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भारतीय अर्थव्यवस्था

केंद्रीय बजट 2025-26

  • 01 Feb 2025
  • 23 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संसद, मखाना, विशेष आर्थिक क्षेत्र, मेड इन इंडिया, SMR, परमाणु ऊर्जा अधिनियम, परमाणु क्षति के लिये नागरिक दायित्त्व अधिनियम, उड़ान योजना, आयकर, लिथियम-आयन बैटरी, UPI, ई-श्रम पोर्टल, PM जन आरोग्य योजना, NaBFID, प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना, दालों में आत्मनिर्भरता, संशोधित MSME वर्गीकरण, शहरी चुनौती निधि।

मेन्स के लिये:

संसाधन आवंटन, आर्थिक योजना, राजकोषीय स्थिरता, कल्याणकारी योजनाएँ और राष्ट्रीय विकास के लिये केंद्रीय बजट का महत्त्व।

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा संसद में केंद्रीय बजट 2025-26 पेश किया गया, जिसमें विकास के 4 इंजनों- कृषि, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) निवेश और निर्यात को रेखांकित किया गया है।

  • ‘सबका विकास’ लक्ष्य के साथ केंद्रीय बजट 2025-26 का उद्देश्य सभी क्षेत्रों में संतुलित विकास को प्रोत्साहित करना है। 
  • बजट की थीम के अनुरूप, वित्त मंत्री ने विकसित भारत के व्यापक सिद्धांतों को रेखांकित किया है।

  • बजट में गरीबों, युवाओं, किसानों एवं महिलाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए विकास उपायों को प्रस्तावित किया गया है।

केंद्रीय बजट 2025-26 में विकास के 4 इंजन कौन से हैं?

  • पहला ईंजनः कृषि
    • प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना: इसके अंतर्गत कम कृषि उत्पादकता वाले 100 ज़िलों को शामिल किया गया है, जिससे 1.7 करोड़ किसान लाभान्वित होंगे, फसल कटाई के बाद भंडारण बढ़ाने, सिंचाई की सुविधाओं में सुधार करने का लक्ष्य रखा गया।
      • कौशल, निवेश, प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि में कम रोजगार का समाधान के लिये राज्यों की भागीदारी से एक व्यापक बहु-क्षेत्रीय ‘ग्रामीण सम्पन्नता और अनुकूलन निर्माण’ कार्यक्रम प्रारम्भ किया जाएगा।
    • दलहनों में आत्मनिर्भरता: सरकार तूर, उड़द और मसूर पर विशेष ध्यान के साथ दालों में आत्मनिर्भरता के लिये एक छह वर्षीय अभियान का शुभारंभ करेगी। जिससे जलवायु-अनुकूल बीज और लाभकारी मूल्य सुनिश्चित होंगे। 
      • केन्द्रीय एजेंसियां (नेफेड और एनसीसीएफ) अगले चार वर्षों के दौरान किसानों से मिलने वाली इन तीन दालों को अधिकतम स्तर पर खरीदने के लिये तैयार रहेंगे।
    • किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की बढ़ी हुई सीमा: 7.7 करोड़ किसानों के लिये ऋण की सीमा को सुविधाजनक बनाने के लिये इसे 3 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दिया गया।
    • उच्च उपज देने वाले बीजों पर राष्ट्रीय मिशन: अनुसंधान को मज़बूत करना, 100 से अधिक उच्च उपज देने वाली और कीट प्रतिरोधी बीज किस्मों की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
    • कपास उत्पादकता मिशन: सतत् कृषि को बढ़ावा देने, अतिरिक्त लंबे रेशे वाले कपास का उत्पादन बढ़ाने और गुणवत्ता में सुधार लाने के लिये 5 वर्ष की पहल।
    • बिहार में मखाना बोर्ड: मखाना के उत्पादन, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्द्धन को बढ़ाने हेतु इसकी स्थापना की जाएगी।
    • फलों और सब्जियों के लिये व्यापक कार्यक्रम: कुशल आपूर्ति शृंखला को बढ़ावा देना और किसानों के लिये बेहतर बाज़ार मूल्य सुनिश्चित करना।
    • मत्स्य विकास: भारतीय विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र और उच्च सागर में सतत् मत्स्य पालन के लिये नई रूपरेखा, अंडमान एवं निकोबार तथा लक्षद्वीप पर ध्यान केंद्रित करना।
  • असम में यूरिया संयंत्र: कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिये ब्रह्मपुत्र घाटी उर्वरक निगम लिमिटेड (BVFCL) के परिसर में 12.7 लाख मीट्रिक टन क्षमता का एक नया यूरिया संयंत्र स्थापित किया जाएगा।
  • दूसरा इंजनः एमएसएमई
  • संशोधित एमएसएमई वर्गीकरण: निवेश और कुल कारोबार सीमाओं को क्रमशः 2.5 और दोगुना बढ़ाया गया है, जिससे लघु उद्यम के लिये ऋण के अवसर बढ़ेंगे।

  • सूक्ष्म उद्यम क्रेडिट कार्ड: 10 लाख सूक्ष्म उद्यमों के लिये 5 लाख रुपए की ऋण सुविधा, वित्तीय समावेशन और आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा देना।
    • एमएसएमई के लिये ऋण कवर: गारंटी कवर 5 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपए कर दिया गया, जिससे ऋण तक पहुँच बढ़ सकेगी।
    • चमड़ा और फुटवियर के लिये फोकस प्रोडक्ट स्कीम: 22 लाख रोज़गार, 4 लाख करोड़ रुपए का राजस्व और 1.1 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निर्यात होगा।
    • खिलौना क्षेत्र (TOY) का विकास: क्लस्टर और नवाचार आधारित विनिर्माण वैश्विक बाज़ारों में 'मेड इन इंडिया' ब्रांड को बढ़ावा दे रहे हैं।
    • राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान: बिहार में राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान की स्थापना की जाएगी, जिससे खाद्य प्रसंस्करण, कौशल और उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा।
    • स्टार्टअप्स के लिये फंड ऑफ फंड्स: विस्तारित दायरे और 10,000 करोड़ रुपए के अतिरिक्त योगदान के साथ स्थापित किया जाएगा।
  • तीसरा इंजनः निवेश
    • शहरी चुनौती निधि: 'शहरों को विकास केंद्र के रूप में विकसित करने', 'शहरों के रचनात्मक पुनर्विकास' तथा 'जल एवं स्वच्छता ' को समर्थन देने के लिये ₹1 लाख करोड़ रुपए का आवंटन, जिसमें वित्त वर्ष 2025-26 के लिये ₹10,000 करोड़ आवंटित किये गए।
    • जल जीवन मिशन: कुल बजट परिव्यय को बढ़ाकर 67,000 करोड़ रुपए कर दिया गया है तथा इस मिशन की अवधि वर्ष 2028 तक बढ़ा दी गई है, जिससे ग्रामीण जल परियोजनाओं के लिये अधिक वित्त पोषण के साथ सार्वभौमिक पाइप जलापूर्ति सुनिश्चित होगी।
      • इस मिशन से 15 करोड़ परिवार लाभान्वित हुए हैं, जो भारत की ग्रामीण आबादी का 80% हिस्सा हैं।
    • समुद्री विकास निधि: ₹25,000 करोड़ का कोष (सरकार द्वारा 49% योगदान), जहाज़ निर्माण, बंदरगाहों और रसद बुनियादी ढाँचे के लिये दीर्घकालिक वित्तपोषण का समर्थन करता है।
    • IIT का विस्तार: 6,500 अतिरिक्त छात्रों के लिये अतिरिक्त बुनियादी ढाँचा, भारत की तकनीकी शिक्षा क्षमता को बढ़ावा देगा।
      • PM रिसर्च फेलोशिप: IIT और IISC में उन्नत अनुसंधान के लिये 10,000 फेलोशिप।
    • डे केयर कैंसर सेंटर: इन्हें अगले 3 वर्षों में सभी ज़िला अस्पतालों में स्थापित किया जाएगा। वर्ष 2025-26 तक 200 सेंटर स्थापित किये जाएंगे, जिससे कैंसर उपचार की किफायती उपलब्धता सुनिश्चित होगी। 
    • भारतीय भाषा पुस्तक योजना: इसके तहत स्कूल और उच्च शिक्षा तक पहुँच बढ़ाने के क्रम में भारतीय भाषा में डिजिटल पुस्तकें उपलब्ध कराई जाएंगी।
    • विकसित भारत के लिये परमाणु ऊर्जा मिशन: स्माॅल मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMR) के लिये 20,000 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ इसके तहत वर्ष 2033 तक स्वदेशी रूप से विकसित कम से कम 5 SMR का संचालन किया जाना प्रस्तावित है।
    • UDAN - क्षेत्रीय संपर्क योजना: संशोधित उड़ान योजना के अंतर्गत 120 नए गंतव्यों को शामिल किया जाएगा, जिसका लक्ष्य अगले 10 वर्षों में 4 करोड़ यात्रियों को सेवा प्रदान करना है।
      • यह योजना पहाड़ी, आकांक्षी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में हेलीपैड और छोटे हवाई अड्डों को भी सहयोग प्रदान करेगी।
    • बिहार में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट: बिहार में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट विकसित किये जाएंगे, साथ ही पटना एयरपोर्ट के विस्तार और बिहटा (पटना) में ब्राउनफील्ड एयरपोर्ट का निर्माण किया जाएगा।
    • पश्चिमी कोशी नहर ERM परियोजना: मिथिलांचल, बिहार में सिंचाई अवसंरचना के विकास हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
    • रोज़गार आधारित विकास के लिये पर्यटन: देशभर के 50 प्रमुख पर्यटन स्थलों को राज्यों के सहयोग से 'चैलेंज मोड' के तहत विकसित किया जाएगा।
  • चौथा इंजन- निर्यात संवर्द्धन:
    • निर्यात संवर्द्धन मिशन: क्षेत्रीय और मंत्रालयी लक्ष्यों के साथ एक निर्यात संवर्द्धन मिशन का शुभारंभ किया जाएगा, जिसे वाणिज्य मंत्रालय, MSME मंत्रालय और वित्त मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जाएगा।
    • भारतट्रेडनेट (BTN): एक एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार दस्तावेजीकरण और वित्तपोषण समाधान की सुविधा प्रदान करेगा।
    • ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCC) हेतु राष्ट्रीय ढांचा: उभरते हुए द्वितीय श्रेणी (टियर-2) शहरों में आउटसोर्सिंग केंद्रों (Global Capability Centres) को बढ़ावा देने के लिये नीतिगत प्रोत्साहन दिये जाएंगे, जिससे भारत एक प्रमुख वैश्विक सेवा प्रदाता के रूप में उभर सके। 
    • एयर कार्गो के लिये भंडारण सुविधा: उच्च-मूल्य वाले नाशवंत (perishable) उत्पादों के निर्यात को सक्षम बनाने के लिये उन्नत भंडारण अवसंरचना का विकास किया जाएगा, जिससे अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक तेज़ और कुशल आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।

केंद्रीय बजट 2025-26 की अन्य प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

  • कराधान और वित्तीय सुधार:
    • प्रत्यक्ष कर: 12 लाख रुपए तक की वार्षिक आय पर कोई आयकर नहीं, छूट के साथ वेतनभोगी करदाताओं के लिये इसे बढ़ाकर 12.75 लाख रुपए किया गया है।

आय (₹ में)

कर की दर

₹0 - ₹4 लाख

शून्य

₹4 - ₹8 लाख

5%

₹8 - ₹12 लाख

10%

₹12 - ₹16 लाख

15%

₹16 - ₹20 लाख

20%

₹20 - ₹24 लाख

25%

₹24 लाख से अधिक

30%

  • स्रोत पर कर कटौती (TDS): रेंट पर TDS की सीमा को 2.4 लाख रुपए से बढ़ाकर 6 लाख रुपए किया गया है , जिससे कर अनुपालन का बोझ कम होगा।
    • कर रिटर्न: अद्यतन कर रिटर्न की समय सीमा 2 वर्ष से बढ़ाकर 4 वर्ष कर दी गई है, जिससे स्वैच्छिक कर अनुपालन में सुविधा होगी।
    • मूल सीमा शुल्क (BCD) छूट: कैंसर, दीर्घकालिक और दुर्लभ बीमारियों से संबंधित 36 जीवन रक्षक दवाओं को BCD से पूर्ण छूट दी गई है।
    • घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के क्रम में इलेक्ट्रिक वाहनों एवं मोबाइल उपकरणों हेतु लिथियम-आयन बैटरी विनिर्माण पूंजीगत वस्तुओं को छूट दी गई है।
    • स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहित करने तथा आयात पर निर्भरता कम करने के लिये वस्त्र और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र से संबंधित घटकों को छूट दी गई।
  • सामाजिक कल्याण और समावेशन: 
    • पीएम स्वनिधि योजना: वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के क्रम में स्ट्रीट वेंडर्स के लिये 30,000 रुपए की सीमा वाले UPI -लिंक्ड क्रेडिट कार्ड का प्रावधान किया गया है।
    • गिग वर्कर्स के लिये पहचान पत्र: ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण, पीएम जन आरोग्य योजना के तहत सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य लाभ सुनिश्चित करने पर प्रकाश डाला गया। 
    • 50,000 अटल टिंकरिंग लैब: नवाचार को बढ़ावा देने के क्रम में इन्हें अगले पाँच वर्षों में सरकारी स्कूलों में स्थापित किया जाएगा।
    • चिकित्सा शिक्षा का विस्तार: 10,000 नई चिकित्सा सीटों के साथ पाँच वर्षों में कुल 75,000 सीटों की वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है।
  • वित्तीय क्षेत्र में सुधार:
  • ग्रामीण क्रेडिट स्कोर: यह स्वयं सहायता समूह के सदस्यों और ग्रामीण उधारकर्त्ताओं को औपचारिक ऋण सुविधाओं तक अधिक कुशलतापूर्वक पहुँच प्रदान करने पर केंद्रित है।
    • जन विश्वास विधेयक 2.0: इसके तहत 100 से अधिक विधिक प्रावधानों को गैर आपराधिक श्रेणी में शामिल करना, व्यापार संचालन को सुलभ बनाना एवं नियामक अनुपालन बोझ को कम करना शामिल है।
    • SWAMIH फंड 2.0: यह सरकार, बैंकों और निजी निवेशकों के योगदान वाला 1 लाख से अधिक आवास इकाइयों को पूरा करने हेतु ₹15,000 करोड़ का फंड है।
    • बीमा क्षेत्र में FDI: बीमा क्षेत्र में FDI सीमा उन कंपनियों के लिये 74% से बढ़ाकर 100% कर दी जाएगी जिनके द्वारा अपना पूरा प्रीमियम भारत में निवेश किया जाता है।
    • राज्यों का निवेश मित्रता सूचकांक: यह प्रतिस्पर्द्धी सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने के क्रम में राज्यों के लिये एक नया रैंकिंग ढाँचा है।
    • ऋण संवर्द्धन सुविधा: NaBFID के तहत बुनियादी ढाँचे हेतु कॉर्पोरेट बॉण्ड का समर्थन करने के क्रम में एक 'आंशिक ऋण संवर्द्धन सुविधा' को स्थापित किया जाएगा।
    • ग्रामीण क्रेडिट स्कोर: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा लोगों की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु 'ग्रामीण क्रेडिट स्कोर' ढाँचा तैयार किया जाएगा।
    • पेंशन क्षेत्र: विनियामक समन्वय और पेंशन उत्पादों के विकास के लिये एक मंच स्थापित किया जाएगा।
    • विनियामक सुधारों के लिये उच्च स्तरीय समिति: सभी गैर-वित्तीय क्षेत्र के विनियमनों, प्रमाणनों और लाइसेंसों की समीक्षा के लिये एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा।
  • राजस्व के प्रमुख स्रोत और व्यय:

  • केंद्र सरकार के प्रमुख व्यय (बजट अनुमान):

वित्तीय प्रवृत्तियाँ और बजटीय अनुमान (2023-24 एवं 2024-25) क्या हैं?

  • प्राप्तियाँ और व्यय: वर्ष 2023-24 में राजस्व प्राप्तियाँ ₹27.3 लाख करोड़ थीं, जो वर्ष 2024-25 में बढ़कर ₹31.3 लाख करोड़ (BE) हो गईं। 
    • प्रभावी पूंजीगत व्यय ₹17.1 लाख करोड़ से घटकर ₹16.3 लाख करोड़ (संशोधित अनुमान) हो गया। राजस्व व्यय ₹34.9 लाख करोड़ से बढ़कर ₹37.0 लाख करोड़ (संशोधित अनुमान) हो गया। 
    • पूंजीगत व्यय ₹12.5 लाख करोड़ से बढ़कर ₹15.0 लाख करोड़ (BE) हो गया, किंतु बाद में इसे संशोधित कर ₹13.2 लाख करोड़ किया गया।
  • घाटे की प्रवृत्तियाँ (GDP के प्रतिशत के रूप में): वित्तीय घाटा वर्ष 2023-24 में 3.3% था और वर्ष 2024-25 (संशोधित अनुमान) में यह अपरिवर्तित रहते हुए 3.3% पर बना हुआ है।
    • राजस्व घाटा वित्त वर्ष 2023-24 में 0.3% था, जो वर्ष 2024-25 (संशोधित अनुमान) में मामूली वृद्धि के साथ 0.8% हो गया।
    • प्रभावी राजस्व घाटा वर्ष 2023-24 में 0.3% था, जो वर्ष 2024-25 (संशोधित अनुमान) में बढ़कर 0.8% पर पहुँच गया।
  • राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कुल अंतरण: वित्त वर्ष 2023-24 में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कुल ₹20.65 लाख करोड़ अंतरित किये गए। 
    • यह आँकड़ा वित्त वर्ष 2024-25 (संशोधित अनुमान) में बढ़कर ₹22.76 लाख करोड़ हो गया तथा वर्ष 2025-26 (बजट अनुमान) में इसके और बढ़कर ₹25.60 लाख करोड़ तक पहुँचने का अनुमान है।
  • केंद्र सरकार की निवल प्राप्तियाँ: वित्त वर्ष 2024-25 (संशोधित अनुमान) में केंद्र सरकार द्वारा एकत्रित निवल कर राजस्व ₹28.4 लाख करोड़ रहा, जबकि गैर-कर राजस्व ₹5.8 लाख करोड़ रहा।
    • इसके अतिरिक्त गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियाँ (जिनमें विनिवेश से प्राप्त राजस्व और ऋणों की वसूली शामिल है) वर्ष 2024-25 (संशोधित अनुमान) में ₹0.8 लाख करोड़ रहीं।

निष्कर्ष

"सबका विकास" थीम पर आधारित केंद्रीय बजट 2025-26 समावेशी विकास, गरीबी उन्मूलन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के साथ विकसित भारत के लिये एक मज़बूत आधार तैयार करने पर केंद्रित है। युवाओं, महिलाओं, किसानों और मध्यम वर्ग को प्राथमिकता देते हुए इस बजट का उद्देश्य सामाजिक समानता सुनिश्चित करने के साथ सतत् विकास एवं निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करना है। यदि इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, तो ये उपाय भारत को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी तथा आर्थिक रूप से सशक्त राष्ट्र बनाने की दिशा में अग्रसर कर सकते हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. "लेखानुमोदन" और "अंतरिम बजट" में क्या अंतर है? (2011)  

  1. स्थायी सरकार लेखानुमोदन के प्रावधान उपयोग करती है, जबकि कार्यवाहक सरकार "अंतरिम बजट" के प्रावधान का प्रयोग करती है।  
  2.  लेखानुमोदन सरकार के बजट के व्यय पक्ष मात्र से संबद्ध होता है, जबकि अंतरिम बजट में व्यय तथा अवती दोनों सम्मिलित होते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो  1 और न ही 2  

उत्तर: (b)  

प्रश्न. वित्त मंत्री संसद में बजट प्रस्तुत करते हुए उसके साथ अन्य प्रलेख भी प्रस्तुत करते हैं जिनमें वृहद आर्थिक रूपरेखा विवरण (The Macro Economic Framework Statement) भी सम्मिलित रहता है। यह पूर्वोक्त प्रलेख निम्न आदेशन के कारण प्रस्तुत किया जाता है: (2020)

(a) चिरकालिक संसदीय परंपरा के कारण
(b) भारत के संविधान के अनुच्छेद 112 तथा अनुच्छेद 110 (1) के कारण
(c) भारत के संविधान के अनुच्छेद 113 के कारण
(d) राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 के प्रावधानों के कारण

उत्तर : (d)

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