राष्ट्रीय उद्यानों को बंद रखने का निर्देश

संदर्भ
वन्यजीवों के प्रजनन के लिये वर्षाकाल अनुकूल होता है, विशेष रूप से बाघों के लिये। इसलिये राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ( National Tiger Conservation Authority-NCTA ) इस मौसम में राष्ट्रीय उद्यानों को बंद रखने का निर्देश ज़ारी करता है। 

प्रमुख बिंदु 

  • राजस्थान में स्थित विश्व प्रसिद्ध रणथंभौर और सरिस्का बाघ आरक्षित क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय उद्यानों को इस वर्ष मानसून के दौरान पर्यटन के लिये बंद रखा जाएगा।  
  • राज्य वन विभाग ने उन्हें खोलने के लिये अपने पहले के आदेशों को संशोधित किया है। राज्य सरकार ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के साथ इस मसले पर विचार-विमर्श करके यह निर्णय लिया है। 
  • ये संशोधित आदेश क्षेत्रीय निदेशकों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद जारी किए गए हैं। वन अधिकारी विशिष्ट अवधि के लिये निर्दिष्ट क्षेत्रों को बंद करने के लिये स्थानीय सड़कों और सुरक्षा मुद्दों की स्थिति का भी निरीक्षण करते हैं। 

मानसून में बंद

  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों के अनुसार मानसून की अवधि में राष्ट्रीय उद्यानों को बंद रखा जाता है, क्योंकि यह मौसम वन्यजीवों के लिये प्रजनन की अवधि होती है, विशेष रूप से बाघों के लिये।  
  • एनटीसीए ने 2015 के अपने निर्देश में मानसून के दौरान राष्ट्रीय उद्यानों को बंद करने के लिये कारकों की पहचान करते हुए कहा था कि राष्ट्रीय उद्यानों को बंद करने की अवधि का निर्णय संबंधित राज्य सरकार द्वारा लिया जाएगा। यहाँ यह बताना आवश्यक है कि भारत के वर्षा सघन राज्यों में, जैसे- कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडू के नौ राष्ट्रीय उद्यान पूरे वर्ष भर खुले रहते हैं।  
  • चूँकि राजस्थान में वर्षा कम होती है, इसलिये वहाँ बाघों का प्रजनन पूरे वर्ष तक चलता रहता है। अतः मानसून के दौरान राष्ट्रीय उद्यानों को पर्यटकों के लिये बंद करने का मानदंड यहाँ लागू नहीं होता। फिर भी वर्षा के मौसम में सड़कें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जो पर्यटकों के लिये सुरक्षित नहीं होती। 

 राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण

  • यह पर्यावरण और वन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है, जो 2006 में संशोधित वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत गठित है। 
  • इसकी स्थापना पर्यावरण और वन मंत्री के अध्यक्षता में की गई है।
  • इस प्राधिकरण में आठ विशेषज्ञ या पेशेवर होते हैं, जिनके पास वन्यजीव संरक्षण और आदिवासियों सहित अन्य लोगों के कल्याण का अनुभव होता है। 
  • इन आठ में से तीन संसद सदस्य होते हैं, जिनमें  से दो लोक सभा  तथा एक राज्य सभा का सदस्य होता है। 
  • प्रोजेक्ट टाइगर के प्रभारी वनों का महानिरीक्षक इसमें पदेन सदस्य सचिव के रूप में कार्य करता है।

कार्य 

  • एनटीसीए भारत में बाघों के संरक्षण के लिए व्यापक निकाय है। 
  • इसका मुख्य प्रशासनिक कार्य राज्य सरकारों द्वारा तैयार बाघ संरक्षण योजना को स्वीकार करना है और फिर टिकाऊ पारिस्थितिकी के विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन करना और बाघों के आरक्षित क्षेत्र के भीतर किसी भी पारिस्थितिक रूप से अस्थिर भूमि उपयोग जैसे खनन, उद्योग और अन्य परियोजनाओं को अस्वीकार करना है।