सामाजिक न्याय
कुपोषण
- 22 May 2023
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:कुपोषण, SAM, MAM, NFHS, वैश्विक भुखमरी सूचकांक, पोषण अभियान मेन्स के लिये:कुपोषण और इसकी व्यापकता |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उड़ीसा उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को वर्ष 2023 के अंत तक राज्य में बच्चों में गंभीर तीव्र कुपोषण (SAM) की पूर्ण अनुपस्थिति और मध्यम तीव्र कुपोषण (MAM) में कमी सुनिश्चित करने के लिये एक कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया है।
कुपोषण:
- परिचय:
- कुपोषण पोषक तत्त्वों के सेवन में कमी या अधिकता, आवश्यक पोषक तत्त्वों में असंतुलन या खराब पोषक उपयोग को संदर्भित करता है।
- कुपोषण के दोहरे बोझ में कुपोषण और अधिक वज़न तथा मोटापा दोनों के साथ-साथ आहार संबंधी गैर-संचारी रोग शामिल हैं।
- कुपोषण चार व्यापक रूपों में प्रकट होता है- वेस्टिंग, स्टंटिंग, कम वज़न और सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी।
- गंभीर तीव्र कुपोषण:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) 'गंभीर तीव्र कुपोषण' (SAM) को बहुत कम वज़न-ऊँचाई या मध्य-ऊपरी बाँह की परिधि 115 मिमी. से कम या पोषण संबंधी शोफ (Oedema) की उपस्थिति के रूप में परिभाषित करता है (भुखमरी या कुपोषण की स्थिति में ऊतकों में असामान्य द्रव प्रतिधारण विशेष रूप से प्रोटीन की कमी के परिणामस्वरूप)।
- SAM से पीड़ित बच्चों में कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण विभिन्न रोगों से ग्रसित होने पर उनकी मौत की संभावना नौ गुना अधिक हो जाती है।
- SAM से पीड़ित बच्चे, ऐसे बच्चे हैं जो रेड ज़ोन की श्रेणी में आते हैं जिनमें द्वितीयक संक्रमण से ग्रसित होने का उच्च जोखिम रहता है। पीड़ितों का यह वर्ग गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हो सकता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) 'गंभीर तीव्र कुपोषण' (SAM) को बहुत कम वज़न-ऊँचाई या मध्य-ऊपरी बाँह की परिधि 115 मिमी. से कम या पोषण संबंधी शोफ (Oedema) की उपस्थिति के रूप में परिभाषित करता है (भुखमरी या कुपोषण की स्थिति में ऊतकों में असामान्य द्रव प्रतिधारण विशेष रूप से प्रोटीन की कमी के परिणामस्वरूप)।
- मध्यम तीव्र कुपोषण :
- मध्यम तीव्र कुपोषण (MAM) जिसे निर्बलता (Wasting) के रूप में भी जाना जाता है, इसे लंबाई के अनुपात में आवश्यक वज़न के अंतर्राष्ट्रीय मानक संकेतकों [z-स्कोर- 3 और 2 (मानक विचलन) के मध्य] या 11 सेमी. से 12.5 सेमी. के बीच मध्य-ऊपरी भुजा परिधि (MUAC) द्वारा परिभाषित किया गया है।
- MAM से पीड़ित बच्चे कुपोषण के लक्षणों को दर्शाते हैं किंतु ये यलो ज़ोन की श्रेणी में आते हैं जिसका अर्थ है कि उनका जीवन खतरे में नहीं है।
- प्रसार या व्यापकता:
- वैश्विक भुखमरी सूचकांक (Global Hunger Index), 2022 में भारत का स्थान सूची में सबसे नीचे स्थित देशों में है, भारत 121 देशों में 107वीं रैंक पर है जिसका निर्धारण बच्चों में नाटापन (स्टंटिंग), निर्बलता (वेस्टिंग) और बाल मौत दर जैसे कारकों द्वारा होता है।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) वर्ष 2019-21 के अनुसार, भारत में पाँच वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों में से 35.5 प्रतिशत बच्चे नाटेपन (स्टंटिंग), जबकि 19.3 प्रतिशत निर्बलता (वेस्टिंग) और 32.1 प्रतिशत बच्चे कम वज़न की समस्या से ग्रसित थे।
- SAM के सबसे अधिक मामले उत्तर प्रदेश (3,98,359) में हैं और इसके बाद बिहार (2,79,427) का स्थान है।
- देश में सबसे अधिक बच्चे उत्तर प्रदेश और बिहार में हैं।
- SAM के सबसे अधिक मामले उत्तर प्रदेश (3,98,359) में हैं और इसके बाद बिहार (2,79,427) का स्थान है।
- पहलें:
- पोषण अभियान: भारत सरकार ने वर्ष 2022 तक "कुपोषण मुक्त भारत" सुनिश्चित करने के लिये राष्ट्रीय पोषण मिशन (NNM) या पोषण अभियान प्रारंभ किया है।
- मध्याह्न भोजन (MDM) योजना: इसका उद्देश्य स्कूली बच्चों के बीच पोषण स्तर में सुधार करना है जिससे स्कूलों में नामांकन, प्रतिधारण और उपस्थिति पर प्रत्यक्ष तथा सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013: इसका उद्देश्य अपनी संबद्ध योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से सबसे कमज़ोर लोगों के लिये भोजन एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है जिससे भोजन तक पहुँच को कानूनी अधिकार बनाया जा सके।
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY): गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिये बेहतर सुविधाओं का लाभ उठाने हेतु 6,000 रुपए सीधे उनके बैंक खातों में स्थानांतरित किये जाते हैं।
- एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) योजना: इसे वर्ष 1975 में शुरू किया गया था और इस योजना का उद्देश्य 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों तथा उनकी माताओं को पूरक पोषण, स्कूल पूर्व अनौपचारिक शिक्षा, पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांँच तथा रेफरल सेवाएंँ प्रदान करना है।
- एनीमिया मुक्त भारत अभियान: इसे वर्ष 2018 में शुरू किया गया, मिशन का उद्देश्य एनीमिया की वार्षिक दर को एक से तीन प्रतिशत अंक तक कम करना है।
आगे की राह
- महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य तथा पोषण में उनके सतत् विकास एवं जीवन की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये निवेश बढ़ाने की अधिक आवश्यकता है।
- भारत को पोषण कार्यक्रमों पर परिणामोन्मुखी दृष्टिकोण अपनाना चाहिये। इसका अर्थ केवल गतिविधियों को लागू करने के बजाय विशिष्ट परिणाम प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करना है।
- पोषण की दृष्टि से कमज़ोर समूहों (इसमें बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएँ, विशेष आवश्यकता वाले और छोटे बच्चे शामिल हैं) के साथ सीधा जुड़ाव होना चाहिये तथा प्रमुख पोषण सेवाओं एवं हस्तक्षेपों के अंतिम-मील वितरण को सुनिश्चित करने में योगदान करना चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट की गणना के लिये IFPRI द्वारा उपयोग किया/किये जाने वाला/वाले संकेतक निम्नलिखित में से कौन-सा/से है/हैं? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. आप इस मत से कहाँ तक सहमत हैं कि भूख के मुख्य कारण के रूप में खाद्य की उपलब्धता की कमी पर मुख्य फोकस भारत में अप्रभावी मानव विकास नीतियों से ध्यान हटा देता है? (मुख्य परीक्षा, 2018) |