भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत की कराधान प्रणाली से संबंधित चुनौतियाँ और सुधार
- 28 Jan 2025
- 21 min read
प्रिलिम्स के लिये:वस्तु एवं सेवा कर (GST), कर, निवेश, न्यूनतम वैकल्पिक कर (MAT), पूंजीगत लाभ कर, प्रतिभूति लेनदेन कर, कॉर्पोरेट कर, लाभांश, 101वाँ संशोधन अधिनियम 2016, GST परिषद, वोडाफोन इंटरनेशनल होल्डिंग केस, 2012, इनपुट टैक्स क्रेडिट, कर चोरी। मेन्स के लिये:GST, भारत की कराधान प्रणाली से संबंधित चुनौतियाँ और सुधार। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
वर्तमान कर प्रणाली (विशेष रूप से वस्तु एवं सेवा कर ढाँचे के तहत) विकास को धीमा करने एवं व्यापार विकास तथा उपभोग में बाधक होने के साथ भारत की निवेश प्रतिष्ठा के प्रतिकूल है।
भारत में कर प्रणाली किस प्रकार की है?
- परिचय: कर, अनिवार्य वित्तीय शुल्क है जो सरकार द्वारा सार्वजनिक सेवाओं एवं सरकारी कार्यों के वित्तपोषण के लिये व्यक्तियों, व्यवसायों या संपत्ति पर लगाए जाते हैं।
- करदाता और सार्वजनिक प्राधिकरण के बीच कोई लेन-देन नहीं होता है।
- भारत में कर प्रणाली में प्रत्यक्ष कर, अप्रत्यक्ष कर और अन्य करों का मिश्रण शामिल है।
- करों के प्रकार:
- प्रत्यक्ष कर: ये कर व्यक्तियों या संस्थाओं द्वारा सरकार को अदा किये जाते हैं तथा इन्हें दूसरों को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है।
- अप्रत्यक्ष कर: ये वस्तुओं और सेवाओं पर लगाए जाते हैं और यह बिक्री पर बिचौलियों द्वारा उपभोक्ताओं से वसूले जाते हैं और सरकार को अदा किये जाते हैं।
- अन्य कर: ये कर विशिष्ट उद्देश्यों के लिये लगाए जाते हैं (अक्सर बुनियादी ढाँचे या कल्याण कार्यक्रमों के वित्तपोषण के लिये)।
- प्रत्यक्ष कर:
- आयकर: यह प्रगतिशील प्रकृति की आय पर लगाया जाता है, जिसमें विभिन्न करदाता श्रेणियों के लिये अलग-अलग स्लैब होते हैं।
- पूंजीगत लाभ कर: यह निवेश से प्राप्त लाभ पर कर है, जिसकी दरें अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक होल्डिंग्स के आधार पर अलग-अलग होती हैं।
- प्रतिभूति लेनदेन कर: यह शेयर बाज़ार में प्रतिभूतियों से जुड़े लेनदेन पर आरोपित कर है।
- अनुलाभ कर: यह नियोक्ता द्वारा कर्मचारियों को प्रदान किये गए लाभों पर कर (जैसे, आवास, कार) है।
- कॉर्पोरेट टैक्स: यह कंपनियों द्वारा अपनी कमाई पर दिया जाने वाला कर है, जिसमें विभिन्न आय स्तरों के लिये अलग-अलग स्लैब होते हैं।
- न्यूनतम वैकल्पिक कर (MAT): MAT से यह सुनिश्चित होता है कि कंपनियाँ न्यूनतम कर (जो 18.5% निर्धारित है) का भुगतान करें।
- फ्रिंज बेनिफिट टैक्स (FBT): यह नियोक्ताओं द्वारा प्रदान किये गए गैर-नकद लाभों पर कर (वर्ष 2009 में समाप्त) है।
- लाभांश वितरण कर (DDT): यह कंपनियों द्वारा भुगतान किये गये लाभांश पर कर है।
- बैंकिंग नकद लेनदेन कर: यह बैंकिंग लेनदेन पर कर (वर्ष 2009 में समाप्त) है।
- अप्रत्यक्ष कर:
- GST: यह वस्तुओं और सेवाओं पर उपभोग आधारित मूल्यवर्द्धित कर (मूल्यानुसार कर) है, जो आपूर्ति शृंखला के प्रत्येक चरण पर लगाया जाता है।
- यह कर प्रतिगामी प्रकृति का है क्योंकि यह सभी व्यक्तियों पर आय से परे समान दर से लगाया जाता है।
- मूल्यवर्द्धित कर (VAT): यह बेची गई वस्तुओं पर कर है जो आपूर्ति शृंखला के प्रत्येक चरण पर लगाया जाता है। यह उन वस्तुओं पर लगाया जाता है जिन्हें GST व्यवस्था से बाहर (जैसे मादक पेय पदार्थ, पेट्रोलियम उत्पाद आदि) रखा गया है।
- सीमा शुल्क एवं चुंगी: आयातित वस्तुओं पर सीमा शुल्क तथा राज्य की सीमाओं को पार करने वाली वस्तुओं पर चुंगी कर लगता है।
- उत्पाद शुल्क: यह भारत के अंदर निर्मित वस्तुओं पर कर है।
- GST: यह वस्तुओं और सेवाओं पर उपभोग आधारित मूल्यवर्द्धित कर (मूल्यानुसार कर) है, जो आपूर्ति शृंखला के प्रत्येक चरण पर लगाया जाता है।
- अन्य शुल्क (उपकर):
- शिक्षा उपकर: यह शैक्षणिक पहलों (जैसे कक्षाएँ, पुस्तकालय विकसित करना, छात्रवृत्ति प्रदान करना आदि का वित्तपोषण) के लिये लिया जाने वाला 2% कर है।
- स्वच्छ भारत उपकर: यह स्वच्छ भारत मिशन जैसी स्वच्छता पहलों को वित्तपोषित करने के लिये वर्ष 2015 में शुरू किया गया कर है।
- कृषि कल्याण उपकर: यह सिंचाई परियोजनाओं, सब्सिडी वाले बीज आदि जैसे कृषि कल्याण कार्यक्रमों का समर्थन करने के लिये वर्ष 2016 में शुरू किया गया कर है।
वस्तु एवं सेवा कर (GST) क्या है?
- परिचय: यह एक मूल्यवर्द्धित कर है जो घरेलू उपभोग के लिये वस्तुओं एवं सेवाओं पर लगाया जाता है।
- यह एक अप्रत्यक्ष कर है तथा वस्तु और सेवाओं को बेचने वाले व्यवसायों द्वारा एकत्र किया जाता है और सरकार को दिया जाता है।
- विधायी आधार: 101वें संशोधन अधिनियम, 2016 से विभिन्न करों को समाहित करके पूरे देश के लिये एकल अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था शुरू करने के क्रम में GST प्रणाली की शुरुआत की गई।
- GST के अंतर्गत सम्मिलित केंद्रीय करों में केंद्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सेवा कर आदि शामिल हैं।
- GST के अंतर्गत सम्मिलित राज्य कर हैं- राज्य वैट (मूल्य वर्द्धित कर), केंद्रीय बिक्री कर, लक्ज़री टैक्स आदि।
- मुख्य विशेषताएँ:
- आपूर्ति पक्ष: GST विनिर्माण, बिक्री या प्रावधान पर पुराने कर के विपरीत, वस्तु और सेवाओं की आपूर्ति पर लागू होता है।
- गंतव्य-आधारित कराधान: GST मूल-आधारित प्रणाली के विपरीत, गंतव्य-आधारित उपभोग कराधान का अनुसरण करता है।
- दोहरा जीएसटी: केंद्र (सीजीएसटी) और राज्य (एसजीएसटी) दोनों एक ही आधार पर कर लगाते हैं।
- आपूर्ति पक्ष: विनिर्माण, बिक्री या प्रावधान पर पिछले कर के विपरीत, GST वस्तु और सेवाओं की आपूर्ति पर लागू होता है।
- गंतव्य-आधारित कराधान: मूल-आधारित प्रणाली के विपरीत, GST एक गंतव्य-आधारित उपभोग कर है।
- ड्यूल GST: कराधान राज्यों (SGST) और केंद्र (CGST) द्वारा साझा आधार पर आरोपित किया जाता है।
- वस्तुओं या सेवाओं के आयात को अंतर-राज्यीय आपूर्ति माना जाता है तथा वे लागू सीमा शुल्क के साथ एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST) के अधीन होते हैं।
- GST परिषद: GST परिषद की सिफारिशों के आधार पर केंद्र और राज्यों द्वारा CGST, SGST और IGST दरें पारस्परिक रूप से तय की जाती हैं।
- विभिन्न दरें: GST पाँच दरों पर आरोपित किया जाता है, अर्थात 0% (शून्य दर), 5%, 12%, 18% और 28%, जिनका वस्तु वर्गीकरण GST परिषद द्वारा निर्धारित किया जाता है।
- GST परिषद: अनुच्छेद 279A GST परिषद की स्थापना करता है, जिसका अध्यक्ष केंद्रीय वित्तमंत्री होगा, जिसमे राज्य द्वारा नामित मंत्री शामिल होंगे।
- केंद्र के पास 1/3 तथा राज्यों के पास 2/3 मतदान की शक्ति है, तथा निर्णय 3/4 बहुमत से लिये जाते हैं।
वर्तमान कर प्रणाली के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?
- पूर्वव्यापी कराधान: 55वीं जीएसटी परिषद की पूर्वव्यापी कर संशोधन की सिफारिश एक प्रतिगामी कदम है, जो सर्वोच्च न्यायालय (SC) के फैसलों की अवहेलना करता है।
- वोडाफोन मामले में फैसले को रद्द करने के लिये गलत पूर्वव्यापी संशोधन के परिणामस्वरूप 8000 करोड़ रुपए का अंतर्राष्ट्रीय जुर्माना लगा, जिसे भारत को अदा करना पड़ा।
- वर्ष 2014 में पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पूर्वव्यापी कराधान को “कर आतंकवाद” कहा था।
- इससे निवेशकों का विश्वास कम होता है तथा दीर्घकालिक निवेश हतोत्साहित होता है, क्योंकि कंपनियाँ सुसंगत नियमों पर भरोसा नहीं कर सकतीं।
- वोडाफोन मामले में फैसले को रद्द करने के लिये गलत पूर्वव्यापी संशोधन के परिणामस्वरूप 8000 करोड़ रुपए का अंतर्राष्ट्रीय जुर्माना लगा, जिसे भारत को अदा करना पड़ा।
- राजस्व अधिकतमीकरण: GST परिषद का राजस्व अधिकतमीकरण पर एकमात्र ध्यान केंद्रित करने के परिणामस्वरूप मनमाना और अतिरंजित कर मांगें सामने आती हैं, जिससे व्यवसाय में निराशा और अकुशलता उत्पन्न होती है।
- इनपुट टैक्स क्रेडिट से इनकार: व्यवसायों को इनपुट टैक्स क्रेडिट से इनकार करना, विशेष रूप से रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में, आर्थिक रूप से हानिकारक है।
- इससे उपभोक्ताओं के लिये अंतिम कीमत बढ़ जाती है, बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा विकृत हो जाती है, तथा वे क्षेत्र प्रभावित होते हैं जो विकास को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
- केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर के मुख्य आयुक्त एवं अन्य बनाम सफारी रिट्रीट्स केस, 2024 में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि रियल एस्टेट क्षेत्र किराये या पट्टे के प्रयोजनों के लिये उपयोग किये जाने वाले वाणिज्यिक भवनों के निर्माण लागत पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा कर सकता है, जिसकी पहले अनुमति नहीं थी।
- जटिल कर संरचना: अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष करों में विभिन्न कर दरें, जटिल कर अधिसूचनाएँ, छूट और रियायतों की जटिल प्रणाली, तथा परिपत्रों के कारण ऐसा वातावरण बनता है, जिससे व्यवसायों के बजाय कर पेशेवरों को लाभ होता है।
- कम प्रत्यक्ष कर संग्रह: निगम, विशेष रूप से बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ, उच्च-कर वाले क्षेत्रों से कम-कर वाले क्षेत्रों में मुनाफे को स्थानांतरित करने के लिये स्थानांतरण मूल्य निर्धारण का उपयोग करती हैं, जिससे उनकी कर देनदारियाँ कम हो जाती हैं।
- कुछ निगम अपनी कर देयता को कम करने के लिये अपनी आय को कम या अपने व्यय को बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं।
- प्रत्यक्ष कर संग्रह इतना कम होने के कारण सरकार को उच्च अप्रत्यक्ष कर दर, अधिभार और उपकर जैसे अन्य स्रोतों से राजस्व उत्पन्न करने के लिये मज़बूर होना पड़ता है।
जटिल कर संरचना के परिणाम क्या हैं?
- आयात पर निर्भरता: बोझिल कर प्रणाली आयातित वस्तुओं की तुलना में घरेलू विनिर्माण को कम प्रतिस्पर्द्धी बना देती है, जिससे विदेशी उत्पादों पर अत्यधिक निर्भरता बढ़ जाती है।
- उदाहरण के लिये, चीन से आयात वर्ष 2018-19 में 70 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 100 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।
- इससे विपरीत शुल्क संरचना को भी बढ़ावा मिलता है, जहाँ प्रयुक्त इनपुट पर कर की दर तैयार वस्तु पर कर की दर से अधिक होती है।
- भारत के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण का हिस्सा 15% से कम हो गया है।
- मुद्रा अवमूल्यन: चूँकि व्यवसायों को उच्च लागत, कम प्रतिस्पर्द्धा और दमित वृद्धि का सामना करना पड़ता है, इसलिये इससे भारतीय रुपए का अवमूल्यन होता है और व्यापार घाटा बढ़ता है।
- जब किसी देश में राजकोषीय घाटा और चालू खाता घाटा दोनों हों तो इससे दोहरे खाता घाटे की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- निवेश में बाधा: अस्पष्ट संरचनाओं और पूर्वव्यापी संशोधनों के साथ एक जटिल कर प्रणाली, निवेशकों के लिये अनिश्चितता उत्पन्न करती है और सुकर व्यापार प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
- कम राजस्व संग्रहण: व्यवसायों को जटिल कर प्रणाली से निपटने में कठिनाई होती है, जिसके परिणामस्वरूप या तो कर कम बताया जाता है या कर चोरी होती है।
- कम राजस्व संग्रह से सरकार राजकोषीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिये उच्च कर लगाने के लिये विवश होती है, जिससे गतिरोध का चक्र शुरू हो जाता है।
- अधोमुखी आर्थिक चक्र: निम्न वृद्धि, कम निवेश और बढ़ते आयात से एक दुष्चक्र बनता है जो दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करता है और अकुशलता को बनाए रखता है।
आगे की राह
- GST को सरल एवं कारगर बनाना: व्यापार में आसानी सुनिश्चित करने के लिये, विशेष रूप से रियल एस्टेट और बुनियादी ढाँचे जैसे क्षेत्रों में, अधिक सरलीकृत और एकसमान कर दर संरचना शुरू की जानी चाहिये।
- भारत को दरों को तर्कसंगत बनाकर कर ढाँचे को सरल बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये। उदाहरण के लिये, पॉपकॉर्न पर तीन GST दरें यानी, अनलेबल (5%), लेबल्ड रेडी-टू-ईट (12%) और कैरामेलाइज़्ड (18%)।
- कर निश्चितता: बार-बार संशोधन या मनमाने कर मांगों का परिहार किया जाना चाहिये, जो स्पष्ट और सुसंगत कर नियमों को स्थापित करने के लिये आवश्यक हैं।
- पूर्वव्यापी कराधान को समाप्त किये जाने की आवश्यकता है जो निवेशकों के विश्वास के लिये हानिकारक रहा है।
- राजस्व संग्रह का अनुकूलन: कर संग्रह दक्षता में सुधार और कर चोरी को रोकने के लिये डिजिटल प्लेटफॉर्म और कृत्रिम बुद्धिमत्ता को उपयोग में लाया जाना चाहिये।
- प्रौद्योगिकी कर विसंगतियों की पहचान करने, व्यवसायों द्वारा सटीक रिपोर्ट सुनिश्चित करने तथा कम रिपोर्ट किये जाने का समाधान करने में मदद कर सकती है।
- आर्थिक विकास की कार्यनीति: कर प्रणाली में राजस्व अधिकतमीकरण की तुलना में दीर्घकालिक विकास को प्राथमिकता दी जानी चाहिये, क्योंकि विकासोन्मुख नीतियों से भविष्य में कर आधार का विस्तार होता है।
- कॉर्पोरेट कर संग्रह में सुधार: संभावित कम रिपोर्टिंग, चोरी या धोखाधड़ी की पहचान करने के लिये कॉर्पोरेट कर फाइलिंग का नियमित और गहन ऑडिट आयोजित किया जाना चाहिये।
- कंपनियों को समय पर कर का भुगतान करने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु कर त्रुटियों अथवा लोप के बारे में शीघ्र स्वैच्छिक प्रकटीकरण के लिये शीघ्र भुगतान पर छूट या कम दंड जैसे प्रोत्साहन प्रदान किये जाने चाहिये।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारत की अर्थव्यवस्था की कार्य- पद्धति पर जटिल कराधान प्रणाली के प्रभाव का विश्लेषण कीजिये और इसकी प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने के सुधारों का सुझाव दीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित मदों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त मदों में से कौन-सी वस्तु/वस्तुएँ जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के अंतर्गत छूट प्राप्त है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. 'वस्तु एवं सेवा कर (गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स/GST)' के क्रियान्वित किये जाने का/के सर्वाधिक संभावित लाभ क्या है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (a) मेन्सप्रश्न. वस्तु एवं सेवा कर (राज्यों को क्षतिपूर्ति) अधिनियम, 2017 के तर्काधार की व्याख्या कीजिये। कोविड-19 ने कैसे वस्तु एवं सेवा कर क्षतिपूर्ति निधि को प्रभावित किया है और नए संघीय तनावों को उत्पन्न किया है? (2020) प्रश्न. उन अप्रत्यक्ष करों को गिनाइये जो भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में सम्मिलित किये गए हैं। भारत में जुलाई 2017 से क्रियान्वित जीएसटी के राजस्व निहितार्थों पर भी टिप्पणी कीजिये। (2019) प्रश्न. संविधान (101वाँ संशोधन) अधिनियम, 2016 की मुख्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिये। क्या आपको लगता है कि यह "करों के प्रपाती प्रभाव को दूर करने और वस्तुओं और सेवाओं के लिये सामान्य राष्ट्रीय बाज़ार प्रदान करने" हेतु पर्याप्त रूप से प्रभावी है? (2017) |