भारतीय अर्थव्यवस्था
केंद्रीय बजट 2025-26: भारत की संवृद्धि और विकास का रोडमैप
- 10 Feb 2025
- 23 min read
प्रिलिम्स के लिये:केंद्रीय बजट 2025-26, कृषि, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME), निवेश, निर्यात, कराधान, संसद, मखाना, अनन्य आर्थिक क्षेत्र, मेड इन इंडिया, लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR), परमाणु ऊर्जा अधिनियम, परमाणुवीय नुकसान के लिये सिविल दायित्व अधिनियम, उड़ान योजना, लिथियम-आयन बैटरी, UPI, ई-श्रम पोर्टल, पीएम जन आरोग्य योजना, NaBFID, प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना, किसान क्रेडिट कार्ड (KCC), संशोधित ब्याज अनुदान योजना, कपास उत्पादकता के लिये अभियान, अटल टिंकरिंग लैब्स मेन्स के लिये:संसाधन आवंटन, आर्थिक योजना, राजकोषीय स्थिरता, कल्याणकारी योजनाओं और राष्ट्रीय विकास के लिये भारतीय अर्थव्यवस्था में केंद्रीय बजट का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट 2025-26 में आर्थिक संवृद्धि हेतु एक रणनीतिक रोडमैप की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है।
- इसके अंतर्गत विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु कृषि, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME), निवेश, निर्यात, कराधान और सामाजिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
बजट 2025-26 में प्रस्तुत विकास के चार इंजन कौन-से हैं?
- कृषि: किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सुदृढ़ीकरण:
- प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का लक्ष्य 100 ज़िलों को कवर करना, फसल विविधीकरण, सिंचाई और कटाई उपरांत भंडारण अवसंरचना का विकास करना है।
- इस योजना से उत्पादकता बढ़ेगी, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी और संधारणीय कृषि पद्धतियों को बढ़ावा मिलेगा ।
- तुअर, उड़द और मसूर दाल पर विशेष ध्यान देते हुए दलहन में आत्मनिर्भरता हेतु छह वर्षीय मिशन का शुभारंभ किया जाएगा, जिससे घरेलू उत्पादन में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित होगी।
- आयात पर निर्भरता कम होने से घरेलू कीमतें स्थिर होंगी और किसानों की आय में सुधार होगा।
- संशोधित ब्याज अनुदान योजना के तहत किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के तहत ऋण सीमा ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख कर दी गई है।
- विश्लेषण: इससे किसानों, मछुआरों और डेयरी उत्पादकों के लिये वित्तीय समावेशन बढ़ेगा, जिससे कृषि इनपुट में बेहतर निवेश सुनिश्चित होगा।
- कपास उत्पादकता हेतु पाँच वर्षीय मिशन की घोषणा की गई जिससे बेहतर उपज हेतु वैज्ञानिक कृषि तकनीकों और प्रौद्योगिकी मध्यक्षेपों को बढ़ावा मिलेगा।
- कपास की खेती में सुधार से भारत के वस्त्र क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा और वैश्विक व्यापार प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ेगी।
- भारतीय डाक को एक सार्वजनिक लॉजिस्टिक संगठन में रूपांतरित किया जाएगा, जिससे ग्रामीण आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा और कृषि आधारित व्यापार और आपूर्ति शृंखला में सुधार होगा।
- इससे ग्रामीण क्षेत्रों के कृषकों की राष्ट्रीय बाज़ारों की पहुँच में विस्तार होगा, जिसके फलस्वरूप खाद्य की बर्बादी कम होगी और किसानों की लाभप्रदता बढ़ेगी।
- प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का लक्ष्य 100 ज़िलों को कवर करना, फसल विविधीकरण, सिंचाई और कटाई उपरांत भंडारण अवसंरचना का विकास करना है।
- MSME: विनिर्माण और रोज़गार को बढ़ावा देना:
- MSME को व्यापक पैमाने पर संचालन करने और बेहतर संसाधनों तक पहुँच में मदद करने के उद्देश्य से, वर्गीकरण के लिये निवेश और टर्नओवर सीमा को क्रमशः 2.5 गुना और 2 गुना बढ़ा दिया गया है।
- उन्नत वर्गीकरण मानदंड से अधिक उद्यम लाभान्वित होंगे, जिससे विकास और रोज़गार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।
- MSME को व्यापक पैमाने पर संचालन करने और बेहतर संसाधनों तक पहुँच में मदद करने के उद्देश्य से, वर्गीकरण के लिये निवेश और टर्नओवर सीमा को क्रमशः 2.5 गुना और 2 गुना बढ़ा दिया गया है।
₹ करोड़ में |
निवेश |
आवर्त (Turnover) |
मौजूदा |
संशोधित |
|
अति लघु उद्योग |
1 |
2.5 |
लघु उद्यम |
10 |
25 |
मध्यम उद्यम |
50 |
125 |
- MSME ऋण गारंटी योजना का विस्तार किया गया है, जिसके तहत पाँच वर्षों में 1.5 लाख करोड़ रुपए की अतिरिक्त ऋण सहायता की पेशकश की गई है।
- ऋण उपलब्धता बढ़ने से चलनिधि की स्थिति में सुधार होगा, जिससे MSME नवाचार और बुनियादी ढाँचे में निवेश करने में सक्षम होंगे।
- पहली बार काम करने वाली 5 लाख महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों के लिये पाँच वर्षों में ₹2 करोड़ तक का ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
- हाशिये पर स्थित समुदायों के सशक्तीकरण और उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलने के साथ इस पहल से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा।
- MSME को समर्थन देने के लिये एक राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन शुरू किया जाएगा, जिसमें खिलौना विनिर्माण और गैर-चमड़ा फुटवियर उत्पादन के लिये क्लस्टर शामिल होंगे।
- विनिर्माण का सुदृढ़ीकरण करने से निर्यात बढ़ेगा और भारत वैश्विक उत्पादन केंद्र बनेगा।
- उद्योग 4.0 क्षमताओं को वर्द्धन देने और घरेलू औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के साथ सरकार इलेक्ट्रॉनिक उपकरण विनिर्माण को समर्थन देगी।
- इस पहल से आयात पर निर्भरता कम होगी और भारत उन्नत विनिर्माण में अग्रणी बन जाएगा।
- निवेश: बुनियादी ढाँचे और नवाचार सुदृढ़ीकरण:
- पूंजीगत व्यय और सुधारों के लिये राज्यों को 1.5 लाख करोड़ रुपए का 50 वर्ष का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
- इस निवेश से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, रोज़गार सृजन होगा और सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे का उन्नयन होगा।
- दूसरी परिसंपत्ति मुद्रीकरण योजना (2025-30) के अंतर्गत आगामी पाँच वर्षों में ₹10 लाख करोड़ मूल्य की संपत्ति का मुद्रीकरण किया जाएगा।
- सार्वजनिक परिसंपत्तियों के पुनर्चक्रण से भविष्य के विकास के लिये धन जुटाया जा सकेगा, जिससे संधारणीय आर्थिक विकास सुनिश्चित होगा।
- पाँच वर्षों में सरकारी स्कूलों में 50,000 अटल टिंकरिंग लैब (ATL) स्थापित की जाएंगी, जिससे STEM अधिगम और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
- शिक्षा में निवेश करने से छात्र आगामी समय के लिये आवश्यक कौशल प्राप्त कर पाएंगे, जिससे तकनीकी उन्नति को बढ़ावा मिलेगा।
- अनुसंधान, विकास और नवाचार के लिये 20,000 करोड़ रुपए का कोष निजी क्षेत्र द्वारा संचालित तकनीकी प्रगति को प्रोत्साहित करेगा।
- इस पहल से उभरती प्रौद्योगिकियों में भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता बेहतर होगी।
- भारतनेट परियोजना के अंतर्गत सभी सरकारी स्कूलों और ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करेगी की जाएगी।
- डिजिटल विस्तार से ग्रामीण-शहरी डिजिटल अंतराल कम करने, ई-गवर्नेंस , शिक्षा और टेलीमेडिसिन सेवाओं में सुधार करने में मदद मिलेगी।
- पूंजीगत व्यय और सुधारों के लिये राज्यों को 1.5 लाख करोड़ रुपए का 50 वर्ष का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
- निर्यात: वैश्विक व्यापार संभावनाओं का विस्तार:
- निर्यात संवर्द्धन मिशन से MSME को वैश्विक बाज़ारों का अभिगम प्राप्त होने में सहायता मिलेगी तथा निर्बाध व्यापार सुविधा सुनिश्चित होगी।
- निर्यात बढ़ने से भारत के व्यापार पोर्टफोलियो में विविधता आएगी और विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि में वृद्धि होगी।
- भारतट्रेडनेट (BTN), अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिये डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, से दस्तावेज़ीकरण और वित्तपोषण सुव्यवस्थित होगा।
- व्यापार प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण से दक्षता बढ़ेगी, लागत कम होगी और निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा।
- विकारीय (शीघ्र खराब होने वाला) वास्तु सहित विमान लदाव के लिये बुनियादी ढाँचे और भंडारण को उन्नत किया जाएगा।
- लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को मज़बूत करने से कृषि और औद्योगिक निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता में सुधार करने में मदद मिलेगी।
- वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCC) हेतु राष्ट्रीय ढाँचे से टियर-2 शहरों को वैश्विक IT और अनुसंधान एवं विकास केंद्रों के रूप में बढ़ावा दिये जाने में सहायता मिलेगी।
- प्रौद्योगिकी निवेश को प्रोत्साहित करने से उच्च कौशल वाले रोज़गार का सृजन होगा और भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा ।
- सरकार घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उपकरण विनिर्माण को वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं के साथ एकीकृत करने के लिये सहायता प्रदान करेगी।
- घरेलू उत्पादन को सुदृढ़ करने से आयात पर निर्भरता कम होगी और निर्यात बढ़ेगा।
- निर्यात संवर्द्धन मिशन से MSME को वैश्विक बाज़ारों का अभिगम प्राप्त होने में सहायता मिलेगी तथा निर्बाध व्यापार सुविधा सुनिश्चित होगी।
केंद्रीय बजट 2025-26 संबंधी अन्य प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- जेंडर बजट: जेंडर बजट हेतु कुल आवंटन का 8.86% आवंटित किया गया है, जो वर्ष 2024-25 में 6.8% था।
- महिलाओं और बालिकाओं के कल्याण के लिये कुल 4.49 लाख करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं, जो गत वर्ष की तुलना में 37.25% अधिक है।
- शिक्षा: शिक्षा मंत्रालय को 1,28,650 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं, जो वर्ष 2024-25 से 6.22% अधिक है।
- इसके अंतर्गत प्रमुख पहलों में ग्रामीण परिवेश के स्कूलों में ब्रॉडबैंड का विस्तार, सरकारी स्कूलों में ATL की स्थापना और IIT बुनियादी ढाँचे को उन्नत बनाना शामिल है।
- इसके अतिरिक्त, शिक्षा में AI के लिये ₹500 करोड़ और निजी क्षेत्र के अनुसंधान एवं नवाचार के लिये ₹20,000 करोड़ आवंटित किये गए हैं।
- मध्यम वर्ग हेतु कराधान और राहत:
- मानक कटौती के कारण वेतनभोगी कर्मचारियों के लिये ₹12.75 लाख की छूट के साथ उन व्यक्तियों को कोई आयकर नहीं देना होगा जिनकी आय प्रति वर्ष ₹12 लाख है।
- इससे करदाताओं को धन की बचत होगी, जिससे उपभोग, बचत और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
- बजट में नए कर स्लैब प्रस्तुत किये गए जिसके अंतर्गत 4 से 8 लाख रुपए की आय पर 5% कर से लेकर 24 लाख रुपए से अधिक की आय पर 30% आयकर दिया जाना होगा।
- सरलीकृत कर संरचना से स्वैच्छिक अनुपालन बढ़ेगा और वादों की संख्या में कमी आएगी।
- वरिष्ठ नागरिकों के लिये ब्याज आय छूट 50,000 रुपए से बढ़ाकर 1 लाख रुपए करने के साथ TDS छूट सीमा बढ़ाई गई है।
- इससे सेवानिवृत्त लोगों को लाभ होगा, क्योंकि उनकी प्रयोज्य आय बढ़ेगी तथा वरिष्ठ नागरिकों को वित्तीय स्थिरता प्राप्त होगी।
- विवाद से विश्वास योजना में विस्तार किया गया, जिससे करदाताओं को अपनी आयकर विवरणी में सुधार लाने हेतु चार वर्ष (दो के बजाय) की सुविधा मिलेगी।
- विवाद समाधान अवधि बढ़ाने से मुकदमेबाजी कम होगी और कर संग्रहण दक्षता बढ़ेगी।
- भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माताओं को सेवाएँ प्रदान करने वाले अनिवासियों के लिये प्रकल्पित कराधान लागू किया गया।
- इससे अधिक विदेशी विशेषज्ञता आकर्षित होगी तथा घरेलू औद्योगिक विकास और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
- मानक कटौती के कारण वेतनभोगी कर्मचारियों के लिये ₹12.75 लाख की छूट के साथ उन व्यक्तियों को कोई आयकर नहीं देना होगा जिनकी आय प्रति वर्ष ₹12 लाख है।
- वित्तीय क्षेत्र और नियामक सुधार:
- बीमा क्षेत्र के लिये FDI सीमा को 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया गया, बशर्ते निवेश भारत में ही रहना आवश्यक है।
- जोखिम कवरेज और वित्तीय समावेशन में वृद्धि के साथ FDI के उच्च अंतर्वाह से बीमा क्षेत्र की स्थिति सुदृढ़ होगी।
- लाइसेंस, परमिट और अनुपालन नियमों की समीक्षा किये जाने हेतु एक उच्च स्तरीय समिति सहित विनियामक सुधार प्रस्तावित किये गए।
- व्यापार अनुकूल परिवेश से उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलेगा और व्यापार करने में सुगमता होगी।
- निवेश आकर्षित करने के लिये राज्यों के बीच प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देने हेतु इंवेस्टमेंट फ्रेंडलीनेस इंडेक्स शुरू किया गया।
- प्रतिस्पर्द्धी संघवाद से राज्यों को बेहतर व्यावसायिक पारिस्थितिकी तंत्र निर्मित करने की प्रेरणा मिलेगी, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- बुनियादी ढाँचे के वित्तपोषण में सुधार के लिये कॉर्पोरेट बॉण्ड के लिये आंशिक ऋण वर्द्धन सुविधा प्रदान की जाएगी।
- कॉर्पोरेट ऋण बाज़ारों तक सुगम पहुँच से बृहद स्तर पर बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में सुविधा होगी।
- जन विश्वास विधेयक 2.0 की सहायता से 100 से अधिक व्यावसायिक अधिनियमों को गैर-आपराधिक किया जाएगा, जिससे उद्यमियों के साथ होने वाला उत्पीड़न कम होगा।
- इससे जोखिम लेने और निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, तथा नवाचार-संचालित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
- बीमा क्षेत्र के लिये FDI सीमा को 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया गया, बशर्ते निवेश भारत में ही रहना आवश्यक है।
- ऊर्जा एवं अवसंरचना विकास:
- वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा लक्ष्य के भाग के रूप में लघु मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMR) के लिये 20,000 करोड़ रुपए आवंटित किये गए।
- इससे स्वच्छ ऊर्जा के विस्तार को बढ़ावा मिलेगा तथा उद्योगों और आवासों के लिये संधारणीय विद्युत सुनिश्चित होगी।
- शहरों को आर्थिक केंद्र के रूप में विकसित करने के लिये 1 लाख करोड़ रुपए का अर्बन चैलेंज फंड स्थापित किया जाएगा।
- इस निधि से शहरी बुनियादी ढाँचे का संवर्द्धन होगा, जिससे शहर वैश्विक स्तर पर व्यवसायों के लिये प्रतिस्पर्द्धी बनेंगे।
- जल जीवन मिशन में वर्ष 2028 तक का विस्तार किया गया, जिससे सभी ग्रामीण क्षेत्रों में नल द्वारा जल की सुविधा सुनिश्चित होगी।
- विश्वसनीय जल उपलब्धता से लोक स्वास्थ्य में सुधार होगा जिससे जलजनित रोग और ग्रामीण परिवेश की कठिनाइयाँ कम होंगी।
- सौर PV सेल, एल्क्ट्रिक वाहन बैटरी और पवन टर्बाइन के लिये हरित विनिर्माण प्रोत्साहन शुरू किया गया।
- स्वच्छ-तकनीक विनिर्माण को बढ़ावा देने से आयात पर निर्भरता कम होगी और संधारणीयता में सुधार होगा।
- उड़ान योजना के विस्तार से 120 नए गंतव्यों को जोड़ा जाएगा, जिसका लक्ष्य 10 वर्षों में 4 करोड़ हवाई यात्रियों को सुविधा प्रदान करना है।
- बेहतर कनेक्टिविटी से क्षेत्रीय पर्यटन बढ़ेगा, व्यापार को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
- वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा लक्ष्य के भाग के रूप में लघु मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMR) के लिये 20,000 करोड़ रुपए आवंटित किये गए।
- रक्षा, साइबर सुरक्षा और अंतरिक्ष अन्वेषण:
- AI-संचालित सुरक्षा समाधान और अनुवीक्षण प्रणालियों को सुदृढ़ बनाते हुए रक्षा विनिर्माण में अधिक निवेश किया जाएगा।
- स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी का संवर्द्धन करने से आयात पर निर्भरता कम करने और राष्ट्रीय सुरक्षा का सुदृढ़ीकरण करने में मदद मिलेगी।
- राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा मिशन और AI-संचालित खतरों का पता लगाने हेतु अधिक धनराशि के आवंटन के साथ साइबर सुरक्षा बुनियादी ढाँचे को उन्नत किया गया।
- इससे भारत की साइबर प्रत्यास्थता मज़बूत होगी तथा महत्त्वपूर्ण वित्तीय और बुनियादी ढाँचा प्रणालियों की सुरक्षा होगी।
- जहाज़ निर्माण और पत्तन आधुनिकीकरण के लिये 25,000 करोड़ रुपए का समुद्री विकास कोष स्थापित किया गया।
- समुद्री बुनियादी ढाँचे में सुधार से वैश्विक व्यापार दक्षता बढ़ेगी और विदेशी निवेश आकर्षित होगा।
- गगनयान, SSLV विस्तार और निजी क्षेत्र के अंतरिक्ष सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए ISRO का निधीयन बढ़ाया गया।
- भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में विस्तार के साथ देश वैश्विक उपग्रह बाज़ार में एक प्रमुख अभिकर्त्ता के रूप में स्थापित होगा।
- गहन अंतरिक्ष अन्वेषण में निरंतरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अंतरिक्ष मिशनों में नाभिकीय नोदन हेतु सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित किया गया।
- इस सहयोग से तकनीकी प्रगति को बढ़ावा मिलेगा तथा अंतरिक्ष में वैश्विक भूमिका सुदृढ़ होगी।
- AI-संचालित सुरक्षा समाधान और अनुवीक्षण प्रणालियों को सुदृढ़ बनाते हुए रक्षा विनिर्माण में अधिक निवेश किया जाएगा।
- बिहार के लिये प्रमुख आवंटन: बिहार राज्य के लिये किये गए महत्त्वपूर्ण आवंटन में किसानों को प्रशिक्षण और सरकारी योजनाओं के माध्यम से सहायता प्रदान करने हेतु मखाना बोर्ड की स्थापना शामिल है।
- इसके अतिरिक्त, कृषि मूल्य और रोज़गार को बढ़ावा देने हेतु राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, प्रसंस्करण और नवाचार संस्थान की स्थापना की जाएगी।
- केंद्रीय बजट में ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे (विस्तारित पटना हवाई अड्डे) और किसानों की सहायता हेतु पश्चिमी कोसी नहर परियोजना के लिये वित्तीय सहायता भी शामिल है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. वित्त मंत्री संसद में बजट प्रस्तुत करते हुए उसके साथ अन्य प्रलेख भी प्रस्तुत करते हैं जिनमें वृहद आर्थिक रूपरेखा विवरण (The Macro Economic Framework Statement) भी सम्मिलित रहता है। यह पूर्वोक्त प्रलेख निम्न आदेशन के कारण प्रस्तुत किया जाता है: (2020) (a) चिरकालिक संसदीय परंपरा के कारण उत्तर : (d) प्रश्न. संसद में केंद्रीय बजट की तैयारी और प्रस्तुति के लिये निम्नलिखित में से कौन ज़िम्मेदार है? (2010) (a) राजस्व विभाग उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. पूंजी बजट और राजस्व बजट के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिये। इन दोनों बजटों के संघटकों को समझाइये। (2021) |