पलामू टाइगर रिज़र्व | झारखंड | 24 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
झारखंड के अधिकारी पलामू टाइगर रिज़र्व (PTR) के बाघ को वापस ला रहे हैं, जो झारखंड के दलमा वन्यजीव अभयारण्य और पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में भटक गया था।
मुख्य बिंदु
- स्थानांतरण का प्रस्ताव:
- गाँवों के लिये खतरा:
- PTR छोड़ने के बाद से बाघ ने मवेशियों का शिकार करके जमशेदपुर और पुरुलिया में ग्रामीणों को आतंकित कर दिया है।
- बाघ की मौजूदगी से दलमा वन्यजीव अभयारण्य के आसपास के 86 गाँवों के निवासियों में भय व्याप्त हो गया है।
- चुनौतियाँ एवं चिंताएँ:
- यह बाघ फिलहाल दलमा वन्यजीव अभयारण्य में फँसा हुआ है और भूख से मर रहा है तथा जंगल में रास्ता खोजने के लिये संघर्ष कर रहा है।
- क्षेत्र का पहाड़ी इलाका और घनी मानव आबादी स्थिति को और अधिक जटिल बना देती है।
- विशेषज्ञों को डर है कि लंबे समय तक एकांतवास और भोजन की कमी के कारण बाघ अवसादग्रस्त हो सकता है, जिसके कारण वन विभाग को उसके स्वास्थ्य के लिये कदम उठाने होंगे।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण(NTCA)
दलमा वन्यजीव अभयारण्य
- जमशेदपुर में स्थित दलमा वन्यजीव अभयारण्य (आश्रय) हाथियों के लिये प्रसिद्ध है। इसके अलावा यहाँ पाए जाने वाले अन्य जीवों में भौंकने वाले हिरण, सुस्त भालू और विभिन्न सरीसृप प्रजातियाँ उल्लेखनीय हैं।
- 193.22 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला यह वन्यजीव अभयारण्य सुवर्णरेखा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में स्थित है।
- यहाँ मुख्य रूप से शुष्क मिश्रित पर्णपाती वन हैं, जिनमें कुछ शुष्क प्रायद्वीपीय साल भी हैं। यहाँ की मुख्य वृक्ष प्रजातियों में टर्मिनलिया, जामुन, धौरा, केंदू, करम आदि शामिल हैं।
- पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र संरक्षित क्षेत्रों, राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास 10 किलोमीटर के भीतर के क्षेत्र हैं, जिन्हें पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत अधिसूचित किया गया है।
पलामू टाइगर रिज़र्व (PTR)
- पलामू टाइगर रिज़र्व की स्थापना वर्ष 1974 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत की गई थी।
- यह विश्व का पहला ऐसा अभयारण्य है, जहाँ पदचिह्नों के आधार पर बाघों की गणना की गई।
- 'बेतला राष्ट्रीय उद्यान' झारखंड के लातेहार ज़िले में 1130 वर्ग किलोमीटर के कुल क्षेत्र में फैले पलामू टाइगर रिज़र्व के भीतर 226.32 वर्ग किलोमीटर में स्थित है।
अनुच्छेद 101 | हरियाणा | 24 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सांसद अमृतपाल सिंह की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी, जिसमें संसद में उपस्थित होने की अनुमति मांगी गई थी।
मुख्य बिंदु
- अनुपस्थिति पर कानूनी तर्क:
- अमृतपाल सिंह के वकील ने तर्क दिया कि याचिका दायर करने की तारीख से वह पहले ही 46 दिनों से अनुपस्थित हैं।
- संविधान के अनुच्छेद 101(4) के अनुसार, यदि कोई सदस्य बिना अनुमति के 60 दिनों से अधिक समय तक अनुपस्थित रहता है तो संसदीय सीट रिक्त घोषित की जा सकती है।
- इस बात पर ज़ोर दिया गया कि इस सीमा तक पहुँचने में केवल छह दिन शेष हैं, जिसके बाद उनकी सदस्यता समाप्त की जा सकती है।
- मामले की पृष्ठभूमि:
- खडूर साहिब निर्वाचन क्षेत्र से सांसद अमृतपाल सिंह ने पहली बार जनवरी 2025 में अदालत का रुख किया था।
- उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने के लिये संसद में उपस्थित होने तथा केंद्रीय मंत्रियों से मिलने की अनुमति मांगी।
- उनकी याचिका में तर्क दिया गया कि 19 लाख से अधिक लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक निर्वाचित सांसद के रूप में उन्हें अपने संसदीय कर्तव्यों को पूरा करने की अनुमति दी जानी चाहिये।
अनुच्छेद 101(4)
- प्रमुख प्रावधान:
- यदि कोई सांसद बिना अनुमति के लगातार 60 दिनों तक सदन से अनुपस्थित रहता है तो उसकी सीट रिक्त घोषित की जा सकती है।
- दिनों की गणना में वह अवधि शामिल नहीं है जब संसद सत्र में नहीं होती।
- अध्यक्ष (लोकसभा) या सभापति (राज्यसभा) अयोग्यता पर निर्णय लेते हैं।
- उद्देश्य:
- विधायी कार्यवाही में सांसदों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना।
- निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा संसदीय ज़िम्मेदारियों की उपेक्षा को रोकता है।
- लोकतंत्र में जवाबदेही के सिद्धांत को कायम रखता है।
- अपवाद एवं विशेष मामले:
- सांसद वैध कारणों, जैसे बीमारी, हिरासत में लिये जाने या अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण अवकाश के लिये आवेदन कर सकते हैं।
- यदि सदन अनुमति दे देता है तो सांसद अपनी सीट बरकरार रख सकता है।
- कानूनी हिरासत के मामलों में, यदि आवश्यक हो तो अदालतें उपस्थिति की अनुमति देने के लिये हस्तक्षेप कर सकती हैं।
38वाँ सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला संपन्न | हरियाणा | 24 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय ऊर्जा, आवास और शहरी मामलों के मंत्री ने सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले के 38वें संस्करण के समापन समारोह की अध्यक्षता की।
मुख्य बिंदु
- मेले का वैश्विक प्रभाव:
- केंद्रीय मंत्री ने सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले के अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व पर ज़ोर दिया।
- उन्होंने कहा कि इस आयोजन ने हरियाणा और भारत को वैश्विक पहचान दिलाई है और सांस्कृतिक पर्यटन में मील का पत्थर स्थापित किया है।
- सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व:
- मेले को ‘कला और शिल्प का महाकुंभ’ बताते हुए उन्होंने कलाकारों और आगंतुकों के बीच सीधे संपर्क को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला।
- यह मेला भारत की समृद्ध विरासत और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देता है तथा दुनिया भर से कारीगरों और पर्यटकों को आकर्षित करता है।
- राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक एकता को सुदृढ़ बनाना:
- भागीदारी और पुरस्कार:
- समापन समारोह में विभिन्न श्रेणियों में उत्कृष्ट कारीगरों को पुरस्कार प्रदान किये गये।
- 38वें आयोजन में भारत और विदेश से 1,600 से अधिक कारीगरों ने भाग लिया तथा लगभग 15 लाख आगंतुक आए।
सूरजकुंड मेला
- सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला 7 फरवरी से 23 फरवरी 2025 तक आयोजित हुआ।
- मेले का आयोजन सूरजकुंड मेला प्राधिकरण और हरियाणा पर्यटन द्वारा केंद्रीय पर्यटन, कपड़ा, संस्कृति एवं विदेश मंत्रालय के सहयोग से किया जाता है।
- यह मेला वर्ष 1987 में कुशल कारीगरों के पूल को बढ़ावा देने के लिये शुरू किया गया था, जो कि स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल करते थे, लेकिन ये लोग सस्ते मशीन-निर्मित उत्पादों के कारण पीड़ित थे।
- इस मेले को वर्ष 2013 में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मेले रूप में अपग्रेड किया गया था।
- सूरजकुंड मेला भारत के हस्तशिल्प, हथकरघा और सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि एवं विविधता को प्रदर्शित करता है, इसके साथ ही यह विश्व का सबसे बड़ा शिल्प मेला है।
अरावली जंगल सफारी | हरियाणा | 24 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
हरियाणा के पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव मंत्री ने लोगों से विश्व वन्यजीव दिवस पर लुप्तप्राय वन्यजीवों की रक्षा करने का संकल्प लेने का आग्रह किया। विश्व वन्यजीव दिवस पर सफारी शुरू करने के लिये जंगल सफारी और अरावली ग्रीन वॉल परियोजना के प्रयास चल रहे हैं।
मुख्य बिंदु
- सफ़ारी परियोजना का क्रियान्वयन:
- प्रारंभ में सफारी परियोजना के लिये पर्यटन विभाग ज़िम्मेदार था, लेकिन मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अब इसका क्रियान्वयन वन एवं वन्यजीव विभाग को सौंप दिया है।
- विभाग इस परियोजना पर तेज़ी से प्रगति कर रहा है।
- परियोजना नियोजन के लिये अध्ययन दौरे:
- मंत्री ने विभागीय अधिकारियों के साथ सर्वोत्तम प्रथाओं का अध्ययन करने के लिये नागपुर (महाराष्ट्र) में गोरेवाड़ा वन्यजीव सफारी और जामनगर (गुजरात) में वंतारा परियोजना का दौरा किया।
- अरावली ग्रीन वॉल परियोजना:
- इस परियोजना का उद्देश्य हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली में 1.15 मिलियन हेक्टेयर से अधिक भूमि को पुनर्स्थापित करना है, जिससे बहु-राज्यीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
- प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं:
- देशी वृक्ष प्रजातियों के साथ वनरोपण
- जैवविविधता संरक्षण
- मृदा स्वास्थ्य बहाली
- भूजल पुनर्भरण में वृद्धि
विश्व वन्यजीव दिवस
महत्त्व:
- यह संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य 1, 12, 14 और 15 के अनुरूप है, तथा गरीबी उन्मूलन, संसाधनों का सतत उपयोग सुनिश्चित करने, तथा जैवविविधता की हानि को रोकने के लिये भूमि और जल के नीचे जीवन के संरक्षण पर उनकी व्यापक प्रतिबद्धताओं के अनुरूप है।
- हमारा ग्रह इस समय जैवविविधता की हानि की चुनौती का सामना कर रहा है और यदि असंतुलित मानवीय गतिविधियों, जलवायु परिवर्तन और आवास क्षरण पर नियंत्रण नहीं किया गया तो आने वाले दशकों में दस लाख से अधिक प्रजातियाँ लुप्त हो सकती हैं।
छत्तीसगढ़ में नया दुकान एवं स्थापना अधिनियम | छत्तीसगढ़ | 24 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
राज्य की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिये छत्तीसगढ़ सरकार ने नई दुकानें एवं स्थापना अधिनियम लागू किया है, जिससे व्यापारियों को अपनी दुकानें सप्ताह के सातों दिन और 24 घंटे खुली रखने की अनुमति मिल गई है।
मुख्य बिंदु
- नई नीति का उद्देश्य:
- छत्तीसगढ़ सरकार ने व्यापार को बढ़ावा देने और रोज़गार के अवसर सृजित करने के लिये नई नीति पेश की।
- हालांकि, यह नीति शराब की दुकानों पर लागू नहीं होती है।
- व्यापारियों के लिये लचीलापन बढ़ा:
- इससे पहले, दुकानों को सप्ताह में एक दिन बंद रखना अनिवार्य था।
- नई नीति के तहत, व्यापारी अब अनिवार्य साप्ताहिक बंदी के बिना अपनी सुविधानुसार काम कर सकते हैं।
- श्रमिक कल्याण प्रावधान:
- व्यापारियों के लिये लचीलेपन के बावजूद, प्रत्येक श्रमिक को अनिवार्य रूप से साप्ताहिक अवकाश मिलना चाहिये।
- किसी भी कर्मचारी को प्रतिदिन आठ घंटे से अधिक काम करने के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता।
- श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिये दुकान मालिकों को श्रम कल्याण योजनाओं का अनुपालन करना चाहिये।
- सरलीकृत पंजीकरण प्रक्रिया:
- नये नियमों से दुकान पंजीकरण सरल हो गया है।
- मौजूदा पंजीकृत दुकानों को बिना किसी अतिरिक्त लागत के छह महीने के भीतर श्रमिक पहचान संख्या (LIN) प्राप्त करनी होगी।
- अंतिम तिथि के बाद प्रस्तुत किये गए आवेदनों पर नियमों के अनुसार शुल्क लगेगा।
श्रमिक पहचान संख्या (LIN)
- LIN एक विशिष्ट पहचान संख्या है, जो भारत में विभिन्न श्रम कानूनों के अंतर्गत आने वाले प्रतिष्ठानों को प्रदान की जाती है।
- यह श्रम-संबंधी अनुपालन का केंद्रीकृत रिकॉर्ड रखने और ट्रैकिंग को सक्षम बनाता है।
- एलआईएन श्रम सुविधा पोर्टल से जुड़ा हुआ है, जो श्रम कानून अनुपालन के प्रबंधन के लिये एक एकल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है।
- नियोक्ता रिटर्न दाखिल करने और पंजीकरण को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने के लिये LIN का उपयोग कर सकते हैं।
- यह EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन), ESIC (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) और DGMS (खान सुरक्षा महानिदेशालय) सहित विभिन्न प्रवर्तन निकायों के साथ अनुपालन की सुविधा प्रदान करता है।
- यह विनियामक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करता है तथा व्यवसायों के लिये अनुपालन की जटिलता को कम करता है।
देश का पहला बायोपॉलिमर प्लांट | उत्तर प्रदेश | 24 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 22 फरवरी 2025 को लखीमपुर खीरी के कुंभी में देश के पहले बायोपॉलिमर संयंत्र का शिलान्यास किया।
मुख्य बिंदु
- संयंत्र के बारे में:
- यह बायोपॉलिमर संयंत्र बलरामपुर चीनी मिल लिमिटेड द्वारा 2,850 करोड़ रुपए की लागत से स्थापित किया जाएगा।
- यह जैविक तरीके से पॉलिमर उत्पादन का कार्य करेगा। इससे पर्यावरण के अनुकूल औद्योगिक क्रांति को बढ़ावा मिलेगा।
- उद्देश्य:
- इसका मुख्य उद्देश्य प्लास्टिक की जगह बायोपॉलिमर का उपयोग करके पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है।
- यह संयंत्र आत्मनिर्भर भारत और पर्यावरण संरक्षण के संकल्प को साकार करेगा।
- लाभ:
- संयंत्र द्वारा उत्पादित बोतलें, प्लेट, कप, थैले आदि पूरी तरह से 'डिस्पोजबिल' होंगे और इस्तेमाल के बाद मात्र तीन महीने में नष्ट हो जाएंगे।
- प्लास्टिक की बजाए बायोपॉलिमर का इस्तेमाल करने से पर्यावरण पर दबाव कम होगा।
- इस संयंत्र से 'मेक इन इंडिया' के तहत देश में बायोपॉलिमर उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
- इससे प्रदेश में व्यापार और निवेश को गति मिलेगी।
मेक इन इंडिया पहल:
- परिचय:
- वर्ष 2014 में लॉन्च किये गए मेक इन इंडिया का मुख्य उद्देश्य देश को एक अग्रणी वैश्विक विनिर्माण और निवेश गंतव्य में बदलना है।
- इसका नेतृत्त्व उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade- DPIIT), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है।
- यह पहल दुनिया भर के संभावित निवेशकों और भागीदारों को 'न्यू इंडिया' की विकास गाथा में भाग लेने हेतु एक खुला निमंत्रण है।
- मेक इन इंडिया ने 27 क्षेत्रों में पर्याप्त उपलब्धियांँ हासिल की हैं। इनमें विनिर्माण और सेवाओं के रणनीतिक क्षेत्र भी शामिल हैं।
- उद्देश्य:
- विनिर्माण क्षेत्र की संवृद्धि दर को बढ़ाकर 12-14% प्रतिवर्ष करना।
- वर्ष 2022 तक (संशोधित तिथि 2025) विनिर्माण से संबंधित 100 मिलियन अतिरिक्त रोज़गार सृजित करना।
- वर्ष 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान बढ़ाकर 25% करना।
- नए औद्योगीकरण के लिये विदेशी निवेश को आकर्षित करना और चीन से आगे निकलने के लिये भारत में पहले से मौजूद उद्योग आधार का विकास करना।
जेवर एयरपोर्ट से जुड़ेगा गंगा एक्सप्रेस-वे | उत्तर प्रदेश | 24 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा में बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (NIA), जिसे जेवर एयरपोर्ट भी कहा जाता है, को गंगा एक्सप्रेस-वे से जोड़ने की घोषणा की।
मुख्य बिंदु
- मुद्दे के बारे में:
- गंगा एक्सप्रेस-वे को जेवर एयरपोर्ट से जोड़ने के लिये 76 किमी. लंबा एक नया लिंक एक्सप्रेसवे बुलंदशहर होते हुए बनाया जाएगा।
- सरकार ने बजट में इस परियोजना के लिये 1000 करोड़ रुपए की व्यवस्था की है।
- यह लिंक एक्सप्रेसवे यमुना एक्सप्रेस-वे के जरिये 24 किलोमीटर पहले ही जुड़ जाएगा।
- इस पूरी परियोजना की अनुमानित लागत 4415 करोड़ रुपए है।
- लाभ:
- इस एक्सप्रेस-वे के बनने से मेरठ, बुलंदशहर के लोग कम समय में सीधे जेवर एयरपोर्ट तक पहुँच सकेंगे। साथ ही पूर्वाँ चल और बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे से आने वाले लोगों को भी इस एक्सप्रेस-वे का लाभ मिलेगा।
- इससे व्यापारिक और औद्योगिक विकास में गति आएगी।
- बेहतर कनेक्टिविटी से पर्यटन क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था में सुधार होगा।
जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट
- यह एयरपोर्ट विश्व का चौथा सबसे बड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट और उत्तर प्रदेश का 5वाँ इंटरनेशनल एयरपोर्ट होगा। वहीं दिल्ली एनसीआर में इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGI) के बाद यह दूसरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा होगा।
- नोएडा एयरपोर्ट को ज्यूरिख एअरपोर्ट इंटरनेशनल (Zurich Airport International AG) द्वारा तैयार किया जा रहा है।
- इस एयरपोर्ट पर स्टेट ऑफ आर्ट MRO (Maintenance, Repair & Overhauling) सर्विस भी उपलब्ध होगी। एयरपोर्ट को इस प्रकार से डिजाइन किया गया कि इससे ऑपरेटिंग खर्चों को कम रखा जा सकेगा एवं यात्रियों के ट्रांसफर प्रोसेस को शीघ्रता से किया जा सकेगा।
- आसपास की सड़कों, हाईवे जैसे यमुना एक्सप्रेस-वे, वेस्टर्व फेरिफेरल, ईस्टर्न फेरिफेरल, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे और दूसरे हाईवे को भी एयरपोर्ट से सीधा कनेक्ट किया जाएगा। एयरपोर्ट को दिल्ली-वाराणसी के बीच प्रस्तावित हाई स्पीड रेल से भी जोड़ा जाएगा, जिससे दिल्ली और नोएडा एयरपोर्ट की दूरी 21 मिनट में पूरी की जा सकेगी.
- नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर्यावरण के लिहाज से देश का पहला नेट जीरो एमिशन एयरपोर्ट होगा। पास की ज़मीन पर पेड़ों को लगाकर फारेस्ट पार्क तैयार किया जाएगा।
गंगा एक्सप्रेस-वे
- गंगा एक्सप्रेस-वे मुंबई-नागपुर एक्सप्रेस-वे के बाद देश का दूसरा सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे है।
- यह 594 किलोमीटर की अनुमानित लंबाई वाला एक महत्त्वाकांक्षी पहल है।
- राज्य को पूर्व से पश्चिम तक जोड़ने वाला यह एक्सप्रेस-वे 12 ज़िलों के 518 गाँवों से होकर गुज़रेगा, जिससे मेरठ और प्रयागराज के बीच यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा।
- गंगा एक्सप्रेस-वे केवल एक परिवहन लिंक नहीं है, बल्कि अपने एडवेंचर लैंडस्केप को आधुनिक बनाने के लिये उत्तर प्रदेश के विस्तार का एक प्रमाण है।
कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य | उत्तर प्रदेश | 24 Feb 2025
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में बहराइच ज़िलेमें भारत-नेपाल सीमा के पास कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य के घने जंगलों में लगभग 45-50 वर्ष की आयु के नर हाथी का शव मिला है।
मुख्य बिंदु:
- मौत का कारण:
- अधिकारियों का मानना है कि हाथी की मौत दो वयस्क हाथियों के बीच लड़ाई के कारण हो सकती है, क्योंकि घटनास्थल पर पैरों के निशान और टूटे हुए पेड़ पाए गए हैं।
- हालिया वन्यजीव मौतें:
- इस घटना से पहले भी अभयारण्य में 12 वर्षीय नर बाघ और 7 वर्षीय नर तेंदुए की मौतें हो चुकी हैं। ये घटनाएँ वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताओं का कारण बन रही हैं।
कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य
- भौगोलिक स्थिति:
- यह उत्तर प्रदेश के बहराइच ज़िले में ऊपरी गंगा के मैदान में स्थित है, जो प्राकृतिक रूप से एक समृद्ध और विविध पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखता है।
- यह 400.6 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है।
- संरक्षण:
- वर्ष 1987 में इसे 'प्रोजेक्ट टाइगर' के दायरे में लाया गया और किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य और दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के साथ मिलकर यह दुधवा टाइगर रिज़र्व बनाता है। इसकी स्थापना 1975 में हुई थी।
- अभयारण्य में चीतल, हिरण, जंगली सूअर, बाघ, हाथी और तेंदुए आदि प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं।
- यह घड़ियाल, बाघ, गैंडे, गंगा डॉल्फिन, दलदली हिरण, हिसपिड खरगोश, बंगाल फ्लोरिकन, सफेद पीठ वाले और लंबी चोंच वाले गिद्धों सहित कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है।
- पारिस्थितिकी संरचना:
- यह क्षेत्र मिश्रित पर्णपाती वन से घिरा हुआ है, जिसमें साल और सागौन के जंगल, हरे-भरे घास के मैदान, असंख्य दलदल और आर्द्रभूमि शामिल हैं।
- इस क्षेत्र में गिरवा नदी बहती है, जो पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करती है।
भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर | बिहार | 24 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
बिहार के मुख्यमंत्री ने पटना में भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
मुख्य बिंदु
- इस अवसर पर कला, संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा सर्वधर्म प्रार्थना आयोजित की गई तथा भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर के जीवन एवं कृतित्व पर आधारित गीत, भजन-कीर्तन एवं निर्गुण गीत की प्रस्तुति की गई।
- मुख्यमंत्री ने कर्पूरी ठाकुर को भारतीय राजनीति का जननायक बताया।
कर्पूरी ठाकुर
- कर्पूरी ठाकुर, जिन्हें "जननायक" कहा जाता है, एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने वर्ष 1970-71 और 1977-79 तक दो बार बिहार के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।
- वह एक स्वतंत्रता सेनानी और कट्टर समाजवादी थे, जिन्होंने जयप्रकाश नारायण, डॉ. राममनोहर लोहिया तथा रामनंदन मिश्रा जैसे दिग्गजों के मार्गदर्शन में काम किया।
- उन्होंने OBC के बीच अत्यंत पिछड़ा वर्ग (Extremely Backward Class- EBC) के रूप में सूचीबद्ध नाई समुदाय (Nai community) का प्रतिनिधित्व किया।
- उन्होंने हिंदी और उर्दू को दूसरी आधिकारिक भाषा के रूप में बढ़ावा देने, स्कूल की फीस माफ करने तथा पंचायती राज को मज़बूत करने सहित व्यापक नीतियाँ लागू की।
- फरवरी 1988 में उनका निधन हो गया।
- इन्हें वर्ष 2024 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
भारत रत्न
- भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह मानव प्रयास के किसी भी क्षेत्र में असाधारण सेवा/उच्चतम प्रदर्शन के सम्मान में प्रदान किया जाता है।
- इसकी घोषणा पद्म पुरस्कार से अलग स्तर पर की जाती है। भारत रत्न की सिफारिशें प्रधानमंत्री द्वारा भारत के राष्ट्रपति को की जाती हैं।
- भारत रत्न पुरस्कारों की संख्या एक विशेष वर्ष में अधिकतम तीन तक हो सकती है।
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बिहार राज्य वूमेंस वूशु चैंपियनशिप-2025 | बिहार | 24 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
22-23 फरवरी, 2025 के मध्य बिहार के मुज़फ्फरपुर ज़िले के सिकंदरपुर स्थित खेल भवन में बिहार राज्य वूमेंस वूशु चैंपियनशिप-2025 शुभारंभ किया गया।
मुख्य बिंदु
- आयोजन का उद्देश्य:
- इस चैंपियनशिप का मुख्य उद्देश्य राज्य में महिलाओं के बीच वूशु खेल को बढ़ावा देना और प्रतिभाओं को राष्ट्रीय स्तर के लिये तैयार करना था।
- आयोजन:
- इस प्रतियोगिता का आयोजन ज़िला खेल विभाग और बिहार वूशु एसोसिएशन के संयुक्त तत्त्वावधान में किया गया।
- भागीदारी:
- लगभग 300 से अधिक महिला खिलाड़ी बिहार के विभिन्न ज़िलों से इस चैंपियनशिप में भाग लिया, जिससे राज्य भर में खेल के प्रति उत्साह और भागीदारी का संकेत मिलता है।
- खिलाड़ियों का प्रदर्शन:
- मुज़फ्फरपुर की टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ओवरऑल खिताब जीता, जो शहर में खेल के प्रति समर्पण और स्तर को दर्शाता है।
- वूशु इवेंट्स:
- इस चैंपियनशिप में सांडा और ताओलू जैसे विभिन्न वूशु इवेंट्स में मुकाबले हुए, जो वूशु खेल की विविधता के पहलुओं को उजागर करते हैं।
वूशु के बारे में:
- वूशु एक चीनी मार्शल आर्ट है, जिसे दो तरह (ताओलु और सांडा) से खेला जाता है और यह तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
- वुशू को कभी-कभी कुंग फू भी कहा जाता है, और दोनों नाम आम तौर पर चीनी मार्शल आर्ट को संदर्भित करते हैं।
- बिहार के कई खिलाड़ियों ने इस खेल में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है।
राजस्थान आर्थिक समीक्षा 2024-25 | राजस्थान | 24 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
राजस्थान सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिये अपनी आर्थिक समीक्षा विधानसभा में प्रस्तुत की, जिसमें राज्य की आर्थिक स्थिति, विकास दर तथा विभिन्न योजनाओं एवं आकंड़ों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया है।
मुख्य बिंदु
- समावेशी विकास के लिये दस संकल्प
- संशोधित बजट 2024-25 में “सबका साथ, सबका विकास-सभी के लिये समावेशी विकास” के सिद्धांतों पर आधारित समावेशी विकास के लक्ष्य प्रस्तुत किये गए हैं।
- इस सिद्धांत की परिकल्पना “अमृत कालखंड – विकसित राजस्थान @2047” के तहत पाँच वर्षीय कार्ययोजना के रूप में की गई है।
- इस कार्ययोजना में राज्य में लागू किये जाने वाले 10 संकल्प शामिल हैं।
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- 350 बिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था
- राजस्थान का लक्ष्य वर्ष 2029 तक 350 बिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करना है।
- इसके लिये कृषि गतिविधियों में तकनीकी नवाचार, औद्योगिक उत्पादन का विस्तार, नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उपयोग करके पर्यटन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
- राजस्थान अर्थव्यवस्था एक नज़र में
- प्रचलित कीमतों पर GSDP वर्ष 2024-25 में ₹17.04 लाख करोड़ होने का अनुमान है, जो वर्ष 2023-24 में ₹15.22 लाख करोड़ से 12.02 प्रतिशत की वृद्धि को दर दर्शाता है।
- स्थिर (2011-12) कीमतों पर GSDP वर्ष 2023-24 में ₹8.41 लाख करोड़ से बढ़कर वर्ष 2024-25 में ₹9.06 लाख करोड़ तक पहुँचने का अनुमान है, जो 7.82 प्रतिशत की वृद्धि दर को दर्शाता है।
- प्रचलित कीमतों पर वर्ष 2024-25 के लिये कृषि क्षेत्र जिसमें फसलें, पशुपालन, मत्स्य पालन और वानिकी शामिल हैं, जिसका GSVA में 26.92 प्रतिशत योगदान है।
- औद्योगिक क्षेत्र में खनन, विनिर्माण, बिजली, गैस, जलापूर्ति और निर्माण शामिल हैं, जिसका GSVA में योगदान 27.16 प्रतिशत का योगदान है।
- सेवा क्षेत्र जिसमें परिवहन, भंडारण और संचार, वित्तीय सेवाएँ, वास्तविक स्थिति, व्यवसाय सेवाएँ, सार्वजनिक प्रशासन और अन्य सेवाएँ शामिल हैं, जिसका GSVA में 45.92 प्रतिशत के साथ सबसे बड़ा योगदान है।
- प्रति व्यक्ति आय, जो वर्ष 2024-25 में प्रचलित कीमतों पर गत वर्ष से 11.04 प्रतिशत बढ़कर ₹1,85,053 और स्थिर (2011-12) कीमतों पर 6.88 प्रतिशत बढ़कर ₹96,638 होने का अनुमान है।
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- कृषि विकास एवं किसान कल्याण
- वर्ष 2024-25 में राज्य के सकल राज्य मूल्य वर्द्धन (GSVA) में 26.92 प्रतिशत का योगदान करती हैं। प्रचलित कीमतों पर वर्ष 2011-12 में GSVA ₹1.19 लाख करोड़ से बढ़कर वर्ष 2024-25 में ₹4.23 लाख करोड़ हो गया है।
- वर्ष 2024-25 के अग्रिम अनुमानों के अनुसार राज्य में खाद्यान्न (अनाज एवं दालें) का कुल उत्पादन 267.67 लाख मीट्रिक टन होने की संभावना है, जो गत वर्ष की तुलना में 10.67 प्रतिशत अधिक है।
- तिलहन का उत्पादन वर्ष 2024-25 में 96.17 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है, जो कि वर्ष 2023-24 के 101.22 लाख मीट्रिक टन की तुलना में 4.99 प्रतिशत की कमी को दर्शाता है।
- गन्ने का उत्पादन वर्ष 2023-24 के 3.63 लाख मीट्रिक टन की तुलना में वर्ष 2024-25 में 4.40 लाख मीट्रिक टन होने की संभावना है, जो कि 21.21 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
- वर्ष 2024-25 में कपास का उत्पादन 18.45 लाख गाठें उत्पादित होने की संभावना है, जबकि वर्ष 2023-24 में यह उत्पादन 26.21 लाख गाठें था, जो कि 29.61 प्रतिशत की कमी को दर्शाता है।
- वर्ष 2022-23 में राजस्थान देश में राई एवं सरसों, बाजरा, कुल तिलहन, पोषक-अनाज और ग्वार जैसी फसलों के उत्पादन में प्रथम स्थान, मूँगफली के उत्पादन में द्वितीय स्थान तथा ज्वार, चना, कुल दलहन एवं सोयाबीन के उत्पादन में तृतीय स्थान पर रहा है।
- मुख्यमंत्री बीज स्वावलंबन योजना: इस योजनान्तर्गत वर्ष 2024-25 के दौरान खरीफ फसल के लिये विभिन्न फसलों के 19,836 क्विंटल बीज तथा रबी फसलों के लिये 42,000 क्विंटल बीज वितरित किये गए हैं।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत, वर्ष 2024-25 में योग्य किसानों के बीच ₹2,777 करोड़ के क्लेम वितरित किये गए है।
- मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत, राज्य बजट 2024-25 की घोषणा अनुसार, राज्य सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत लाभान्वित किसानों को ₹2,000 प्रतिवर्ष की अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान करेगी, इसके लिये ₹1,400 करोड़ का आवंटन प्रावधान प्रस्तावित किया गया है।
- लघु और सीमांत किसानों के लिये सम्मान पेंशन योजना के तहत, 55 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिला किसान तथा 58 वर्ष और उससे अधिक आयु के पुरुष किसान को ₹1,150 प्रति माह की पेंशन दी जा रही है। वर्ष 2024-25 (दिसंबर, 2024 तक) में इस योजना के तहत 2,09,530 लाभार्थकों को ₹246.64 करोड़ व्यय कर लाभान्वित किया गया है।
- 'राजस्थान कृषक समर्थन योजना' के तहत, राज्य सरकार ने ₹125 प्रति क्विंटल की एमएसपी दर से ₹150.66 करोड़ बोनस राशि का भुगतान किया है।
- PMKSY के सूक्ष्म-सिंचाई घटक के तहत, 34,469 हेक्टेयर क्षेत्र में ड्रिप एवं मिनी स्प्रिंकलर तथा 56,727 हेक्टेयर क्षेत्र को स्प्रिंकलर सिंचाई के लिये कवर किया गया है और इस योजना पर दिसंबर, 2024 तक ₹123.79 करोड़ खर्च किये गए हैं।
- औद्योगिक विकास एवं निवेश प्रोत्साहन
- राज्य के औद्योगिक क्षेत्र में स्थिर (2011-12) कीमतों पर सकल राज्य मूल्य वर्द्धन (GSVA) वर्ष 2024-25 में 5.77 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
- उद्योग क्षेत्र से GSVA वर्ष 2011-12 में ₹1.36 लाख करोड़ से बढ़कर वर्ष 2024-25 में ₹4.26 लाख करोड़ हो गया, जो प्रचलित कीमतों पर 9.17 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) को दर्शाता है।
- वर्ष 2024-25 में उद्योग क्षेत्र ने राजस्थान के GSVA में 27.16 प्रतिशत का योगदान दिया, जिसमें विनिर्माण क्षेत्र का प्रमुख योगदान रहा।
- औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में 2021-22 में 122.34 से बढ़कर 2024-25 (नवंबर, 2024) में 157.31 हो गया है।
- राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना (RIPS): राजस्थान निर्यात नीति-2024 का उद्देश्य निर्यातकों को लक्षित सहायता प्रदान करके राज्य की निर्यात क्षमता को बढ़ावा देना है, जबकि राजस्थान एमएसएमई नीति-2024 छोटे और मध्यम उद्यमों को बढ़ावा देने, उनके विकास के लिये अनुकूल वातावरण बनाने पर ध्यान केंद्रित करती है। राजस्थान एम-सैंड नीति-2024 एक रणनीतिक पहल है, जिसका उद्देश्य निर्माण कार्यों में नदी की रेत (बजरी) के स्थायी विकल्प के रूप में निर्मित रेत (एम-सैंड) के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देना है।
- राज्य में राइज़िंग राजस्थान इंवेस्टमेंट समिट का आयोजन किया गया, जिसमें 35 लाख करोड़ रुपए के समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गए, जो आर्थिक विकास और निवेश के लिये राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- वर्ष 2023-24 में राजस्थान का निर्यात ₹83,704.24 करोड़ रहा, जिसमें इंजीनियरिंग वस्तुओं, रत्न और आभूषण, धातु, कपड़ा तथा हस्तशिल्प का योगदान 65 प्रतिशत से अधिक था।
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- बैंकिंग क्षेत्र का प्रदर्शन
- वित्तीय क्षेत्र, सितंबर 2024 तक 8,531 बैंक शाखाएँ कार्यरत हैं। इनमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (4,271), क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (1,593), निजी क्षेत्र के बैंक (2,093), लघु वित्त बैंक (564), विदेशी बैंक (7) और भुगतान बैंक (3) शामिल हैं।
- राजस्थान में जमा में 11.36 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि ऋण–जमा अनुपात बढ़कर 86.92 प्रतिशत हो गया, जो राष्ट्रीय औसत 79.32 प्रतिशत से अधिक है।
- परिवहन
- राजस्थान में सड़क नेटवर्क (2024)
- कुल सड़क नेटवर्क: 3,17,121 किमी
- सड़क घनत्व: 100 वर्ग किमी में 92.66 किमी
- सड़कों से जुड़े गाँव: 39,408
- राजमार्ग उन्नयन: 47 राष्ट्रीय राजमार्गों और 23 राज्य राजमार्गों को उच्च गति की यात्रा के लिये उन्नत किया जा रहा है।
- निवेश और विकास:
- सड़क विकास बजट: अगले पांच वर्षों में 60,000 करोड़ रुपए ।
- 2024-25 के लिये 11,986 करोड़ रुपए आवंटित।
- दिसंबर 2024 तक 10,705 करोड़ रुपए का उपयोग किया जाएगा।
- राष्ट्रीय राजमार्ग विकास: एनएचडीपी और भारतमाला परियोजना के तहत 845.32 किमी में 15,920 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा।
- राजमार्ग और सड़क वितरण
- राष्ट्रीय राजमार्ग: 10,790 किमी
- राज्य राजमार्ग: 17,376 किमी
- ग्रामीण सड़कें: 2,06,318 किमी
जलापूर्ति
- राजस्थान में सतही जल संसाधन:
- इंदिरा गांधी नहर परियोजना: 5,719 गाँवों और 39 कस्बों को पानी उपलब्ध कराती है।
- चंबल नदी: 4,899 गाँवों और 29 कस्बों को पानी उपलब्ध कराती है।
- नर्मदा नदी: 902 गाँवों और 3 कस्बों को पानी उपलब्ध कराती है।
- बीसलपुर बांध: 3,109 गाँवों और 22 कस्बों को पानी उपलब्ध कराता है।
- जवाई बांध: 811 गाँवों और 10 कस्बों को पानी उपलब्ध कराता है।
- शहरी और ग्रामीण जलापूर्ति पहल
- अमृत 2.0: 1 अक्टूबर, 2021 को लॉन्च किया गया, जिसका लक्ष्य 2025-26 तक "हर घर नल" के तहत सभी घरों को पीने का पानी उपलब्ध कराना है।
- निवेश: 183 शहरी स्थानीय निकायों में जलापूर्ति परियोजनाओं के लिये 5,123.06 करोड़ रुपए स्वीकृत।
- जल अवसंरचना विकास (2024-25)
- ट्यूबवेल स्थापित: ग्रामीण क्षेत्रों में 1,012।
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित हैंडपंप: 1,268। मरम्मत किये गए हैंडपंप: सितंबर 2024 तक 1,64,684। पेयजल उपलब्ध कराया गया: 15,417 गाँव/बस्तियां
- बिजली
- दिसंबर, 2024 तक राज्य में बिजली की स्थापित क्षमता 26,325.19 मेगावाट है। राजस्थान नवीकरणीय ऊर्जा, विशेष रूप से सौर (5,482.66 मेगावाट) और पवन (4,414.12 मेगावाट) में अग्रणी है।
- दिसंबर, 2024 तक राज्य का कुल एक्स्ट्रा हाई वोल्टेज (EHV) ट्रांसमिशन नेटवर्क 44,638 सर्किट किलोमीटर है। 100 प्रतिशत ग्रामीण विद्युतीकरण हासिल करने के साथ-साथ राज्य ने दिसंबर, 2024 तक 43,965 गाँवों, 1.14 लाख ढाणियों और 108.09 लाख ग्रामीण घरों का विद्युतीकरण किया है।
- मार्च, 2024 में कुल उपभोक्ताओं की संख्या 190.61 लाख से बढ़कर दिसंबर, 2024 में 196.22 लाख हो गई है, जो कि 2.94 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाती है।
- वर्ष 2024-25 में दिसंबर, 2024 तक कुल 72,373 कृषि कनेक्शन एवं ₹22,755.22 करोड़ की टैरिफ सब्सिडी किसानों को उपलब्ध कराई गई है।
- जीवन की गुणवत्ता-नागरिक सुविधाएँ
- जयपुर मेट्रो का चरणबद्ध विस्तार, जिसमें कुल ₹18,000 करोड़ से अधिक का निवेश किया गया है।
- वर्ष 2024-25 के दौरान माह दिसंबर, 2024 तक जयपुर विकास प्राधिकरण ने पूंजीगत व्यय के रूप में ₹913.34 करोड़ तथा कोटा विकास प्राधिकरण ने विकास कार्यों के लिये ₹420.11 करोड़ की राशि व्यय की है।
- छोटे और मध्यम शहरों के लिये शहरी बुनियादी ढाँचा विकास योजना (UIDSSMT) के तहत 12 शहरों में 11 सीवरेज परियोजनाओं और 1 जलापूर्ति परियोजना सहित कुल 12 परियोजनाओं को ₹646.24 करोड़ की राशि मंज़ूर की गई है।
- राजस्थान में चार शहरों—जयपुर, उदयपुर, कोटा और अजमेर को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिये चुना गया था। दिसंबर, 2024 तक इस योजना के तहत ₹3,820 करोड़ की प्राप्त राशि के मुकाबले कुल ₹3,740.30 करोड़ खर्च किये जा चुके हैं।
- राज्य में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत कुल 2,88,550 मकान स्वीकृत किये गए हैं। इनमें से 1,96,700 मकान पूरे हो चुके हैं और 73,603 मकान निर्माणाधीन हैं।
- विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध-घुमंतू भूखंड/पट्टा आवंटन अभियान: 2 अक्तूबर, 2024 को राज्य सरकार ने विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध-घुमंतू श्रेणियों के बेघर परिवारों को 17,156 भूखंड/पट्टे आवंटित किये।
- आपदा प्रबंधन: राजस्थान की आपदा प्रबंधन रणनीति के अंतर्गत राज्य आपदा मोचन निधि (SDRF) दिसंबर, 2024 तक ₹4,408.38 करोड़ की थी। इस निधि का उपयोग कृषि सब्सिडी, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मरम्मत और शमन उपायों, जैसे 2,130 पोर्टेबल लाइटिंग डिवाइसेस और लाइटिंग अर्रे्स्टर की स्थापना के लिये किया जाता है।
- पर्यटन, कला एवं संस्कृति प्रोत्साहन
- वर्ष 2024 के दौरान राजस्थान में कुल 2.321.56 लाख (2,300.84 लाख घरेलू और 20.72 लाख विदेशी) पर्यटन भ्रमण हुए है। अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिये जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, जैसलमेर और अजमेर जैसे प्रमुख ज़िले शीर्ष गंतव्य बने हुए हैं।
- राजस्थान पर्यटन इकाई नीति (RTUP) 2024 को 4 दिसंबर, 2024 को राज्य में लागू किया गया है। इस नीति का उद्देश्य पर्यटन से जुड़े निवेशकों और उद्यमियों को अधिक लाभ प्रदान करना तथा निजी क्षेत्र में नई पर्यटन इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहित करके रोज़गार और उद्यमिता के अवसर सृजित करना है।
- निवेश और रोज़गारः वर्ष 2024-25 में दिसंबर, 2024 तक ₹3,599.23 करोड के निवेश और लगभग 12,000 व्यक्तियों के संभावित रोज़गार वाली 259 पर्यटन इकाइयों की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
- कलात्मक प्रयास और विरासत संरक्षणः पुरातत्त्व और संग्रहालय विभाग राज्य की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने, 345 संरक्षित स्मारकों तथा 43 पुरातात्त्विकक स्थलों का प्रबंधन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो पर्यटकों को आकर्षित एवं राजस्व उत्पन्न करता है।
- कौशल, विपणन और सुरक्षा पहलः राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज़्म एंड ट्रैवल मैनेजमेंट (RTTMAN) की स्थापना और अन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम राज्य के आतिथ्य उद्योग के लिये एक कुशल कार्यबल विकसित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
- सतत् विकास और हरित विकास
- एस.डी.जी. इंडिया इंडेक्स में राजस्थान का समग्र एस.डी.जी. स्कोर वर्ष 2020-21 के 60 से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 67 रहा है, जिससे राज्य की स्थिति परफॉर्मर से फ्रंट रनर श्रेणी में हो गई है।
- राजस्थान एस.डी.जी. सूचकांक का नवीनतम 5वाँ संस्करण 14 लक्ष्यों के 95 संकेतकों के आधार पर बनाया गया है। इस सूचकांक में 66.44 स्कोर के साथ झुंझुनू ज़िला शीर्ष पर तथा नागौर एवं सीकर ज़िले क्रमशः द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर रहे हैं।
- राजस्थान की एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति, 2024, वर्ष 2029-30 तक 125 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।
- पी.एम. सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत दिसंबर, 2024 तक 22,657 उपभोक्ताओं के लिये 111.77 मेगावाट सौर रूफटॉप क्षमता स्थापित की गई है।
- राज्य में हरित विकास को बढ़ावा देने वाली नीतियाँ है- राजस्थान ई-वेस्ट मैनेजमेंट नीति-2023, राजस्थान एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति, 2024, राजस्थान इलेक्ट्रिक वाहन नीति (RIGP) 2022, जलवायु परिवर्तन नीति-2023 आदि।
मानव संसाधन विकास और सबके लिये स्वास्थ्य
- शिक्षा
- शिक्षा प्रणाली में राज्य में 45,531 राजकीय प्राथमिक/उच्च प्राथमिक विद्यालय और 19,739 राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय हैं। राज्य में 569 राजकीय कॉलेज, 1,615 निजी कॉलेज और 956 बी.एड. महाविद्यालयों के साथ-साथ 1,942 तकनीकी संस्थान कार्यरत हैं।
- शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में राजकीय विद्यालयों में विद्यार्थी नामांकन प्राथमिक शिक्षा में 24.30 लाख और माध्यमिक शिक्षा में 52.46 लाख तक पहुँच गया।
- शिक्षक-छात्र अनुपात प्राथमिक विद्यालयों के लिये 14:1 और माध्यमिक विद्यालयों के लिये 22:1 है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के मानक 30:1 से बेहतर है। स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल और पीएम श्री स्कूल जैसी पहल ने शैक्षिक पहुँच को बढ़ाया है।
- लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देने के लिये, राजस्थान ने 342 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (KGBV) स्थापित किये हैं, जिनमें 43,543 से अधिक छात्राएँ नामांकित हैं और 23,100 मेधावी छात्रों को मुफ्त टैबलेट वितरित किये गए हैं। 4,155 व्यावसायिक स्कूलों के माध्यम से व्यावसायिक प्रशिक्षण का विस्तार हुआ है, जिससे 3.25 लाख छात्र लाभान्वित हुए हैं।
- चिकित्सा शिक्षा में राजस्थान में 43 मेडिकल कॉलेज हैं और 2024-25 में पाँच नए कॉलेज जोड़े गए, जिससे यूजी (MBBS) पाठ्यक्रमों के लिये सरकारी महाविद्यालयों में MBBS सीटें बढ़कर 4,330 और निजी महाविद्यालयों में 2,050 हो गई है।
- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य
- दिसंबर, 2024 तक राजस्थान में चिकित्सा और उपचार तक बेहतर पहुँच के लिये 6.20 करोड़ से अधिक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (ABHA) आईडी जारी किये गए हैं और इलाज के साथ 88.67 लाख से अधिक स्वास्थ्य रिकॉर्डस इन आई.डी. के साथ लिंक किये गए हैं।
- राजस्थान डिजिटल स्वास्थ्य मिशन द्वारा सुव्यवस्थित स्वास्थ्य सेवा प्रदायगी के लिये रोगी रिकॉर्ड को डिजिटल बनाया जा रहा है।
- वर्ष 2024-25 में मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य (MAA) योजना ने कैशलेस उपचार के लिये पंजीकृत 1.33 करोड़ परिवारों को कवर किया, जहाँ सरकार ने कुल ₹1,675 करोड़ खर्च किये।
- मुख्यमंत्री निशुल्क निरोगी राजस्थान योजना के तहत वर्ष 2024-25 (दिसंबर, 2024 तक) के दौरान 14.93 करोड़ मरीज़ लाभान्वित हुए, जिन पर ₹1,221.76 करोड़ खर्च हुए।
- राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना (RGHS) में सरकारी कर्मचारियों, पेंशनभोगियों, विधायकों और पूर्व विधायकों सहित 13.65 लाख परिवारों को शामिल किया गया तथा वर्ष 2024-25 के दौरान 130.72 लाख स्वास्थ्य देखभाल दावों के लिये ₹2,370.82 करोड़ खर्च किये गए।
- शिशु मृत्यु दर (IMR) प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 41.3 (NFHS-4) से घटकर 30.3 (NFHS-5) हो गई है, जो बाल स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि को दर्शाता है। कुल प्रजनन दर (TRF) 2.4 से गिरकर 2.0 हो गई है, जिससे जनसंख्या स्थिरीकरण की दिशा में प्रगति हुई है।
- मातृ स्वास्थ्य परिणामों में भी सुधार देखा गया, मातृ मृत्यु अनुपात प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर 141 (SRS 2017-19) से घटकर 113 (SRS 2018-20) हो गया है।
- रोज़गार
- आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के अनुसार वर्ष 2022-23 में बेरोज़गारी दर 4.9 प्रतिशत थी जो कि जुलाई 2023 से जून 2024 में घटकर 4.7 प्रतिशत रह गई, यह नौकरी के अवसरों में वृद्धि को दर्शाता है।
- राजस्थान में दिसंबर, 2024 तक 1,43,32,020 असंगठित श्रमिकों का इस पोर्टल पर पंजीकरण हो चुका है।
- वर्ष 2024-25 में (12 जनवरी, 2025 तक) राज्य में विभिन्न पदों पर 59,236 नियुक्तियाँ प्रदान की गई है तथा 1,72,990 पदों पर भर्ती प्रक्रियाधीन है।
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS) के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 (दिसंबर तक) के दौरान कुल ₹7,676.98 करोड़ खर्च किये गए हैं और 53.28 लाख परिवारों को रोज़गार प्रदान करके 2,309.72 लाख मानव दिवस सृजित किये गए हैं। 1.27 लाख परिवारों ने 100 दिन का रोज़गार पूरा कर लिया है।
- दिसंबर, 2024 तक मुख्यमंत्री शहरी रोज़गार गारंटी योजना के तहत 6.53 लाख परिवारों का पंजीकरण किया जा चुका है। वर्ष 2024-25 में 1.83 लाख परिवारों को कार्य आवंटित किया गया। दिसंबर, 2024 तक 86.48 लाख मानव दिवस श्रम सृजित किया गया है।
- सामाजिक सुरक्षा
- राजस्थान ने वर्ष 2020-21 से वर्ष 2023-24 के बीच सामाजिक क्षेत्र में सतत् विकास लक्ष्यों के कई प्रमुख क्षेत्रों में उल्लेखनीय सुधार किया है। राज्य ने "गरीबी का अंत" (लक्ष्य-1) में उल्लेखनीय सुधार किये हैं, जिसमें 19 अंकों की वृद्धि हुई है, जो गरीबी कम करने के प्रति राज्य की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- "भुखमरी समाप्त करना" (लक्ष्य-2) में 11 अंकों की वृद्धि हुई है, जो खाद्य सुरक्षा में सुधार को दर्शाता है। अच्छा स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करना (लक्ष्य-3), गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (लक्ष्य-4), लैंगिक समानता (लक्ष्य-5), शुद्ध जल एवं स्वच्छता (लक्ष्य-6) तथा असमानताओं में कमी (लक्ष्य-10) के क्षेत्रों में भी क्रमशः 3, 3, 13, 6 और 4 अंकों की वृद्धि के साथ राज्य ने प्रगति की है।
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- सुशासन
- नागरिक-केंद्रित सेवा प्रदायगी: यह एक व्यापक डेटा भंडार और DBT पोर्टल है, जो 175 से अधिक योजनाओं और सेवाओं को एकीकृत करता है तथा अब तक ₹78,300 करोड़ से अधिक के लेन-देन को सुगम बना चुका है।
- 1 जनवरी, 2024 से 31 दिसंबर, 2024 तक प्राप्त एवं निस्तारित शिकायतों की प्रगति है-
- ज़िला स्तर पर कुल 23,663 परिवाद दर्ज किये गये हैं, इनमें से 23,422 परिवादों का निस्तारण किया जा चुका है।
- उपखंड स्तर पर कुल 34,006 परिवाद दर्ज किये गये हैं, इनमें से 33,981 परिवादों का निस्तारण किया जा चुका है।
- ग्राम पंचायत स्तर पर कुल 1,83,419 परिवाद दर्ज किये गये हैं, इनमें से 1,83,275 परिवादों का निस्तारण किया जा चुका है।
- राजस्थान में प्रशासनिक सुधार के लिये समावेशिता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये निम्नानुसार कार्य किये जा रहे हैं:-
- राजस्थान लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी (RGDPS) अधिनियम, 2011: समय पर सेवा प्रदायगी सुनिश्चित करना।
- सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005: सूचना तक पहुँच के लिये ऑनलाइन आवेदन की सुविधा प्रदान करना।
- सुशासन के लिये वित्तीय प्रबंधनः राज्य ने एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (IFMS) के माध्यम से अपने वित्तीय प्रशासन में उल्लेखनीय कार्य किया है, जो बजट, लेखांकन और वित्तीय संचालन को एकीकृत करता है।