भारतीय अर्थव्यवस्था
मेक इन इंडिया के आठ वर्ष
- 27 Sep 2022
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:मेक इन इंडिया, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस, प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI), नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (NSWS), एक ज़िला-एक उत्पाद (ODOP)। मेन्स के लिये:भारतीय अर्थव्यवस्था को ट्रांसफॉर्म करने में मेक इन इंडिया का महत्त्व । |
चर्चा में क्यों?
मेक इन इंडिया ने आठ वर्ष के पथ-प्रदर्शक सुधार कर लिये हैं और वर्ष 2022 में वार्षिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश दोगुना होकर 83 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
मेक इन इंडिया कार्यक्रम:
- परिचय:
- वर्ष 2014 में लॉन्च किये गए मेक इन इंडिया का मुख्य उद्देश्य देश को एक अग्रणी वैश्विक विनिर्माण और निवेश गंतव्य में बदलना है।
- यह पहल दुनिया भर के संभावित निवेशकों और भागीदारों को 'न्यू इंडिया' की विकास गाथा में भाग लेने हेतु एक खुला निमंत्रण हैै।
- मेक इन इंडिया ने 27 क्षेत्रों में पर्याप्त उपलब्धियांँ हासिल की हैं। इनमें विनिर्माण और सेवाओं के रणनीतिक क्षेत्र भी शामिल हैं।
- उद्देश्य:
- नए औद्योगीकरण के लिये विदेशी निवेश को आकर्षित करना और चीन से आगे निकलने के लिये भारत में पहले से मौजूद उद्योग आधार का विकास करना।
- मध्यावधि में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि को 12-14% वार्षिक करने का लक्ष्य।
- देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी को वर्ष 2022 तक 16% से बढ़ाकर 25% करना।
- वर्ष 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्त रोज़गार सृजित करना।
- निर्यात आधारित विकास को बढ़ावा देना।
- परिणाम:
- FDI अंतर्वाह: 2014-2015 में भारत में FDI अंतर्वाह 45.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और तब से लगातार आठ वर्षों में रिकॉर्ड FDI प्रवाह तक पहुंँच गया है।
- वर्ष 2021-22 में 83.6 अरब अमेरिकी डॉलर का अब तक का सबसे अधिक FDI दर्ज किया गया।
- हाल के वर्षों में आर्थिक सुधारों और ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस की वजह से भारत चालू वित्त वर्ष (2022-23) में FDI में 100 बिलियन अमेरिकी डाॅलर को आकर्षित करने की राह पर है।
- वित्तीय वर्ष 2021-22 में खिलौनों का आयात 70% घटकर (877.8 करोड़ रुपए) हो गया है। भारत के खिलौनों के निर्यात में अप्रैल-अगस्त 2022 में 2013 की इसी अवधि की तुलना में 636% की जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई है।
- प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI): 14 प्रमुख विनिर्माण क्षेत्रों में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना 2020-21 में मेक इन इंडिया पहल को एक बड़े बढ़ावा के रूप में शुरू की गई थी।
- FDI अंतर्वाह: 2014-2015 में भारत में FDI अंतर्वाह 45.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और तब से लगातार आठ वर्षों में रिकॉर्ड FDI प्रवाह तक पहुंँच गया है।
मेक इन इंडिया योजना में सहायक पहल:
- राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (NSWS):
- राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (NSWS) का सितंबर 2021 में शुभारंभ किया गया ताकि निवेशकों को अनुमोदन और मंज़ूरी के लिये एकल डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रदान करके व्यापार करने में आसानी हो।
- इस पोर्टल ने निवेशकों के अनुभव को बढ़ाने के लिये भारत सरकार और राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों की कई मौजूदा निकासी प्रणालियों को एकीकृत किया है।
- गति शक्ति:
- सरकार ने देश में विनिर्माण क्षेत्रों के लिये मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी हेतु एक कार्यक्रम भी शुरू किया है, जिसे प्रधानमंत्री गतिशक्ति कार्यक्रम कहा जाता है। यह कनेक्टिविटी में सुधार करने वाले बुनियादी ढाँचे के निर्माण के माध्यम से व्यावसायिक संचालन में ढुलाई-संबंधी दक्षता सुनिश्चित करेगा।
- एक ज़िला एक उत्पाद योजना (ODOP):
- इस पहल का उद्देश्य देश के प्रत्येक ज़िले को स्वदेशी उत्पादों के प्रचार और उत्पादन की सुविधा प्रदान करना तथा देश के विभिन्न क्षेत्रों के हथकरघा, हस्तशिल्प, वस्त्र, कृषि एवं प्रसंस्कृत उत्पादों के कारीगरों और निर्माताओं को एक वैश्विक मंच प्रदान करना है, जिससे देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान मिलता है।
- खिलौना निर्यात में सुधार और आयात को कम करना:
- निम्न गुणवत्ता और खतरनाक खिलौनों के आयात को संबोधित करने तथा खिलौनों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये सरकार द्वारा बुनियादी सीमा शुल्क को 20% से बढ़ाकर 60% करने, गुणवत्ता नियंत्रण आदेश का कार्यान्वयन, आयातित खिलौनों का अनिवार्य नमूना परीक्षण, घरेलू खिलौना निर्माताओं को 850 से अधिक बीआईएस लाइसेंस देने, खिलौना क्लस्टरों के विकास आदि जैसे कई रणनीतिक हस्तक्षेप किये गए हैं।
- अर्द्धचालक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने हेतु योजना:
- विश्व अर्थव्यवस्था में अर्द्धचालकों के महत्त्व को स्वीकार करते हुए सरकार ने भारत में एक अर्द्धचालक, प्रदर्शन और डिज़ाइन पारिस्थितिकी तंत्र बनाने हेतु 10 बिलियन अमेरिकी डाॅलर की प्रोत्साहन योजना शुरू की है।
- विश्व अर्थव्यवस्था में अर्द्धचालकों के महत्त्व को स्वीकार करते हुए सरकार ने भारत में एक अर्द्धचालक, प्रदर्शन और डिज़ाइन पारिस्थितिकी तंत्र बनाने हेतु 10 बिलियन अमेरिकी डाॅलर की प्रोत्साहन योजना शुरू की है।
मेक इन इंडिया कार्यक्रम से संबंधित मुद्दे:
- शेल कंपनियों से निवेश: भारतीय एफडीआई का बड़ा हिस्सा न तो विदेशी है और न ही प्रत्यक्ष बल्कि मॉरीशस स्थित शेल कंपनियों से आता है, जिनके बारे में संदेह है कि वे केवल भारत से काले धन का निवेश कर रहे हैं, जो मॉरीशस के माध्यम से भेजा जाता है।
- कम उत्पादकता: भारतीय कारखानों की उत्पादकता कम है और श्रमिकों के पास अपर्याप्त कौशल है।
- मैकिंजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि विनिर्माण क्षेत्र में भारतीय श्रमिक थाईलैंड और चीन में अपने समकक्षों की तुलना में औसतन लगभग चार से पाँच गुना कम उत्पादक हैं।
- लघु औद्योगिक इकाइयाँ: पैमाने की वांछित अर्थव्यवस्थाओं को प्राप्त करने, आधुनिक उपकरणों में निवेश करने तथा आपूर्ति् शृंखला विकसित करने के लिये औद्योगिक इकाइयों का आकार छोटा है।
- बुनियादी ढाँचा: भारत और चीन में विद्युत की लागत लगभग समान है, लेकिन भारत में विद्युत की कटौती बहुत अधिक है।
- परिवहन: चीन में औसत गति लगभग 100 किमी. प्रति घंटा है, जबकि भारत में यह लगभग 60 किमी. प्रति घंटा है। भारतीय रेलवे संतृप्त हो गया है और बहुत से एशियाई देशों के लिये भारतीय बंदरगाहों का प्रदर्शन बेहतर किया गया है।
- विश्व बैंक के वर्ष 2018 लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (LPI) ने 160 देशों में भारत को 44वाँ स्थान दिया। सिंगापुर सातवें, चीन को 26वें और मलेशिया को 41वें स्थान पर रखा गया। सिंगापुर में जहाज़ का औसत टर्नअराउंड समय एक दिन से भी कम था और भारत में यह 2.04 दिन था।
- लालफीताशाही: नौकरशाही प्रक्रियाएँ और भ्रष्टाचार भारत को निवेशकों के लिये कम आकर्षक बनाते हैं।
आगे की राह
- मेक इन इंडिया पहल यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि देश में व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र भारत में व्यापार करने वाले निवेशकों के लिये अनुकूल है और राष्ट्र के वृद्धि एवं विकास में योगदान दे।
- यह कई सुधारों के माध्यम से संभव हुआ है जिससे निवेश प्रवाह में वृद्धि हुई है और साथ ही आर्थिक विकास भी हुआ है।
- इस पहल के अंतर्गत भारत में व्यवसायों का लक्ष्य है कि जो उत्पाद 'मेड इन इंडिया' हैं, वे 'मेड फॉर द वर्ल्ड' भी हैं, जो गुणवत्ता के वैश्विक मानकों का पालन करते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्स:प्रश्न. विनिर्माण क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार की हालिया नीतिगत पहल क्या है/हैं? (2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: d
मेन्स:प्रश्न. “मेक इन इंडिया कार्यक्रम की सफलता 'कौशल भारत’ (Skill India) कार्यक्रम की सफलता और क्रांतिकारी श्रम सुधारों पर निर्भर करती है।" तार्किक तर्कों के साथ चर्चा कीजिये। (2019) |