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जैव विविधता और पर्यावरण

जहाज़ों का पुनर्चक्रण विधेयक, 2019

  • 21 Nov 2019
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये

जहाज़ों का पुनर्चक्रण विधेयक, 2019

मेन्स के लिये

जहाज़ों के पुनर्चक्रण का पर्यावरणीय प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार ने जहाज़ों का पुनर्चक्रण विधेयक, 2019 (Recycling of Ships Bill, 2019) तथा जहाज़ों के सुरक्षित तथा बेहतर पुनर्चक्रण के लिये हॉन्गकॉन्ग अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय (Hong Kong International Convention for Safe and Environmentally Sound Recycling of Ships, 2009-HKC) में भारत के शामिल होने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।

मुख्य बिंदु:

  • भारत सरकार ने जहाज़ों के पुनर्चक्रण विधेयक 2019 को पारित करने का प्रस्ताव किया है जिसके द्वारा देश के अंदर जहाज़ों के पुनर्चक्रण को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मानक निर्धारित किये जा सकें तथा इन मानकों के क्रियान्वयन हेतु वैधानिक प्रावधान किये जा सकें।
  • इसके द्वारा यह भी निश्चित किया गया है कि भारत जहाज़ों के सुरक्षित तथा बेहतर पुनर्चक्रण के लिये हॉन्गकॉन्ग अभिसमय (Hong Kong Convention) के प्रावधानों का पालन करेगा।
  • जहाज़ों का पुनर्चक्रण विधेयक, 2019 को पारित किये जाने के पश्चात् HKC में निहित प्रावधान इसमें शामिल किये जाएंगे।
  • भारत जहाज़ों के पुनर्चक्रण उद्योग में एक अग्रणी देश है। वैश्विक स्तर पर जहाज़ों के पुनर्चक्रण उद्योग का 30% बाज़ार भारत में है।
  • समुद्री यातायात समीक्षा पर अंकटाड की रिपोर्ट 2018 (UNCTAD’s Report on Review of Maritime Transport, 2018) के अनुसार, भारत ने वर्ष 2017 में 6,323 टन वजन के जहाज़ों को पुनर्चक्रित किया है।
  • जहाज़ पुनर्चक्रण उद्योग, एक श्रम गहन उद्योग (Labour Intensive Industry) है परंतु इसके द्वारा उत्सर्जित प्रदूषकों से पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है।

विधेयक के मुख्य प्रावधान:

  • यह विधेयक जहाज़ों के निर्माण में उपयोग होने वाले खतरनाक पदार्थों (Hazardous Materials) के प्रयोग पर पाबंदी लगाता है भले ही वह जहाज़ पुनर्चक्रण के लिहाज से बनाया गया हो या नहीं।
  • नए जहाज़ों के लिये यह नियम तभी से लागू माना जाएगा जब यह विधेयक कानूनी रूप लेगा जबकि पुराने जहाज़ों को पाँच वर्ष का समय दिया जाएगा ताकि वे इन पदार्थों का प्रयोग बंद कर सकें।
  • खतरनाक पदार्थों के प्रयोग संबंधी यह पाबंदी नौसैनिक युद्धपोतों तथा सरकार द्वारा संचालित गैर-वाणिज्यिक जहाज़ों पर नहीं लागू होगी।
  • जहाज़ों के निर्माण में खतरनाक पदार्थों के प्रयोग पर नियंत्रण के लिये उनका सर्वेक्षण तथा प्रमाणन किया जाएगा।
  • इस विधेयक के तहत जहाज़ों के पुनर्चक्रण संबंधित सभी कार्य सरकार द्वारा प्राधिकृत पुनर्चक्रण केंद्रों पर ही होंगे।
  • विधेयक के प्रावधानों में यह भी शामिल किया गया है कि जहाज़ों को एक विशेषीकृत योजना के तहत ही पुनर्चक्रित किया जाए। जिन जहाज़ों का पुनर्चक्रण भारत में होगा उन्हें हॉन्गकॉन्ग अभिसमय के प्रावधानों के अनुरूप पुनर्चक्रण के लिये तैयार प्रमाण-पत्र (Ready for Recycling Certificate) प्राप्त करना होगा।

हॉन्गकॉन्ग अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय, 2009

(Hong Kong International Convention for Safe and Environmentally Sound Recycling of Ships, 2009-HKC):

  • इस अभिसमय का मुख्य उद्देश्य परिचालन अवधि (Operational Life) समाप्त होने के बाद किसी जहाज़ का पुनर्चक्रण करने से उसका मानव स्वास्थ्य तथा पर्यावरण पर कोई हानिकारक प्रभाव न पड़े यह सुनिश्चित करना है।
  • जहाज़ पुनर्चक्रण उद्योग में अनेकों प्रदूषक पदार्थ निकलते हैं जिसमें एज्बेस्टस, भारी तत्त्व, हाइड्रोकार्बन, ओज़ोन परत को नुकसान पहुँचाने वाले कारक शामिल होते हैं। ये पदार्थ पर्यावरण तथा मानव स्वास्थ्य दोनों के लिहाज़ से नुकसानदायक हैं।
  • इस अभिसमय में जहाज़ों की संरचना, उनका निर्माण, संचालन तथा उनके पुनर्चक्रण को लेकर दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं। इसमें यह भी सुनिश्चित किया गया है कि पुनर्चक्रण उद्योगों में कार्य कर रहे श्रमिकों के स्वास्थ्य पर कोई खतरा न उत्पन्न हो।
  • जहाज़ पुनर्चक्रण उद्योग समुद्र के किनारे स्थित होते हैं। जिसकी वजह से यहाँ से निकलने वाले प्रदूषक समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिये नुकसानदायक होते हैं।

स्रोत: PIB

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