लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

भारतीय अर्थव्यवस्था

GDP में वृद्धि

  • 05 Dec 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सकल घरेलू उत्पाद (GDP), उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना, राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI)

मेन्स के लिये:

भारत की GDP वृद्धि, भारत में GDP गणना के तरीके, सकारात्मक कारक जो भारत को मंदी से उबरने में मदद कर सकते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, जुलाई से सितंबर माह को कवर करते हुए वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही (Q2) में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 7.6% बढ़ गया।

  • दूसरी तिमाही (Q2) में भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि में गिरावट, विनिर्माण में वृद्धि तथा सेवा क्षेत्रों में मंदी देखी गई।

डेटा वृद्धि का क्या महत्त्व है?

  • यह न केवल आर्थिक वृद्धि का काफी प्रभावशाली स्तर है अपितु यह बाज़ार के सभी पूर्वानुमानों को भी मात देता है।
    • हालिया तिमाही GDP वृद्धि ने संपूर्ण वित्तीय वर्ष के लिये GDP पूर्वानुमान में बढ़ोतरी कर दी है।
  • ऐसा प्रतीत होता है कि भारत के केंद्रीय बैंक ने वित्तीय वर्ष के लिये देश की GDP वृद्धि दर का सटीक पूर्वानुमान व्यक्त किया है।
    • वर्तमान में बैंकों ने 6.5% के GDP वृद्धि का पूर्वानुमान लगाया है, ऐसे में कई विशेषज्ञों ने अपने अनुमानों में बदलाव करना आरंभ कर दिया है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रस्तुत पूर्वानुमान एक सटीक आकलन प्रस्तुत करता है।
  • इसका आशय यह भी है कि आने वाले कुछ समय तक भारतीय रिज़र्व बैंक ब्याज दरों में कटौती नहीं करेगा। अगर विकास दर बाज़ार की उम्मीदों से कम होती, तो दर में कटौती की संभावना अधिक हो जाती है।
  • यह उल्लेखनीय है कि तीन वर्ष पूर्व MoSPI ने वर्ष 2020-21 के दूसरे तिमाही GDP डेटा की घोषणा की कि भारत तकनीकी मंदी के दौर से गुज़र रहा था। वर्तमान विकास दर में उछाल से उम्मीद है कि भारत में आर्थिक सुधारों की गति अब बढ़ने लगी है।

आर्थिक विकास को मापने की विभिन्न विधियाँ क्या हैं?

  • आर्थिक विकास को मापने की दो विधियाँ हैं
    • GDP:
      • इसमें लोगों के खर्च करने के तरीके (व्यय पक्ष) का आकलन करना शामिल है। सकल मूल्य वर्द्धित (GVA) का उपयोग सरकारी सब्सिडी में कटौती और अप्रत्यक्ष करों को शामिल कर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की गणना के लिये किया जा सकता है।
    • GVA:
      • यह अर्थव्यवस्था के आय पक्ष पर केंद्रित है। भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार, GVA किसी क्षेत्र के आउटपुट मूल्य से उसके मध्यस्थ इनपुट घटाने के पश्चात् प्राप्त मूल्य है। यह "वर्द्धित मूल्य" उत्पादन के प्राथमिक कारकों- श्रम एवं पूंजी के बीच वितरित किया जाता है।
  • दो तरीकों के बीच असमानता:
    • इन दोनों तरीकों के बीच असमानता को विसंगति कहते हैं और इन्हें लेकर विवाद होते रहे हैं, विशेष रूप से पहली तिमाही का GDP डेटा जारी करने के दौरान।
    • त्रैमासिक आर्थिक रुझानों के सूक्ष्म विश्लेषण के लिये GVA मान को अक्सर अधिक विश्वसनीय माना जाता है, जबकि वार्षिक रुझानों का आकलन करने के लिये GDP (व्यय डेटा) को प्राथमिकता दी जाती है।

भारत की विकास दर को और अधिक मज़बूत बनाने के लिये क्या करने की आवश्यकता है?

  • निवेश और उपभोग को बढ़ावा: ये घरेलू मांग के दो मुख्य घटक हैं, जो भारत की जीडीपी का लगभग 70% हिस्सा है।
    • निवेश बढ़ाने के लिये सरकार उन सुधारों को लागू करना जारी रख सकती है जो नीतिगत अनिश्चितता, नियामक बाधाओं, ब्याज दरों और बुरे ऋणों को कम करते हैं।
    • उपभोग बढ़ाने के लिये सरकार आय वृद्धि, मुद्रास्फीति नियंत्रण, ग्रामीण विकास, रोज़गार सृजन और ऋण उपलब्धता का समर्थन कर सकती है।
  • विनिर्माण और निर्यात बढ़ाना: यह मूल्य वर्द्धन, रोज़गार और बाहरी मांग का प्रमुख स्रोत है, जो भारत को अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लाने तथा वैश्विक बाज़ार के साथ एकीकृत करने में मदद कर सकता है।
  • मानव पूंजी और सामाजिक सेवाओं में निवेश: यह भारत की बड़ी और युवा आबादी के जीवन स्तर तथा उत्पादकता में सुधार के लिये आवश्यक कारक है।
    • मानव पूंजी और सामाजिक सेवाओं में निवेश करने के लिये सरकार, शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल, पोषण, जल, स्वच्छता, ऊर्जा, आवास और स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों को लागू करना जारी रख सकती है।
  • व्यापक आर्थिक स्थिरता और लचीलापन बनाए रखना: आर्थिक विकास को बनाए रखने और विभिन्न झटकों एवं अनिश्चितताओं से निपटने के लिये ये आवश्यक शर्तें हैं।
    • व्यापक आर्थिक स्थिरता और आघातसह स्थिति बनाए रखने के लिये सरकार विवेकपूर्ण राजकोषीय एवं मौद्रिक नीतियों को आगे बढ़ाना जारी रख सकती है जो विकास तथा मुद्रास्फीति के उद्देश्यों को संतुलित करती हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निरपेक्ष तथा प्रति व्यक्ति वास्तविक GNP की वृद्धि आर्थिक विकास की ऊँची दर का संकेत नहीं करती, यदि: (2018)

(a) औद्योगिक उत्पादन कृषि उत्पादन के साथ-साथ बढ़ने में विफल रह जाता है।
(b) कृषि उत्पादन औद्योगिक उत्पादन के साथ-साथ बढ़ने में विफल रह जाता है।
(c) निर्धनता और बेरोज़गारी में वृद्धि होती है।
(d) निर्यातों की अपेक्षा आयात तेज़ी से बढ़ते हैं।

उत्तर: (c)


प्रश्न. किसी दिये गए वर्ष में भारत में कुछ राज्यों में आधिकारिक गरीबी रेखाएँ अन्य राज्यों की तुलना में उच्चतर हैं, क्योंकि: (2019)

(a) गरीबी की दर अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होती है।
(b) कीमत दर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है।
(c) सकल राज्य उत्पाद अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होता है।
(d) सार्वजनिक वितरण की गुणवत्ता अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होती है।

उत्तर: (b)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2