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संसद टीवी संवाद


भारतीय अर्थव्यवस्था

उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना

  • 16 Nov 2020
  • 10 min read

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत की विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बढ़ाने के लिए फार्मास्यूटिकल दवाओं, ऑटो कम्पोनेंट्स और ऑटोमोबाइल सहित दस प्रमुख क्षेत्रों के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (Production Linked Incentives- PLI) योजना को मंज़ूरी दी है। इस योजना से व्हाइट गुड्स, टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में भी निवेश बढ़ने की संभावनाएँ है। यह उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना रोज़गार सृजन में भी मदद करेगी। यह योजना भारत में निर्माताओं को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगी एवं निवेश को आकर्षित करेगी, जिसके परिणामस्वरूप भारत का निर्यात बढ़ेगा एवं अधिक रोज़गार सृजन के साथ आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देगा। 

योजना के बारे में

  • PLI योजना के तहत उत्पादन इकाइयों को उनके सकल उत्पादन पर 5 प्रतिशत की प्रोत्साहन राशि देय होगी, किंतु यह राशि तभी देय होगी जब उत्पादन में प्रतिवर्ष या लगातार वृद्धि हो रही हो।

कार्यान्वयन

  • PLI योजना संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा लागू की जाएगी और यह निर्धारित समग्र वित्तीय सीमाओं के दायरे में होगी। विभिन्न क्षेत्रों के लिये PLI के अंतिम प्रस्तावों का मूल्यांकन व्यय वित्त समिति (EFC) द्वारा किया जाएगा और इसे मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया जाएगा।
  • किसी अनुमोदित क्षेत्र की एक PLI योजना से प्राप्त वित्त का प्रयोग न होने पर इसका उपयोग उपरोक्त दस चुने गए क्षेत्रों के वित्तपोषण में किया जा सकेगा। PLI के लिये किसी भी नए क्षेत्र को मंत्रिमंडल की नए सिरे से मंज़ूरी लेने की आवश्यकता होगी।

महत्त्व:

  • उपरोक्त चुनिंदा क्षेत्रों में PLI योजना भारतीय निर्माताओं को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाएगी।
  • महत्त्वपूर्ण प्रतिस्पर्द्धी और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करेगी। इसके अलावा बड़े पैमाने पर निर्यात के बढ़ने की संभावना है। 
  • भारत का लक्ष्य वर्ष 2025 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की है। इसके अतिरिक्त, भारत में डेटा स्थानीयकरण, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, स्मार्ट सिटी और डिज़िटल इंडिया जैसी परियोजनाओं के लिये सरकार की ओर से होने वाले प्रयास से इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की मांग में वृद्धि होने की उम्मीद है। PLI  योजना से भी भारत में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
  • ऑटोमोबाइल्स उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख योगदानकर्ता है। PLI योजना भारतीय ऑटोमोबाइल्स उद्योग को और अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनाएगी तथा भारतीय ऑटोमोटिव क्षेत्र के वैश्वीकरण को बढ़ावा देगा।
  • भारतीय फार्मास्यूटिकल उद्योग परिमाण की दृष्टि से विश्व में तीसरा सबसे बड़ा और मूल्य की दृष्टि से 14वाँ सबसे बड़ा उद्योग है। यह वैश्विक स्तर पर निर्यात की जाने वाली कुल ड्रग्स और दवाओं में 3.5% का योगदान करता है। भारत में फार्मास्यूटिकल्स के विकास और विनिर्माण के लिये एक विकसित तंत्र उपलब्ध है और संबद्ध उद्योगों का एक मज़बूत इकोसिस्टम भी है। PLI योजना इस क्षेत्र में वैश्विक और घरेलू हितधारकों को उच्च मूल्य उत्पादन में शामिल होने के लिये प्रोत्साहित करेगी।
  • दूरसंचार उपकरण एक सुरक्षित दूरसंचार अवसंरचना के निर्माण के लिये  महत्त्वपूर्ण और रणनीतिक तत्त्व है तथा भारत दूरसंचार एवं नेटवर्किंग उत्पादों का एक प्रमुख मूल उपकरण निर्माता बनने की आकांक्षा रखता है। PLI योजना से वैश्विक भागीदारों से बड़े निवेश आकर्षित होने और घरेलू कंपनियों को उभरते अवसरों का फायदा उठाने तथा निर्यात बाज़ार में बड़े व्यापारी बनने में मदद मिलने की उम्मीद है।
  • भारतीय वस्त्र उद्योग दुनिया के सबसे बड़े उद्योगों में एक है और वस्त्र तथा परिधान के वैश्विक निर्यात के 5% की हिस्सेदारी है। परंतु मानव निर्मित फाइबर उद्योग क्षेत्र में भारत की हिस्सेदारी वैश्विक खपत पैटर्न, जो इस क्षेत्र में अधिक है, की तुलना में कम है। PLI योजना घरेलू विनिर्माण को और बढ़ावा देने के लिये  इस क्षेत्र में बड़े निवेश को आकर्षित करेगी, विशेषतौर पर मानव निर्मित फाइबर तथा तकनीकी वस्त्रों के क्षेत्र में।
  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास से किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त होगा और बड़े पैमाने पर अपव्यय कम होगा। PLI  योजना के माध्यम से सहायता प्रदान करने हेतु उच्च विकास क्षमता और संभावनाओं वाली विशिष्ट उत्पाद लाइनों की पहचान की गई है।
  • सौर पीवी पैनलों का अधिक आयात मूल्य श्रृंखला की इलेक्ट्रॉनिक (हैक करने योग्य) प्रकृति पर विचार करते हुए आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन और रणनीतिक सुरक्षा चुनौतियों में जोखिम पैदा करता है। सौर पीवी मॉड्यूल के लिये  एक केंद्रित PLI  योजना भारत में बड़े पैमाने पर सौर पीवी क्षमता का निर्माण करने के लिये घरेलू और वैश्विक भागीदारों को प्रोत्साहित करेगी और सौर पीवी विनिर्माण के लिये वैश्विक मूल्य शृंखलाओं पर कब्जा करने के लिये  भारत को तेज़ी से आगे बढ़ने में मदद करेगी।
  • व्हाइट गुड्स (एयर कंडीशनर और एलईडी) में घरेलू स्तर पर मूल्यवर्द्धन की और इन उत्पादों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाने की अत्यधिक संभावना है। इस क्षेत्र के लिये PLI योजना से अधिक घरेलू विनिर्माण, नौकरियों का सृजन और निर्यात बढ़ेगा।
  • स्टील रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण उद्योग है और भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक है। भारत तैयार स्टील का असल निर्यातक है और स्टील के कुछ श्रेणियों में चैंपियन बनने की क्षमता रखता है। विशिष्ट स्टील में PLI योजना से मूल्यवर्द्धित स्टील के लिये विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने में मदद मिलेगी जिससे कुल निर्यात में वृद्धि होगी।

सीमाएँ:

हालाँकि अलग अलग क्षेत्रों के मंत्रालयों को एक स्तर पर लाकर इस तरह की योजना एक दूरदर्शी सोच का परिणाम है किंतु चूँकि यह योजना आपूर्ति क्षेत्र को ही मज़बूती प्रदान करने हेतु है न कि मांग क्षेत्र के लिये; ऐसे में यह सुनिश्चित करना बनता है कि उपरोक्त क्षेत्रों में मांग निरंतर बनी रहे।

निष्कर्ष:

प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान पर देश में कुशल, न्यायसंगत और लचीले विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये नीतियों की परिकल्पना की गई है। औद्योगिक वस्तुओं के उत्पादन और निर्यात में वृद्धि से भारतीय उद्योग को विदेशी प्रतिस्पर्द्धा और विचारों को जानने का काफी अवसर मिलेगा, जिससे आगे कुछ नया करने की अपनी क्षमताओं में सुधार करने में मदद मिलेगी। विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने और एक अनुकूल विनिर्माण इकोसिस्टम के निर्माण से न केवल वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ एकीकरण हो सकेगा बल्कि देश में एमएसएमई क्षेत्र के साथ बैकवर्ड लिंकेज भी स्थापित होंगे। इससे अर्थव्यवस्था में समग्र विकास होगा और रोज़गार के अत्यधिक अवसर पैदा होंगे।

अभ्यास प्रश्न: उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना से होने वाले संभावित लाभ की चर्चा करते हुए इसकी समीक्षा कीजिये।

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