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, भारत वर्ष 2024 के वैश्विक भुखमरी सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट- GHI) में 27.3 स्कोर के साथ 127 देशों में से 105 वें स्थान पर है, जो खाद्य असुरक्षा और कुपोषण की चुनौतियों से प्रेरित "गंभीर" भूख संकट को उजागर करता है।
वैश्विक भुखमरी सूचकांक क्या है?
- वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) एक समकक्ष समीक्षा वाला सूचकांक है, जो कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्टहंगरहिल्फ द्वारा वार्षिक आधार पर प्रकाशित की किया जाता है।
- GHI एक ऐसा उपकरण है जिसे वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भुखमरी को व्यापक रूप से मापने और ट्रैक करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जो समय के साथ भुखमरी के कई आयामों को दर्शाता है।
- GHI स्कोर की गणना 100-बिंदु पैमाने पर की जाती है, जो भुखमरी को दर्शाता है - 0 सबसे अच्छा स्कोर है (जिसका अर्थ है भुखमरी नहीं है) और 100 सबसे खराब स्कोर है।
चार घटक संकेतक:
- अल्प-पोषण: जनसंख्या का वह हिस्सा जिसका कैलोरी सेवन अपर्याप्त है, यह संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन द्वारा परिभाषित स्वस्थ जीवन को बनाए रखने के लिये अपर्याप्त कैलोरी सेवन को संदर्भित करता है।
- बाल बौनापन: पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों का समूह जिनकी ऊँचाई उनकी उम्र के आधार पर कम है, दीर्घकालिक कुपोषण को दर्शाता है।
- शिशु दुर्बलता: पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों का हिस्सा जिनका वजन उनकी ऊँचाई के अनुपात में कम है, गंभीर कुपोषण को दर्शाता है।
- शिशु मृत्यु दर: अपने पाँच वें जन्मदिन से पहले मरने वाले बच्चों का समूह, जो कि आंशिक रूप से अपर्याप्त पोषण और अस्वास्थ्यकर वातावरण के घातक मिश्रण को दर्शाता है।
नोट:
- कंसर्न वर्ल्डवाइड एक अंतरराष्ट्रीय मानवीय संगठन है जो विश्व के सबसे गरीब देशों में गरीबी को दूर और पीड़ा को कम करने पर केंद्रित है।
- वेल्टहंगरहिल्फ़, जिसकी स्थापना वर्ष 1962 में "भूख से मुक्त अभियान" की जर्मन शाखा के रूप में की गई थी, जर्मनी में स्थित एक निजी सहायता संगठन है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- भारत-विशिष्ट निष्कर्ष:2024 की रिपोर्ट में भारत का स्कोर 27.3 है जो भुखमरी का एक गंभीर स्तर है, जो GHI स्कोर (2023) - 28.7 ('गंभीर') से थोड़ा बेहतर प्रदर्शन को दर्शाता है।
- कुपोषित बच्चे - 13.7%
- अविकसित बच्चे - 35.5%
- कमज़ोर बच्चे - 18.7% (विश्व स्तर पर सबसे अधिक)
- शिशु मृत्यु दर - 2.9%
- GHI 2024 में वैश्विक रुझान:
- विश्व के लिये वर्ष 2024 का GHI स्कोर 18.3 है, जो वर्ष 2016 के 18.8 की तुलना में थोड़ा बेहतर प्रदर्शन है, तथा इसे "मध्यम" माना जाता है।
- बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका जैसे दक्षिण एशियाई पड़ोसी देश बेहतर प्रदर्शन करते हैं तथा "मध्यम" श्रेणी में आते हैं।
- भारत के प्रयासों की मान्यता: रिपोर्ट विभिन्न पहलों के माध्यम से खाद्य और पोषण परिदृश्य में सुधार हेतु भारत की "महत्त्वपूर्ण राजनीतिक इच्छाशक्ति" को स्वीकार करती है: पोषण अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन), पीएम गरीब कल्याण योजना (PMGKAY), राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन।
- अपर्याप्त GDP वृद्धि: रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि भूख में कमी या बेहतर पोषण की गारंटी नहीं देती है, इसलिए गरीब-समर्थक विकास और सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को दूर करने पर केंद्रित नीतियों की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
जीएचआई 2024 पर भारत की प्रतिक्रिया क्या है?
- दोषपूर्ण कार्यप्रणाली: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पोषण ट्रैकर से प्राप्त आंकड़ों की अनुपस्थिति की आलोचना की है , जिसमें कथित तौर पर 7.2% बाल कुपोषण दर का संकेत मिलता है।
- बाल स्वास्थ्य पर ध्यान: सरकार ने कहा कि चार जीएचआई संकेतकों में से तीन बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित हैं और संभवतः ये संपूर्ण जनसंख्या का पूर्ण प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
- छोटे नमूने का आकार: सरकार ने "अल्पपोषित जनसंख्या का अनुपात" सूचक की सटीकता के बारे में संदेह व्यक्त किया, क्योंकि यह एक छोटे नमूने के आकार के जनमत सर्वेक्षण पर आधारित है।
भुखमरी से निपटने हेतु भारत सरकार की क्या पहल हैं?
भारत में भुखमरी से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?
- अकुशल सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS): सुधारों के बावजूद, भारत की PDS को अभी भी सभी इच्छित लाभार्थियों तक पहुँचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत 67% जनसंख्या को लाभ मिलता है, लेकिन लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TDPS) के अंतर्गत 90 मिलियन से अधिक पात्र लोग कानूनी अधिकारों से वंचित रह गए हैं ।
- आय असमानता और गरीबी: हालाँकि भारत ने गरीबी कम करने में प्रगति की है (पिछले 9 वर्षों में 24.82 करोड़ भारतीय बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं), फिर भी आय में भारी असमानताएँ बनी हुई हैं, जिससे खाद्य उपलब्धता प्रभावित हो रही है।
- पोषण संबंधी चुनौतियाँ और आहार विविधता: भारत में खाद्य सुरक्षा अक्सर पोषण संबंधी पर्याप्तता के बजाय कैलोरी पर्याप्तता पर केंद्रित होती है।
- शहरीकरण और बदलती खाद्य प्रणालियाँ: भारत में तेज़ी से हो रहा शहरीकरण खाद्य प्रणालियों और उपभोग पैटर्न को बदल रहा है।
- टाटा-कॉर्नेल इंस्टीट्यूट द्वारा वर्ष 2022 में किये गए एक अध्ययन में पाया गया कि दिल्ली में शहरी झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले 51% परिवारों को खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा।
- लिंग आधारित पोषण अंतर: लिंग आधारित असमानताएँ भारत में भूख और कुपोषण को और बढ़ा देती हैं। महिलाओं और लड़कियों को अक्सर घरों में भोजन की असमान पहुँच का सामना करना पड़ता है, उन्हें कम मात्रा में या कम गुणवत्ता वाला भोजन मिलता है।
- यह असमानता, मातृ एवं शिशु देखभाल की मांग के साथ मिलकर, दीर्घकालिक कुपोषण के प्रति उनकी संवेदनशीलता को बढ़ा देती है।
आगे की राह:
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में सुधार करना ताकि पारदर्शिता, विश्वसनीयता और पौष्टिक भोजन की सामर्थ्य को बढ़ाया जा सके और आर्थिक रूप से वंचितों को लाभ पहुँचाया जा सके।
- सामाजिक अंकेक्षण और जागरूकता: स्थानीय प्राधिकारियों की भागीदारी के साथ सभी ज़िलों में मध्याह्न भोजन योजना का सामाजिक अंकेक्षण लागू करना, आईटी के माध्यम से कार्यक्रम की निगरानी बढ़ाना, तथा महिलाओं और बच्चों के लिये संतुलित आहार पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्थानीय भाषाओं में समुदाय संचालित पोषण शिक्षा कार्यक्रम स्थापित करना।
- सतत् विकास लक्ष्य (SGD), विशेष रूप से SGD 12 (ज़िम्मेदार उपभोग और उत्पादन) तथा SGD 2 (ज़ीरो हंगर), सतत् उपभोग पैटर्न पर केंद्रित है।
- कृषि में निवेश: एक समग्र खाद्य प्रणाली दृष्टिकोण जो विविध और पौष्टिक खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देता है, जिसमें बाज़रा जैसे पोषक अनाज भी शामिल हैं।
- खाद्यान्न की बर्बादी को रोकना बहुत ज़रूरी है। एक मुख्य उपाय यह है कि कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिये गोदाम और कोल्ड स्टोरेज के बुनियादी ढाँचे में सुधार किया जाए।
- स्वास्थ्य निवेश: बेहतर जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य प्रथाओं के माध्यम से मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना।
- परस्पर संबद्ध कारक: नीति-निर्माण में लिंग, जलवायु परिवर्तन और पोषण के बीच अंतर्संबंध को पहचानना महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि ये कारक सार्वजनिक स्वास्थ्य, सामाजिक समानता और सतत् विकास को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं।
दृष्टि मेन्स प्रश्न प्रश्न: भारत की 2024 वैश्विक भूख सूचकांक रैंकिंग और खाद्य सुरक्षा और पोषण के लिए इसके निहितार्थों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसी सरकारी पहलों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिये और सुधार के लिये रणनीति सुझाएँ। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से वह/वे सूचक है/हैं, जिसका/जिनका IFPRI द्वारा वैश्विक भुखमरी सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) रिपोर्ट बनाने में उपयोग किया गया है? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (C) मेन्सप्रश्न. खाद्य सुरक्षा बिल से भारत में भूख व कुपोषण के विलोपन की आशा है। उसके प्रभावी कार्यान्वयन में विभिन्न आशंकाओं की समालोचनात्मक विवेचना कीजिये। साथ ही यह भी बताइये कि विश्व व्यापार संगठन (WTO) में इससे कौन-सी चिंताएँ उत्पन्न हो गई हैं? (2013) |