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भारतीय समाज

भारत में स्वास्थ्य बीमा के लिये कोई आयु सीमा नहीं

  • 24 Apr 2024
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण, स्वास्थ्य बीमा, विश्व स्वास्थ्य संगठन

मेन्स के लिये:

भारत में बुज़ुर्ग आबादी के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ, भारत की जनसांख्यिकी से संबंधित मुद्दे

स्रोत: फाइनेंसियल एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority of India- IRDAI) ने चिकित्सा बीमा पॉलिसी (Medical Insurance Policy) खरीदने के लिये आयु सीमा हटा दी है, जिससे बीमा का दायरा बढ़ गया है और वरिष्ठ नागरिकों को बड़ी राहत मिली है।

  • इसके अलावा भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science - IISc) बंगलूरू ने 'लॉन्गविटी इंडिया' की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य उम्र बढ़ने से संबंधित स्वास्थ्य मुद्दों का अध्ययन करना और बुज़ुर्गों के बेहतर स्वास्थ्य के लिये हस्तक्षेप करना है।

स्वास्थ्य बीमा से संबंधित IRDAI के हालिया दिशा-निर्देश क्या हैं? 

  • IRDAI ने भारत में स्वास्थ्य बीमा के लिये आवेदन करने की बाधा को समाप्त कर दिया है, जो पहले केवल 65 वर्ष और उससे कम आयु के व्यक्तियों को स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करने की अनुमति देता था।
    • इसने बीमाकर्त्ताओं को वरिष्ठ नागरिकों, छात्रों, बच्चों और मातृत्व जैसी विभिन्न जनसांख्यिकी के लिये विशेष बीमा उत्पाद सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
  • इसमें इस बात पर भी बल दिया गया है कि बीमाकर्त्ताओं को सभी प्रकार की पूर्व-मौजूदा चिकित्सा स्थितियों वाले व्यक्तियों के लिये कवरेज सुविधा प्रदान करने का प्रयास करना चाहिये, जैसा कि भारत सरकार के राजपत्र में प्रकाशित "स्वास्थ्य बीमा उत्पादों पर लागू विशिष्ट प्रावधानों (Specific provisions applicable to health insurance products)" में उल्लिखित है।
    • कैंसर या ह्हृदयाघात जैसी पहले से मौजूद चिकित्सीय स्थितियों वाले व्यक्तियों के लिये भी अब बिना किसी प्रतिबंध के बीमा कवरेज सुविधा उपलब्ध है।
    • इससे भारत में बीमा घनत्व और बीमा की पैठ बढ़ सकती है।
  • बीमाकर्त्ताओं को पॉलिसीधारक की सुविधा के लिये प्रीमियम का भुगतान किस्तों में किये जाने की पेशकश करने की भी आवश्यकता होती है और यात्रा पॉलिसियों की पेशकश केवल सामान्य और स्वास्थ्य बीमाकर्त्ताओं द्वारा ही की जा सकती है। 
    • इसके अलावा आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी सहित आयुष उपचारों के लिये कवरेज की कोई सीमा नहीं है।

भारत में बुज़ुर्ग आबादी के सामने क्या प्रमुख चुनौतियाँ हैं?

  • भारत में बुज़ुर्ग जनसंख्या की स्थिति: भारत हाल ही में चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे अधिक  जनसंख्या वाला देश बन गया है।
    • इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2050 तक देश में 60 वर्ष से अधिक आयु के 31 करोड़ से अधिक लोग होंगे।
  • चुनौतियाँ:
    • स्वास्थ्य देखभाल पहुँच का अभाव: भारत में बुज़ुर्गों के लिये उचित स्वास्थ्य देखभाल हेतु सामर्थ्य एक बड़ी बाधा है।
      • पुरानी बीमारियाँ सामान्य हैं, लेकिन वृद्धावस्था विशेषज्ञों और उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के प्रबंधन में प्रशिक्षित विशेषज्ञों तक सीमित पहुँच की वज़ह से उनकी स्थिति खराब हो जाती है।
    • बुज़ुर्गों के साथ दुर्व्यवहार और उपेक्षा: दुर्भाग्य से बुज़ुर्गों के साथ दुर्व्यवहार एक बढ़ती चिंता का विषय है। वे वित्तीय शोषण, शारीरिक या भावनात्मक शोषण और उपेक्षा के प्रति संवेदनशील होते हैं।
      • लॉन्गिट्यूडिनल एजिंग स्टडी इन इंडिया (LASI) के अनुसार, भारत की कम-से-कम 5% बुज़ुर्ग जनसंख्या (60 वर्ष और उससे अधिक आयु) ने बताया कि उन्हें वर्ष 2020 में दुर्व्यवहार का अनुभव हुआ।
    • डिजिटल विभाजन: कई सरकारी कार्यक्रम और सेवाएँ ऑनलाइन स्थानांतरित हो रही हैं, जिससे कुछ तकनीक-अकुशल बुज़ुर्ग नागरिकों को उन तक पहुँचने के लिये संघर्ष करना पड़ रहा है।
    • वित्तीय असुरक्षा: बुज़ुर्ग आबादी का एक बड़ा हिस्सा गरीबी रेखा से नीचे रहता है, उन्हें अपनी स्वास्थ्य देखभाल एवं दैनिक आवश्यकताओं हेतु पेंशन अथवा बचत के अभाव के कारण कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
    • सामाजिक अलगाव एवं अकेलापन: संयुक्त परिवारों के टूटने एवं युवा पीढ़ी के शहरों की ओर पलायन के कारण बुज़ुर्गों को सामाजिक अलगाव का सामना करना पड़ रहा है।
      • सामाजिक जुड़ाव की यह कमी अवसाद और चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न करती हैं।

आगे की राह

  • उम्र के अनुकूल बुनियादी ढाँचा: रैंप, हैंडरेल्स, सुलभ परिवहन तथा वरिष्ठ नागरिकों के अनुकूल आवास निर्माण जैसी सुविधाओं के साथ उम्र के अनुकूल बुनियादी ढाँचों के साथ सार्वजनिक स्थानों का विकास करना बुज़ुर्गों के लिये गतिशीलता एवं उनकी स्वतंत्रता में वृद्धि कर सकता है।
  • बुज़ुर्गों के साथ दुर्व्यवहार को रोकने हेतु कानूनों को मज़बूत करना: बुज़ुर्गों से दुर्व्यवहार के विरुद्ध कठोर कानून लागू करना और साथ ही पीड़ितों के लिये सुलभ रिपोर्टिंग तंत्र निर्मित करना।
  • सिल्वरप्रेन्योरशिप हब:विशेषज्ञता एवं उद्यमशीलता की भावना वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिये विशेष रूप से निर्मित सह-कार्यस्थल स्थापित करना जो नए युग के स्टार्टअप को सलाह, व्यवसाय विकास सहायता प्रदान कर सकें ताकि उन्हें अपना व्यवसाय शुरू करने अथवा व्यवसाय वृद्धि करने में सहायता मिल सके।
  • वरिष्ठ प्रभावशाली नेटवर्क:सोशल मीडिया में मज़बूत संचार कौशल वाले तकनीक में कुशल वरिष्ठ नागरिकों की पहचान करना और साथ ही "वरिष्ठ प्रभावशाली लोगों" का एक नेटवर्क बनाना।
    • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उन नीतियों का समर्थन करते हैं, जिनसे उनकी पीढ़ी लाभान्वित हो, वे बुज़ुर्गों की देखभाल से संबंधित मिथकों को दूर करते हैं और स्वस्थ उम्र  के लिये प्रोत्साहित करते हैं। 

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) क्या है?

  • IRDAI भारत में बीमा क्षेत्र के समग्र पर्यवेक्षण एवं विकास के लिये बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 (IRDA अधिनियम, 1999) के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है।
    • प्राधिकरण की शक्तियाँ और कार्य IRDA अधिनियम, 1999 तथा बीमा अधिनियम, 1938 के तहत निर्धारित हैं।
  • बीमा अधिनियम, 1938 भारत में बीमा क्षेत्र को नियंत्रित करने वाला प्रमुख अधिनियम है। यह IRDAI को नियम बनाने की शक्तियाँ प्रदान करता है, जो बीमा क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं की निगरानी हेतु नियामक ढाँचा तैयार करता है।

नोट: भारत में बीमा व्यापन (Penetration) (GDP के प्रतिशत के रूप में प्रीमियम) जो वर्ष 2001 में 2.7% और निरंतर बढ़ते हुए वर्ष 2020 में 4.2% हो गया तथा वर्ष 2021 में समान रहा।

  • इसके अतिरिक्त भारत में बीमा घनत्व (जनसंख्या/प्रति व्यक्ति प्रीमियम) में तीव्र वृद्धि हुई है। संपूर्ण जीवन बीमा घनत्व वर्ष 2001-02 के 9.1 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 69 अमेरिकी डॉलर हो गया।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

भारत में बुज़ुर्ग आबादी के समक्ष आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये, नई रणनीतियों का सुझाव दीजिये, जिन्हें देश में बुज़ुर्गों के जीवन की गुणवत्ता और कल्याण में सुधार के लिये लागू किया जा सकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. सुभेद्य वर्गों के लिये क्रियान्वित की जाने वाली कल्याण योजनाओं का निष्पादन उनके बारे में जागरुकता न होने, नीति प्रक्रम की सभी अवस्थाओं पर उनके सक्रिय तौर पर सम्मिलित न होने के कारण प्रभावी नहीं होता है, चर्चा कीजिये। (2019)

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