शासन व्यवस्था
प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना
- 26 Dec 2024
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:संसदीय स्थायी समिति, प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना, भारतीय जीवन बीमा निगम, अटल पेंशन योजना, ई-श्रम पोर्टल मेन्स के लिये:असंगठित श्रमिकों के लिये सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ, नीति मूल्याँकन में संसदीय समितियों की भूमिका, वित्तीय समावेशन। |
स्रोत: फाइनेंसियल एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
संसद की स्थायी समिति (PSC) की रिपोर्ट में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिये पेंशन योजना, प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना (PM-SMY) के खराब प्रदर्शन पर चिंता जताई गई है।
प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना क्या है?
- परिचय: यह वर्ष 2019 में शुरू की गई एक केंद्रीय क्षेत्र की पेंशन योजना है, जिसे श्रम और रोज़गार मंत्रालय द्वारा प्रशासित किया जाता है, तथा भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) पेंशन फंड प्रबंधक के रूप में कार्य करता है।
- लक्षित लाभार्थी: यह योजना 18 से 40 वर्ष की आयु के असंगठित श्रमिकों, जैसे स्ट्रीट वेंडर, घरेलू कामगार, निर्माण मज़दूर और कृषि श्रमिकों को लक्षित करती है, जिनकी मासिक आय 15,000 रुपए तक है।
- अंशदान: श्रमिकों को उनकी प्रवेश आयु के आधार पर 55 रुपए से 200 रुपए तक का मासिक अंशदान (प्रीमियम) करना होता है, सरकार उनके अंशदान के बराबर राशि जमा करती है।
- पेंशन लाभ: इस योजना के तहत श्रमिक के 60 वर्ष की आयु वाले श्रमिकों को 3,000 रुपए प्रति माह पेंशन देने का वादा किया गया है। हालाँकि, यदि श्रमिक की मृत्यु 60 वर्ष से पहले हो जाती है, तो उसके परिवार को कोई एकमुश्त भुगतान नहीं किया जाता है।
- अभिदाता की मृत्यु की स्थिति में, उनके जीवनसाथी को पेंशन राशि का 50% पारिवारिक पेंशन के रूप में प्राप्त होगा।
PM-SMY पर स्थायी समिति की रिपोर्ट के मुख्य बिंदु क्या हैं?
- PM-SMY का निराशाजनक प्रदर्शन: नामांकन और सरकारी वित्तपोषण में कमी के कारण PM-SMY योजना का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है।
- दो वर्षों में सरकारी अंशदान लगभग आधा हो गया है तथा वास्तविक व्यय वित्त वर्ष 2023-24 में घटकर 162.51 करोड़ रुपए रह गया, जो वित्त वर्ष 2021-22 में 324.23 करोड़ रुपए था।
- व्यय में कमी श्रमिकों और सरकार दोनों के योगदान में गिरावट को दर्शाती है, जिससे योजना की व्यवहार्यता और भी कमज़ोर हो जाती है।
- PM-SMY का लक्ष्य वर्ष 2023 तक 100 मिलियन श्रमिकों को नामांकित करना था, लेकिन वित्त वर्ष 24 तक यह केवल 5 मिलियन तक ही पहुँच सका, जो 565 मिलियन असंगठित कार्यबल के 1% से भी कम को कवर करता है।
- हालाँकि, सरकार ने इस योजना को एक और वर्ष, अर्थात् वित्त वर्ष 2025-26 तक, बढ़ा दिया है, तथा इसके आकर्षण को बढ़ाने के लिये संशोधन की प्रतीक्षा कर रही है।
- निराशाजनक प्रदर्शन के कारण:
- आय संबंधी चुनौतियाँ: अनियमित आय और अस्थिर रोज़गार के कारण असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, विशेषकर दैनिक वेतन भोगियों के लिये 55-200 रुपए का मासिक प्रीमियम वहन करना कठिन हो जाता है, जिससे उनकी भागीदारी की क्षमता और कम हो जाती है।
- कोविड-19 का प्रभाव: महामारी ने कई असंगठित श्रमिकों की वित्तीय स्थिति को प्रभावित किया है, जिससे योजना में योगदान करने की उनकी क्षमता में बाधा उत्पन्न हुई है।
- आय संबंधी चुनौतियाँ: अनियमित आय और अस्थिर रोज़गार के कारण असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, विशेषकर दैनिक वेतन भोगियों के लिये 55-200 रुपए का मासिक प्रीमियम वहन करना कठिन हो जाता है, जिससे उनकी भागीदारी की क्षमता और कम हो जाती है।
- संरचनात्मक बाधाएँ: असंगठित क्षेत्र में औपचारिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध का अभाव, अपर्याप्त दस्तावेज़ीकरण और जागरूकता के कारण श्रमिकों के लिये योजना तक पहुँचने में चुनौतियों का कारण बनता है।
- मौजूदा पेंशन विकल्प: अटल पेंशन योजना (APY) जैसी अन्य पेंशन योजनाओं की मौजूदगी से भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है, जिससे श्रमिकों को यह अनिश्चितता हो सकती है कि उन्हें किस योजना का चयन करना चाहिये।
- योजना के पुनरुद्धार हेतु सिफारिशें:
- प्रवेश आयु का विस्तार: पुराने असंगठित श्रमिकों को शामिल करने के लिये पात्रता आयु 40 वर्ष से बढ़ाकर 50 वर्ष करना।
- योजना का विलय: बेहतर संरेखण और कवरेज के लिये PM-SMY को APY और प्रधानमंत्री लघु व्यापारी मान-धन योजना के साथ जोड़ना।
- ई-श्रम पोर्टल: 305 मिलियन से अधिक श्रमिकों के डेटाबेस वाला ई -श्रम पोर्टल, PM-SMY के लिये लाभार्थियों को शामिल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- PM-SMY को ई-श्रम डेटाबेस के साथ एकीकृत करने से नामांकन सुव्यवस्थित हो सकता है और व्यापक पहुँच सुनिश्चित हो सकती है।
- प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT): उन श्रमिकों के लिये अंशदान को कवर करने हेतु सब्सिडी शुरू करना जो अपनी जेब से भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं।
- जागरूकता अभियान: योजना के बारे में जागरूकता बढ़ाने और गलत सूचना को कम करने के लिये लक्षित आउटरीच कार्यक्रम शुरू करना।
संसदीय समितियाँ
- परिचय: संसदीय समितियाँ (PC) संसद सदस्यों (MP) की समितियाँ होती हैं जिन्हें सदन द्वारा नियुक्त या निर्वाचित किया जाता है अथवा अध्यक्ष/सभापति द्वारा नामित किया जाता है।
- ये समितियाँ अपना अधिकार अनुच्छेद 105 (सांसदों के विशेषाधिकार) और अनुच्छेद 118 (कार्य-प्रक्रिया और संचालन के नियम) से प्राप्त करती हैं।
- आवश्यकता: संसद में सीमित समय के कारण, विस्तृत चर्चा, विशेषज्ञ इनपुट और अंतर-दलीय सहमति के लिये PC आवश्यक है।
- वे विधेयकों और नीतियों की गहन जाँच करते हैं, प्रभावी विधायी कार्य सुनिश्चित करते हैं और राजनीतिक ध्रुवीकरण से बचते हैं।
- संसदीय समितियों के प्रकार:
- स्थायी समितियाँ संसद के अंतर्गत स्थायी और सतत् निकाय हैं जो विधायी कार्यों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- इनमें वित्तीय समितियाँ (व्यय की जाँच), विभागीय समितियाँ (मंत्रालयों की देखरेख), जाँच समितियाँ (मुद्दों की जाँच), संवीक्षा समितियाँ (नीतिगत जवाबदेही सुनिश्चित करना), दिन-प्रतिदिन की व्यावसायिक समितियाँ (प्रक्रियाओं का प्रबंधन) और सेवा समितियाँ (लॉजिस्टिक्स को संभालना) शामिल हैं।
- तदर्थ समितियाँ विशिष्ट कार्यों के लिये गठित अस्थायी पैनल हैं, जिनमें जाँच समितियाँ और विशेषज्ञ सिफारिशों के लिये सलाहकार समितियाँ शामिल हैं।
- अपना कार्य पूरा हो जाने पर वे समाप्त हो जाती हैं।
- स्थायी समितियाँ संसद के अंतर्गत स्थायी और सतत् निकाय हैं जो विधायी कार्यों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
असंगठित श्रमिक कौन हैं?
- परिचय: असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008 के तहत परिभाषित असंगठित श्रमिक शब्द का तात्पर्य असंगठित क्षेत्र में घर-आधारित श्रमिकों, स्व-नियोजित श्रमिकों या मजदूरी करने वाले श्रमिकों से है।
- इसके अतिरिक्त, संगठित क्षेत्र के श्रमिकों को भी असंगठित के रूप में वर्गीकृत किया जाता है यदि वे प्रमुख श्रम कानूनों के अंतर्गत कवर नहीं होते हैं, जिनमें कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम, 1923, औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947, कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948, भविष्य निधि अधिनियम, 1952, मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961, या ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 शामिल हैं।
- असंगठित श्रमिकों के लिये पहल:
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना के समक्ष आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये तथा इसकी प्रभावशीलता में सुधार के उपाय सुझाइये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. प्रधानमंत्री MUDRA योजना का लक्ष्य क्या है? (2016) (a) लघु उद्यमियों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाना उत्तर: (a) प्रश्न. 'अटल पेंशन योजना' के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये। (a) केवल 1 उत्तर: (c) |