भूगोल
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने जम्मू-कश्मीर में लिथियम की खोज की
- 11 Feb 2023
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प्रिलिम्स के लिये:भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, लिथियम भंडार और इसका महत्त्व मेन्स:खनिज और ऊर्जा संसाधन |
चर्चा में क्यों?
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने पहली बार केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के सलाल-हैमाना क्षेत्र में 5.9 मिलियन टन से अधिक के लिथियम के अनुमानित भंडार (G3) की खोज की है।
‘अनुमानित’ (Inferred) संसाधन:
- "अनुमानित" संसाधन से तात्पर्य उस खनिज संसाधन से है जिसकी मात्रा, गुणवत्ता और खनिज संरचना का केवल अस्थायी रूप से मूल्यांकन किया जाता है।
- यह आउटक्रॉप्स, ट्रेंच, पिट्स, वर्किंग्स और ड्रिल होल जैसे स्थानों से एकत्रित जानकारी पर आधारित है जो सीमित अथवा अनिश्चित गुणवत्ता के हो सकते हैं और भूवैज्ञानिक साक्ष्य से कम विश्वसनीयता के भी हो सकते हैं।
- यह आरक्षित/संसाधनों के लिये संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय फ्रेमवर्क वर्गीकरण- 1997 के ठोस ईंधन और खनिज वस्तुओं (UNFC-1997) के वर्गीकरण पर आधारित है।
UNFC-1997:
- UNFC-1997 ठोस ईंधन और खनिज वस्तुओं के भंडार और संसाधनों के वर्गीकरण एवं रिपोर्टिंग के लिये एक प्रणाली है तथा यह भंडार और संसाधनों की रिपोर्टिंग हेतु एक मानकीकृत, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रणाली प्रदान करता है।
- इसे यूरोप के लिये संयुक्त राष्ट्र आर्थिक आयोग द्वारा विकसित किया गया है।
- यह खनिज और ऊर्जा संसाधनों की रिपोर्टिंग में पारदर्शिता एवं निरंतरता को बढ़ावा देता है तथा यह सुनिश्चित करता है कि भूवैज्ञानिक, इंजीनियरिंग और आर्थिक जानकारी का लगातार उपयोग किया जाए।
- यह देशों और संबद्ध क्षेत्रों के बीच भंडार एवं संसाधन डेटा की तुलना करने हेतु एक आधार प्रदान करता है जिसका उपयोग दुनिया भर की सरकारों, उद्योग तथा वित्तीय संस्थानों द्वारा व्यापक स्तर पर किया जाता है।
- UNFC-1997 के अनुसार, किसी भी खनिज भंडार की खोज के चार चरण होते हैं:
- परीक्षण (G4)
- प्राथमिक अन्वेषण (G3)
- सामान्य अन्वेषण (G2)
- विस्तृत अन्वेषण (G1)
लिथियम:
- परिचय:
- लिथियम (Li), जिसे रिचार्जेबल बैटरी की उच्च मांग के कारण कभी-कभी 'व्हाइट गोल्ड' के नाम से भी जाना जाता है, एक नरम और चाँदी जैसी-सफेद धातु है।
- निकासी:
- भंडार के प्रकार के आधार पर लिथियम को विभिन्न तरीकों से प्राप्त किया जा सकता है, आमतौर पर बड़े आकार के ब्राइन पूलों के सौर वाष्पीकरण द्वारा अथवा अयस्क के हार्ड-रॉक निष्कर्षण द्वारा।
- उपयोग:
- लिथियम EV, लैपटॉप, मोबाइल आदि की बैटरी में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रोकेमिकल सेल का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
- इसका उपयोग थर्मोन्यूक्लियर प्रतिक्रियाओं में भी किया जाता है।
- इसका उपयोग एल्युमीनियम और मैग्नीशियम के साथ मिश्र धातु बनाने, उनकी क्षमता में सुधार करने और उन्हें हल्का बनाने के लिये किया जाता है।
- मैग्नीशियम-लिथियम मिश्र धातु का उपयोग कवच (Armor) बनाने के लिये किया जाता है।
- एल्युमीनियम-लिथियम मिश्र धातु का उपयोग एयरक्राफ्ट, उच्च क्षमता वाली साइकिलों के फ्रेम और हाई-स्पीड ट्रेनों में किया जाता है।
- प्रमुख वैश्विक लिथियम भंडार:
- चिली> ऑस्ट्रेलिया> अर्जेंटीना लिथियम रिज़र्व वाले शीर्ष देश हैं।
- लिथियम त्रिकोण : चिली, अर्जेंटीना, बोलीविया।
- भारत में लिथियम भंडार:
- प्रारंभिक सर्वेक्षण में दक्षिणी कर्नाटक के मांड्या ज़िले में सर्वेक्षण की गई भूमि के एक छोटे से हिस्से में 14,100 टन के अनुमानित लिथियम भंडार का पता चला।
- अन्य संभावित साइटें:
- राजस्थान, बिहार, आंध्र प्रदेश में मीका बेल्ट।
- ओडिशा और छत्तीसगढ़ में पेगमेटाइट बेल्ट।
- गुजरात में कच्छ का रण।
भारत वर्तमान में अपनी लिथियम की मांग को कैसे पूरा करता है?
- भारत वर्तमान में लिथियम सेल और बैटरी के लिये आयात पर निर्भर है। वित्त वर्ष 2017 और वित्त वर्ष 2020 के बीच 165 करोड़ से अधिक लिथियम बैटरी का भारत में आयात होने का अनुमान है, जिसका अनुमानित आयात बिल 3.3 बिलियन डॉलर से अधिक है।
- लिथियम सोर्सिंग समझौतों को सुरक्षित करने के देश के प्रयासों को चीन से आयात के खिलाफ एक पहल के रूप में देखा जाता है, जो कच्चे माल और सेल दोनों का प्रमुख स्रोत है।
- भारत को लिथियम मूल्य शृंखला में देरी से प्रवेश करने वाले के रूप में जाना जाता है, यह ऐसे समय में प्रवेश कर रहा है जब EV क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण व्यवधान आने की उम्मीद है।
- ली-आयन प्रौद्योगिकी में कई सुधारों की संभावना के साथ वर्ष 2023 को बैटरी प्रौद्योगिकी के लिये महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है।
खोज का महत्त्व:
- लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता:
- भारत ने वर्ष 2070 तक अपने उत्सर्जन को शुद्ध शून्य तक कम करने का संकल्प लिया है, जिसके लिये इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बैटरी में एक महत्त्वपूर्ण घटक के रूप में लिथियम की उपलब्धता की आवश्यकता है।
- सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने अनुमान लगाया है कि देश को वर्ष 2030 तक 27 GW ग्रिड-स्केल बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम की आवश्यकता होगी, जिसके लिये भारी मात्रा में लिथियम की आवश्यकता होगी।
- वैश्विक कमी को संबोधित करना:
- विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने EV और रिचार्जेबल बैटरी की बढ़ती मांग के कारण वैश्विक लिथियम की कमी की चेतावनी दी है, जो वर्ष 2050 तक 2 बिलियन तक पहुँचने का अनुमान है।
- कुछ ही स्थानों पर संसाधनों की सघनता के कारण लिथियम की आपूर्ति के संदर्भ में विश्व संकट का सामना का रहा है, दुनिया के 54% लिथियम भंडार अर्जेंटीना, बोलीविया और चिली में पाए जाते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency- IEA) का अनुमान है कि वर्ष 2025 तक दुनिया को लिथियम की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India- GSI):
- वर्तमान में GSI खान मंत्रालय से संबद्ध कार्यालय है। इसकी स्थापना वर्ष 1851 में मुख्य रूप से रेलवे के लिये कोयला भंडार खोजने हेतु की गई थी।
- समय के साथ यह भू-विज्ञान सूचना के भंडार के रूप में विकसित हुआ है और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के भू-वैज्ञानिक संगठन का दर्जा भी प्राप्त किया है।
- इसका मुख्यालय कोलकाता में है और इसके छह क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ, जयपुर, नागपुर, हैदराबाद, शिलाँग और कोलकाता में स्थित हैं। प्रत्येक राज्य की एक राज्य इकाई होती है।
- केंद्रीय भूवैज्ञानिक प्रोग्रामिंग बोर्ड (Central Geological Programming Board- CGPB) भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण का एक महत्त्वपूर्ण मंच है जो संपर्क हेतु सुविधा प्रदान करता है और कार्य के दोहराव से बचाता है।
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