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डेली न्यूज़


सामाजिक न्याय

स्माइल योजना

  • 15 Dec 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

केंद्रीय क्षेत्रक योजना, राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम

मेन्स के लिये:

भिखारियों के लिये स्माइल योजना और उनकी आजीविका बढ़ाने में इसका महत्त्व


चर्चा में क्यों?

हाल ही में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा लोकसभा में एक प्रश्न का लिखित उत्तर देते हुए यह सूचित किया कि मंत्रालय द्वारा "स्माइल- आजीविका और उद्यम के लिये सीमांत व्यक्तियों हेतु समर्थन" (Support for Marginalized Individuals for Livelihood and Enterprise-SMILE) नामक योजना तैयार की गई है।

  • इसमें केंद्रीय क्षेत्रक की 'भिखारियों के व्यापक पुनर्वास के लिये योजना' नामक एक उपयोजना भी शामिल है।
  • वर्तमान में यह पायलट प्रोजेक्ट 7 शहरों दिल्ली, बैंगलोर, हैदराबाद, इंदौर, लखनऊ, नागपुर और पटना में चल रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • स्माइल योजना के बारे में:

    • भिखारियों और ट्रांसजेंडरों के लिये मौजूदा योजनाओं के विलय के बाद यह एक नई योजना है।
    • यह योजना राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों और शहरी स्थानीय निकायों के पास उपलब्ध मौजूदा आश्रय गृहों के उपयोग के लिये भिक्षावृत्ति में लगे व्यक्तियों के लिये पुनर्वास सुनिश्चित करती है।
      • मौजूदा आश्रय गृहों की अनुपलब्धता के मामले में कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा नए समर्पित आश्रय गृह स्थापित किये जाएँगे।
  • मुख्य केंद्र:

    • इस योजना के केंद्र में बड़े पैमाने पर पुनर्वास, चिकित्सा सुविधाओं का प्रावधान, परामर्श, बुनियादी दस्तावेज़, शिक्षा, कौशल विकास आदि हैं।
    • अनुमान है कि इस योजना के तहत लगभग 60,000 सबसे गरीब व्यक्तियों को गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिये लाभान्वित किया जाएगा।
  • क्रियान्वयन:

    • इसे राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की सरकारों/स्थानीय शहरी निकायों, स्वैच्छिक संगठनों, समुदाय आधारित संगठनों (CBOs), संस्थानों और अन्य के सहयोग से लागू किया जाएगा।
  • भिखारियों के व्यापक पुनर्वास के लिये योजना:

    • यह भिक्षावृत्ति में संग्लन व्यक्तियों के जीवनस्तर में सुधार के लिये एक व्यापक योजना होगी।
    • इस योजना को चुनिंदा शहरों में पायलट आधार पर लागू किया गया है जहाँ भिखारियों की संख्या अधिक है।
    • वर्ष 2019-20 के दौरान मंत्रालय ने भिखारियों के कौशल विकास कार्यक्रमों हेतु राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान (NISD) को 1 करोड़ रुपए और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम (NBCFDC) को 70 लाख रुपए की राशि जारी की गई।
  • भारत में भिक्षावृत्ति की स्थिति:

    • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में भिखारियों की कुल संख्या 4,13,670 (2,21,673 पुरुष और 1,91,997 महिलाएँ) है और पिछली जनगणना के बाद से इस संख्या में वृद्धि हुई है।
    • पश्चिम बंगाल इस सूची में सबसे ऊपर है, उसके बाद क्रमश: दूसरे और तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश और बिहार का स्थान आता है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, लक्षद्वीप में भिखारियों की संख्या केवल दो है।
    • केंद्रशासित प्रदेशों में नई दिल्ली में सबसे अधिक 2,187 भिखारी थे, उसके बाद चंडीगढ़ में इनकी संख्या 121 थी।
    • पूर्वोत्तर राज्यों में असम 22,116 भिखारियों के साथ सूची में सबसे ऊपर है, जबकि मिज़ोरम 53 भिखारियों के साथ निचले स्थान पर है।
    • हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय भिक्षावृत्ति रोकथाम अधिनियम के तहत विभिन्न राज्यों में भिक्षावृत्ति को अपराध की श्रेणी से हटाने के लिये एक याचिका पर विचार करने हेतु सहमत हुआ है।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम (NBCFDC)

  • NBCFDC सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तत्त्वावधान में भारत सरकार का उपक्रम है।
  • इसे कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के तहत 13 जनवरी, 1992 को एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में स्थापित किया गया था।
  • इसका उद्देश्य पिछड़े वर्गों को लाभ पहुँचाने हेतु आर्थिक एवं विकासात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देना तथा कौशल विकास व स्वरोज़गार उपक्रमों में इन वर्गों के गरीबों की सहायता करना है।

राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान (NISD)

  • NISD एक स्वायत्त निकाय है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR), दिल्ली सरकार के साथ 1860 के सोसायटी अधिनियम XXI के तहत पंजीकृत है।
  • यह सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का एक केंद्रीय सलाहकार निकाय है।
  • यह सामाजिक रक्षा के क्षेत्र में नोडल प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान है।
  • संस्थान वर्तमान में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की रोकथाम, वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण, भिक्षावृत्ति रोकथाम, ट्रांसजेंडर और अन्य सामाजिक रक्षा संबंधी मुद्दों के क्षेत्र में मानव संसाधन विकास पर केंद्रित है।
  • संस्थान का अधिदेश प्रशिक्षण, अनुसंधान और प्रलेखन के माध्यम से भारत सरकार के सामाजिक रक्षा कार्यक्रमों हेतु जानकारी प्रदान करना है।

स्रोत- पी.आई.बी

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