प्रारंभिक परीक्षा
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक
- 14 Feb 2022
- 2 min read
हाल ही में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) के आधिकारिक अनुमानों के अनुसार, भारत में औद्योगिक सुधारों की गति दिसंबर 2021 में तीव्रता से कम हुई, वहीं उत्पादन में वर्ष-दर-वर्ष केवल 0.4% की वृद्धि हुई और विनिर्माण गतिविधि में 0.1% का संकुचन हुआ।
- 2.5% की अपेक्षा के विपरीत विकास दर में केवल 0.4% की वृद्धि हुई जो कि निराशाजनक है।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक:
- IIP एक संकेतक है जो एक निश्चित अवधि के दौरान औद्योगिक उत्पादों के उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन को मापता है।
- इसे सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO), द्वारा मासिक रूप से संकलित और प्रकाशित किया जाता है।
- यह एक समग्र संकेतक है जो निम्नलिखित वर्गीकृत उद्योग समूहों की विकास दर को मापता है:
- व्यापक क्षेत्र, अर्थात् खनन, विनिर्माण और बिजली।
- उपयोग-आधारित क्षेत्र अर्थात् मूल सामान, पूंजीगत वस्तुएँ और मध्यवर्ती वस्तुएँ।
- IIP के लिये आधार वर्ष 2011-2012 है।
- IIP का महत्त्व:
- इसका उपयोग नीति-निर्माण उद्देश्यों के लिये वित्त मंत्रालय, भारतीय रिज़र्व बैंक आदि सहित सरकारी एजेंसियों द्वारा किया जाता है।
- त्रैमासिक और अग्रिम सकल घरेलू उत्पाद अनुमानों की गणना के लिये IIP अत्यंत प्रासंगिक बना हुआ है।
- आठ प्रमुख क्षेत्रों के बारे में:
- इनमें औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में शामिल मदों के भार का 40.27 प्रतिशत शामिल है।
- आठ प्रमुख क्षेत्र के उद्योग उनके भार के घटते क्रम में: रिफाइनरी उत्पाद> बिजली> स्टील> कोयला> कच्चा तेल> प्राकृतिक गैस> सीमेंट> उर्वरक।