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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    "सरकार के दृष्टिकोण एवं आर्थिक दृष्टि से व्यापार नीति का संतुलन उभरते व्यापार निर्यात तंत्र के अभिन्न हिस्से हैं।” ऊपर दिये गए वक्तव्य के संदर्भ में सरकार की रणनीति के साथ चुनौतियों की भी चर्चा कीजिये।

    06 Mar, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • व्यापार नीति के आलोक में सरकार की रणनीति की चर्चा करें।
    • व्यापार नीति के संबंध में प्रमुख चुनौतियाँ।

    केंद्र सरकार द्वारा नई विदेश व्यापार नीति की घोषणा 1 अप्रैल, 2015 को की गई, जिसके लिये सरकार ने निम्नलिखित रणनीति बनाई हैः

    वर्ष 2019-20 तक वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात दोगुना कर 900 अरब डॉलर तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है।

    विनिर्माण एवं सेवा दोनों क्षेत्रों को महत्त्वः विनिर्माण एवं सेवा दोनों ही क्षेत्रों को समर्थन देने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। विनिर्माण, रोज़गार सृजन को बढ़ावा देने तथा कारोबार करना आसान बनाने के लिये 2015 से 2020 तक की पंचवर्षीय विदेश व्यापार नीति को सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’, ‘स्किल इंडिया’ और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ जैसे महत्त्वपूर्ण अभियानों से जोड़ा है।

    बड़ा व्यापारिक देश बनाने का लक्ष्यः वर्ष 2020 तक भारत को बड़ा व्यापारिक देश बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। वर्ष 2020 तक विश्व व्यापार में भारत की व्यापार भागीदारी 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 3.5 प्रतिशत तक पहुँचाने के लिये सरकार शुल्कों को तर्कसंगत बनाने का प्रयास करेगी। 

    निर्यात प्रोत्साहन के लियेः नई विदेश व्यापार नीति के तहत भारत से वस्तु निर्यात योजना (MEIS) और भारत से सेवा निर्यात योजना (SEIS) की शुरुआत की गई है।

    ईपीसीजी योजना में राहतः निर्यात प्रोत्साहन के लिये पूंजीगत सामानों के आयात की रियायती ईपीसीजी (EPCG) योजना के तहत निर्यात दायित्वों में भी राहत दी जाएगी। ईपीसीजी योजना के तहत स्वदेशी निर्माताओं से ही पूंजीगत सामान खरीदने के उपाय किये गए हैं।

    ड्यूटी क्रेडिट पर्चियाँ पूर्ण हस्तांतरणीयः निर्यातकों के लिये ड्यूटी क्रेडिट पर्चियों को पूरी तरह हस्तांतरणीय बनाया जाएगा। इनका इस्तेमाल सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क अथवा सेवा कर भुगतान सभी के लिये मान्य किया जाएगा। 

    ई-कॉमर्स कंपनियों को समर्थनः इस नीति के तहत ई-कॉमर्स कंपनियों को भी निर्यात के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा। नौकरियां पैदा करने वाले क्षेत्रों से निर्यात पर रियायतें प्रदान की जाएंगी। इसके साथ ही हथकरघा उत्पादों एवं किताबों, चमड़े के जूते-चप्पल और खिलौनों के ई-कॉमर्स निर्यात को भी वस्तु निर्यात योजना का लाभ (25 हजार रुपए तक के मूल्य के लिये) दिया जायेगा।

    छोटे और मध्यम उद्यमों को महत्त्वः विनिर्माण क्षेत्र और रोज़गार सृजन में छोटे और मध्यम पैमाने के उद्यमों के महत्त्व को देखते हुए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के 108 समूहों की पहचान की गई है।

    उच्च वैल्यू एडेड उत्पादों के निर्यात पर फोकसः नई विदेश व्यापार नीति में ज़ीरो डिफेक्ट उत्पाद बनाने पर ज़ोर दिया गया है। इसमें पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद बनाने की बात भी कही गई है। 

    राज्यों को निर्यात वृद्धि में सहायताः राज्यों के साथ निर्यात बढ़ाने के लिये काम करने के वास्ते एक निर्यात संवर्द्धन मिशन स्थापित करने पर जोर दिया गया है। 

    ढाई वर्षीय समीक्षाः विदेश व्यापार नीति की सालाना समीक्षा के बजाय अब ढाई साल में समीक्षा की जाएगी।

    ब्रांड इंडियाः भारतीय उत्पादों को नई पहचान दिलाने के लिये सरकार एक ब्रांडिंग कैंपेन भी शुरू करेगी। 

    विश्व व्यापार में भागीदारी में वृद्धिः विश्व व्यापार में भारत की भागीदारी बढ़ाने और विश्व व्यापार संगठन के तहत दायित्वों को निभाने के लिये विदेश व्यापार नीति में कई संस्थानों की स्थापना करने का भी प्रस्ताव किया गया है। 

    देश में उत्पाद और सर्विस को बेहतर बनाने की ज़रूरत है और बेहतर प्रोडक्ट क्वालिटी पर फोकस करना होगा। इंफ्रास्ट्रक्चर की अड़चनों को दूर करना बड़ी चुनौती है। वहीं भारतीय निर्यातकों ने अनिश्चित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार परिदृश्य और निर्यात में भारी गिरावट के मद्देनजर तय समय में कर वापसी भुगतान, रियायतें बहाल करने और विदेशों में उत्पादों के प्रदर्शन के लिये मदद देने की मांग की है, इस संदर्भ में सरकार के सामने यह एक चुनौती है।

    इस प्रकार भारत को अपनी विदेश नीति के आलोक में चुनौतियों के समाधान को ढूँढ़ना होगा, तभी हम व्यापार नीति के लक्ष्य को प्राप्त कर पाएंगे।

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