भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत का FDI 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक
- 19 Dec 2024
- 21 min read
प्रिलिम्स के लिये:प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, विश्व प्रतिस्पर्द्धात्मक सूचकांक, वैश्विक नवाचार सूचकांक, एंजल टैक्स, मेक इन इंडिया पहल, उत्पादन संबंधी प्रोत्साहन योजना, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग मेन्स के लिये:भारत का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), विकास में FDI की भूमिका |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
वर्ष 2000 से अब तक भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का प्रवाह 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गया है, जो वैश्विक निवेश के केंद्र के रूप में इसके बढ़ते आकर्षण को दर्शाता है।
- इस उपलब्धि को चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में FDI में 26% की वृद्धि होकर 42.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने से भी बल मिला है, जो रणनीतिक पहलों, नीतिगत सुधारों और बढ़ी हुई वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता के प्रभाव को दर्शाता है।
भारत की FDI वृद्धि को कौन-से कारक प्रेरित कर रहे हैं?
- प्रतिस्पर्द्धात्मकता और नवाचार: विश्व प्रतिस्पर्द्धात्मक सूचकांक वर्ष 2024 में भारत की रैंकिंग वर्ष 2021 के 43 वें स्थान से सुधरकर 40 वें स्थान पर आ गई।
- वैश्विक नवाचार सूचकांक वर्ष 2023 में भारत ने 132 अर्थव्यवस्थाओं में से 40वाँ स्थान प्राप्त किया, जो वर्ष 2015 के 81वें स्थान से उल्लेखनीय वृद्धि है ।
- नवाचार और प्रतिस्पर्द्धात्मकता में प्रगति ने भारत को नवाचार-संचालित निवेश के लिये एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित कर दिया है।
- वैश्विक निवेश स्थिति: 1,008 घोषणाओं के साथ ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के लिये भारत को वैश्विक स्तर पर तीसरा स्थान प्राप्त है (विश्व निवेश रिपोर्ट 2023)।
- भारत में अंतर्राष्ट्रीय परियोजना वित्त सौदों में भी 64% की वृद्धि हुई, जिससे यह अंतर्राष्ट्रीय वित्त सौदों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या प्राप्त करने वाला देश बन गया है।
- ये आँकड़े भारत की बढ़ती वैश्विक निवेश प्रमुखता को उज़ागर करते हैं।
- बेहतर व्यापारिक वातावरण: भारत ने अपने व्यापारिक वातावरण में उल्लेखनीय सुधार की है, जो वर्ष 2014 में 142 वें स्थान से बढ़कर विश्व बैंक डूइंग बिजनेस रिपोर्ट,2020 में 63वें स्थान पर पहुँच गया है।
- यह विनियमों को सरल बनाने के प्रयासों को दर्शाता है, जिससे नौकरशाही संबंधी बाधाओं में कमी से निवेशकों का विश्वास बढ़ा है।
- नीतिगत सुधार: आयकर अधिनियम, 1961 में वर्ष 2024 के संशोधन से एंजल टैक्स समाप्त हो गया तथा स्टार्टअप्स और निवेशकों के लिये अनुपालन को सरल बनाने हेतु विदेशी कंपनियों के लिये आयकर की दर कम कर दी गई।
FDI को बढ़ावा देने की पहल:
- संयुक्त अरब अमीरात के साथ द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT): संयुक्त अरब अमीरात के साथ BIT पर हस्ताक्षर करने का उद्देश्य निवेशकों का विश्वास बढ़ाना और 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण के अनुरूप निवेश को प्रोत्साहित करना है।
- उत्पादन संबंधी प्रोत्साहन (PLI) योजना: PLI योजना विनिर्माण क्षेत्रों को समर्थन देती है, जिससे श्वेत वस्तु क्षेत्र में FDI को बढ़ावा मिलता है।
- मेक इन इंडिया पहल: वर्ष 2014-2022 के बीच मेक इन इंडिया पहल ने विनिर्माण क्षेत्र में FDI को 57% तक बढ़ा दिया।
- विदेशी निवेश सुविधा पोर्टल (FIFP): FIFP निवेशकों के लिये एकल इंटरफेस की पेशकश करके FDI अनुमोदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करता है, अनुमोदन में तेजी लाता है और विदेशी निवेश के प्रवाह को सुगम बनाता है।
- PM गति शक्ति: PM गति शक्ति जैसे उपायों का उद्देश्य बुनियादी ढाँचे और कनेक्टिविटी में सुधार करके FDI को और बढ़ावा देना है।
- FDI उदारीकरण वाले प्रमुख क्षेत्र: भारत ने वैश्विक निवेश आकर्षित करने के लिये विभिन्न क्षेत्रों में FDI को उदार बनाने में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है।
- अंतरिक्ष क्षेत्र में 100% FDI की अनुमति, रक्षा क्षेत्र में स्वचालित मार्ग से FDI की सीमा को बढ़ाकर 74% तथा सरकारी अनुमोदन के माध्यम से 100% कर दिया गया है।
- फार्मास्यूटिकल क्षेत्र ब्राउनफील्ड परियोजनाओं में 74% FDI की अनुमति देता है, और नागरिक विमानन ब्राउनफील्ड हवाई पत्तन परियोजनाओं में 100% FDI की अनुमति देता है।
- खुदरा, बीमा और दूरसंचार क्षेत्रों में भी FDI सीमा में वृद्धि देखी गई है, साथ ही बुनियादी ढाँचे को बढ़ाने और निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से महत्त्वपूर्ण सुधार किये गए हैं।
- राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र योजना और PLI पहल से परिधान क्षेत्र को लाभ मिलता है, जिससे FDI को और बढ़ावा मिलता है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश क्या है?
- परिचय: जब एक देश की कोई फर्म या व्यक्ति किसी अन्य देश के व्यवसाय में निवेश करता है या किसी व्यवसाय में नियंत्रणकारी हिस्सेदारी प्राप्त करता है, तो इसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) कहा जाता है।
- इसमें केवल पूंजी ही शामिल नहीं है, बल्कि इसमें विशेषज्ञता, प्रौद्योगिकी और कौशल भी शामिल हैं, जो मेजबान देश के आर्थिक विकास में योगदान दे सकते हैं।
- FDI के प्रकार:
- ग्रीनफील्ड निवेश: बहुत अधिक नियंत्रण और निजीकरण के साथ नई कंपनी की शुरूआत करना।
- ब्राउनफील्ड निवेश: मौजूदा सुविधाओं का उपयोग करके विलय, अधिग्रहण या संयुक्त उद्यम के माध्यम से विस्तार करना।
- संगठन द्वारा पहले से मौजूद संरचनाओं के उपयोग के कारण, ग्रीनफील्ड परियोजनाओं की तरह नियंत्रण उतना अधिक नहीं हो सकता है, यद्यपि पर्याप्त परिचालन प्रभाव की अभी भी अनुमति है।
भारत में FDI:
- शासन: भारत में FDI विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 1999 द्वारा शासित होता है, और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) द्वारा प्रशासित होता है।
- FDI की अनुमति: विभिन्न क्षेत्रों में FDI की अनुमति या तो स्वचालित मार्ग से या सरकारी मार्ग से प्रदान की जाती है।
- स्वचालित मार्ग के अंतर्गत, अनिवासी या भारतीय कंपनी को भारत सरकार से किसी अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती है।
- जबकि, सरकारी मार्ग के तहत निवेश से पहले भारत सरकार से अनुमोदन आवश्यक है।
- सरकारी मार्ग के अंतर्गत विदेशी निवेश के प्रस्तावों पर संबंधित प्रशासनिक मंत्रालय/विभाग द्वारा विचार किया जाता है।
- स्वचालित मार्ग के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र: पशुपालन और कृषि, वायु परिवहन, ऑटो पार्ट्स, कार, ग्रीनफील्ड जैव प्रौद्योगिकी, ई-कॉमर्स, नवीकरणीय ऊर्जा और अन्य उद्योग
- सरकारी मार्ग के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र: बैंकिंग और सार्वजनिक क्षेत्र, प्रसारण सामग्री सेवाएँ, खाद्य उत्पाद खुदरा व्यापार, उपग्रह की स्थापना और संचालन।
- भारत में FDI निषेध: परमाणु ऊर्जा उत्पादन, जुआ और सट्टेबाजी, लॉटरी, चिट फंड, रियल एस्टेट और तंबाकू व्यवसाय जैसे उद्योगों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पूर्णतया वर्जित है।
- भारत के शीर्ष FDI स्रोत: भारत को वर्ष 2023-24 में सिंगापुर से सबसे अधिक FDI प्राप्त हुआ, उसके बाद मॉरीशस, संयुक्त राज्य अमेरिका, नीदरलैंड और जापान का स्थान है।
नोट: कोविड-19 महामारी के कारण भारतीय कंपनियों के अवसरवादी अधिग्रहण/अधिग्रहण पर अंकुश लगाने के लिये, सरकार ने प्रेस नोट 3 (2020) के माध्यम से FDI नीति, 2017 में संशोधन किया।
- भारत के साथ स्थलीय सीमा साझा करने वाले देशों की कंपनियों या जिनके लाभकारी स्वामी उन देशों में से किसी एक से हैं, को केवल सरकारी मार्ग/चैनल के माध्यम से ही भारत में निवेश करने की अनुमति है।
- प्रेस नोट 3 के प्रयोजन के लिये, भारत पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, चीन (हांगकांग सहित), बांग्लादेश और म्याँमार को भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों (सीमावर्ती देशों) के रूप में मान्यता देता है।
FDI का महत्त्व क्या है?
- रोज़गार और आर्थिक विकास: FDI रोज़गार सृजन को बढ़ावा देकर बेरोज़गारी को कम करता है, तथा आय के स्तर को बढ़ाता है, जिससे समग्र आर्थिक विकास में योगदान मिलता है।
- FDI से पूंजी आती है, कर राजस्व में वृद्धि होती है और बुनियादी ढाँचे में सुधार होता है।
- उदाहरण के लिये अमेज़न और वॉलमार्ट (फ्लिपकार्ट के माध्यम से) जैसी वैश्विक कंपनियों के प्रवेश से खुदरा और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों में अनेक रोजगार उत्पन्न हुए हैं।
- मानव संसाधन विकास: वैश्विक कौशल और प्रौद्योगिकियों से परिचित होने से कार्यबल की गुणवत्ता में सुधार होता है, जिससे व्यापक अर्थव्यवस्था को लाभ मिलता है।
- उदाहरण के लिये, भारत में IBM और माइक्रोसॉफ्ट जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों ने स्थानीय कार्यबल के कौशल को बढ़ाया है।
- पिछड़े क्षेत्रों का विकास: FDI अविकसित क्षेत्रों को औद्योगिक केंद्रों में बदलने में मदद करता है, जिससे क्षेत्रीय आर्थिक प्रगति को बढ़ावा मिलता है।
- हुंडई और फोर्ड जैसी कंपनियों के निवेश से तमिलनाडु में ऑटोमोबाइल हब ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा दिया है।
- निर्यात में वृद्धि: FDI से निर्यातोन्मुख इकाईयों की स्थापना हो सकती है, जिससे देश की निर्यात क्षमता में वृद्धि होगी।
- उदाहरण के लिये, भारत का आईटी क्षेत्र, जिसे एक्सेंचर जैसी कंपनियों से महत्त्वपूर्ण FDI प्राप्त होता है, एक प्रमुख उद्योग बन गया है, जो विश्व भर के ग्राहकों को सॉफ्टवेयर सेवाएँ निर्यात करता है।
- विनिमय दर स्थिरता: निरंतर FDI का प्रवाह विदेशी मुद्रा उपलब्ध कराता है, जिससे मुद्रा स्थिरता को समर्थन मिलता है।
- दूरसंचार और फार्मास्यूटिकल्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों में FDI का निरंतर प्रवाह स्थिर विनिमय दर बनाए रखने में सहायक है।
- प्रतिस्पर्द्धी बाज़ार का निर्माण: FDI प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देता है, नवाचार को बढ़ावा देता है, और उपभोक्ताओं को प्रतिस्पर्द्धी मूल्यों पर उत्पादों की व्यापक रेंज प्रदान करता है।
- IKEA जैसे वैश्विक ब्रांड के प्रवेश से खुदरा क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ गई है, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है।
FDI के समक्ष चिंताएँ क्या हैं?
- राष्ट्रीय सुरक्षा: रक्षा या दूरसंचार जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में FDI से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
- उदाहरण के लिये विभिन्न देशों में महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे में चीनी निवेश को लेकर चिंताएँ व्यक्त की गई हैं।
- आर्थिक निर्भरता: जो देश FDI पर बहुत अधिक निर्भर है, वह निवेशक देश की अर्थव्यवस्था में होने वाले परिवर्तनों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकता है।
- यदि विदेशी निवेशक अपने निवेश में कटौती या वापसी का विकल्प चुनते हैं, तो इससे अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है।
- बैंकिंग जैसे उद्योगों में यह चिंता का विषय है, जहाँ विदेशी संगठन अपने हितों को देश के हितों से ऊपर रखते हैं।
- लाभ प्रत्यावर्तन: विदेशी व्यवसायों से होने वाले लाभ को अक्सर उनके गृह राष्ट्रों में वापस भेज दिया जाता है, जिससे मेजबान देश के आर्थिक लाभ कम हो सकते हैं। परिणामस्वरूप पूंजी का शुद्ध बहिर्वाह हो सकता है।
- स्थानीय व्यवसायों पर प्रभाव: बड़ी अंतर्राष्ट्रीय कंपनियाँ क्षेत्रीय कंपनियों से प्रतिस्पर्द्धा में आगे निकल सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनका व्यवसाय बंद हो सकता है और रोज़गार में कमी आ सकती है।
- यह विशेष रूप से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिये चिंता का विषय है, जहाँ स्थानीय व्यवसायों के पास प्रतिस्पर्द्धा करने के लिये संसाधन की कमी होती हैं।
- पर्यावरण संबंधी चिंताएँ: विदेशी निवेश, विशेषकर निष्कर्षण उद्योगों में, पर्यावरण क्षरण का कारण बन सकता है।
- ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ पेप्सिको जैसी विदेशी कंपनियों पर स्थानीय पर्यावरण नियमों का पालन नहीं करने का आरोप लगाया गया है।
- श्रम शोषण: विदेशी कंपनियाँ कम मज़दूरी देकर या श्रम कानूनों का पालन न करके स्थानीय श्रमिकों का शोषण कर सकती हैं। इससे कार्य करने की खराब परिस्थितियाँ और सामाजिक अशांति उत्पन्न हो सकती है।
आगे की राह:
- व्यापार करने में आसानी: अधिक विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिये FDI विनियमों को सरल बनाना, नौकरशाही बाधाओं को कम करना और अनुमोदन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना।
- स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करना: वैश्विक पर्यावरणीय लक्ष्यों के अनुरूप हरित एवं सतत् प्रौद्योगिकियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना।
- स्थिर और पारदर्शी नीतियों को सुनिश्चित करने से निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा, जिससे निरंतर FDI प्रवाह को बढ़ावा मिलेगा।
- कौशल एवं रोज़गार: FDI स्थानीय रोज़गार और कौशल विकास को विशेष रूप से विनिर्माण और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सुनिश्चित करना।
- अनुसंधान एवं विकास तथा नवप्रवर्तन में निवेश: नवप्रवर्तन को बढ़ावा देने तथा भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाने के लिये अनुसंधान एवं विकास में FDI को बढ़ावा देना।
- अवसंरचना विकास: डिजिटल और भौतिक परिसंपत्तियों सहित अवसंरचना में निवेश करने से निवेश गंतव्य के रूप में भारत का आकर्षण बढ़ सकता है।
- क्षेत्र-विशिष्ट सुधार: नवाचार और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये रक्षा, अंतरिक्ष और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे उच्च क्षमता वाले क्षेत्रों में लक्षित सुधारों को लागू करना।
निष्कर्ष:
भारत का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह, जो वर्ष 2000 से वर्तमान में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो चुका है, इसकी बढ़ती वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता और सफल सुधारों को दर्शाता है। "मेक इन इंडिया" और क्षेत्रीय उदारीकरण जैसी पहल भारत को वैश्विक मंच पर सतत् विकास एवं वृद्धि के लिये तैयार करती हैं।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: भारत की प्रतिस्पर्द्धात्मकता और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की भूमिका का विश्लेषण कीजिये। वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता में सुधार FDI को कैसे प्रभावित करता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सी उसकी प्रमुख विशेषता मानी जाती है? (2020) (a) यह मूलत: किसी सूचीबद्ध कंपनी में पूंजीगत साधनों द्वारा किया जाने वाला निवेश है। (b) यह मुख्यत: ऋण सृजित न करने वाला पूंजी प्रवाह है। (c) यह ऐसा निवेश है जिससे ऋण-समाशोधन अपेक्षित होता है। (d) यह विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में किया जाने वाला निवेश है। उत्तर: (b) प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2021) विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉण्ड कुछ शर्तों के साथ विदेशी संस्थागत निवेश वैश्विक डिपॉज़िटरी रसीदें अनिवासी बाहरी जमा उपर्युक्त में से किसको प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में शामिल किया जा सकता है? (a) केवल 1, 2 और 3 (b) केवल 3 (c) केवल 2 और 4 (d) केवल 1 और 4 उत्तर: (a) मेन्स भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की आवश्यकता का औचित्य सिद्ध कीजिये। हस्ताक्षरित MOU और वास्तविक FDI के बीच अंतर क्यों है? भारत में वास्तविक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिये उठाए जाने वाले सुधारात्मक कदमों का सुझाव दीजिये। (2016) |