प्रारंभिक परीक्षा
दो नए भूवैज्ञानिक विरासत स्थल
- 01 Apr 2022
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हाल ही में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने भारतीय हिमालयी क्षेत्र में दो भूवैज्ञानिक विरासत स्थलों की पहचान की है।
- इसके तहत शिवालिक जीवाश्म उद्यान (हिमाचल प्रदेश) और स्ट्रोमेटोलाइट बेयरिंग डोलोमाइट/बक्सा फॉर्मेशन के चूना पत्थर (सिक्किम) की पहचान की गई है।
- इन दो स्थलों को शामिल करने से भारत में 34 भूवैज्ञानिक विरासत स्थल हो गए हैं।
- इससे पहले GSI ने भू-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये पूर्वोत्तर में कुछ भूवैज्ञानिक स्थलों की पहचान की थी।
प्रमुख बिंदु
- शिवालिक जीवाश्म पार्क (हिमाचल प्रदेश): शिवालिक जीवाश्म पार्क प्लियो-प्लीस्टोसिन युग (2.6 मिलियन से 11,700 वर्ष पूर्व) के क्षेत्र की शिवालिक चट्टानों से बरामद कशेरुकी जीवाश्मों का एक समृद्ध संग्रह को प्रदर्शित करता है।
- शिवालिक अवसादों का निक्षेपण संकरे रेखीय अवसाद में हुआ, जिसे 'फ्रंट डीप' कहा जाता है, यह हिमालय में मध्यनूतन युग (23 मिलियन वर्ष से 2.6 मिलियन वर्ष पूर्व) की शुरुआत के बाद से विकसित होना शुरू हुआ।
- सिक्किम के बक्सा फॉर्मेशन के स्ट्रोमेटोलाइट बेयरिंग डोलोमाइट/लाइमस्टोन: यह स्थल प्रोटेरोज़ोइक युग के डेलिंग ग्रुप (2.5 बिलियन वर्ष से 541 मिलियन वर्ष पूर्व) से संबद्ध है।
- डोलोस्टोन (तलछटी चट्टान) काफी हद तक स्ट्रोमेटोलिटिक (प्रीकैम्ब्रियन एल्गल संरचनाएँ) हैं। यह साइट सिक्किम हिमालय में प्रारंभिक जीवन के दुर्लभ उदाहरणों में से एक है।
- प्री-कैम्ब्रियन, भूगर्भिक युगों में सबसे पुराना है, जो तलछटी चट्टानों की विभिन्न परतों द्वारा चिह्नित है।
भू-विरासत स्थल क्या हैं?
- भू-विरासत का तात्पर्य ऐसी भूवैज्ञानिक मुखाकृतियों या स्थानों से है, जो स्वाभाविक रूप से या सांस्कृतिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं और पृथ्वी के विकास या पृथ्वी विज्ञान के इतिहास के लिये अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं अथवा इनका उपयोग शैक्षिक उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है।
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) वह मूल निकाय है, जो देश में भू-विरासत स्थलों/राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारकों की पहचान और संरक्षण की दिशा में प्रयास कर रहा है।
क्रम संख्या |
भूवैज्ञानिक विरासत स्थल/ राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक
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क्रम संख्या |
भूवैज्ञानिक विरासत स्थल/ राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक |
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आंध्र प्रदेश |
18 |
किशनगढ़ नेफलाइन सायनाइट, अजमेर ज़िला। |
1 |
ज्वालामुखीय बेडेड बैराइट्स, मंगमपेटा, कडप्पा ज़िला। |
19 |
वेल्डेड टफ, जोधपुर ज़िला। |
2 |
एपार्चियन अनकंफॉरमेटी, चित्तूर ज़िला |
20 |
जोधपुर ग्रुप- मालानी इग्नियस सुइट कांटेक्ट, जोधपुर ज़िला। |
3 |
प्राकृतिक भूवैज्ञानिक आर्क, तिरुमाला हिल्स, चित्तूर ज़िला। |
21 |
सतुर, बूंदी ज़िले में ग्रेट बाउंड्री फॉल्ट। |
4 |
एरा मैटी डिब्बालु- विशाखापत्तनम और भीमुनिपट्टनम के बीच स्थित विच्छेदित एवं स्थिर तटीय लाल तलछट के टीले। |
महाराष्ट्र |
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केरल |
22 |
लोनार झील, बुलडाना जिला। |
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5 |
अंगदीपुरम पीडब्ल्यूडी विश्रामगृह परिसर के पास लेटराइट, मलपुरम जिला। |
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छत्तीसगढ |
6 |
वर्कला क्लिफ सेक्शन, तिरुवनंतपुरम ज़िला। |
22 |
मनेंद्रगढ़, सरगुजा ज़िले में लोअर पर्मियन मरीन बेड। |
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तमिलनाडु |
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कर्नाटक |
7 |
तिरुवक्कराई के पास जीवाश्म लकड़ी, दक्षिण आरकोट ज़िला। |
24 |
कोलुमनार लावा, सेंट मैरी द्वीप उडुपी ज़िला। |
8 |
नेशनल फॉसिल वुड पार्क, सथानूर, तिरुचिरापल्ली ज़िला। |
25 |
मार्डीहल्ली, चित्रदुर्ग ज़िले के पास पिलो लावा। |
9 |
चारनोकाइट, सेंट थॉमस माउंट, मद्रास। |
26 |
प्रायद्वीपीय गनीस, लालबाग, बैंगलोर |
10 |
करई फॉर्मेशन के बैडलैंड्स के साथ क्रेटेसियस फॉसिल्स तथा करई- कोलक्कनाथम सेक्शन, पेरम्बलुर ज़िला। |
27 |
पाइरोक्लास्टिक्स और पिलो लावा, कोलार गोल्ड फील्ड, कोलार ज़िला। |
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गुजरात |
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हिमाचल प्रदेश |
11 |
तलछटी संरचनाएँ- एडी मार्किंग, कदन बाँध, पंचमहल ज़िला। |
28 |
शिवालिक फॉसिल पार्क, साकेती, सिरमुर ज़िला। |
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राजस्थान |
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उड़ीसा |
12 |
सेंद्रा ग्रेनाइट, ज़िला पाली। |
29 |
लौह अयस्क बेल्ट में पिलो लावा, नोमिरा, क्योंझर ज़िला। |
13 |
बर्र समूह, ज़िला पाली । |
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झारखंड |
14 |
स्ट्रोमेटोलाइट फॉसिल पार्क, झार मार्कर रॉक फास्फेट, ज़िला उदयपुर। |
30 |
राजमहल फॉर्मेशन का इंटरट्रैपियन प्लांट फॉसिल, मंड्रो के आसपास ऊपरी गोंडवाना सीक्वेंस, साहिबगंज ज़िला। |
15 |
राजपुरा-दरीबा मिनरलाइज़्ड बेल्ट, गोसन ज़िला उदयपुर। |
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नगालैंड |
16 |
भोजुंदा के पास स्ट्रोमेटोलाइट पार्क, चित्तौड़गढ़। |
31 |
पुंगरो के पास नगाहिल ओफियोलाइट साइट। |
17 |
आकल वुड फोसिल पार्क, जैसलमेर। |
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सिक्किम |
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32 |
दक्षिण ज़िले के नामची के पास ममले में बक्सा फॉर्मेशन के डोलोमाइट/लाइमस्टोन वाले स्ट्रोमेटोलाइट। |
यूनेस्को ग्लोबल जियो पार्क:
- ग्लोबल जियो पार्क एकीकृत भू-वैज्ञानिक क्षेत्र होते हैं जहाँ अंतर्राष्ट्रीय भू-गर्भीय महत्त्व के स्थलों व परिदृश्यों का सुरक्षा, शिक्षा और टिकाऊ विकास की समग्र अवधारणा के साथ प्रबंधन किया जाता है।
- हालाँकि 44 देशों में 161 'यूनेस्को ग्लोबल जियो पार्क’ हैं, लेकिन अभी तक भारत का एक भी भू-वैज्ञानिक स्थल इस नेटवर्क के तहत शामिल नहीं किया गया है।
- भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण:
- मुख्य रूप से रेलवे के लिये भारत में उपलब्ध कोयला भंडार की खोज के उद्देश्य से वर्ष 1851 में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India-GSI) विभाग की स्थापना की गई थी। वर्तमान में GSI खान मंत्रालय की एक सहायक संस्था के रूप में कार्य कर रहा है।
- GSI का मुख्य कार्य राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक सूचना और खनिज संसाधन मूल्यांकन एवं आधुनिकीकरण संबंधी कार्य करना है।
- इसका मुख्यालय कोलकाता में है।