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भारतीय इतिहास

आचार्य विनोबा भावे

  • 12 Sep 2022
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये:

आधुनिक भारत के महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व

मेन्स के लिये:

आधुनिक भारतीय इतिहास, महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व, राष्ट्रीय आन्दोलन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री ने आचार्य विनोबा भावे की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

Acharya-Vinoba-Bhave

आचार्य विनोबा भावे

  • जन्म:
    • विनायक नरहरि भावे का जन्म 11 सितंबर, 1895 को गागोडे, बॉम्बे प्रेसीडेंसी (वर्तमान महाराष्ट्र) में हुआ था।
    • उनके पिता और माता का नाम क्रमशः नरहरि शंभू राव और रुक्मिणी देवी था।
  • संक्षिप्त परिचय:
    • आचार्य विनोबा भावे एक अहिंसक और स्वतंत्रता के कार्यकर्त्ता, समाज सुधारक और आध्यात्मिक शिक्षक थे।
    • महात्मा गांधी के एक उत्साही अनुयायी होने के नाते विनोबा ने अहिंसा और समानता के अपने सिद्धांतों का पालन किया।
    • उन्होंने अपना जीवन गरीबों और दलितों की सेवा हेतु समर्पित कर दिया तथा उनके अधिकारों के लिये खड़े हुए।
  • पुरस्कार और मान्यता:
    • विनोबा भावे वर्ष 1958 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय व्यक्ति थे।
    • उन्हें 1983 में मरणोपरांत भारत रत्न (भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार) से भी सम्मानित किया गया था।
  • गांधी के साथ जुड़ाव:
    • विनोबा भावे ने 7 जून. 1916 को गांधी से मुलाकात की और आश्रम में निवास किया।
      • गांधी की शिक्षाओं ने भावे को भारतीय ग्रामीण जीवन को बेहतर बनाने के लिये समर्पित जीवन की ओर अग्रसर किया।
    • आश्रम के एक अन्य सदस्य मामा फड़के ने उन्हें विनोबा (एक पारंपरिक मराठी विशेषण जो महान सम्मान का प्रतीक है) नाम दिया था।
    • 8 अप्रैल, 1921 को विनोबा भावे, गांधी के निर्देशों के तहत वर्धा में एक गांधी-आश्रम का प्रभार लेने के लिये वर्धा गए।
      • वर्धा में अपने प्रवास के दौरान वर्ष 1923 में उन्होंने मराठी में एक मासिक 'महाराष्ट्र धर्म' का प्रकाशन किया, जिसमें उपनिषदों पर उनके निबंध छापे गए थे।
  • स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका:
    • उन्होंने असहयोग आंदोलन के कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और विशेष रूप से आयातित विदेशी वस्तुओं के स्थान पर स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग का आह्वान किया।
    • उन्होंने खादी का कताई करने वाला चरखे का उपयोग किया और दूसरों से ऐसा करने का आग्रह किया, जिसके परिणामस्वरूप कपड़े का बड़े पैमाने पर उत्पादन हुआ।
    • वर्ष 1932 में, विनोबा को छह महीने के लिए धूलिया जेल भेज दिया गया था क्योंकि उन पर ब्रिटिश शासन के खिलाफ साजिश का आरोप लगाया गया था।
      • कारावास के दौरान उन्होंने साथी कैदियों को 'भगवद गीता' के विभिन्न विषयों को मराठी में समझाया।
      • धूलिया जेल में उनके द्वारा गीता पर दिये गए सभी व्याख्यानों को एकत्र किया गया और बाद में पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया।
    • वर्ष 1940 में उन्हें भारत में गांधीजी द्वारा ब्रिटिश राज के खिलाफ पहले व्यक्तिगत सत्याग्रही (सामूहिक कार्रवाई के बजाय सत्य के लिये खड़े होने वाले व्यक्ति) के रूप में चुना गया था।
    • 1920 और 1930 के दशक के दौरान भावे को कई बार बंदी बनाया गया तथा ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसक प्रतिरोध के लिये 40 के दशक में पांँच साल की जेल की सज़ा दी गई थी।
    • उन्हें आचार्य (शिक्षक) की सम्मानित उपाधि दी गई थी।
  • सामाजिक कार्यों में भूमिका:
    • उन्होंने समाज में व्याप्त असमानता जैसी सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने की दिशा में अथक प्रयास किया।
    • गांधीजी द्वारा स्थापित उदाहरणों से प्रभावित होकर उन्होंने उन लोगों का मुद्दा उठाया जिन्हें गांधीजी द्वारा हरिजन कहा जाता था।
    • उन्होंने गांधीजी के सर्वोदय शब्द को अपनाया जिसका अर्थ- "सभी के लिये प्रगति" (Progress for All) है।
    • इनके नेतृत्व में 1950 के दशक के दौरान सर्वोदय आंदोलन ने विभिन्न कार्यक्रमों को लागू किया गया जिनमें प्रमुख भूदान आंदोलन है।
  • भूदान आंदोलन:
    • वर्ष 1951 में तेलंगाना के पोचमपल्ली (Pochampalli) गाँव के हरिजनों ने उनसे जीविकोपार्जन के लिये लगभग 80 एकड़ भूमि प्रदान कराने का अनुरोध किया।
    • 19 वीं 1951 को पोचमपल्ली गाँव के हरिजनों ने उनसे जीविकोपार्जन के लिये लगभग 80 एकड़ भूमि प्रदान करने का अनुरोध किया।
    • विनोबा ने गाँव के जमींदारों को आगे आने और हरिजनों को संरक्षित करने के लिये कहा।
      • उसके बाद एक ज़मींदार ने आगे बढ़कर आवश्यक भूमि प्रदान करने की पेशकश की।
      • यह भूदान (भूमि का उपहार) आंदोलन की शुरुआत थी।
    • यह आंदोलन 13 वर्षों तक जारी रहा और इस दौरान विनोबा भावे ने देश के विभिन्न हिस्सों (कुल 58,741 किलोमीटर की दूरी) का भ्रमण किया।
    • वह लगभग 4.4 मिलियन एकड़ भूमि एकत्र करने में सफल रहे, जिसमें से लगभग 1.3 मिलियन को गरीब भूमिहीन किसानों के बीच वितरित किया गया।
    • इस आंदोलन ने दुनिया भर से प्रशंसको को आकर्षित किया तथा स्वैच्छिक सामाजिक न्याय को जागृत करने हेतु इस तरह के एकमात्र प्रयोग के कारण इसकी सराहना की गई।
  • धार्मिक कार्य:
    • उन्होंने जीवन के एक सरल तरीके को बढ़ावा देने के लिये कई आश्रम स्थापित किये, जो विलासिता रहित थे, क्योंकि यह लोगों का ध्यान ईश्वर की भक्ति से हटा देता है।
    • महात्मा गांधी की शिक्षाओं की तर्ज पर आत्मनिर्भरता के उद्देश्य से उन्होंने वर्ष 1959 में महिलाओं के लिये ‘ब्रह्म विद्या मंदिर’ की स्थापना की।
    • उन्होंने गोहत्या पर कड़ा रुख अपनाया और इसके प्रतिबंधित होने तक उपवास करने की घोषणा की।
  • साहित्यक रचना:
    • उनकी महत्त्वपूर्ण पुस्तकों में स्वराज्य शास्त्र, गीता प्रवचन और तीसरी शक्ति आदि शामिल हैं।
  • मृत्यु
    • वर्ष 1982 में वर्द्धा, महाराष्ट्र में उनका निधन हो गया।

स्रोत: पी.आई.बी.

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