भारतीय अर्थव्यवस्था
विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves)
- 31 Jan 2022
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:विदेशी मुद्रा भंडार और उसके घटक। मेन्स के लिये:विदेशी मुद्रा भंडार रखने के उद्देश्य और इसका महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के हालिया आंँकड़ों के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange- Forex) 21, जनवरी 2022 को समाप्त सप्ताह के दौरान 678 मिलियन अमेरिकी डाॅलर की गिरावट के साथ 634.287 बिलियन अमेरिकी डाॅलर तक पहुंँच गया।
- भंडार में गिरावट विदेशी मुद्रा आस्तियों (Foreign Currency Assets- FCA) में गिरावट के कारण थी जो समग्र भंडार का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। समीक्षाधीन सप्ताह में FCA 1.155 अरब डॉलर घटकर 569.582 अरब डॉलर रह गया।
- रिपोर्ट किये गए सप्ताह में सोने का भंडार 567 मिलियन अमरीकी डॉलर बढ़कर 40.337 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ विशेष आहरण अधिकार (SDR) 68 मिलियन अमेरिकी डाॅलर से गिरकर 19.152 बिलियन अमेरिकी डाॅलर हो गया।
प्रमुख बिंदु
- विदेशी मुद्रा भंडार:
- विदेशी मुद्रा भंडार का आशय केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा में आरक्षित संपत्ति से होता है, जिसमें बाॅण्ड, ट्रेज़री बिल और अन्य सरकारी प्रतिभूतियाँ शामिल होती हैं।
- गौरतलब है कि अधिकांश विदेशी मुद्रा भंडार अमेरिकी डॉलर में आरक्षित किये जाते हैं।
- भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में निम्नलिखित को शामिल किया जाता है:
- विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ
- स्वर्ण भंडार
- विशेष आहरण अधिकार (SDR)
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास रिज़र्व ट्रेंच
- विदेशी मुद्रा भंडार का आशय केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा में आरक्षित संपत्ति से होता है, जिसमें बाॅण्ड, ट्रेज़री बिल और अन्य सरकारी प्रतिभूतियाँ शामिल होती हैं।
- विदेशी मुद्रा भंडार का उद्देश्य:
- मौद्रिक और विनिमय दर प्रबंधन हेतु निर्मित नीतियों के प्रति समर्थन व विश्वास बनाए रखना।
- यह राष्ट्रीय या संघ मुद्रा के समर्थन में हस्तक्षेप करने की क्षमता प्रदान करता है।
- संकट के समय या जब उधार लेने की क्षमता कमज़ोर हो जाती है, तो संकट के समाधान के लिये विदेशी मुद्रा तरलता को बनाए रखते हुए बाहरी प्रभाव को सीमित करता है।
- विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी का महत्त्व:
- सरकार के लिये बेहतर स्थिति: विदेशी मुद्रा भंडार में हो रही बढ़ोतरी भारत के बाहरी और आंतरिक वित्तीय मुद्दों के प्रबंधन में सरकार तथा रिज़र्व बैंक को बेहतर स्थिति प्रदान करता है।
- संकट प्रबंधन: यह आर्थिक मोर्चे पर भुगतान संतुलन (BoP) संकट की स्थिति से निपटने में मदद करता है।
- रुपया मूल्यह्रास (Rupee Appreciation): बढ़ते भंडार ने डॉलर के मुकाबले रुपए को मज़बूत करने में मदद की है।
- बाज़ार में विश्वास: भंडार बाज़ारों और निवेशकों को विश्वास का एक स्तर प्रदान करेगा जिससे एक देश अपने बाहरी दायित्वों को पूरा कर सकता है।
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCA):
- FCA ऐसी संपत्तियाँ हैं जिनका मूल्यांकन देश की स्वयं की मुद्रा के अलावा किसी अन्य मुद्रा के आधार पर किया जाता है।
- FCA विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक है। इसे डॉलर के रूप में व्यक्त किया जाता है।
- FCA में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्रा की कीमतों में उतार-चढ़ाव या मूल्यह्रास का प्रभाव पड़ता है।
विशेष आहरण अधिकार (SDRs):
- विशेष आहरण अधिकार को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) द्वारा 1969 में अपने सदस्य देशों के लिये अंतर्राष्ट्रीय आरक्षित संपत्ति के रूप में बनाया गया था।
- SDR न तो एक मुद्रा है और न ही IMF पर इसका दावा किया जा सकता है। बल्कि यह IMF के सदस्यों का स्वतंत्र रूप से प्रयोग करने योग्य मुद्राओं पर एक संभावित दावा है। इन मुद्राओं के लिये SDR का आदान-प्रदान किया जा सकता है।
- SDR के मूल्य की गणना ‘बास्केट ऑफ करेंसी’ में शामिल मुद्राओं के औसत भार के आधार पर की जाती है। इस बास्केट में पाँच देशों की मुद्राएँ शामिल हैं- अमेरिकी डॉलर, यूरोप का यूरो, चीन की मुद्रा रॅन्मिन्बी, जापानी येन और ब्रिटेन का पाउंड।
- SDRs या SDRi पर ब्याज दर सदस्यों को उनके SDR होल्डिंग्स पर दिया जाने वाला ब्याज है।
- हाल ही में IMF ने भारत को SDR 12.57 बिलियन (लगभग 17.86 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर) का आवंटन किया है। अब भारत की कुल होल्डिंग्स 13.66 बिलियन SDR है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में आरक्षित स्थिति:
- एक की रिज़र्व ट्रेन्च स्थिति का तात्पर्य मुद्रा के आवश्यक कोटे के एक हिस्से से है जो प्रत्येक सदस्य देश को आईएमएफ को प्रदान करना चाहिये, जिसका उपयोग अपने स्वयं के उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है।
- रिज़र्व ट्रेन्च वह मुद्रा होती है जिसे प्रत्येक सदस्य देश द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) को प्रदान किया जाता है और जिसका उपयोग वे देश अपने स्वयं के प्रयोजनों के लिये कर सकते हैं। इस मुद्रा का प्रयोग सामान्यतः आपातकाल की स्थिति में किया जाता है।