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प्रश्न :
भारत की प्रमुख सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक विविधता क्या है? किस प्रकार से इससे देश की सामाजिक संरचना प्रभावित होने के साथ इसकी पहचान को आकार मिलता है? (250 शब्द)
13 Feb, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाजउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत में सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक विविधता पर चर्चा करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- सामाजिक संरचना और देश को आकार देने के रूप में इनके प्रभाव की चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
भारत अपनी विविध सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक विरासत के लिये प्रसिद्ध है। भारत की समृद्ध सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक विविधता का देश के सामाजिक ताने-बाने पर गहरा प्रभाव पड़ा है और इससे राष्ट्रीय पहचान को आकार मिला है।
मुख्य भाग:
- भारत की सांस्कृतिक विविधता:
- भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है जो कला, संगीत, नृत्य, वास्तुकला और व्यंजनों के विविध रूपों में परिलक्षित होती है। यह विविधता देश के लंबे इतिहास और सदियों से इस क्षेत्र में रहने वाली विभिन्न सभ्यताओं और संस्कृतियों के प्रभाव का परिणाम है।
- भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में योगदान देने वाले कुछ प्रमुख सांस्कृतिक तत्व:
- संगीत और नृत्य: भारत में संगीत और नृत्य की एक समृद्ध परंपरा है जो इसकी विविध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है।
- यह देश भरतनाट्यम, कथक और मणिपुरी रासलीला जैसे शास्त्रीय नृत्य रूपों के साथ-साथ विविध लोक नृत्य रूपों के लिये जाना जाता है।
- कला और स्थापत्य: भारत में कला और स्थापत्य की समृद्ध परंपरा है। इसमें अजंता और एलोरा के प्राचीन गुफा चित्रों से लेकर ताजमहल के रूप में मुगल वास्तुकला शामिल है।
- व्यंजन: भारत अपने विविध व्यंजनों के लिये प्रसिद्ध है। इसके प्रत्येक क्षेत्र में खान-पान और स्वाद की अपनी अनूठी शैली है।
- दक्षिण की मसालेदार करी से लेकर उत्तर के तंदूरी व्यंजन तक, भारतीय व्यंजन देश की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं।
- संगीत और नृत्य: भारत में संगीत और नृत्य की एक समृद्ध परंपरा है जो इसकी विविध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है।
- भारत में भाषाई विविधता:
- भारत में 22 से अधिक आधिकारिक भाषाओं के साथ 1,600 से अधिक बोलियाँ बोली जाती हैं। अनुच्छेद 343 (1) के अनुसार देश की आधिकारिक भाषा देवनागरी लिपि में हिंदी है लेकिन यहाँ विभिन्न जातीय समूहों द्वारा बोली जाने वाली कई अन्य भाषाएँ हैं जैसे बंगाली, मराठी, तमिल, तेलुगु और पंजाबी आदि।
- यह भाषाई विविधता देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है और इसने इसके सामाजिक ताने-बाने में कई तरह से योगदान दिया है।
- उदाहरण के लिये भाषाओं की विविधता से भारत में विभिन्न जातीय समूहों के बीच क्षेत्रीय पहचान और गौरव की एक मजबूत भावना का विकास हुआ है।
- यह भाषाई विविधता देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है और इसने इसके सामाजिक ताने-बाने में कई तरह से योगदान दिया है।
- भारत में 22 से अधिक आधिकारिक भाषाओं के साथ 1,600 से अधिक बोलियाँ बोली जाती हैं। अनुच्छेद 343 (1) के अनुसार देश की आधिकारिक भाषा देवनागरी लिपि में हिंदी है लेकिन यहाँ विभिन्न जातीय समूहों द्वारा बोली जाने वाली कई अन्य भाषाएँ हैं जैसे बंगाली, मराठी, तमिल, तेलुगु और पंजाबी आदि।
- भारत में धार्मिक विविधता:
- भारत में सबसे व्यापक रूप से प्रचलित धर्मों में हिंदू धर्म, इस्लाम, ईसाई धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म के साथ धार्मिक विश्वासों की विविध परंपरा मौजूद है।
- भारत की धार्मिक विविधता देश के लंबे इतिहास और सदियों से इस क्षेत्र में रहने वाली विभिन्न सभ्यताओं और संस्कृतियों के प्रभाव का परिणाम है।
- भारत की धार्मिक विविधता ने देश के सामाजिक ताने-बाने और पहचान को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- उदाहरण के लिये धार्मिक विश्वासों की विविधता से सहिष्णुता और बहुलवाद की समृद्ध परंपरा विकसित हुई है जहाँ विभिन्न धार्मिक पृष्ठभूमि के लोग शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में रहते हैं।
- भारत में सबसे व्यापक रूप से प्रचलित धर्मों में हिंदू धर्म, इस्लाम, ईसाई धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म के साथ धार्मिक विश्वासों की विविध परंपरा मौजूद है।
- भारत की सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक विविधता का देश के सामाजिक ताने-बाने पर गहरा प्रभाव पड़ता है और कई तरह से इससे इसकी पहचान को आकार मिलता है:
- सामाजिक एकता: भारत में विशाल सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक मतभेदों के बावजूद देश अभी भी समग्र रूप से एकजुट है।
- देश की विविधता से एकता की भावना के विकास में मदद मिली है जिससे इतनी विविधता के बावजूद लोग अभी भी शांति और सद्भाव में एक साथ रहते हैं।
- सहिष्णुता और बहुलवाद: भारत में सहिष्णुता और बहुलवाद का एक लंबा इतिहास रहा है जहाँ विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और धर्मों के लोग सह-अस्तित्व में रहते हैं और एक-दूसरे की मान्यताओं और प्रथाओं का सम्मान करते हैं।
- इससे एक विविध और समावेशी समाज का विकास हुआ है।
- सांस्कृतिक समारोह: भारत में सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक विविधता देश के त्योहारों और समारोहों में परिलक्षित होती है।
- दिवाली जैसे हिंदू त्योहार से लेकर ईद-उल-फितर जैसे मुस्लिम त्योहार लोगों को एक साथ लाते हैं।
- राष्ट्रीय पहचान: भारत की सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक विविधता ने देश की राष्ट्रीय पहचान को आकार देने में मदद की है।
- भारत की विविधतापूर्ण विरासत इसकी कला, साहित्य, संगीत, नृत्य और वास्तुकला में परिलक्षित होती है और इससे एक अद्वितीय सांस्कृतिक पहचान का विकास होता है जो किसी भी अन्य देश से अलग है।
- आर्थिक विकास: भारत की विविधता ने इसके आर्थिक विकास में भी भूमिका निभाई है। देश की विविध संस्कृतियों और भाषाओं से जीवंत और विविधीकृत अर्थव्यवस्था विकसित हुई है।
- सामाजिक एकता: भारत में विशाल सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक मतभेदों के बावजूद देश अभी भी समग्र रूप से एकजुट है।
निष्कर्ष:
भारत में सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक विविधता देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रमाण है। इस विविधता से देश के सामाजिक ताने-बाने पर गहरा प्रभाव पड़ने के साथ अद्वितीय और जीवंत समाज का विकास और राष्ट्रीय पहचान को आकार मिलता है। इस विविधता ने एक मजबूत और जीवंत सामाजिक ताने-बाने का विकास करते हुए भारत में विभिन्न सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक समूहों के बीच एकता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देने में मदद की है। भारत में सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक विविधता राष्ट्रीय पहचान को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती रहेगी।
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