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बीमा विस्तार

  • 01 May 2024
  • 7 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

हाल ही में भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority of India - IRDAI) ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों के लिये अपने महत्त्वाकांक्षी ऑल-इन-वन किफायती बीमा जन उत्पाद बीमा विस्तार (Bima Vistaar) की कीमत 1,500 रुपए प्रति पॉलिसी रखने का प्रस्ताव दिया है।

बीमा विस्तार क्या है?

  • परिचय:
    • बीमा विस्तार, बीमा ट्रिनिटी का हिस्सा है, जो अपनी तरह का पहला ऑल-इन-वन किफायती बीमा उत्पाद, बीमा विस्तार जीवन, स्वास्थ्य और संपत्ति कवर प्रदान करेगा।
      • उत्पाद को जीवन, स्वास्थ्य, व्यक्तिगत दुर्घटना और संपत्ति बीमा की संयुक्त सुविधाओं के साथ एक मूलभूत सामाजिक सुरक्षा कवर प्रदान करने के उद्देश्य से परिकल्पित किया गया है।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • उत्पाद में 820 रुपए का जीवन बीमा प्रीमियम, 500 रुपए  का स्वास्थ्य कवर, 100 रुपए  का व्यक्तिगत दुर्घटना कवर और 80 रुपए  का संपत्ति कवर शामिल है।
    • यदि फ्लोटर आधार पर पूरे परिवार के लिये बीमा कवर लिया जाता है, तो पॉलिसी की लागत 2,420 रुपए  होगी, जबकि परिवार के शेष सदस्यों के लिये 900 रुपए अतिरिक्त राशि देय होगी।
    • जीवन, व्यक्तिगत दुर्घटना और संपत्ति कवर के लिये बीमा राशि 2 लाख रुपए है, जबकि स्वास्थ्य कवर (अस्पताल नकद) 10 दिनों के लिये 500 रुपए की बीमा राशि प्रदान करता है, जिसमें अधिकतम 5,000 रुपए की राशि बिना बिल या दस्तावेज प्रस्तुत किये उपलब्ध है।
    • बीमा विस्तार पॉलिसी बेचने वाले एजेंट 10% का कमीशन अर्जित करते हैं, जिससे उत्पाद के व्यापक वितरण तथा इसे अधिक-से-अधिक लोगों द्वारा अपनाए जाने हेतु प्रोत्साहन मिलता है।
  • भारत में बीमा क्षेत्र के विस्तार के लाभ:
    • बीमा विस्तार से उचित लागत पर विश्वसनीय बीमा सुविधा प्राप्त होने से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा।
    • बीमा विस्तार नीति से व्यक्तियों एवं परिवारों को विभिन्न जोखिमों तथा अनिश्चितताओं से बचाने में सहायता मिलेगी।
    • इसे देश में बीमा की पहुँच बढ़ाने के लिये एक व्यापक उत्पाद माना जा रहा है तथा यह अपेक्षित है कि सूक्ष्म बीमा उत्पादों की तुलना में इसका विक्रय आकार बड़ा होगा।
  • विष्य की संभावनाएँ:
    • बीमा उत्पादों को सुलभ बनाने के लिये IRDAI, जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (GIC) और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के साथ एक "बीमा ट्रिनिटी" - बीमा सुगम (डिजिटल प्लेटफॉर्म), बीमा विस्तार (उत्पाद) और बीमा वाहक (महिला-केंद्रित वितरण चैनल) के विकास की दिशा में कार्य कर रहा है।
    • बीमा विस्तार के प्रतिस्पर्द्धी मूल्य निर्धारण तथा व्यापक कवरेज़ से दीर्घ काल में इसके व्यवहार्य तथा सतत् समाधान बनने की उम्मीद है।

बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI): 

  • यह बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 (IRDA अधिनियम, 1999) के तहत गठित एक स्वायत्त और वैधानिक निकाय है। यह भारत में बीमा और पुनर्बीमा उद्योग के प्रबंधन तथा विनियमन हेतु उत्तरदायी है।
  • यह 10 सदस्यीय निकाय है जिसमें एक अध्यक्ष, पाँच पूर्णकालिक सदस्य तथा चार अंशकालिक सदस्य शामिल हैं। 
  • इसका मुख्यालय हैदराबाद में है।
  • IRDAI की भूमिका:
    • इसका उद्देश्य बीमा पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा करने के साथ यह सुनिश्चित करना है कि उनके साथ उचित व्यवहार किया जाए। यह पॉलिसी जारीकर्त्ताओं की निगरानी भी करता है ताकि जन सामान्य के हित प्रभावित न हों।

भारत के बीमा उद्योग का इतिहास:

  • वर्ष I950 में भारत सरकार ने भारत के बीमा उद्योग का राष्ट्रीयकरण किया तथा भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) की स्थापना की।
  • 1990 के दशक में सरकार ने बीमा क्षेत्र को निजी क्षेत्रों के लिये खोलने का निर्णय लिया। इस संदर्भ में सुधारों का प्रस्ताव देने के लिये एक समिति गठित की गई तथा IRDAI का गठन किया गया। 
  • वर्ष 2000 में विदेशी कंपनियों को भारतीय बीमा कंपनियों में 26% तक हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति दी गई।
  • स्विस रे सिग्मा रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 (FY23) में, भारत की समग्र बीमा पहुँच वित्त वर्ष 2022 के 4.2% के स्तर से घटकर 4% तक पहुँच गई। यह वैश्विक बीमा पहुँच 6.8% की तुलना में काफी कम है।
    • वित्त वर्ष 2023 में, भारत में बीमा घनत्व वित्त वर्ष 2022 के 91 USD से बढ़कर 92 USD हो गया।
      • बीमा घनत्व बीमा कंपनियों द्वारा एकत्र किये गए बीमा प्रीमियम का किसी देश की कुल जनसंख्या से अनुपात है जिसे आमतौर पर अमेरिकी डॉलर में व्यक्त किया जाता है।

और पढ़ें: भारत में स्वास्थ्य बीमा के लिये कोई आयु सीमा नहीं

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