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भारतीय अर्थव्यवस्था

निर्यात संवर्द्धन पूंजीगत वस्तु योजना

  • 19 Apr 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सीमा शुल्क, पूंजीगत वस्तु, निर्यात संबंधी पहल

मेन्स के लिये:

सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, व्यवसाय करने में आसानी, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने अनुपालन आवश्यकताओं को कम करने तथा व्यापार सुगमता की सुविधा हेतु निर्यात संवर्द्धन पूंजीगत वस्तु (Export Promotion Capital Goods- EPCG) योजना के तहत विभिन्न प्रक्रियाओं में ढील दी है।

पूंजीगत वस्तु (Capital Goods):

  • पूंजीगत वस्तुएँ (Capital Goods) वे भौतिक संपत्तियांँ हैं जिन्हें एक कंपनी उत्पादन प्रक्रिया में उत्पादों और सेवाओं के निर्माण हेतु उपयोग करती है तथा जिनका बाद में उपभोक्ताओं द्वारा उपयोग किया जाता है।
  • पूंजीगत वस्तुओं में भवन, मशीनरी, उपकरण, वाहन और उपकरण शामिल हैं।
  • पूंजीगत वस्तुएंँ तैयार माल नहीं होतीं बल्कि उनका उपयोग माल को निर्मित करने के लिये किया जाता है।
  • पूंजीगत वस्तु क्षेत्र का गुणक प्रभाव होता है और उपयोगकर्त्ता उद्योगों के विकास पर इसका असर पड़ता है क्योंकि यह विनिर्माण गतिविधि के अंतर्गत आने वाले शेष क्षेत्रों को महत्त्वपूर्ण  इनपुट, यानी मशीनरी और उपकरण प्रदान करता है।

 निर्यात संवर्द्धन पूंजीगत वस्तु (EPCG) योजना:

  • परिचय:
    • EPCG योजना वर्ष 1990 के दशक में वस्तुओं और सेवाओं की उत्पादन गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से पूंजीगत वस्तुओं के आयात की सुविधा हेतु शुरू की गई थी, जिससे भारत की अंतर्राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि हुई है।
    • इस योजना के तहत निर्माता बिना किसी सीमा शुल्क को आकर्षित किये, उत्पादन से पहले, उत्पादन तथा उत्पादन के बाद वस्तुओं के लिये पूंजीगत वस्तुओं का आयात कर सकते हैं।
    • EPCG योजना के तहत बिना किसी प्रतिबंध के पुरानी पूंजीगत वस्तुओं का भी आयात किया जा सकता है।
    • पूंजीगत वस्तुओं के आयात पर सीमा शुल्क के दायित्व का भुगतान करने में छूट प्रदान करने वाली यह योजना प्राधिकरण जारी होने की तारीख से 6 वर्षों के भीतर ऐसे पूंजीगत वस्तुओं के आयात पर बचाए गए शुल्क के 6 गुना के निर्यात मूल्य के बराबर होता है।
      • सरल शब्दों में व्यापार पर विदेशी मुद्रा को शामिल करने की बाध्यता है, जो  घरेलू मुद्रा में मापे गए ऐसे आयात पर बचाए गए शुल्क के 600 प्रतिशत के बराबर है। यह निर्यात संवर्द्धन पूंजीगत वस्तुएँ योजना का लाभ उठाने के छह साल के भीतर किया जाना है।

EPCG-Scheme

  • कवरेज़:
    • निर्माता निर्यातकों के साथ या समर्थन निर्माताओं के बिना,
    • मर्चेंट एक्सपोर्टर्स सपोर्टिंग मैन्युफैक्चरर्स से जुड़े सेवा प्रदाता तथा
    • सामान्य सेवा प्रदाता (CSP)।
  • नए मानदंड:
    • पूंजीगत वस्तुओं के आयात को निर्यात दायित्व के अधीन शुल्क मुक्त करने की अनुमति है।
    • योजना के तहत प्राधिकरण धारक (या निर्यातक) को छह वर्षों में मूल्य के संदर्भ में बचाए गए वास्तविक शुल्क के छह गुना मूल्य के तैयार माल का निर्यात करना होता है।
    • निर्यात दायित्व विस्तार हेतु अनुरोध पूर्व निर्धारित 90 दिनों की अवधि के बजाय समाप्ति के छह महीने के भीतर किया जाना चाहिये। हालांँकि छह महीने के बाद और छह साल तक किये गए आवेदनों पर प्रति प्राधिकरण 10,000 रुपए का विलंब शुल्क आरोपित होगा।
    • बदलावों के अनुसार, ब्लॉक-वार निर्यात दायित्व विस्तार हेतु अनुरोध समाप्ति के छह महीने के भीतर किया जाना चाहिये। हालांँकि छह महीने के बाद और छह साल तक किये गए आवेदनों हेतु प्रति प्राधिकरण 10,000 रुपये का विलंब शुल्क देय होगा।
    • EPCG के तहत चूक के लिये स्क्रिप्स एमईआईएस (भारत से माल निर्यात योजना)/निर्यात उत्पाद (आरओडीटीईपी)/आरओएससीटीएल (राज्य और केंद्रीय करों और लेवी की छूट) पर शुल्क या कर की छूट के माध्यम से सीमा शुल्क का भुगतान करने की सुविधा वापस ले ली गई है।
  • EPCG योजना के लाभ:
    • EPCG का उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देना है तथा भारत सरकार इस योजना की मदद से निर्यातकों को प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
    • इस प्रावधान से निर्यातकों को भारी फायदा हो सकता है। हालांँकि उन लोगों के लिये इस योजना के साथ आगे बढ़ना उचित नहीं है जो भारी मात्रा में निर्माण नहीं करते हैं या पूरी तरह से देश के भीतर निर्मित सामान को बेचने की उम्मीद नहीं करते हैं, क्योंकि इस योजना के तहत निर्धारित दायित्वों को पूरा करना लगभग असंभव हो सकता है।

निर्यात को बढ़ावा देने के लिये अन्य योजनाएंँ:

  • भारत से पण्य वस्तु निर्यात योजना:
    • इसको विदेश व्यापार नीति (FTP) 2015-20 में पेश किया गया था। इसके तहत सरकार उत्पाद और देश के आधार पर शुल्क लाभ प्रदान करती है।

भारत योजना से सेवा निर्यात:

  • इसे भारत की विदेश व्यापार नीति 2015-2020 के तहत अप्रैल 2015 में 5 वर्षों के लिये  लॉन्च किया गया था।
    • इससे पहले वित्तीय वर्ष 2009-2014 के लिये इस योजना को भारत योजना (SFIS योजना) से सेवा के रूप में नामित किया गया था।
  • निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट (RoDTEP):
    • यह भारत में निर्यात बढ़ाने में मदद करने हेतु जीएसटी (वस्तु और सेवा कर) में इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के लिये पूरी तरह से स्वचालित मार्ग है
  • राज्य एवं केंद्रीय करों और लेवी की छूट
    • मार्च 2019 में घोषित RoSCTL को एम्बेडेड स्टेट (Embedded State) और केंद्रीय शुल्कों (Central Duties) तथा उन करों के लिये पेश किया गया था जो माल एवं सेवा कर (GST) के माध्यम से वापस प्राप्त नहीं होते हैं।

स्रोत: बिजनेस स्टैंडर्ड

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