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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत का सेवा क्षेत्र

  • 29 May 2024
  • 17 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सेवा क्षेत्र, सकल घरेलू उत्पाद, क्रय प्रबंधक सूचकांक, विनिर्माण क्षेत्र, आर्थिक संकेतक

मेन्स के लिये:

व्यावसायिक विश्वास, आर्थिक संकेतक, सेवा क्षेत्र के लिये चुनौतियाँ और अवसर, सामाजिक सुरक्षा सुवाह्यता एवं सर्वोत्तम प्रथाएँ

स्रोत: इकॉनोमिक्स टाइम्स

चर्चा में क्यों?

मई 2024 में भारत में व्यावसायिक गतिविधि में मज़बूत विस्तार देखा गया, जो प्रमुख सेवा क्षेत्र द्वारा संचालित था, S&P ग्लोबल द्वारा संकलित HSBC के फ्लैश इंडिया कम्पोज़िट क्रय प्रबंधक (PMI) सूचकांक ने रिकॉर्ड निर्यात वृद्धि और लगभग 18 वर्षों में उच्चतम रोज़गार वृद्धि दर का संकेत दिया।

क्रय प्रबंधक सूचकांक:

  • यह एक सर्वेक्षण-आधारित उपाय है जो उत्तरदाताओं से पिछले माह की तुलना में प्रमुख व्यावसायिक चरों के संदर्भ में उनकी धारणा में आए परिवर्तन के संबंध में पूछता है।
  • PMI का उद्देश्य कंपनी के निर्णय निर्माताओं, विश्लेषकों और निवेशकों को वर्तमान तथा भविष्य की व्यावसायिक स्थितियों के बारे में जानकारी प्रदान करना है।
  • इसकी गणना विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के लिये अलग-अलग की जाती है, फिर एक समग्र सूचकांक भी तैयार किया जाता है।
  • PMI आँकड़े पर मान 0 से 100 अंकों तक होता है, जिसमें 50 से ऊपर का स्कोर इसके विस्तार को दर्शाता है, 50 से नीचे का स्कोर संकुचन को प्रदर्शित करता है तथा ठीक 50 का स्कोर कोई भी परिवर्तन न होने का प्रतीक है।
  • प्रत्येक माह की शुरुआत में जारी किया जाने वाला और आर्थिक गतिविधि का एक प्रमुख संकेतक माना जाने वाला PMI, IHS मार्किट (S&P ग्लोबल का हिस्सा) द्वारा 40 से अधिक अर्थव्यवस्थाओं के लिये  संकलित किया जाता है, जो सूचना तथा विश्लेषण में एक वैश्विक अग्रणी की अंतर्दृष्टि को दर्शाता है।
  • PMI एक प्रमुख आर्थिक संकेतक है, जिसमें हाई रीडिंग सुदृढ़ विनिर्माण (Strong Manufacturing) और सेवा क्षेत्र के प्रदर्शन एवं आर्थिक विकास का संकेत देती है, जबकि लो रीडिंग सेक्टर संघर्ष एवं संभावित आर्थिक मंदी का सुझाव देती है।
  • फ्लैश मैन्युफैक्चरिंग PMI किसी देश में होने वाले विनिर्माण का अनुमान है, जो हर महीने कुल क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI) सर्वेक्षण प्रतिक्रियाओं के लगभग 85% से 90% पर आधारित है।

सेवा क्षेत्र क्या है?

  • परिचय:
    • सेवा क्षेत्र में वित्त, बैंकिंग, बीमा, रियल एस्टेट, दूरसंचार, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, पर्यटन, आतिथ्य, आईटी और BPO जैसी अमूर्त सेवाएँ प्रदान करने वाले उद्योग शामिल हैं।
  • भारत के सेवा क्षेत्र का योगदान:
    • सेवा क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 50% से अधिक का योगदान देता है।
      • जबकि कोविड-19 महामारी ने अर्थव्यवस्था के अधिकांश क्षेत्रों को नुकसान पहुँचाया है, सेवा क्षेत्र इनमें सर्वाधिक रूप से प्रभावित हुआ है, क्योंकि भारत के सकल मूल्य वर्द्धन (Gross Value Added - GVA) में इसकी हिस्सेदारी वर्ष 2019-20 में 55% से घटकर 2021-22 में 53% हो गई है।
    • भारत सॉफ्टवेयर सेवाओं के लिये एक प्रमुख निर्यात केंद्र है। भारतीय IT आउटसोर्सिंग सेवा बाज़ार में 2021 और 2024 के बीच 6-8% की वृद्धि होने का अनुमान है।
    • सितंबर 2023 में भारत ने वैश्विक नवाचार सूचकांक (Global Innovation Index- GII) में अपनी 40वीं रैंक बरकरार रखी, जो तकनीकी रूप से गतिशील और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कारोबार की जाने वाली सेवाओं की सफल प्रगति को प्रदर्शित करता है।
    • अप्रैल 2000 से दिसंबर 2023 के बीच भारतीय सेवा क्षेत्र 108 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के FDI प्रवाह का सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता था।

भारत के फ्लैश कम्पोज़िट PMI की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • समग्र PMI में वृद्धि: भारत के लिये फ्लैश कम्पोज़िट (Flash Composite) क्रय प्रबंधक सूचकांक (Purchasing Managers' Index- PMI) अप्रैल 2024 में 61.5 से बढ़कर मई 2024 में 61.7 हो गया, जो मज़बूत आर्थिक गतिविधि का संकेत देता है।
  • नौकरियों में तीव्र विस्तार: मई 2024 में निजी क्षेत्र की नौकरियों में सितंबर 2006 के बाद सबसे तीव्र विस्तार देखा गया, जो नए ऑर्डरों और क्षमता दबावों में मज़बूत वृद्धि के कारण हुआ।
  • निर्यात आदेश: विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों में नए एक्सपोर्ट ऑर्डर में रिकॉर्ड स्तर पर वृद्धि देखी गई, जो सितंबर 2014 में शृंखला शुरू होने के बाद से सबसे तीव्र वृद्धि है।
  • इनपुट लागत और कीमतें: इनपुट लागत में तेज़ी से वृद्धि हुई, जिससे भारतीय वस्तुओं तथा सेवाओं के लिये लगाए जाने वाले मूल्य बढ़ गए, जिससे विशेष रूप से सेवा प्रदाताओं हेतु मार्जिन में कमी आई।

भारत के सेवा उद्योग से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?

  • अपर्याप्त भौतिक अवसंरचना: अपर्याप्त परिवहन नेटवर्क के कारण देरी होती है और व्यय बढ़ता है (भारत में रसद लागत सकल घरेलू उत्पाद का 14% है), जो विकसित देशों के औसत से दोगुना है।
  • डिजिटल अवसंरचना: ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित हाई-स्पीड इंटरनेट पहुँच तथा साइबर सुरक्षा और डेटा संरक्षण से संबंधित चिंताएँ, जो ग्राहकों के विश्वास व अंतर्राष्ट्रीय अनुपालन मानकों को प्रभावित कर रही हैं।
    • उदाहरण के लिये 2019 में भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (Indian Railways Catering and Tourism Corporation- IRCTC) में हुए एक बड़े डेटा उल्लंघन ने लाखों उपयोगकर्त्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी को उजागर कर दिया।
  • कौशल विकास: शैक्षणिक पाठ्यक्रम का उद्योग जगत की आवश्यकताओं के साथ तालमेल न होना और अपर्याप्त व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यबल की कमी (विश्व बैंक के अनुसार, 22% स्नातक कौशल अनुपयुक्त के कारण बेरोज़गार माने जाते हैं) को बढ़ाता है।
  • रोज़गार कार्यप्रणाली: कठोर श्रम कानून नियुक्ति और बर्खास्तगी में लचीलेपन के रूप में बाधा डालते हैं, जबकि कई सेवा नौकरियों में कम वेतन मिलता है और नौकरी की सुरक्षा का अभाव होता है, जिससे कभी-कभी बड़े पैमाने पर छँटनी होती है।
  • कराधान संबंधी मुद्दे: अनेक करों और अनुपालन आवश्यकताओं के कारण व्यवसायों का प्रशासनिक बोझ बढ़ जाता है, और यद्यपि वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) का उद्देश्य प्रणाली को सरल बनाना था, लेकिन इसका कार्यान्वयन कई सेवा प्रदाताओं के लिये चुनौतीपूर्ण रहा है।
  • घरेलू प्रतिस्पर्द्धा: अनेक SME के बीच तीव्र प्रतिस्पर्द्धा लाभप्रदता को सीमित करती है, जबकि सेवा उद्योग में असंगठित क्षेत्र के कारण सेवा की गुणवत्ता और मानकों में असंगति उत्पन्न होती है।
    • इसके अलावा भारतीय सेवा क्षेत्र में स्पष्ट अपस्ट्रीम-डाउनस्ट्रीम विभेद और स्वदेशी मूल का अभाव होने के कारण, स्थानीय सांस्कृतिक एवं आर्थिक विशेषताओं को अपनाने के बजाय विदेशी ढाँचे जैसा दिखने का जोखिम है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा: IT और वित्त जैसे क्षेत्रों में स्थापित वैश्विक कंपनियों की उपस्थिति स्थानीय फर्मों के लिये प्रतिस्पर्द्धा बढ़ाती है, जबकि विदेशों में संरक्षणवादी उपाय भारतीय सेवा निर्यातकों हेतु बाज़ार तक पहुँच को प्रतिबंधित कर सकते हैं।
    • उदाहरण के लिये अमेरिका H-1B वीज़ा कोटा लागू करता है, जिससे भारतीय IT कंपनियों के लिये अमेरिका में परियोजनाओं पर कार्य करने हेतु कुशल श्रमिकों को भेजना कठिन हो जाता है।
  • वित्तीय पहुँच: किफायती वित्त तक सीमित पहुँच सेवा प्रदाताओं के लिये विकास एवं विस्तार को अवरुद्ध करती है, अनुसंधान और विकास में होने वाले निवेश में बाधा डालती है तथा नवाचार एवं प्रतिस्पर्द्धा को प्रभावित करती है। 
    • इससे पारंपरिक भौतिक प्रतिष्ठानों और उनके डिज़िटल समकक्षों के बीच प्रतिस्पर्द्धा एवं बाज़ार पहुँच में असमानता बढ़ जाती है।

सेवा क्षेत्र में भारत के लिये संभावित अवसर क्या हैं?

  • IT-BPO(Business Process Outsourcing)/ फिनटेक: यह क्षेत्र भारत में एक प्रमुख नियोक्ता और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में योगदान देने वाला क्षेत्र है, जिसमें कुशल IT पेशेवरों की बड़ी संख्या तथा फिनटेक उद्योग के लिये सरकारी समर्थन से विकास की संभावनाएँ बढ़ रही हैं।
  • स्वास्थ्य सेवा एवं पर्यटन: भारत का तेजी से बढ़ता स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र, बढ़ती उम्रदराज आबादी, बढ़ती प्रयोज्य आय और तेज़ी से बढ़ते चिकित्सा पर्यटन उद्योग द्वारा संचालित है, जो विकसित देशों की तुलना में कम लागत पर उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल प्रदान करता है।
  • लॉजिस्टिक्स और परिवहन: भारत के अविकसित लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावनाएँ हैं, जिसे सरकारी बुनियादी ढाँचे में निवेश से बल मिलेगा, जिससे लॉजिस्टिक्स और परिवहन कंपनियों के लिये अवसरों का सृजन होगा।
  • शिक्षा: भारत की विस्तृत युवा आबादी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बढ़ती मांग ऑनलाइन शिक्षा एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण सेवाएँ प्रदान करने वाली कंपनियों के लिये विभिन्न अवसर उत्पन्न कर रही है।
  • पेशेवर सेवाएँ: भारत में लेखांकन, कानून और परामर्श जैसे क्षेत्रों में कुशल पेशेवरों की संख्या में वृद्धि, व्यवसायों को पेशेवर सेवाएँ प्रदान करने वाली कंपनियों के लिये पर्याप्त अवसर उत्पन्न कर रही है।

आगे की राह.

  • सामाजिक सुरक्षा पोर्टेबिलिटी: एक पोर्टेबल सामाजिक सुरक्षा प्रणाली डिज़ाइन करने की आवश्यकता है जो जो औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों के बीच संक्रमण करने वाले गिग श्रमिकों तथा लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करती है।
  • उद्यमिता और नवाचार: उद्योग-विशिष्ट स्टार्टअप्स इनक्यूबेटरों और त्वरकों की स्थापना करना तथा आशाजनक स्टार्टअप्स के लिये प्रारंभिक चरण के वित्त पोषण प्रदान हेतु एंजेल निवेशकों के नेटवर्क का विस्तार करना।
  • अधिकारहीन समुदायों के लिये लक्षित कार्यक्रम: SMILE अभियान की तरह, अधिकारहीन समुदायों से संबंधित व्यक्तियों के लिये लक्षित कौशल विकास कार्यक्रमों को कार्यान्वित करने की आवश्यकता है, जिससे समावेशिता सुनिश्चित हो और सक्रिय कार्यबल में भागीदारी को बेहतर किया जा सके।
  • एआई और ऑटोमेशन रीस्किलिंग: एआई, रोबोटिक्स और डेटा साइंस में प्रशिक्षण प्रदान करके ऑटोमेशन (सेंसर, नियंत्रण एवं एक्चुएटर्स का एक एकीकरण) के उदय के लिये कार्यबल को गठित करने की आवश्यकता है, जिससे श्रमिक, इस बदलते नौकरी बाज़ार के लिये अनुकूल हो सकेंगे तथा उनका विकास सुनिश्चित हो सकेगा।
  • दूरस्थ कार्य (Remote Work) अवसरों को सुविधाजनक बनाना: दूरस्थ कार्य को सुविधाजनक बनाने के लिये कंपनियों द्वारा प्रौद्योगिकी को अपनाने को बढ़ावा देना, शहरी केंद्रों के बाहर रहने वाले लोगों के लिये रोज़गार की पहुँच बढ़ाना और बेहतर कार्य-जीवन संतुलन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
  • सर्वोत्तम प्रथाएँ: पेरू की राष्ट्रीय रणनीति से प्राप्त जानकारियों का लाभ उठाकर, अनौपचारिक कामगारों को आधिकारिक क्षेत्र में स्थानांतरण हेतु प्रेरित करने के लिये उपायों को कार्यान्वित करने की आवश्यकता है। इसके अंतर्गत, राज्य, व्यापार, शिक्षा संस्थान, कर्मचारी, नागरिक समाज और आदिवासी लोगों सहित विभिन्न हिस्सेदारों को शामिल किया जाना चाहिये।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत के सेवा क्षेत्र के समक्ष आने वाली विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा कीजिये, साथ ही इनसे निपटने के उपाय भी सुझाइए।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. S&P 500 किससे संबंधित है? (2008)

(a) सुपरकंप्यूटर
(b) ई-बिज़नेस में एक नई तकनीक
(c) पुल निर्माण में एक नई तकनीक
(d) बड़ी कंपनियों के शेयरों का एक सूचकांक

उत्तर: (d)


प्रश्न. 'आठ मूल उद्योगों के सूचकांक (इंडेक्स ऑफ एट कोर इंडस्ट्रीज़)' में निम्नलिखित में से किसको सर्वाधिक महत्त्व दिया गया है? (2015)

(a) कोयला उत्पादन
(b) विद्युत् उत्पादन
(c) उर्वरक उत्पादन
(d) इस्पात उत्पादन

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न1. "सुधारोत्तर अवधि में सकल-घरेलू-उत्पाद (जी.डी.पी.) की समग्र संवृद्धि में औद्योगिक संवृद्धि दर पिछड़ती गई है।" कारण बताइए। औद्योगिक-नीति में हाल में किये गए परिवर्तन औद्योगिक संवृद्धि दर को बढ़ाने में कहाँ तक सक्षम हैं? (2017)

प्रश्न2. सामान्यतः देश कृषि से उद्योग और बाद में सेवाओं को अंतरित होते हैं पर भारत सीधे ही कृषि से सेवाओं को अंतरित हो गया है। देश में उद्योग के मुकाबले सेवाओं की विशाल संवृद्धि के क्या कारण हैं? क्या भारत सशक्त औद्योगिक आधार के बिना एक विकसित देश बन सकता है? (2014)

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