भारतीय अर्थव्यवस्था
मेक इन इंडिया
- 09 Jan 2023
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:मेक इन इंडिया, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस, उत्पादन संबंद्ध प्रोत्साहन (PLI), राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (NSWS), एक ज़िला एक उत्पाद (ODOP) मेन्स के लिये:भारतीय अर्थव्यवस्था को बदलने में मेक इन इंडिया का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एक दर्जन से अधिक "प्रतिबंधात्मक और भेदभावपूर्ण" शर्तें, जो स्थानीय आपूर्तिकर्त्ताओं को बोली प्रक्रिया में भाग लेने से रोकती थीं, का निराकरण एवं 'मेक इन इंडिया' पहल को बढ़ावा देने के लिये केंद्र सरकार द्वारा मंज़ूरी प्रदान की गई।
- ये शर्तें सार्वजनिक खरीद (मेक इन इंडिया को वरीयता) आदेश, 2017 का उल्लंघन थीं, जो स्थानीय आपूर्तिकर्त्ताओं के हितों की रक्षा करने और आय एवं रोज़गार बढ़ाने की दृष्टि से भारत में वस्तुओं तथा सेवाओं के विनिर्माण एवं उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु जारी की गई थीं।
मेक इन इंडिया पहल:
- परिचय:
- वर्ष 2014 में लॉन्च किये गए मेक इन इंडिया का मुख्य उद्देश्य देश को एक अग्रणी वैश्विक विनिर्माण और निवेश गंतव्य में बदलना है।
- इसका नेतृत्त्व उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade- DPIIT), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है।
- यह पहल दुनिया भर के संभावित निवेशकों और भागीदारों को 'न्यू इंडिया' की विकास गाथा में भाग लेने हेतु एक खुला निमंत्रण है।
- मेक इन इंडिया ने 27 क्षेत्रों में पर्याप्त उपलब्धियांँ हासिल की हैं। इनमें विनिर्माण और सेवाओं के रणनीतिक क्षेत्र भी शामिल हैं।
- उद्देश्य:
- नए औद्योगीकरण के लिये विदेशी निवेश को आकर्षित करना और चीन से आगे निकलने के लिये भारत में पहले से मौजूद उद्योग आधार का विकास करना।
- मध्यावधि में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि को 12-14% वार्षिक करने का लक्ष्य।
- देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी को वर्ष 2022 तक 16% से बढ़ाकर 25% करना।
- वर्ष 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्त रोज़गार सृजित करना।
- निर्यात आधारित विकास को बढ़ावा देना।
- प्रमुख चार स्तंभ:
- नई प्रक्रियाएँ:
- 'मेक इन इंडिया' उद्यमिता को बढ़ावा देने हेतु 'ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस' को एकमात्र सबसे महत्त्वपूर्ण कारक के रूप में मान्यता देती है, जिसके लिये पहले ही कई पहलें की जा चुकी हैं।
- इसका उद्देश्य व्यवसाय की संपूर्ण अवधि में इस क्षेत्र को लाइसेंस और विनियमन से मुक्त करना है।
- नई अवसंरचना:
- इस क्षेत्र का विस्तार करने के लिये सरकार ने औद्योगिक गलियारों का निर्माण, मौजूदा बुनियादी ढाँचे का उन्नयन और त्वरित पंजीकरण प्रक्रिया प्रदान करने की योजना बनाई है।
- नए क्षेत्र:
- "मेक इन इंडिया" द्वारा विनिर्माण, बुनियादी ढाँचे और सेवा गतिविधियों के लिये 27 उद्योगों की पहचान की गई है तथा एक इंटरैक्टिव वेब पेज एवं पैम्फलेट के माध्यम से इस संबंध में व्यापक जानकारी दी जा रही है।
- नई सोच:
- "मेक इन इंडिया" पहल मूल रूप से व्यवसाय के साथ सरकार के काम करने के तरीके को बदलना चाहती है।
- सरकार देश की अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिये विभिन्न उद्योगों के साथ साझेदारी करेगी और नियामक रुख की बजाय एक सुविधाजनक तरीका अपनाएगी।
- नई प्रक्रियाएँ:
- परिणाम:
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) अंतर्वाह: विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिये भारत सरकार ने एक उदार और खुली नीति लागू की है जो स्वचालित मार्ग के माध्यम से अधिकांश क्षेत्रों को FDI के लिये सुलभ बनाती है।
- वर्ष 2014-2015 में भारत में FDI अंतर्वाह 45.15 अरब अमेरिकी डॉलर था और तब से लगातार आठ वर्षों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया है।
- वर्ष 2021-22 में अब तक का सबसे अधिक 83.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का FDI दर्ज किया गया।
- आर्थिक सुधारों और पिछले वर्षों (2022-23) में व्यापार करने में सुगमता के परिणामस्वरूप वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान भारत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है।
- वर्ष 2014-2015 में भारत में FDI अंतर्वाह 45.15 अरब अमेरिकी डॉलर था और तब से लगातार आठ वर्षों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया है।
- उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन (Production Linked Incentive- PLI): 14 प्रमुख विनिर्माण क्षेत्रों में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजनाओं को मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2020-21 में लॉन्च किया गया था।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) अंतर्वाह: विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिये भारत सरकार ने एक उदार और खुली नीति लागू की है जो स्वचालित मार्ग के माध्यम से अधिकांश क्षेत्रों को FDI के लिये सुलभ बनाती है।
- संबद्ध पहलें:
- राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली
- पीएम गति शक्ति कार्यक्रम
- एक ज़िला एक उत्पाद
- सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम के निर्माण की योजना: विश्व अर्थव्यवस्था में सेमीकंडक्टर के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए सरकार ने भारत में सेमीकंडक्टर डिस्प्ले और डिज़ाइन इकोसिस्टम बनाने के लिये 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर की प्रोत्साहन योजना शुरू की है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. विनिर्माण क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार की हाल की नीतिगत पहल क्या है/हैं? (2012)
नीचे दिये गये कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d) व्याख्या:
मेन्स:प्रश्न. “'मेक इन इंडिया कार्यक्रम की सफलता कौशल भारत कार्यक्रम और क्रांतिकारी श्रम सुधारों की सफलता पर निर्भर करती है।" तार्किक तर्कों के साथ चर्चा कीजिये। (2019) |