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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत में बीमा क्षेत्र

  • 28 Nov 2024
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बीमा, भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI), GDP, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, GST, वित्तीय साक्षरता, वर्ष 2047 तक सभी के लिये बीमा, वैधानिक निकाय, बीमा सुगम, बीमा वाहक, बीमा विस्तार, माइक्रोफाइनेंस, प्रधानमंत्री जन धन योजना, अटल पेंशन योजना, सुरक्षा बीमा योजना, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDC) अधिनियम, 2023

मेन्स के लिये:

बीमा क्षेत्र, भारत में बीमा क्षेत्र की चुनौतियाँ और आगे की राह।

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में, भारत में कई सामान्य बीमा कंपनियों के प्रमुखों ने देश में बीमा क्षेत्र के समक्ष आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करने के लिये बैठक कर उद्योग के भविष्य के बारे में अपने विचार साझा किये।

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भारत में बीमा क्षेत्र की वर्तमान स्थिति क्या है?

  • वैश्विक बाज़ार स्थिति: विश्व में 10वें सबसे बड़े बीमा बाज़ार तथा उभरते बाज़ारों में दूसरा सबसे बड़ा स्थान भारत का है, जिसका बाज़ार में अनुमानित 1.9% का योगदान है।
  • संभावना: भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) के अनुसार, भारत एक दशक के भीतर जर्मनी, कनाडा, इटली और दक्षिण कोरिया को पीछे छोड़ते हुए छठा सबसे बड़ा बीमा बाज़ार बन जाएगा।
    • भारत में बीमा बाज़ार वर्ष 2026 तक 222 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।
  • बीमा घनत्व: यह वर्ष 2001 में 11.1 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2022 में 92 अमेरिकी डॉलर हो गया है।
    • इस वर्गीकरण में 70 अमेरिकी डॉलर का जीवन बीमा घनत्व तथा 22 अमेरिकी डॉलर का गैर-जीवन बीमा घनत्व शामिल है।
      • बीमा घनत्व प्रति व्यक्ति औसत बीमा प्रीमियम को मापता है।
  • बीमा प्रवेश: यह वर्ष 2000 में 2.7% से बढ़कर वर्ष 2022 में 4% हो गया है।
    • बीमा प्रवेश को सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में प्रीमियम के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI): वर्ष 2014-23 के बीच बीमा क्षेत्र को लगभग 54,000 करोड़ रुपए (6.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का FDI प्राप्त हुआ है।
    • वर्तमान में बीमा क्षेत्र में  74% FDI की अनुमति है।
  • बाज़ार संरचना: भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) एकमात्र सार्वजनिक क्षेत्र की जीवन बीमा कंपनी है, जिसके पास वित्त वर्ष 2023 के लिये नए व्यवसाय प्रीमियम में 62.58% बाज़ार हिस्सेदारी है।
    • सामान्य और स्वास्थ्य बीमा में निजी क्षेत्र की बाज़ार हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2020 में 48.03% से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 62.5 % हो गई है।

भारत के बीमा क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?

  • बीमा तक सीमित पहुँच: वैश्विक मानकों की तुलना में भारत में बीमा पहुँच काफी सीमित बनी हुई है।
    • वर्ष 2022 में भारत में बीमा पहुँच 4% थी जबकि वैश्विक स्तर पर यह 6.5% थी।
  • सामर्थ्य संबंधी चिंताएँ: उच्च लागत की धारणा (विशेष रूप से 18% GST दर के कारण) संभावित खरीदारों को हतोत्साहित कर रही है।
  • वितरण अकुशलताएँ: दूरदराज़ के क्षेत्रों (विशेष रूप से ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों ) तक इसकी पहुँच सीमित है। 
    • भारत की 65% जनसंख्या (अर्थात 90 करोड़ से अधिक लोग) ग्रामीण क्षेत्रों में है फिर भी इनमें से केवल 8%-10% लोगों के पास जीवन बीमा कवरेज है।
  • अनुकूलन का अभाव: विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप अनुकूलन विकल्पों का अभाव, संभावित पॉलिसीधारकों के लिये स्वास्थ्य बीमा को कम आकर्षक बनाता है।
  • धोखाधड़ी एवं जोखिम मूल्यांकन चुनौतियाँ: धोखाधड़ी वाले दावे एवं अकुशल जोखिम मूल्यांकन से लागत में वृद्धि होती है।
  • डिजिटल परिवर्तन की बाधाएँ: बीमा प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण से साइबर सुरक्षा जोखिम बढ़ जाता है जिससे यह क्षेत्र संवेदनशील डेटा की तलाश करने वाले दुर्भावनापूर्ण अभिकर्त्ताओं हेतु एक लक्ष्य बन जाता है।
  • सीमित वित्तीय साक्षरता: आम लोगों की सीमित वित्तीय साक्षरता से बीमा उत्पादों के संबंध में सूचित निर्णय लेने की क्षमता में बाधा आती है। 
    • भारत में 5 में से 1 स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी धारक, स्वयं पॉलिसी खरीदने के बावजूद भी पॉलिसी की मूल शर्तों से अनभिज्ञ है।

IRDAI क्या है?

  • वर्ष 1999 में स्थापित IRDAI एक नियामक संस्था है जिसका उद्देश्य बीमा ग्राहकों के हितों की रक्षा करना है।
    • यह IRDAI अधिनियम, 1999 के तहत एक वैधानिक निकाय है और यह वित्त मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में है।
  • यह बीमा-संबंधी गतिविधियों की निगरानी करते हुए बीमा उद्योग के विकास को विनियमित करता है।
  • प्राधिकरण की शक्तियाँ और कार्य IRDAI अधिनियम, 1999 एवं बीमा अधिनियम, 1938 में निर्धारित हैं।

वर्ष 2047 तक सभी के लिये बीमा

  • IRDAI का लक्ष्य वर्ष 2047 तक 'सभी के लिये बीमा' सुनिश्चित करने के साथ यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक नागरिक के पास व्यापक जीवन, स्वास्थ्य एवं संपत्ति बीमा कवरेज हो तथा उद्यमों को उचित बीमा समाधानों के साथ समर्थन दिया जाए।
  • 3 स्तंभ: बीमा ग्राहक (पॉलिसीधारक), बीमा प्रदाता (बीमाकर्ता) और बीमा वितरक (मध्यस्थ) 
  • फोकस क्षेत्र: 
    • सही ग्राहकों को सही उत्पाद उपलब्ध कराना
    • मज़बूत शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना
    • बीमा क्षेत्र में कारोबार को सुलभ बनाना
    • यह सुनिश्चित करना कि विनियामक संरचना बाज़ार की गतिशीलता के अनुरूप हो
    • नवाचार को बढ़ावा देना
    • प्रौद्योगिकी को मुख्यधारा में लाते हुए तथा सिद्धांत आधारित नियामक व्यवस्था की ओर बढ़ते हुए प्रतिस्पर्द्धा और वितरण दक्षता को बढ़ावा देना।

बीमा कवरेज बढ़ाने के लिये सरकार की क्या पहल हैं? 

आगे की राह

  • उत्पाद सरलीकरण: व्यापक दर्शकों को आकर्षित करने के लिये सरल, समझने में आसान उत्पाद विकसित करना, विशेष रूप से ग्रामीण और कम पहुँच वाले क्षेत्रों के लिये सामर्थ्य और वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करना।
  • पहुँच में वृद्धि: वितरण चैनलों को बेहतर बनाने के लिये बीमा सुगम, बीमा वाहक और बीमा विस्तार जैसे कार्यक्रमों का विस्तार करना, विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में।
    • वे बीमा ट्रिनिटी का हिस्सा हैं, जो बीमा उत्पादों को जनता के लिये अधिक सुलभ बनाने हेतु IRDAI की एक परियोजना है।
  • बैंकएश्योरेंस विस्तार: कॉर्पोरेट एजेंटों को बैंकों और माइक्रोफाइनेंस संस्थानों के साथ सहयोग करके बीमाकर्त्ता साझेदारी का विस्तार करने की अनुमति देना।
  • सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना: प्रधानमंत्री जन धन योजना, अटल पेंशन योजना और सुरक्षा बीमा योजना जैसे मौजूदा कार्यक्रमों को आगे बढ़ाना ताकि सुभेद्द आबादी को बीमा के दायरे में लाया जा सके।
  • प्रौद्योगिकी अपनाना: हाइपर-वैयक्तिकृत पेशकशों, दावों के प्रसंस्करण और धोखाधड़ी का पता लगाने के लिये AI-संचालित उपकरणों का उपयोग करना, जिससे तेज़ और अधिक कुशल सेवा वितरण सुनिश्चित हो सके।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारत में बीमा क्षेत्र के सामने आने वाली मुख्य चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। इन चुनौतियों से निपटने के लिये क्या रणनीति अपनाई जा सकती है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न: भारत में, किसी व्यक्ति के साइबर बीमा कराने पर, निधि की हानि की भरपाई एवं अन्य लाभों के अतिरिक्त निम्नलिखित में से कौन-कौन से लाभ दिये जाते हैं? (2020)

  1. यदि कोई किसी मैलवेयर कंप्यूटर तक उसकी पहुँच को बाधित कर देता है तो कंप्यूटर प्रणाली को पुनः प्रचालित करने में लगने वाली लागत
  2. यदि यह प्रमाणित हो जाता है कि किसी शरारती तत्त्व द्वारा जानबूझ कर कंप्यूटर को नुकसान पहुँचाया गया है तो एक नए कंप्यूटर की लागत
  3. यदि साइबर बलात्-ग्रहण होता है तो इस हानि को न्यूनतम करने के लिये विशेष परामर्शदाता की की सेवाएँ पर लगने वाली लागत
  4. यदि कोई तीसरा पक्ष मुकदमा दायर करता है तो न्यायालय में बचाव करने में लगने वाली लागत

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 4
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: B


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020) 

  1. आधार मेटाडेटा को तीन महीने से अधिक समय तक संग्रहीत नहीं किया जा सकता है। 
  2. आधार के डेटा को साझा करने के लिये राज्य निजी निगमों के साथ कोई अनुबंध नहीं कर सकता है। 
  3. बीमा उत्पाद प्राप्त करने के लिये आधार अनिवार्य है। 
  4. भारत की संचित निधि से लाभ प्राप्त करने के लिये आधार अनिवार्य है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 4
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 3
(d) केवल 1, 2 और 3

उत्तर: B 


मेन्स

प्रश्न: सार्विक स्वास्थ्य सरंक्षण प्रदान करने में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की अपनी परिसीमाएँ हैं। क्या आपके विचार में खाई को  पाटने में निजी क्षेत्र सहायक हो सकता है? आप अन्य कौन से व्यवहार्य विकल्प सुझाएँगे? (2015)

प्रश्न: वित्तीय संस्थाओं व बीमा कंपनियों द्वारा की गई उत्पाद विविधता के फलस्वरूप उत्पादों व सेवाओं में उत्पन्न परस्पर व्यापन ने सेबी (SEBI) व इरडा (IRDA) नामक दोनों नियामक अभिकरणों के विलय के प्रकरण को प्रबल बनाया है। औचित्य सिद्ध कीजिये। (2013)

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