भारतीय इतिहास
जयप्रकाश नारायण और नानाजी देशमुख की जयंती
- 12 Oct 2022
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प्रिलिम्स के लिये:जयप्रकाश नारायण और उनका योगदान, भूदान आंदोलन, नानाजी देशमुख और उनका योगदान। मेन्स के लिये:स्वतंत्रता के बाद जयप्रकाश नारायण और नानाजी देशमुख की भूमिका तथा भूदान आंदोलन में उनका योगदान। |
चर्चा में क्यों?
भारत के प्रधानमंत्री ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण और नानाजी देशमुख को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
लोकनायक जयप्रकाश नारायण:
- परिचय:
- जन्म: 11 अक्तूबर, 1902 को बिहार के सिताबदियारा में हुआ।
- विचारधारा: इनकी विचारधारा मार्क्सवादी और गांधीवादी थी।
- स्वतंत्रता संग्राम में योगदान:
- वर्ष 1929 में वह भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस में शामिल हो गए।
- वर्ष 1932 में उन्हें सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेने के कारण एक वर्ष के लिये जेल में डाल दिया गया था।
- वर्ष 1939 में उन्हें द्वितीय विश्वयुद्ध में ब्रिटेन की ओर से भारतीयों की भागीदारी का विरोध करने के लिये फिर से जेल में डाल दिया गया था, लेकिन वे बच निकले।
- उन्होंने कॉन्ग्रेस पार्टी के भीतर एक वामपंथी समूह, कॉन्ग्रेस सोशलिस्ट पार्टी (1934) के गठन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- वर्ष 1929 में वह भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस में शामिल हो गए।
- स्वतंत्रता के बाद की भूमिका:
- वर्ष 1948 में उन्होंने कॉन्ग्रेस पार्टी छोड़ दी और कॉन्ग्रेस विरोधी अभियान शुरू किया।
- वर्ष 1952 में उन्होंने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (PSP) का गठन किया।
- वर्ष 1954 में उन्होंने अपना जीवन विनोबा भावे के भूदान यज्ञ आंदोलन को समर्पित कर दिया, इस आंदोलन के तहत उनकी मांग भूमिहीनों को भूमि पुनर्वितरण की थी।
- वर्ष 1959 में उन्होंने गाँव, ज़िला, राज्य और संघ परिषदों (चौखंबा राज) के चार-स्तरीय पदानुक्रम के माध्यम से "भारतीय राजनीति के पुनर्निर्माण" के लिये तर्क प्रस्तुत किया।
- संपूर्ण क्रांति: इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा चुनावी कानूनों के उल्लंघन का दोषी पाए जाने के कारण उन्होंने इंदिरा गांधी शासन के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्त्व किया।
- उन्होंने वर्ष 1974 में सामाजिक परिवर्तन के एक कार्यक्रम की वकालत की जिसे 'संपूर्ण क्रांति' कहा गया, यह सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार के खिलाफ था।
- संपूर्ण क्रांति में राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक सात क्रांतियाँ शामिल हैं।
- इसका उद्देश्य मौजूदा समाज में बदलाव लाना था जो सर्वोदय (गांधीवादी दर्शन- सभी के लिये प्रगति) के आदर्शों के अनुरूप हो।
- वर्ष 1948 में उन्होंने कॉन्ग्रेस पार्टी छोड़ दी और कॉन्ग्रेस विरोधी अभियान शुरू किया।
- भारत रत्न से सम्मानित: जयप्रकाश नारायण को "स्वतंत्रता संग्राम और गरीबों एवं दलितों के उत्थान में अमूल्य योगदान" के लिये मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न (1999) से सम्मानित किया गया।
नानाजी देशमुख:
- परिचय:
- जन्म: इनका जन्म 11 अक्तूबर, 1916 को महाराष्ट्र के हिंगोली ज़िले में हुआ था।
- वे लोकमान्य तिलक और उनकी राष्ट्रवादी विचारधारा तथा डॉ केशव बलिराम हेडगेवार (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-RSS के संस्थापक व सरसंघ-प्रमुख) से प्रभावित थे।
- आंदोलनों में भागीदारी: उन्होंने आचार्य विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया।
- जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति के आंदोलन के पीछे देशमुख मुख्य ताकत थे।
- सामाजिक सक्रियता: वह स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण आत्मनिर्भरता पर ध्यान देने वाले समाज सुधारक थे।
- उन्होंने चित्रकूट में चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय की स्थापना की, यह भारत का पहला ग्रामीण विश्वविद्यालय था और इसके कुलाधिपति के रूप में कार्य किया।
- उन्होंने गरीबी विरोधी और न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम की दिशा में काम किया।
- चुनावी राजनीति: वह जनता पार्टी के मुख्य वास्तुकारों में से एक थे।
- उन्होंने वर्ष 1977 के लोकसभा चुनाव में बलरामपुर (UP) लोकसभा क्षेत्र से जीत हासिल की।
- राष्ट्र के लिये उनकी सेवाओं के सम्मान में उन्हें 1999 में राज्यसभा केलिये नामित किया गया था।
- मृत्यु: 27 फरवरी, 2010।
- पुरस्कार: उन्हें वर्ष 1999 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
- 2019 में भारत के राष्ट्रपति ने राष्ट्र हेतु उनकी सेवाओं के लिये उन्हें (मरणोपरांत) भारत रत्न से सम्मानित किया।