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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारत में बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहन

  • 12 Jul 2023
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहन, एथेनॉल, फ्लेक्स इंधन, FAME-II, NEMMP 

मेन्स के लिये:

इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण और स्वीकृति - चुनौतियाँ और अवसर, इलेक्ट्रिक वाहन और वैश्विक शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य 

चर्चा में क्यों? 

शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहन (BEVs) की गतिशीलता को संधारणीय बनाना भारत सरकार के प्रयास का केंद्र बिंदु बनता जा रहा है। 

  • हालाँकि नॉर्वे और चीन जैसे देशों ने बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहन के क्षेत्र में सफलता हासिल की है, लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि भारत को भी समान सफलता प्राप्त हो, विशिष्ट स्थितियों के कारण भारत को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। 

बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहन: 

  • परिचय:
    • बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहन (BEV) एक प्रकार के इलेक्ट्रिक वाहन हैं जो पूरी तरह से उच्च क्षमता वाली बैटरी में संग्रहीत विद्युत शक्ति पर चलते हैं।
    • आंतरिक दहन इंजन नहीं होने के कारण ये शून्य टेलपाइप उत्सर्जन उत्पन्न करते हैं।
    • BEV के पहियों को चलाने के लिये इलेक्ट्रिक मोटर का उपयोग किया जाता है, जो तत्काल आघूर्ण बल (Torque) और गति प्रदान करते हैं।
  • बैटरी प्रौद्योगिकी:
    • BEV उन्नत बैटरी तकनीक, मुख्य रूप से लिथियम-आयन (Li- Ion) बैटरी पर निर्भर करती है।
    • ली-आयन बैटरियों में ऊर्जा घनत्त्व उच्च होता है, इससे लंबी दूरी तय की जा सकती है और इसका प्रदर्शन बेहतर होता है।
  • चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर:
    • BEV को अपनी बैटरी चार्ज करने के लिये चार्जिंग स्टेशनों के नेटवर्क की आवश्यकता होती है। चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में विभिन्न प्रकार के चार्जर शामिल हैं:
      • स्तर 1 (घरेलू आउटलेट)
      • स्तर 2 (समर्पित चार्जिंग स्टेशन)
      • स्तर 3 (DC फास्ट चार्जर)।
  • सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन, कार्यस्थल और आवासीय भवन चार्जिंग सुविधाएँ बुनियादी ढाँचे के विस्तार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहन से संबंधित समस्याएँ: 

  • चार्जिंग नेटवर्क:
    • वर्तमान में भारत में सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों की संख्या सीमित है, इसकी संख्या में वृद्धि करने के लिये एक अनुरूप रणनीति की आवश्यकता है जो दोपहिया और तिपहिया वाहनों की आवश्यकताओं को पूरा कर सके।
      • वर्तमान में देश भर में लगभग 2,000 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन ही चालू हैं।
    • चार्जर और ऑटोमोबाइल के बीच मानकीकरण और अनुकूलता का अभाव है। 
  • विद्युत के स्रोत:  
    • भारत में अभी भी कोयले से चलने वाले ताप संयंत्र अधिकांश विद्युत उत्पादन का स्रोत हैं, इससे इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग से पर्याप्त लाभ नहीं मिलता क्योंकि विद्युत उत्पादन के लिये उपयोग में लाए जाने वाले कोयले का पर्यावरण पर काफी बुरा असर पड़ता है।
    • जब तक विद्युत उत्पादन के लिये इसके स्रोतों का विकल्प नहीं ढूँढा जाता, तब तक भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग पर्यावरण की दृष्टि से धारणीय नहीं माना जा सकता है।
  • मूल्य शृंखला पर निर्भरता:  
    • मात्रा के हिसाब से देखें तो भारत में लिथियम-आयन बैटरियों की मांग वर्ष 2030 तक लगभग 30% के CAGR से बढ़ने का अनुमान है; केवल इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये ही बैटरी बनाने हेतु भारत को 50,000 टन से अधिक लिथियम की आवश्यकता है।
      • हालाँकि वैश्विक लिथियम उत्पादन का 90% से अधिक चिली, अर्जेंटीना तथा बोलीविया (ऑस्ट्रेलिया और चीन) में केंद्रित है तथा कोबाल्ट एवं निकल जैसे अन्य प्रमुख इनपुट कांगो और इंडोनेशिया में खनन किये जाते हैं। परिणामस्वरूप भारत अपनी मांग को पूरा करने के लिये लगभग पूरी तरह से देशों के एक छोटे समूह से आयात पर निर्भर होगा।
  • इलेक्ट्रिक वाहन रखने की उच्च प्रारंभिक लागत:
    • आंतरिक दहन इंजन (ICE) वाहनों की तुलना में EV महँगे हैं। महँगी बैटरियाँ कुल मिलाकर ऊँची कीमत में योगदान करती हैं।
    • बड़े पैमाने पर बाज़ार खंड में EV मॉडलों की सीमित उपलब्धता तथा सामर्थ्य EV में परिवर्तन को और भी कठिन बना देती है।
  • जागरूकता और उपभोक्ता प्राथमिकता का अभाव:
    • ब्रांड निष्ठा, पुनर्विक्रय मूल्य तथा सुगमता के आधार पर ICE वाहनों के लिये उपभोक्ताओं की प्राथमिकता तथा EV लाभों एवं सुविधाओं के बारे में संभावित क्रेताओं की सीमित जानकारी समस्या को और बढ़ा देती है।
    • सांस्कृतिक कारक EV की सामाजिक स्वीकृति और धारणा को भी प्रभावित करते हैं।
  • अन्य चुनौतियाँ:
    • EV सर्विसिंग और मरम्मत के लिये कुशल श्रमिकों और तकनीशियनों की कमी।
    • विद्युत की बढ़ती मांग और ग्रिड स्थिरता संबंधी चिंताएँ।
    • 2 और 3-पहिया EV में वृद्धि लेकिन 4-पहिया EV के मामले में ऐसा नहीं कहा जा सकता।

BEV के लिये संभावित वैकल्पिक प्रौद्योगिकियाँ:

  • हाइब्रिड: 
    • हाइब्रिड व्यापक चार्जिंग अवसंरचना की आवश्यकता के बिना बेहतर ईंधन दक्षता प्रदान करते हैं।
    • वे 'ऑल-इलेक्ट्रिक' वाहनों की दिशा में एक मध्यवर्ती कदम के रूप में काम कर सकते हैं और बैटरी पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने में सहायता कर सकते हैं।
  • इथेनॉल और फ्लेक्स फ्यूल:
  • ईंधन सेल इलेक्ट्रिक वाहन (FCEV) और हाइड्रोजन ICE:
    • FCEV का संचालन हाइड्रोजन ईंधन कोशिकाओं द्वारा किया जाता है जो BEV के लिये एक स्वच्छ और कुशल विकल्प प्रदान करने वाले एकमात्र उप-उत्पाद के रूप में विद्युत एवं जल का उत्पादन करते हैं।
    • हाइड्रोजन ICE वाहन ICE में ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग करते हैं जो BEV के लिये एक सरल और सस्ता विकल्प प्रदान करता है।
      • हालाँकि अवसंरचना और शून्य-उत्सर्जन के मामले में FCEV तथा हाइड्रोजन ICE दोनों की अपनी-अपनी कमियाँ हैं।
  • सिंथेटिक फ्यूल: 
    • पॉर्श (Porsche) सिंथेटिक फ्यूल विकसित कर रहा है जो ICE को CO2-तटस्थ बनाता है तथा संभावित रूप से ICE वाहनों के जीवन को बढ़ाता है।
    • नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करके कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन से उत्पादित इन ईंधनों का व्यापक अनुप्रयोग हो सकता है।

EV को बढ़ावा देने के लिये कुछ सरकारी पहल:

आगे की राह 

  • शहरी, अर्द्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त कवरेज सुनिश्चित करते हुए चार्जिंग नेटवर्क का तीव्रता से विस्तार करने के लिये सार्वजनिक एवं निजी हितधारकों के साथ सहयोग करना।
  • सुविधा बढ़ाने और सीमा की चिंता को दूर करने के लिये मानकीकृत एवं इंटरऑपरेबल चार्जिंग बुनियादी ढाँचे की स्थापना को प्राथमिकता देना।
  • उपभोक्ताओं को कम परिचालन लागत, कम पर्यावरणीय प्रभाव और सरकारी प्रोत्साहन सहित BEV के लाभों के बारे में शिक्षित करने के लिये व्यापक जागरूकता अभियान शुरू करना।
  • घरेलू बैटरी विनिर्माण क्षमताओं में निवेश करते हुए वैकल्पिक बैटरी की खोज कर लीथियम-आयन बैटरी पर निर्भरता में विविधता लाने के लिये अनुसंधान एवं विकास प्रयासों को प्रोत्साहित करना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. भारत में तीव्र आर्थिक विकास के लिये कुशल और किफायती शहरी जन परिवहन किस प्रकार महत्त्वपूर्ण है? (2019) 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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