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चक्रीय अर्थव्यवस्था और लिथियम-आयन बैटरी पुनर्चक्रण तकनीक

  • 07 Jun 2023
  • 9 min read

भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology- MeitY) ने लागत प्रभावी लिथियम-आयन बैटरी पुनर्चक्रण तकनीक को नौ पुनर्चक्रण उद्योगों और स्टार्ट-अप में हस्तांतरित कर चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है।

  • इस तकनीक को “ई-कचरा प्रबंधन पर उत्कृष्टता केंद्र” के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी के लिये सामग्री केंद्र (Centre for Materials for Electronics Technology- C-MET), हैदराबाद में स्थापित किया गया है और यह कार्य तेलंगाना सरकार के उद्योग भागीदार, मैसर्स ग्रीनको एनर्जीज़ प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद के सहयोग से किया गया है।
  • यह पहल "प्रमोट सर्कुलरिटी कैंपेन" के तहत पर्यावरण के लिये जीवनशैली (Lifestyle for the Environment- LiFE) मिशन का हिस्सा है।

हाल ही में आविष्कार की गई पुनर्चक्रण तकनीक: 

  • लि-आयन बैटरियों के लिये पुनर्चक्रण तकनीक को अनुपयोगी बैटरियों से मूल्यवान सामग्रियों को कुशलतापूर्वक संसाधित करने और पुनर्प्राप्त करने हेतु अभिकल्पित किया गया है।
  • इस प्रक्रिया की शुरुआत बैटरियों को एक प्रकार के घोल/विलयन में भिगोने से होती है।
    • यह विलयन लिथियम (Lithium), कोबाल्ट (Cobalt), मैंगनीज़ (Manganese) और निकल (Nickel) जैसे धातुओं को पृथक करने एवं उनके निष्कर्षण में मदद करती है, इसकी सहायता से 98 प्रतिशत शुद्धता के साथ ऑक्साइड तथा कार्बोनेट के रूप में धातुओं की लगभग 95 प्रतिशत तक रिकवरी हो सकती है।
  • इसके बाद इन धातुओं को उनके शुद्ध रूपों में परिवर्तित कर दिया जाता है ताकि इन्हें नई बैटरी अथवा अन्य महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोगों में पुन: उपयोग करने के लिये तैयार किया जा सके
  • इस तकनीक के माध्यम से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है कि बैटरियों से मूल्यवान धातुओं के 95% से अधिक की पुनर्प्राप्ति की जा सके।
  • बैटरियों को पुनर्चक्रित कर नए संसाधनों के खनन की आवश्यकता को कम कर अधिक सतत् पर्यावरण में योगदान दिया जा सकता है।
  • लिथियम-आयन बैटरियों के लिये पुनर्चक्रण तकनीक एक चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। 

लिथियम-आयन बैटरी: 

  • परिचय: 
    • ‘लिथियम-आयन बैटरी’ अथवा ‘लि-आयन’ बैटरी एक प्रकार की रिचार्जेबल (पुनः चार्ज की जा सकने वाली) बैटरी है।
    • लि-आयन बैटरी में इलेक्ट्रोड पदार्थ के रूप में अंतर्वेशित लिथियम यौगिक का उपयोग किया जाता है, जबकि एक नॉन-रिचार्जेबल लिथियम बैटरी में धातु सदृश लिथियम का उपयोग किया जाता है।
    • एक बैटरी में वैद्युत अपघट्य (Electrolyte) दो इलेक्ट्रोड होते हैं। वैद्युत अपघट्य के कारण आयनों का संचरण होता है।
    • बैटरी के डिस्चार्ज होने के दौरान लिथियम आयन नेगेटिव इलेक्ट्रोड से पॉज़िटिव इलेक्ट्रोड की ओर गति करते हैं, जबकि चार्ज होते समय विपरीत दिशा में।

  • उपयोग: 
    • इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, टेली-कम्युनिकेशन, एयरोस्पेस, औद्योगिक अनुप्रयोग।
    • लिथियम-आयन बैटरी प्रौद्योगिकी इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये अब पसंदीदा ऊर्जा का स्रोत बन गई है। 
  • लिथियम-आयन बैटरियों के नुकसान: 
    • चार्ज करने में अधिक समय लगना।  
    • बैटरी में आग लगने की घटनाएँ सुरक्षा संबंधी मुद्दे रहे हैं।
    • निर्माण में महँगी।
    • ‘लि-आयन बैटरी को फोन और लैपटॉप जैसे अनुप्रयोगों हेतु पर्याप्त कुशल के रूप में देखा जाता है, EVs के मामले में इन बैटरी में अभी भी उस सीमा का अभाव है जो उन्हें आंतरिक दहन इंजनों के लिये एक व्यवहार्य विकल्प बनाती है।

लिथियम: 

  • परिचय: 
    • लिथियम (Li), जिसे रिचार्जेबल बैटरी की उच्च मांग के कारण कभी-कभी 'व्हाइट गोल्ड' के नाम से भी जाना जाता है, एक नरम और चाँदी जैसी-सफेद धातु है।
  • निकासी: 
    • भंडार के प्रकार के आधार पर लिथियम को विभिन्न तरीकों से प्राप्त किया जा सकता है, आमतौर पर बड़े आकार के ब्राइन पूल के सौर वाष्पीकरण के माध्यम से  अथवा अयस्क की हार्ड-रॉक से निष्कर्षण किया जाता है।
  • उपयोग: 
    • लिथियम EV, लैपटॉप, मोबाइल आदि की बैटरी में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रोकेमिकल सेल का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
    • इसका उपयोग थर्मोन्यूक्लियर प्रतिक्रियाओं में भी किया जाता है।
    • इसका उपयोग एल्युमीनियम और मैग्नीशियम के साथ मिश्र धातु बनाने, उनकी क्षमता में सुधार करने तथा उन्हें हल्का बनाने के लिये किया जाता है। 
      • मैग्नीशियम-लिथियम मिश्र धातु का उपयोग कवच (Armor) बनाने के लिये किया जाता है।
      • एल्युमीनियम-लिथियम मिश्र धातु का उपयोग एयरक्राफ्ट, उच्च क्षमता वाली साइकिलों के फ्रेम और हाई-स्पीड ट्रेनों में किया जाता है।
  • प्रमुख वैश्विक लिथियम भंडार:
    • चिली> ऑस्ट्रेलिया> अर्जेंटीना लिथियम रिज़र्व वाले शीर्ष देश हैं।
    • लिथियम त्रिकोण: चिली, अर्जेंटीना, बोलीविया।
  • भारत में लिथियम भंडार:
    • प्रारंभिक सर्वेक्षण में दक्षिणी कर्नाटक के मांड्या ज़िले में सर्वेक्षण की गई भूमि के एक छोटे से हिस्से में 14,100 टन के अनुमानित लिथियम भंडार का पता चला है।
    • अन्य संभावित साइट:
      • राजस्थान, बिहार, आंध्र प्रदेश में मीका बेल्ट। 
      • ओडिशा और छत्तीसगढ़ में पेगमेटाइट बेल्ट। 
      • गुजरात में कच्छ का रण। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सी धातुओं का युग्म क्रमशः सबसे हल्की धातु और सबसे भारी धातु है? (2008) 

(a) लिथियम और पारा
(b) लिथियम और ऑस्मियम
(c) एल्युमीनियम और ऑस्मियम
(d) एल्युमीनियम और पारा 

उत्तर: (b) 

व्याख्या: 

  • हल्की धातुएँ कम परमाणु भार वाली धातुएँ होती हैं, जबकि भारी धातुओं का आमतौर पर उच्च परमाणु भार होता है। 
  • ऑस्मियम एक कठोर धात्विक तत्त्व है जिसका घनत्व सभी ज्ञात तत्त्वों में सबसे अधिक है। ऑस्मियम का परमाणु भार 190.2 u है और इसकी परमाणु संख्या 76 है।
  • लिथियम का परमाणु क्रमांक 3 और परमाणु भार 6.941u है जो सबसे हल्की ज्ञात धातु है।
  • अतः विकल्प (B) सही उत्तर है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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