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भारतीय इतिहास

जनजातीय गौरव दिवस

  • 15 Nov 2024
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जनजातीय गौरव दिवस, बिरसा मुंडा, संथाल, प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान, वन धन विकास केंद्र, विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह, राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति   

मेन्स के लिये:

जनजातीय विकास पहल, जनजातीय आंदोलन और भारत का स्वतंत्रता संग्राम

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों? 

विशेष रूप से भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदायों के योगदान को सम्मानित करने के क्रम में प्रतिवर्ष 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस मनाया जाता है।

  • यह दिन एक सम्मानित जनजातीय नेता और स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती का प्रतीक है। भारत के प्रधानमंत्री ने बिरसा मुंडा के सम्मान में एक स्मारक सिक्का तथा डाक टिकट जारी किया, जो उनकी स्थायी विरासत को श्रद्धांजलि देता है।

जनजातीय गौरव दिवस क्या है?

  • पृष्ठभूमि: पहली बार वर्ष 2021 में मनाया जाने वाला यह दिवस भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले आज़ादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को मान्यता देने के लिये स्थापित किया गया था।
    • संथाल, तमाड़, भील, खासी और मिज़ो सहित जनजातीय समुदायों ने बिरसा मुंडा के उलगुलान (क्रांति) जैसे अनेक उपनिवेश-विरोधी आंदोलनों का नेतृत्व किया, जिसमें उल्लेखनीय साहस और बलिदान का प्रदर्शन किया गया।
  • जातीय गौरव दिवस 2024 की मुख्य विशेषताएँ:
    • PM-JANMAN: प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (PM-JANMAN) के तहत 11,000 घरों के उद्घाटन में भाग लिया।
      • दूरदराज के आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा की पहुँच में सुधार के लिये 23 मोबाइल मेडिकल यूनिट (Mobile Medical Units- MMU) शुरू की गईं।
    • DAJGUA: धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (Dharti Aaba Janjatiya Gram Utkarsh Abhiyan- DAJGUA) के तहत अतिरिक्त 30 एमएमयू का उद्घाटन किया गया।
    • जनजातीय उद्यमिता और शिक्षा: प्रधानमंत्री ने जनजातीय छात्रों के लिये 300 वन धन विकास केंद्रों (Van Dhan Vikas Kendras- VDVK) और 10 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (Eklavya Model Residential Schools- EMRS) का उद्घाटन किया, साथ ही 25 और EMRS की आधारशिला भी रखी।
    • सांस्कृतिक संरक्षण: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और जबलपुर में दो जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों का उद्घाटन किया गया साथ ही जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर तथा सिक्किम के गंगटोक में दो जनजातीय अनुसंधान संस्थानों का भी उद्घाटन किया गया।

बिरसा मुंडा कौन थे?

  • प्रारंभिक जीवन: बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर, 1875 को हुआ, वे छोटा नागपुर पठार की मुंडा जनजाति से संबंधित थे।
    • बचपन में उन्होंने अपने माता-पिता के साथ गाँवों के बीच घूमते हुए आदिवासी समुदायों के समक्ष आने वाली चुनौतियों का प्रत्यक्ष अनुभव किया।
  • बिरसाइत संप्रदाय के संस्थापक: मुंडा ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के तहत जनजातीय लोगों को धर्मांतरित करने के मिशनरी प्रयासों के बारे में संज्ञान लिया।
    • बिरसा मुंडा ने बिरसाइत संप्रदाय की स्थापना की, जिसका उद्देश्य आदिवासी पहचान को पुनर्जीवित करना तथा धर्मांतरण का विरोध करना था।
    • इन्होने मुंडा और उरांव समुदायों (झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्यों में रहने वाले जनजातीय समूह) को औपनिवेशिक और मिशनरी नियंत्रण के खिलाफ एकजुट किया।
  • जनजातीय लामबंदी में भूमिका: वर्ष 1886 से 1890 तक झारखंड के चाईबासा में वह सरदारों के आंदोलन से प्रभावित हुए।
  • वह ब्रिटिश विरोधी और मिशनरी विरोधी गतिविधियों में गहराई से शामिल हुए, जिससे आदिवासी अधिकारों के लिये लड़ने का उनका संकल्प मज़बूत हुआ।
    • इन्होने ब्रिटिशों को चुनौती देने के साथ जनजातीय भूमि तथा संस्कृति की रक्षा के लिये जनजातीय समुदायों को संगठित किया।
    • वर्ष 1899 में उन्होंने उलगुलान (महान कोलाहल) आंदोलन शुरू किया, जिसमें ब्रिटिश सत्ता का विरोध करने और "बिरसा राज" के रूप में ज्ञात एक स्वशासित आदिवासी राज्य की स्थापना को बढ़ावा देने के क्रम में गुरिल्ला युद्ध रणनीति को अपनाया गया था।
  • गिरफ्तारी और मृत्यु: वर्ष 1900 में ब्रिटिश पुलिस द्वारा जामकोपाई जंगल में उन्हें उनके गुरिल्ला समूह के साथ गिरफ्तार किया गया।
    • 9 जून 1900 को 25 वर्ष की अल्पायु में राँची जेल में रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई।
  • विरासत: उन्हें औपनिवेशिक सरकार पर जनजातीय भूमि अधिकारों की रक्षा हेतु कानून बनाने के लिये दबाव डालने के लिये जाना जाता है।
    • जनजातीय अधिकारों और स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान को सम्मान देते हुए वर्ष 2000 में उनकी जयंती पर झारखंड राज्य की स्थापना की गई।

सरदारी आंदोलन

  • सरदारी आंदोलन (1858-90) छोटानागपुर में सामाजिक-आर्थिक शोषण के खिलाफ़ एक प्रतिक्रिया थी, जो जबरन मज़दूरी (भिखारियों) और बिचौलियों द्वारा अवैध किराया वृद्धि पर कृषि असंतोष से शुरू हुई थी। सरदारों के नेतृत्व में इस आंदोलन का उद्देश्य इन दमनकारी प्रथाओं का विरोध करना था। 

जनजातीय विकास को समर्थन देने वाली भारत की प्रमुख पहल क्या हैं?

  • वित्तीय एवं सामाजिक पहल:
    • बुनियादी ढाँचागत सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिये लगभग 36500 गाँवों की पहचान की गई है, जिनमें 50% जनजातीय आबादी और 500 अनुसूचित जनजाति (ST) हैं, जिनमें नीति आयोग (राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान) द्वारा पहचाने गए आकांक्षी ज़िलों के गाँव भी शामिल हैं।
    • वित्तीय प्रतिबद्धताएँ: केंद्रीय बजट ने 2024-25 में जनजातीय कार्य मंत्रालय को 13,000 करोड़ रुपए आवंटित किये, जो वर्ष 2023-24 से 73.6% की वृद्धि दर्शाता है।
    • DAJGUA: जनजातीय क्षेत्रों में सामाजिक बुनियादी ढाँचे की कमी को दूर करने के लिये 79,156 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ शुरू की गई, जिससे 63,843 गाँवों के 5.38 करोड़ से अधिक लोग लाभान्वित होंगे।
    • DAJGUA: वर्ष 2023 में स्वास्थ्य देखभाल, वित्तीय समावेशन और सामुदायिक समर्थन सहित लक्षित योजनाओं के साथ विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) का समर्थन करने के लिये शुरू किया गया।
    • प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना: PMAAGY का उद्देश्य महत्त्वपूर्ण जनजातीय आबादी वाले गाँवों में बुनियादी ढाँचा उपलब्ध कराना है। 
  • शिक्षा:
    • EMRS: दूरदराज के क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिये स्थापित, शैक्षिक अंतराल को पाटने में मदद करना।
    • आदिवासी शिक्षा ऋण योजना (ASRY): उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले आदिवासी छात्रों के लिये आसान ऋण प्रदान करती है।
    • जनजातीय छात्रों के लिये छात्रवृत्ति: छात्रवृत्ति में प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति, अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा के लिये राष्ट्रीय विदेशी छात्रवृत्ति और उच्च शिक्षा में वित्तीय सहायता के लिये राष्ट्रीय फैलोशिप शामिल हैं।
    • आय सृजन योजनाएँ: सावधि ऋण योजना 90% तक व्यवसाय ऋण प्रदान करती है, आदिवासी महिला सशक्तीकरण योजना उद्यमिता का समर्थन करने हेतु आदिवासी महिलाओं के लिये रियायती ऋण प्रदान करती है और माइक्रो क्रेडिट योजना 5 लाख रुपए तक के ऋण के साथ आदिवासी समूहों का समर्थन करती है।
  • स्वास्थ्य एवं कल्याण पहल:

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारत के आदिवासी समुदायों ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में विभिन्न आदिवासी समूहों के योगदान पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न. भारत में विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

(a) PVTG 18 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में निवास करते हैं।
(b) स्थिर या कम होती जनसंख्या PVTG स्थिति निर्धारण के मानदंडों में से एक है।
(c) देश में अब तक 95 PVTG आधिकारिक तौर पर अधिसूचित हैं।
(d) PVTGs की सूची में ईरूलर और कोंडा रेड्डी जनजातियाँ शामिल की गई हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा सही है?

(a) 1, 2 और 3
(b) 2, 3 और 4
(c) 1, 2 और 4
(d) 1, 3 और 4

उत्तर: (c)


प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2013)

जनजाति

राज्य

1. लिंबू (लिम्बु)

सिक्किम

2. कार्बी

हिमाचल प्रदेश

3. डोंगरिया कोंध

ओडिशा

4. बोंडा

तमिलनाडु

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा सही सुमेलित है?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. स्वतंत्रता के बाद अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के प्रति भेदभाव को दूर करने के लिये राज्य द्वारा की गई दो प्रमुख विधिक पहलें क्या हैं? (2017)

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