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विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस

  • 05 Dec 2024
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू

विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस (4 दिसंबर) भारत की समृद्ध जैवविविधता के साथ गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजातियों की सुरक्षा के क्रम में तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर केंद्रित है।

  • पृष्ठभूमि: अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा वर्ष 2012 में की गई प्रतिज्ञा से प्रारंभ हुआ यह दिवस वन्यजीव संरक्षण एवं स्थिरता के क्रम में वैश्विक कार्रवाई को प्रोत्साहन देने पर केंद्रित है।
  • भारत की जैवविविधता: भारत जैवविविधता संपन्न देश है, जिसका भूमि क्षेत्र विश्व के कुल क्षेत्रफल का मात्र 2.4% है तथा यहाँ 91,000 पशु प्रजातियों सहित सभी दर्ज प्रजातियों में से 7-8% हैं।
    • भारत में विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त 34 जैवविविधता हॉटस्पॉट में से चार (अर्थात् हिमालय, इंडो-बर्मा, पश्चिमी घाट-श्रीलंका और सुंदरलैंड) हैं।
  • वन्यजीवों के समक्ष खतरा: भारत में तीव्र आर्थिक विकास तथा जनसंख्या वृद्धि के कारण प्राकृतिक संसाधनों की मांग बढ़ने से वन्यजीवों के आवासों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
    • अवैध शिकार, तस्करी और वनों के पास की भूमि पर खेती के कारण मानव-पशु संघर्ष की घटनाएँ बढ़ रही हैं। वन्यजीव अभ्यारण्यों और बायोस्फीयर रिज़र्व के महत्त्व के बावजूद उनमें बाड़ की कमी से लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 
    • बाघ और शेर जैसी बड़ी बिल्ली प्रजातियों के संरक्षण पर ध्यान दिया जाता है लेकिन ग्रेट इंडियन बस्टर्ड जैसे पक्षियों को खतरे के बावजूद अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। 
    • वर्ष 2022 तक भारत में 73 गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजातियाँ (जो वर्ष 2011 में 47 थीं) थीं, जिनमें 9 स्थानिक स्तनपायी प्रजातियाँ शामिल हैं।

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