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भारत रत्न, 2019

  • 28 Jan 2019
  • 6 min read

हाल ही में देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, समाजसेवी नानाजी देशमुख और गायक व संगीतकार भूपेन हज़ारिका को भारत रत्न देने का फैसला किया गया है। गौरतलब है कि ‘भारत रत्न’ देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।

प्रमुख बिंदु

  • यह सम्मान उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने देश के किसी भी क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्य किये हों, अपने-अपने क्षेत्रों में उत्‍कृ‍ष्‍ट कार्य करते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का गौरव बढ़ाया हो।
  • ‘भारत रत्‍न’ कला, साहित्‍य, विज्ञान के क्षेत्र में तथा किसी राजनीतिज्ञ, विचारक, वैज्ञानिक, उद्योगपति, लेखक और समाजसेवी को असाधारण सेवा हेतु व उच्च लोक सेवा को मान्‍यता देने के लिये भारत सरकार की ओर से दिया जाता है।
  • सामाजिक कार्यकर्त्ता नानाजी देशमुख और प्रख्यात संगीतकार भूपेन हज़ारिका को मरणोपरांत इस सम्मान से सम्मानित किया गया है।

प्रणब मुखर्जी

  • करीब पाँच दशकों तक देश की राजनीति में सक्रिय रहे प्रणब मुखर्जी देश के 13वें राष्ट्रपति रहे हैं। हालाँकि पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद दो बार राष्ट्रपति रहे इसलिये वे इस पद पर आसीन होने वाले 12वें व्यक्ति हैं।
  • प्रणब मुखर्जी ने 25 जुलाई, 2012 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली। वह इस पद पर 25 जुलाई, 2017 तक रहे। 1984 में प्रणव मुखर्जी वित्त मंत्री रह चुके हैं।

नानाजी देशमुख

  • 11 अक्तूबर, 1916 को महाराष्ट्र के हिंगोली में जन्मे नानाजी देशमुख मुख्य रूप से समाजसेवी रहे।
  • 1980 में सक्रिय राजनीति से उन्होंने संन्यास ले लिया लेकिन दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना करके समाजसेवा से जुड़े रहे।
  • 1999 में उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया गया और उसी साल समाज सेवा के लिये उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। नानाजी देशमुख का निधन 27 फरवरी, 2010 को 95 वर्ष की उम्र में चित्रकूट में हुआ था।

भूपेन हज़ारिका

  • भूपेन हज़ारिका गायक एवं संगीतकार होने के साथ ही एक कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति तथा संगीत के अच्छे जानकार थे।
  • उनका निधन पाँच नवंबर, 2011 को हुआ था। उन्हें दक्षिण एशिया के सबसे नामचीन सांस्कृतिक कर्मियों में से एक माना जाता था।
  • अपनी मूल भाषा असमी के अलावा भूपेन हज़ारिका ने हिंदी, बांग्ला समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में गाने गाए। उन्हें पारंपरिक असमिया संगीत को लोकप्रिय बनाने का श्रेय भी दिया जाता है।
  • हज़ारिका को पद्म विभूषण और दादा साहेब फाल्के जैसे पुरस्कारों से भी नवाज़ा गया था।

भारत रत्न संबंधी कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • भारत रत्न देने की शुरुआत 2 जनवरी, 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने की थी।
  • 1954 में सर्वप्रथम भारत रत्न सी. राजगोपालाचारी, सर्वपल्ली राधाकृष्णन और सी. वी. रमन को दिया गया था, उस समय केवल जीवित व्यक्ति को यह सम्मान दिया जाता था।
  • 1955 में मरणोपरांत भी सम्मान देने का प्रावधान इसमें जोड़ दिया गया।
  • 2013 में पहली बार खेल के क्षेत्र में नाम कमाने वालों को भी भारत रत्न देने का निर्णय लिया गया और इसी कड़ी में क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को इस सम्मान के लिये चुना गया।
  • 2013 में सचिन तेंदुलकर के साथ वैज्ञानिक सी.एन.आर. राव को भी भारत रत्न दिया गया।
  • भारत रत्न पाने वालों को भारत सरकार की ओर से केवल एक प्रमाणपत्र और एक पदक मिलता है।
  • इस सम्मान के साथ कोई धनराशि नहीं दी जाती।
  • इसे पाने वालों को विभिन्न सरकारी विभाग सुविधाएँ उपलब्ध कराते हैं।
  • किसी विशेष वर्ष में वार्षिक पुरस्कारों की संख्या अधिकतम तीन तक सीमित है।
  • प्रधानमंत्री द्वारा भारत रत्न दिये जाने की सिफारिश राष्ट्रपति से की जाती है। इसके लिये कोई औपचारिक सिफारिश आवश्यक नहीं होती है।
  • भारत रत्न पाने वालों को महत्त्वपूर्ण सरकारी कार्यक्रमों में आमंत्रित किया जाता है।
  • सरकार वॉरंट ऑफ प्रिसिडेंस में उन्हें जगह देती है। वॉरंट ऑफ प्रिसिडेंस का इस्तेमाल सरकारी कार्यक्रमों में वरीयता देने के लिये होता है।
  • भारत रत्न विजेताओं को प्रोटोकॉल में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, पूर्व राष्ट्रपति, उपप्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता के बाद स्थान मिलता है।

स्रोत- गृह मंत्रालय, बीबीसी हिंदी

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