सामाजिक न्याय
महिलाओं में एनीमिया
- 24 Jun 2019
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चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (National Family Health Survey- NFHS4) के अनुसार, 15 से 49 वर्ष की महिलाओं में एनीमिया (Anemia) का प्रसार 53 % और 15 से 19 वर्ष की किशोरियों में 54 % है ।
एनीमिया (रक्त की कमी)
- यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमे शारीरिक रक्त की जरूरतों को पूरा करने के लिये लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या या उसकी ऑक्सीजन वहन क्षमता अपर्याप्त होती है। यह क्षमता आयु, लिंग, ऊँचाइयों, धुम्रपान और गर्भावस्था की स्थितियों से परिवर्तित होती रहती है।
- लौह (Iron) की कमी इसका सबसे सामान्य लक्षण है। इसके साथ ही फोलेट (Folet), विटामिन बी 12 और विटामिन ए की कमी, दीर्धकालिक सूजन और जलन ,परजीवी संक्रमण और आनुवंशिक विकार भी एनीमिया के कारण हो सकते है। एनीमिया की गंभीर स्थिति में थकान, कमज़ोरी ,चक्कर आना और सुस्ती इत्यादि समस्याएँ होती है। गर्भवती महिलाएँ और बच्चे इससे विशेष रूप से प्रभावित होते है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत एनीमिया से निपटने के लिये उठाये गए कदम
एनीमिया मुक्त भारत (AMB):
- इसे वर्ष 2006 में, एनीमिया की वार्षिक दर में 1 से 3% तक की गिरावट लाने के लिये, गहन राष्ट्रीय आयरन प्लस पहल (Intensified National Iron Plus Initiative -NIPI) कार्यक्रम के एक भाग के रूप में शुरू किया गया था। एनीमिया मुक्त भारत (AMB) कार्यक्रम में 6-59 महीने के बच्चों, 5 - 9 वर्ष की किशोरियों, 10 - 19 के किशोरों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को विशेष रूप से लक्षित किया गया है।
साप्ताहिक लौह और फोलिक अम्ल अनुपूरण
(Weekly Iron and Folic Acid Supplementation- WIFS):
- किशोर और किशोरियो के बीच एनीमिया के उच्च प्रसार की चुनौती को रोकने के लियें इस कार्यक्रम को लागू किया गया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत साप्ताहिक रूप से लौह फोलिक अम्ल (Iron Folic Acid- IFA) की गोली और इंजेक्शन का प्रावधान है। कृमि संक्रमण को रोकने के लिये एल्बेंडजोल (Albendazole) प्रदान किया जाता है।
- एनीमिया से पीड़ित विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं के मामलों की नियमित जाँच के लिये स्वास्थ्य सूचना प्रबंधन प्रणाली और बच्चों के लिये भी विशेष प्रणाली को लागू किया जा रहा है। प्रसव पूर्व एनीमिया की जाँच भी गर्भवती महिलाओं की जाँच का एक हिस्सा है। सभी गर्भवती महिलाओं को प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों के माध्यम से प्रसवपूर्व अन्य सुविधाओं के साथ आयरन और फोलिक एसिड की गोलियाँ भी प्रदान की जाएँगी। इसके लिये ग्राम स्वास्थ और पोषण दिवसों का भी आयोजन किया जायेगा।
प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा अभियान (PMSMA)
- यह एनीमिया की जाँच और उपचार के लिये विशेष चिकित्सा अधिकारीयों की मदद से प्रत्येक माह की 9 तारीख को आयोजित किया जाता है।
रक्तकोष (Bloodbank) का संचालन
- ज़िला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में एनीमिया के गंभीर मामलों से निपटने के लिये रक्तकोष भंडारण इकाइयों की स्थापना की जा रही है।
पोषण अभियान के तहत भी एनीमिया नियंत्रण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 [ National Family Health Survey -(NFHS-4)] : राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण विस्तृत पैमाने पर कई चरणों वाला सर्वेक्षण है। जो पूरे भारत के प्रतिनिधि नमूने का प्रयोग करता है। यह सर्वेक्षण भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के नेतृत्व में उसकी नोडल एजेंसी अंतर्राष्ट्रीय जनसँख्या विज्ञान संस्थान, मुंबई (International Institute for Population Sciences, Mumbai) के साथ संचालित किया जाता है। मैरीलैंड अमेरिका स्थित ICF इंटरनेशनल इन सर्वेक्षणों को तकनीकी सहायता प्रदान करता है।