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फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल्स (FFV)

  • 29 Dec 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल (Flex Fuel Vehicles- FFV), फ्लेक्स फ्यूल स्ट्रांग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल (FFV-SHEV), बीएस-6 मानदंड, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना।

मेन्स के लिये:

फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल्स का महत्त्व और इसका उपयोग, विकास का हरित मॉडल।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में  सरकार द्वारा भारत में ऑटोमोबाइल निर्माताओं को समयबद्ध तरीके से बीएस-6 मानदंडों का अनुपालन करने वाले फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल (Flex Fuel Vehicles- FFV) और फ्लेक्स फ्यूल स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (Flex Fuel Strong Hybrid Electric Vehicles-FFV-SHEV) का निर्माण शुरू करने का आह्वान किया है।

प्रमुख बिंदु 

  • FFV और  FFV-SHEV के बारे में:
    • फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल (FFV): इनमें ऐसे इंजन लगे होते हैं जो फ्लेक्सिबल फ्यूल (पेट्रोल और इथेनॉल का संयोजन, जिसमें 100% तक इथेनॉल शामिल हो सकता है।) पर चलने में सक्षम होते हैं।
    • फ्लेक्स फ्यूल स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FFV-SHEV): जब FFV को मज़बूत हाइब्रिड इलेक्ट्रिक तकनीक के साथ एकीकृत किया जाता है, तो इसे FFV-SHEV कहा जाता है।
      • पूर्ण हाइब्रिड व्हीकल्स/वाहनों (Full Hybrid Vehicles) के लिये स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड एक और शब्द है, जिसमें पूरी तरह से इलेक्ट्रिक या पेट्रोल मोड पर चलने की क्षमता होती है। 
      • इसके विपरीत माइल्ड हाइब्रिड (Mild Hybrids) विशुद्ध रूप से इनमें से किसी एक मोड पर नहीं चल सकते हैं और द्वितीयक मोड का उपयोग केवल प्रणोदन के मुख्य मोड के पूरक के रूप में करते हैं।
    • FFVs की शुरुआत में तेज़ी लाने हेतु उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI) में फ्लेक्स ईंधन के ऑटोमोबाइल और ऑटो घटकों को शामिल किया गया है।
  • पहल का महत्त्व:
    • आयात बिल में कमी: नीति से पेट्रोलियम उत्पादों की मांग में कमी आने की उम्मीद है।
      • भारत वर्तमान में अपनी पेट्रोलियम आवश्यकता का 80% से अधिक आयात करता है, और यह देश से धन के सबसे बड़े बहिर्वाह में से एक का भी प्रतिनिधित्त्व करता है।
    • किसानों को लाभ: ईंधन के रूप में इथेनॉल या मेथनॉल के व्यापक उपयोग का उद्देश्य किसानों के लिये एक अतिरिक्त राजस्व धारा बनाना है।
      • इससे किसानों को सीधा लाभ मिलेगा और किसान की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी।
    • आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा: यह प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण और परिवहन ईंधन के रूप में इथेनॉल को बढ़ावा देने की सरकार की नीति के अनुरूप है।
    • ग्रीनहाउस गैस को कम करना और जलवायु परिवर्तन से निपटना: इस कदम से वाहनों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भारी कमी आएगी।
      • इस प्रकार वर्ष 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन को एक बिलियन टन कम करने के लिये COP26 में की गई अपनी प्रतिबद्धता का पालन करने में भारत की मदद करना।
  • संबंधित पहलें:

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बीएस-VI ईंधन मानदंड:  

  • भारत स्टेज (BS) मोटर वाहनों से वायु प्रदूषकों के उत्पादन को नियंत्रित करने के लिये भारत सरकार द्वारा स्थापित उत्सर्जन मानक है।
  • भारत सीधे BS-IV से BS-VI मानदंडों में स्थानांतरित हो गया। BS-VI वाहनों में स्विच वर्ष 2022 में होना था, लेकिन खराब हवा की स्थिति को देखते हुए इस कदम को चार वर्ष आगे बढ़ा दिया गया था।
  • BS-VI ईंधन में पार्टिकुलेट मैटर 2.5 की मात्रा 20 से 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक होती है जबकि BS-IV ईंधन में यह 120 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक होती है।
  • BS-VI ईंधन मौजूदा BS-IV स्तरों से सल्फर की मात्रा को 5 गुना कम कर देगा। इसमें बीएस-IV में 50 पीपीएम के मुकाबले 10 पीपीएम सल्फर है।
    • ईंधन में सल्फर सूक्ष्म कणों के उत्सर्जन में योगदान देता है। ईंधन में उच्च सल्फर सामग्री भी ऑटोमोबाइल इंजन के क्षरण और घिसाव का कारण बनती है।
  • BS-VI ईंधन के साथ प्रत्येक किलोमीटर पर एक कार 80% कम पार्टिकुलेट मैटर और लगभग 70% कम नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जित करेगी।
  • BS-VI ईंधन की तुलना में BS-VI ईंधन में वायु प्रदूषक बहुत कम होते हैं।
  • BS-VI मानदंड ईंधन के अधूरे दहन के कारण उत्पन्न होने वाले उत्सर्जन में कुछ हानिकारक हाइड्रोकार्बन के स्तर को कम करने का भी प्रयास करते हैं।

स्रोत: पी.आई.बी.

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