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क्षेत्रीय संपर्क योजना के समक्ष चुनौतियाँ

  • 02 Aug 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

क्षेत्रीय संपर्क योजना, UDAN योजना, क्षेत्रीय संपर्क योजना के सामने आने वाली चुनौतियाँ

मेन्स के लिये:

क्षेत्रीय संपर्क योजना के सामने आने वाली चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों? 

इस योजना के तहत बनाए गए कई हवाई अड्डों का संचालन न होने के कारण नागरिक उड्डयन मंत्रालय की क्षेत्रीय संपर्क योजना (Regional Connectivity Scheme- RCS), उड़ान (UDAN) को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

  • 74 हवाई अड्डों के निर्माण की मांग के बावजूद मई 2014 के बाद से केवल 11 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों का ही संचालन हो पाया है।

 क्षेत्रीय संपर्क योजना:

  • परिचय: 
    • क्षेत्रीय हवाई अड्डे के विकास तथा क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने के लिये नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा UDAN (उड़े देश का आम नागरिक/Ude Desh Ka Aam Nagarik) को लॉन्च किया गया था।
    • यह राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति (National Civil Aviation Policy), 2016 का हिस्सा है।
    • यह योजना 10 वर्ष की अवधि के लिये लागू है।
  • उद्देश्य: 
    • भारत के सुदूर क्षेत्रों और क्षेत्रीय हवाई संपर्क में सुधार करना।
    • दूरस्थ क्षेत्रों का विकास और व्यापार एवं वाणिज्य तथा पर्यटन विस्तार को बढ़ाना।
    • आम लोगों को सस्ती दरों पर हवाई यात्रा की सुविधा उपलब्ध कराना।
    • विमानन क्षेत्र में रोज़गार सृजन।
  • प्रमुख विशेषताएँ: 
    • इस योजना के तहत एयरलाइंस को कुल सीटों की 50% सीटों के लिये हवाई किराया 2,500 रुपए प्रति घंटे की उड़ान पर सीमित करना होगा।
    • इस उद्देश्य को निम्नलिखित के आधार पर प्राप्त किया जाएगा: 
      • केंद्र एवं राज्य सरकारों और हवाई अड्डों के संचालकों की ओर से रियायतों के रूप में वित्तीय प्रोत्साहन के माध्यम से।
      • व्यवहार्यता अंतराल अनुदान (Viability Gap Funding- VGF)- संचालन की लागत और अपेक्षित राजस्व के बीच अंतर को कम करने के लिये एयरलाइंस को प्रदान किये जाने वाले सरकारी अनुदान के माध्यम से।
        • योजना के तहत व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये क्षेत्रीय कनेक्टिविटी अनुदान (Regional Connectivity Fund- RCF) प्रदान किया गया है।
    • इस निवेश में सहभागी राज्य सरकारें (केंद्रशासित प्रदेश और NER राज्यों के अतिरिक्त जिनका योगदान 10% है)  20% की भागीदारी करेंगी।

उड़ान योजना के चरण: 

  • चरण 1 को वर्ष 2017 में लॉन्च किया गया, जिसका उद्देश्य देश में अनुपयोगी और असेवित हवाई अड्डे शुरू करना था।
  • चरण 2 को वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया, जिसका उद्देश्य देश के दूरस्थ और दुर्गम हिस्सों में हवाई संपर्क का विस्तार करना था।
  • चरण 3 को नवंबर 2018 में लॉन्च किया गया, जिसमें देश के पहाड़ी और दूरदराज़ के क्षेत्रों में हवाई संपर्क बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
  • उड़ान योजना का चरण 4 दिसंबर 2019 में शुरू किया गया, जिसमें द्वीपों और देश के अन्य दूरस्थ क्षेत्रों को जोड़ने पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
  • चरण 5 को अप्रैल 2023 में लॉन्च किया गया, यह श्रेणी-2 (20-80 सीट) और श्रेणी-3 (>80 सीट) एयरक्राफ्ट पर केंद्रित है, इसमें यान की उड़ान के आरंभ और गंतव्य के बीच की दूरी पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

RCS योजना की चुनौतियाँ:

  • वाणिज्यिक व्यवहार्यता:
    • योजना के तहत चिह्नित कई मार्ग एयरलाइंस के लिये व्यावसायिक रूप से अव्यवहार्य पाए गए हैं। कुछ मार्गों पर हवाई यात्रा की कम मांग के कारण उड़ान योजना के तहत प्रदान किये जाने वाले अनुदान के बावजूद एयरलाइंस के लिये लाभप्रद ढंग से कार्य करना मुश्किल है।
    • RCS के तहत हवाई अड्डा विकास में कम उपयोग वाले हवाई अड्डों के पुनरुद्धार के लिये 479 मार्गों पर परिचालन करना शामिल था। हालाँकि इनमें से 225 मार्गों पर परिचालन बंद हो चुका है।
  • ढाँचागत बाधाएँ:  
    • कुछ दूरदराज़ के क्षेत्रों में पर्याप्त हवाई अड्डों के बावजूद बुनियादी ढाँचे की कमी, एयरलाइंस के लिये चुनौतियाँ खड़ी करती हैं।
    • कई हवाई अड्डों को सुरक्षा मानकों को पूरा करने और हवाई यातायात में हुई वृद्धि के उचित प्रबंधन के लिये उन्नयन तथा सुधार की आवश्यकता है।
  • हवाई यात्रा पर सब्सिडी:
    • RCS का लक्ष्य चयनित मार्गों पर परिचालन करने वाली एयरलाइंस को सब्सिडी और व्यवहार्यता अंतर निधि प्रदान करके हवाई यात्रा को किफायती बनाना है। हालाँकि इस योजना को समस्याओं का सामना करना पड़ा है क्योंकि सब्सिडी के बावजूद कुछ मार्ग व्यावसायिक रूप से अव्यवहार्य पाए गए।
  • उच्च परिचालन लागत:  
    • दूरदराज़ के क्षेत्रों में परिचालन करने वाली एयरलाइंस को अक्सर उच्च परिचालन लागत का सामना करना पड़ता है, जिसमें ईंधन खर्च, रख-रखाव लागत और लॉजिस्टिक चुनौतियों में वृद्धि शामिल है, जो उनकी लाभप्रदता को प्रभावित कर सकती है।
  • हवाई यात्रा किराए की सीमाएँ:  
    • RCS उड़ानों के लिये हवाई किराए की सीमा एयरलाइन्स की राजस्व क्षमता को प्रभावित कर सकती है, खासकर जब परिचालन लागत अधिक हो। यह एयरलाइंस को कुछ मार्गों पर परिचालन को लेकर हतोत्साहित कर सकता है।
  • यात्री जागरूकता:
    • उड़ान के तहत हवाई यात्रा विकल्पों की उपलब्धता के बारे में संभावित यात्रियों के बीच जागरूकता की कमी क्षेत्रीय हवाई सेवाओं की मांग और उपयोग को सीमित कर सकती है।

आगे की राह 

  • क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना ने हवाई अड्डे के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन वाणिज्यिक व्यवहार्यता और एयरलाइंस की स्थिरता से संबंधित चुनौतियों ने इसकी समग्र सफलता में बाधा उत्पन्न की है।  
  • जैसे-जैसे विमानन क्षेत्र का विकास जारी है, देश भर के छोटे शहरों और क्षेत्रों के लिये स्थायी हवाई कनेक्टिविटी प्राप्त करने हेतु इन मुद्दों को संबोधित करना आवश्यक होगा।
  • इन चुनौतियों से निपटने के लिये सरकार, विमानन उद्योग के हितधारकों और स्थानीय अधिकारियों के सहयोगात्मक प्रयास की आवश्यकता है। 
  • हवाई अड्डे के बुनियादी ढाँचे का विस्तार, सब्सिडी वितरण को सुव्यवस्थित करना, परिचालन संबंधी बाधाओं को दूर करना और क्षेत्रीय हवाई यात्रा जागरूकता को बढ़ावा देना आवश्यक है जिन पर भारत की क्षेत्रीय संपर्क योजना उड़ान की सफलता तथा स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

स्रोत: द हिंदू

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