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भारत में अग्निशमन सुरक्षा का अभाव

  • 05 May 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पिछले एक वर्ष में अस्पताल की इमारतों में घातक आग लगने की घटनाएँ देखी गई हैं, इनमें वो अस्पताल भी शामिल हैं जिसमें कोविड -19 रोगियों का इलाज किया गया है।

प्रमुख बिंदु: 

आग लगने के प्रमुख कारण:

  • इलेक्ट्रिकल फॉल्ट्स (Electrical faults) को आग के प्रमुख कारण के रूप में उद्धृत किया जाता है, लेकिन राज्य सरकारों को व्यापक रूप से सुरक्षा कानूनों में शिथिलता बरतने और सार्वजनिक भवनों को आधुनिक तकनीक से लैस करने में विफल होने के कारण आलोचना का सामना करना पड़ता है।
  • अस्पताल के आईसीयू (इंटेंस केयर यूनिट्स) में आग लगने का उच्च जोखिम विद्यमान होता है क्योंकि आईसीयू में ऑक्सीजन की उपलब्धता होती है, अत: ऐसी स्थिति में  उच्च मानकों को पूरा करने की आवश्यकता है।

भारत में अग्नि सुरक्षा से संबंधित प्रावधान:

  • संवैधानिक प्रावधान:
    • अग्निशमन सेवा राज्य सूची का विषय है, इसे अनुच्छेद 243 (W) के तहत भारतीय संविधान की बारहवीं अनुसूची में नगरपालिका के कार्यों की सूची में शामिल किया गया है।
  • भारतीय भवन निर्माण संहिता (NBC) 2016:
    • NBC के भाग-4 में अग्नि एवं जीवन सुरक्षा (Fire and Life Safety) से संबंधित प्रावधान है। 
      • NBC, भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रकाशित, एक "सिफारिश संबंधी दस्तावेज़"(Recommendatory Document) है, जिसमें राज्यों को NBC से संबंधित दस्तावेज़ के उपबंधों को स्थानीय भवन उपनियम (Local Building Bylaws) में शामिल करने हेतु अनिवार्य सिफारिशें  की गई हैं।
      • सभी मौजूदा और नई इमारतों को उनके उपयोग के आधार पर आवासीय, शैक्षिक, संस्थागत, असेंबली (जैसे सिनेमा और ऑडिटोरियम), व्यवसाय, व्यापारिक, औद्योगिक और भंडारण इमारतों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    • भवन निर्माण संहिता के प्रमुख प्रावधान:
      • आग से बचाव: इसमें इमारतों के डिज़ाइन और निर्माण से संबंधित आग की रोकथाम के पहलुओं को शामिल किया गया है। इसमें विभिन्न प्रकार की इमारतों की निर्माण सामग्री और उनकी फायर रेटिंग का भी वर्णन किया गया है।
      • जीवन सुरक्षा: इसमें आग और इसी तरह की आपात स्थिति में जीवन सुरक्षा प्रावधानों को कवर करने के साथ ही निर्माण और निवास  सुविधाओं के बारे में जानकारी है जो आग, धुएँ, लपटों या आग से जीवन को होने वाले खतरे को कम करने के लिये आवश्यक हैं।
  • मॉडल बिल्डिंग बाय लॉज़, 2016 (Model Building Bye-laws, 2016):
    • शहरी विकास मंत्रालय द्वारा "मॉडल बिल्डिंग बाय लॉज़ 2016" नामक एक परिपत्र तैयार किया गया है जो भारत में किसी भी निर्माण परियोजना को शुरू करने से पहले नियामक तंत्र और इंजीनियरिंग मापदंडों के बारे में बताता है।
    • अग्नि-संबंधित किसी भी प्रकार की स्वीकृति के लिये बिंदुवार ज़िम्मेदारी मुख्य अग्निशमन अधिकारी (Chief Fire Officer) को दी गई है।
    • भवनों के संबंध में स्वीकृति प्राप्त करने के लिये संबंधित विकास प्राधिकरण भवन/इमारत योजनाओं को मुख्य अग्निशमन अधिकारी के पास भेजेगा। 
  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) द्वारा जारी दिशा-निर्देश:
    • NDMA द्वारा न्यूनतम खुले सुरक्षित स्थान, संरक्षित निकास तंत्र और आपदा के समय खाली करने हेतु ड्रिल एक्सरसाइज़ हेतु दिशा-निर्देशों के अलावा सार्वजनिक भवनों एवं अस्पतालों में अग्नि से सुरक्षा हेतु आवश्यक मानदंडों को निर्धारित किया गया है।
  • केंद्र सरकार द्वारा ‘मॉडल बिल ऑन मेंटेनेंस ऑफ फायर एंड इमरजेंसी सर्विस, 2019 (Model Bill on Maintenance of Fire & Emergency Services 2019) लाया गया। 

चिंताएँ:

  • अग्निशमन से संबंधित आवश्यक दिशा-निर्देश हेतु कुछ राज्यों में एकीकृत अग्निशमन सेवाओं ( Unified Fire Services) का अभाव पाया जाता है।
  • भारत में अधिकांश अग्निशमन विभागों में कर्मियों की उचित संगठनात्मक संरचना, प्रशिक्षण और करियर में पदोन्नति का अभाव है।
  • अपर्याप्त आधुनिक उपकरण और उनकी स्केलिंग, प्राधिकरण और मानकीकरण का अभाव है।
  • उचित और पर्याप्त धन का अभाव, जो अग्निशमन की तकनीकी प्रगति को रोकता है।
  • ढांँचागत सुविधाओं का अभाव जिनमें फायर स्टेशन और कर्मियों का आवास आदि शामिल हैं।
  • ज्यादातर आग लगने के कारणों का विश्लेषण नहीं किया जाता है।
  • सार्वजनिक जागरूकता का अभाव तथा नियमित रूप से ‘मॉक ड्रिल’ और निकासी अभ्यास (Evacuation Drills) आयोजित नहीं किये जाते हैं।
  • एक समान अग्नि सुरक्षा कानून का अभाव।
    • हाल ही में कुछ राज्यों जैसे महाराष्ट्र, तमिलनाडु और केरल में NBC का उल्लंघन देखने को मिला। 

आगे की राह: 

  • हालांँकि दिसंबर 2020 में  सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने सभी राज्यों में स्थित कोविड -19 समर्पित अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा ऑडिट (Fire Safety Audits ) करने हेतु निर्देश दिये थे। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि NCB सहित राज्य बलों के पास सुरक्षा कोडों का निरीक्षण करने और उन्हें सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक मानव शक्ति की कमी है, जहांँ इनकी अनिवार्यता है।
  • इसका एक विकल्प यह हो सकता है कि बड़े स्तर पर सभी सार्वजनिक भवनों का अनिवार्य अग्नि देयता बीमा (Fire Liability Insurance ) किया जाए जो उनमें रहने वालों और आने वाले लोगों को सुरक्षा प्रदान करेगा और बाहरी स्तर ( इमारत की सुरक्षा) पर भी सुरक्षा का निरीक्षण करेगा।

स्रोत: द हिंदू

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