भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत का वस्तु निर्यात नई ऊँचाईयों पर
- 17 Apr 2024
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारत के निर्यात की स्थिति, निर्यात का रुझान मेन्स के लिये:भारत का निर्यात क्षेत्र, चुनौतियाँ एवं आगे की राह |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
वित्तीय वर्ष 2022-23 की तुलना में मार्च 2024 तक 41.68 बिलियन अमेरिकी डॉलर का उच्चतम माल/वस्तु निर्यात हुआ
निर्यात संबंधी वर्तमान आँकड़े क्या हैं?
- परिचय:
- विगत वर्ष की तुलना में 0.67% की गिरावट के बावजूद, वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में मार्च 2024 में भारत का वस्तु निर्यात 41.68 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
- दूसरी ओर, इसी अवधि के दौरान आयात 6% गिरकर 57.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- वस्तु व्यापार घाटा 15.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक कम हो गया, जो 11 महीनों में सबसे कम है।
- प्रमुख घटक:
- सोने के आयात में गिरावट: मार्च में सोने का आयात 53.6% की भारी गिरावट के साथ 1.53 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
- गैर-तेल, गैर-सोना आयात: गैर-पेट्रोलियम, गैर-सोना आयात में कमी ने समग्र गिरावट में योगदान दिया।
- चाँदी के आयात में वृद्धि: चाँदी का आयात बढ़कर 816.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- वार्षिक आँकड़ों पर प्रभाव(2023-24):
- जहाँ पहले दस माह में वस्तु निर्यात औसतन 35.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो अंतिम दो माह में बढ़कर कुल 437.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- यह प्रदर्शन पिछले वर्ष प्राप्त किये गए रिकॉर्ड 451.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 3.1% कम है।
- वित्तीय वर्ष 2023-24 के अनुमान:
- यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशियाई संकट जैसी लगातार वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, कुल निर्यात पिछले वर्ष के रिकॉर्ड को पार करने का अनुमान है।
- भारत का कुल निर्यात (माल + सेवाएँ) 776.68 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
- यह पिछले वित्तीय वर्ष (वित्त वर्ष 2022-23) की तुलना में 0.04% की सकारात्मक वृद्धि को दर्शाता है।
- वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, यह आँकड़ा वित्त वर्ष 2022-23 में दर्ज़ 776.40 बिलियन अमेरिकी डॉलर से थोड़ा अधिक है।
- यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशियाई संकट जैसी लगातार वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, कुल निर्यात पिछले वर्ष के रिकॉर्ड को पार करने का अनुमान है।
- व्यापारिक निर्यात चालक: व्यापारिक निर्यात वृद्धि में मुख्य योगदानकर्त्ताओं में शामिल हैं:
- इलेक्ट्रॉनिक सामान: निर्यात 23.64% बढ़कर 29.12 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- औषधि एवं फार्मास्यूटिकल्स: निर्यात 9.67% बढ़कर 27.85 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- इंजीनियरिंग सामान: निर्यात 2.13% बढ़कर 109.32 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- कृषि जिंसों में सकारात्मक वृद्धि देखी गई:
- वित्त वर्ष 2023-24 में तंबाकू, फल, सब्ज़ियाँ, मांस, डेयरी उत्पाद, मसाले और तिलहन जैसी कृषि वस्तुओं के निर्यात में सकारात्मक वृद्धि देखी गई।
- व्यापार घाटे में सुधार:
- वित्त वर्ष 2023-24 में कुल व्यापार घाटा 35.77% बढ़कर 78.12 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है।
- वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में व्यापारिक व्यापार घाटा 9.33% बढ़कर 240.17 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- चालू खाता शेष आउटलुक:
- मार्च में माल व्यापार घाटा कम होने से वित्त वर्ष 2023-24 की अंतिम तिमाही में चालू खाता शेष के लिये अच्छा संकेत मिलने की आशा है।
भारत के निर्यात को और बढ़ाने के लिये क्या रणनीति होनी चाहिये?
- लागत अनुकूलन:
- भूमि, विद्युत् और पूंजीगत लागत: सरकार को भूमि अधिग्रहण, विद्युत् शुल्क और पूंजी उपलब्धता से जुड़ी लागत संबंधी चुनौतियों का तत्काल समाधान करना चाहिये।
- मापन (Scale) और दक्षता: मापनीय अर्थव्यवस्थाओं को प्रोत्साहित करने से व्यवसायों के लिये लागत संबंधी अक्षमताओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाना:
- बुनियादी ढाँचा और रसद: परिवहन नेटवर्क, बंदरगाहों और भंडारण सुविधाओं में सुधार से आपूर्ति शृंखला दक्षता में वृद्धि होगी।
- श्रम का लचीलापन: श्रम कानूनों को सुव्यवस्थित करना और लचीलापन सुनिश्चित करना, भारतीय कंपनियों को अधिक प्रतिस्पर्द्धी बना सकता है।
- MSME का समर्थन: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को मज़बूत करने से समग्र प्रतिस्पर्द्धात्मकता में योगदान मिलेगा।
- व्यापार संधियों के माध्यम से बाज़ार तक पहुँच:
- भारत को अपने निर्यात के लिये बाज़ार पहुँच को सुविधाजनक बनाने हेतु प्रमुख व्यापारिक भागीदारों के साथ सक्रिय रूप से संवाद और व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर करना चाहिये।
- द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संधियाँ वैश्विक स्तर पर भारतीय उत्पादों के लिये नए रास्ते खोल सकती हैं।
- प्रौद्योगिकी और गुणवत्ता फोकस:
- अनुसंधान और विकास (R&D) में निवेश करने तथा उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाने से उत्पाद की गुणवत्ता में वृद्धि होगी।
- उपभोक्ता का विश्वास प्राप्त करने के लिये गुणवत्ता प्रमाणन और अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन करना महत्त्वपूर्ण है।
- ब्रांड इंडिया को बढ़ावा देना:
- सरकार और उद्योग निकायों को मिलकर वैश्विक मंच पर "ब्रांड इंडिया" को बढ़ावा देना चाहिये।
- भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, कुशल कार्यबल और नवीन क्षमताओं को उज़ागर करना अंतर्राष्ट्रीय खरीदारों को आकर्षित करेगा।
- चाइना प्लस वन रणनीति:
- बहुराष्ट्रीय कंपनियों को चीन से अलग अपने विनिर्माण आधार में विविधता लाने के लिये प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
- भारत स्वयं को निवेश और उत्पादन के लिये एक आकर्षक विकल्प के रूप में स्थापित कर सकता है।
- इन रणनीतियों को लागू करके, भारत न केवल अपने निर्यात वृद्धि को बनाए रख सकता है, बल्कि आर्थिक समृद्धि और वैश्विक व्यापार गतिशीलता में योगदान करते हुए पिछले रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ सकता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: वैश्विक बाजार में भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने की संभावनाओं और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये, साथ ही उच्च निर्यात क्षमता वाले प्रमुख क्षेत्रों और टिकाऊ आर्थिक विकास के लिये उनका लाभ उठाने की रणनीतियों पर प्रकाश डालिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. फरवरी 2006 से प्रभावी हुआ SEZ एक्ट, 2005 के कुछ उद्देश्य हैं। इस संदर्भ में निम्नलिखित पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त में से कौन-सा/से एक्ट का/के उद्देश्य है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: किसी मुद्रा के अवमूल्यन का प्रभाव यह होता है कि वह आवश्यक रूप से:
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. विश्व व्यापार में संरक्षणवाद और मुद्रा चालबाज़ियो की हालिया परिघटनाएँ भारत की समष्टि-आर्थिक स्थिरता को किस प्रकार प्रभावित करेंगी? (2018) |