भारतीय अर्थव्यवस्था
सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग
- 09 Oct 2021
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प्रिलिम्स के लिये:सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग मेन्स के लिये:सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग का महत्त्व, मापदंड और संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत के सॉवरेन रेटिंग आउटलुक को "नकारात्मक" से "स्थिर" में बदल दिया है और देश की रेटिंग "Baa3" की पुष्टि की है।
- "Baa3" रेटिंग सबसे कम निवेश ग्रेड है, जो जंक स्टेटस से एक पायदान ऊपर है।
प्रमुख बिंदु
- सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग (SCR):
- SCR किसी देश या सॉवरेन संस्था की साख का एक स्वतंत्र मूल्यांकन है।
- यह निवेशकों को राजनीतिक जोखिम सहित किसी विशेष देश के ऋण में निवेश से जुड़े जोखिम के स्तर के संबंध में अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकती है।
- सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग की भूमिका विदेशी ऋण बाज़ारों में बाॅण्ड जारी करने के अलावा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को आकर्षित करने में महत्त्वपूर्ण है।
- किसी देश के अनुरोध पर एक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इसके आर्थिक और राजनीतिक वातावरण का मूल्यांकन करके इसे रेटिंग प्रदान करती है।
- मूडीज एक Baa3 या उच्चतर रेटिंग को निवेश ग्रेड का मानता है और Ba1 तथा उससे नीचे की रेटिंग को "जंक" ग्रेड माना जाता है।
- S&P उन देशों को BBB या उच्च रेटिंग देता है जिन्हें वह निवेश ग्रेड मानता है, और BB+ या उससे कम के ग्रेड को "जंक" ग्रेड माना जाता है।
- SCR पर आर्थिक सर्वेक्षण का दृष्टिकोण:
- वर्ष 2000-20 की अवधि के दौरान विभिन्न मापदंडों पर भारत के प्रदर्शन की तुलना में भारत को लगातार उम्मीद से कम रेटिंग प्रदान की गई।
- जीडीपी विकास दर, मुद्रास्फीति, सामान्य सरकारी ऋण, राजनीतिक स्थिरता, कानून का शासन, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, निवेशक संरक्षण, व्यापार करने में आसानी, सॉवरेन डिफाॅल्ट इतिहास आदि जैसे कई मापदंडों पर भारत स्पष्ट रूप प्रदान की गई रेटिंग से साम्य नहीं रखता।
- भारत की भुगतान करने की क्षमता का आकलन न केवल सॉवरेन के बेहद कम विदेशी मुद्रा-मूल्यवर्ग के ऋण से किया जा सकता है, बल्कि इसके विदेशी मुद्रा भंडार के सुविधाजनक आकार से भी किया जा सकता है जो निजी क्षेत्र के अल्पकालिक ऋण के साथ ही सॉवरेन और गैर-सॉवरेन विदेशी ऋण के पूरे स्टॉक का भुगतान कर सकता है।
- भारत की राजकोषीय नीति को "पक्षपातपूर्ण और व्यक्तिपरक" सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग द्वारा नियंत्रित होने के बजाय विकास और विकास के विचारों द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिये।
- इसने सिफारिश की कि विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को भविष्य में संकटों को और बढ़ने से रोकने के लिये सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग पद्धति में निहित इस पूर्वाग्रह एवं व्यक्तिपरकता को दूर करने के लिये एक साथ आना चाहिये।
- वर्ष 2000-20 की अवधि के दौरान विभिन्न मापदंडों पर भारत के प्रदर्शन की तुलना में भारत को लगातार उम्मीद से कम रेटिंग प्रदान की गई।
क्रेडिट रेटिंग
- सामान्य शब्दों में एक क्रेडिट रेटिंग किसी विशेष ऋण या वित्तीय दायित्व के संबंध में एक उधारकर्त्ता की साख का मात्रात्मक मूल्यांकन है।
- एक क्रेडिट रेटिंग व्यक्ति, निगम, राज्य या प्रांतीय प्राधिकरण या सॉवरेन सरकार किसी भी इकाई को संदर्भित कर सकती है जो पैसे उधार लेना चाहती है।
- रेटिंग एजेंसी एक ऐसी कंपनी है जो कंपनियों और सरकारी संस्थाओं की वित्तीय क्षमता का आकलन करती है, विशेष रूप से उनके ऋणों पर मूलधन और ब्याज भुगतान को पूरा करने की क्षमता।
- फिच रेटिंग्स, मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस और स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) तीन बड़ी अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसियाँ हैं, जो वैश्विक रेटिंग कारोबार के लगभग 95% को नियंत्रित करती हैं।
- भारत में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के तहत पंजीकृत छह क्रेडिट रेटिंग एजेंसियाँ- क्रिसिल, आईसीआरए, केयर, एसएमईआरए, फिच इंडिया और ब्रिकवर्क रेटिंग हैं।