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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत की महत्त्वाकांक्षी विमानपत्तन विस्तार योजना

  • 13 Jul 2024
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, उड़ान योजना, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA), 

मेन्स के लिये:

भारत में विमानन उद्योग की स्थिति, भारत में विमानन क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के उपाय, विज़न 2047

स्रोत: लाइव मिंट

चर्चा में क्यों? 

भारत की योजना वर्ष 2047 तक अपने परिचालन हेतु विमानपत्तन/हवाई अड्डों की संख्या को दोगुना करके 300 तक करने की है, जो यात्री यातायात में आठ गुना वृद्धि के कारण संभव होगा। इस महत्त्वाकांक्षी विस्तार में देश भर में मौजूदा हवाई पट्टियों का विकास एवं नए हवाई अड्डों का निर्माण शामिल है।

इस विस्तार को प्रेरित करने वाले कारक क्या हैं?

  • मौजूदा हवाई पट्टियों का विकास: भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण(AAI) 70 हवाई पट्टियों को A320 या B737 जैसे संकीर्ण अवसंरचना वाले विमानों को संभालने में सक्षम हवाई अड्डों के रूप में विकसित करने की योजना बना रहा है।
    • मांडवी (गुजरात), सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश), तुरा (मेघालय) और छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) में मौजूदा हवाई पट्टियों को छोटे विमानों के लिये उन्नत किया जा सकता है। छोटे विमानों को समायोजित करने हेतु लगभग 40 हवाई पट्टियाँ विकसित की जानी हैं।
    • यदि मौजूदा हवाई पट्टियों का विकास नहीं किया जा सकता है अथवा 50 किलोमीटर के भीतर कोई नागरिक हवाई अड्डा नहीं है तो नए हवाई अड्डे बनाए जाएंगे।
    • नए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे कोटा (राजस्थान), परंदूर (तमिलनाडु), कोट्टायम (केरल), पुरी (ओडिशा), पुरंदर (महाराष्ट्र), कार निकोबार एवं मिनिकॉय (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह) में बनाए जा सकते हैं।
  • अनुमानित यात्री यातायात वृद्धि: वर्ष 2047 तक यात्री यातायात में आठ गुना वृद्धि होने की आशा है, जो 376 मिलियन से बढ़कर 3-3.5 बिलियन वार्षिक हो जाएगा। इस वृद्धि में अंतर्राष्ट्रीय यातायात का योगदान 10-12% प्राप्त सकता है।
    • यह योजना विज़न 2047 का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य हवाई यात्रा की मांग में भारी वृद्धि को समायोजित करना है।

  • उड़ान योजना कार्यान्वयन: उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) जैसी योजनाओं के माध्यम से टियर-II और टियर-III शहरों में कनेक्टिविटी में सुधार करना।
    • वर्ष 2014 में, 74 परिचालन हवाई अड्डे थे, जो अब बढ़कर 148 हो गए हैं। उड़ान योजना के तहत, 58 हवाई अड्डों, 8 हेलीपोर्ट तथा 2 जल हवाई अड्डों सहित 68 कम सेवा वाले/असेवित गंतव्यों को जोड़ा गया है। इसने 29 से अधिक राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को हवाई कनेक्टिविटी विकसित हुई है। 
    • भारत का विमानन अवसंरचना हवाई अड्डों पर अत्यधिक भीड़भाड़ वाला है। हवाई यात्रा की मांग में वृद्धि के साथ, देश भर के प्रमुख हवाई अड्डे अपनी निर्धारित क्षमता से अधिक परिचालन कर रहे हैं।

  • आय का बढ़ता स्तर: वर्ष 2047 तक भारत की अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय वृद्धि होने का अनुमान है, प्रति व्यक्ति आय 18,000 से 20,000 अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की आशा है। यह आर्थिक वृद्धि विमानन विस्तार को बढ़ावा देने वाला एक महत्त्वपूर्ण कारक भी है।
    • अधिक व्यय योग्य आय के कारण जनसंख्या के एक बड़े भाग के लिये हवाई यात्रा अधिक किफायती हो जाती है।
    • बढ़ता हुआ मध्यम वर्ग व्यवसाय और अवकाश दोनों के लिये अन्य परिवहन साधनों की अपेक्षा हवाई यात्रा को प्राथमिकता देगा।
    • आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप बढ़ी हुई व्यावसायिक गतिविधियाँ तथा पर्यटन से हवाई यात्रा की मांग में और वृद्धि होगी। 

  • एयर कार्गो में प्रत्याशित वृद्धि: हालाँकि यात्री के यातायात का ध्यान देना प्राथमिक है, लेकिन विस्तृत होते एयर कार्गो क्षेत्र को भी ध्यान में रखा गया है।
    • ई-कॉमर्स का विकास कुशल हवाई माल ढुलाई सेवाओं की मांग को बढ़ा रहा है।
    • भारत का लक्ष्य वैश्विक एयर कार्गो बाज़ार में एक प्रमुख अभिकर्त्ता बनना है।
    • नए और विस्तारित हवाई अड्डों में कार्गो-हैंडलिंग क्षमता में वृद्धि होगी।
  • प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय केंद्रों का विकास: भारत का लक्ष्य अपने प्रमुख हवाई अड्डों को अंतर्राष्ट्रीय केंद्रों के रूप में स्थापित करना है, ताकि वे मध्य पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया के स्थापित केंद्रों के साथ प्रतिस्पर्द्धा कर सकें।
    • यह आकांक्षा मौजूदा हवाई अड्डों के विस्तार और आधुनिकीकरण के साथ-साथ नए हवाई अड्डों के विकास को भी प्रेरित कर रही है, ताकि अधिकाधिक अंतर्राष्ट्रीय एयरलाइनों तथा यात्रियों को आकर्षित किया जा सके, पारगमन यातायात में वृद्धि हो एवं भारत में पर्यटन और व्यावसायिक यात्रा को बढ़ावा मिले।
  • हवाई यात्रा की कम पहुँच: भारत का विमानन बाज़ार विश्व के सबसे बड़े बाज़ारों में से एक है, लेकिन विकसित देशों की तुलना में भारत में हवाई यात्रा की पहुँच अभी भी कम है। 
    • AAI का आकलन अन्य प्रमुख बाज़ारों के साथ दिलचस्प तुलना प्रदान करता है: 
      • चीन (2019): प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष 0.47 यात्राएँ (प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद: 10,144 अमेरिकी डॉलर), USA: प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष 1.2-1.3 यात्राएँ (प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद: 20,000 अमेरिकी डॉलर) और वर्ष 2047 के लिये भारत का अनुमान: प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष 1 यात्रा (प्रति व्यक्ति अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद: 18,000-20,000 अमेरिकी डॉलर)। 
    • इससे विकास के लिये अत्यधिक अवसर पैदा होंगे, क्योंकि आय का स्तर बढ़ेगा और हवाई यात्रा अधिक सुलभ होगी तथा मांग में भी तेज़ी आने की उम्मीद है।
    • विस्तार योजना हवाई यात्रा अपनाने में अपेक्षित वृद्धि का पूर्वानुमान लगाने और उसके लिये तैयारी करने हेतु तैयार की गई है।

भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI)

  • भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (Airports Authority of India- AAI) भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के अंतर्गत एक सांविधिक निकाय है। इसका गठन वर्ष 1995 में राष्ट्रीय हवाई अड्डा प्राधिकरण और भारतीय अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा प्राधिकरण को मिलाकर किया गया था।
  • यह भारतीय हवाई क्षेत्र और आस-पास के समुद्री क्षेत्रों में हवाई यातायात प्रबंधन सेवाएँ भी प्रदान करता है।
  • AAI के कार्यों में हवाई अड्डे का विकास, हवाई क्षेत्र नियंत्रण, यात्री और कार्गो टर्मिनल प्रबंधन तथा संचार एवं नेविगेशन सहायता का प्रावधान शामिल हैं।
  • AAI 2.8 मिलियन वर्ग समुद्री मील हवाई क्षेत्र में हवाई नेविगेशन सेवाएँ प्रदान करता है।

भारत में हवाई अड्डों के विस्तार के लिये चुनौतियाँ क्या हैं?

  • भूमि की कमी: बढ़ते शहरीकरण के कारण भूमि की कमी बढ़ती जा रही है, खासतौर पर बड़े शहरों और कस्बों में। भूमि की लागत और उपलब्धता कई हवाईअड्डा परियोजनाओं की व्यवहार्यता को प्रभावित कर सकती है।
  • अधिक निवेश की आवश्यकताएँ: भारत को वर्ष 2047 तक हवाईअड्डा विकास के लिये 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की आवश्यकता होगी।
    • हवाई क्षेत्र के बुनियादी ढाँचे और ज़मीनी परिवहन के उन्नयन को शामिल करने पर कुल व्यय 70-80 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच सकता है।
  • बुनियादी ढाँचा संबंधी बाधाएँ: मुंबई जैसे महत्त्वपूर्ण केंद्रों सहित कई मौजूदा हवाई अड्डे संतृप्ति की ओर बढ़ रहे हैं या पहुँच चुके हैं। कई शहरों को तत्काल नवीन हवाई अड्डों या मौजूदा हवाई अड्डों के महत्त्वपूर्ण विस्तार की आवश्यकता है; यह नवीन हवाई अड्डों के विकास की प्रक्रिया में बाधा डाल सकता है।
  • एयर नेविगेशन सर्विसेज़ (ANS) संबंधी बुनियादी ढाँचा: ANS तकनीक के लिये लोगों और उनके प्रशिक्षण में महत्त्वपूर्ण निवेश (संभवतः 6-7 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक) की आवश्यकता है।
  • भूतल परिवहन: हवाई अड्डों तक भूतल परिवहन में आवश्यक निवेश लगभग उतना ही हो सकता है जितना कि हवाई अड्डों के निर्माण में।
    • पर्याप्त सतही संपर्क की कमी नवीन हवाई अड्डों की व्यवहार्यता और सुविधा को प्रभावित कर सकती है।
  • पर्यावरण संबंधी चिंताएँ: हवाई अड्डों के विस्तार को प्रायः संभावित पर्यावरणीय प्रभावों, जिसमें ध्वनि प्रदूषण और आवास व्यवधान शामिल हैं, के कारण विरोध का सामना करना पड़ता है।

आगे की राह

  • एकीकृत भूमि उपयोग योजना: "एयरोट्रोपोलिस" अवधारणा के अनुरूप हवाई अड्डों के आस-पास विशेष आर्थिक क्षेत्र का निर्माण करना, जो हवाई अड्डे को व्यवसाय, रसद और आवासीय क्षेत्रों के साथ जोड़ता है। यह भूमि अधिग्रहण को उचित ठहराने और आर्थिक लाभ को अधिकतम करने में सहायक हो सकता है।
  • मल्टी-मॉडल परिवहन एकीकरण: फ्रैंकफर्ट हवाई अड्डे के साथ लंबी दूरी के ट्रेन स्टेशन जैसे एकीकृत परिवहन केंद्र विकसित करना, जो हवाई अड्डे को सीधे राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ता हो। यह सतही परिवहन चुनौतियों का समाधान करता है और हवाई अड्डे की पहुँच को बढ़ाता है।
  • ग्रीन एयरपोर्ट डिज़ाइन: सतत् एवं पर्यावरण के अनुकूल हवाई अड्डे के डिज़ाइन को प्राथमिकता देना। सतत् सामग्री और अन्य पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों का उपयोग करने के लिये ओस्लो एयरपोर्ट के दृष्टिकोण को अपनाना।
    • नॉर्वे में ओस्लो एयरपोर्ट नॉर्डिक के कठोर शीतकाल से निपटने के लिये बायोमास हीटिंग सिस्टम का उपयोग करता है, गर्मी के लिये जैविक सामग्रियों का उपयोग करता है।
    • भविष्य के विस्तार और आवश्यकताओं एवं परिवर्तित विमानन रुझानों के अनुकूलन हेतु लचीलेपन के साथ हवाई अड्डों को डिज़ाइन करना।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP): निवेश और विशेषज्ञता को आकर्षित करने के लिये PPP मॉडल का लाभ उठाना। निर्माण - परिचालन - हस्तांतरण (BOT) मॉडल के समान एक मज़बूत PPP ढाँचा विकसित करना। इससे कुशल संचालन सुनिश्चित करते हुए बड़े पैमाने पर निवेश आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता मिल सकती है।
  • मौजूदा हवाई अड्डों की क्षमता में वृद्धि: तकनीकी और परिचालन सुधारों के माध्यम से क्षमता को अधिकतम करना। इसमें उन्नत हवाई यातायात प्रबंधन प्रणालियों को लागू करना और नवीन रनवे निर्मित किये बिना क्षमता बढ़ाने के लिये रनवे के उपयोग को अनुकूलित करना शामिल है।
  • स्मार्ट एयरपोर्ट तकनीक: दक्षता और यात्री अनुभव को बढ़ाने के लिये आधुनिक तकनीकों का लाभ उठाना। परिचालन दक्षता और क्षमता में सुधार हेतु बायोमेट्रिक बोर्डिंग तथा स्वचालित बैगेज हैंडलिंग सिस्टम जैसी तकनीकों को अपनाना।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. हवाई अड्डे के बुनियादी ढाँचे के विस्तार के लिये भारत के विज़न 2047 पर चर्चा कीजिये, इसका उद्देश्य यात्री यातायात में अनुमानित वृद्धि को कैसे पूरा करना है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के अधीन संयुक्त उपक्रमों के माध्यम से भारत में विमान पत्तनों के विकास का परीक्षण कीजिये। इस संबंध में प्राधिकरणों के समक्ष कौन-सी चुनौतियाँ हैं? (2017)

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