विश्व इतिहास
स्वदेशी जनजातियों का उपनिवेशीकरण
प्रिलिम्स के लिये:माओरी जनजाति, कांगो, बदूईन और सेनुसी जनजातियाँ, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी, फ्रेंच गुयाना, फॉकलैंड द्वीप, ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र (BIOT), मूल निवासी, राष्ट्रीय उद्यान, संप्रभुता। मेन्स के लिये:उपनिवेशवाद का इतिहास और समकालीन विश्व पर इसका प्रभाव। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में न्यूज़ीलैंड के माओरी राजा, किंगि तुहेतिया पूताताऊ ते वेरोहीरो VII का अपने शासन की 18वीं वर्षगाँठ के जश्न के कुछ दिनों बाद निधन हो गया।
- वह किंगिटांगा मूवमेंट (माओरी राजा आंदोलन) में 7वें सम्राट थे।
- किंगिटांगा मूवमेंट की स्थापना सन् 1858 में ब्रिटिश उपनिवेशवाद के विरुद्ध न्यूज़ीलैंड के मूल निवासी माओरी जनजातियों को एकजुट करने के लिये की गई थी।
- इस आंदोलन का प्राथमिक लक्ष्य गैर-मूल निवासियों को भूमि की बिक्री को समाप्त करना और अंतर-जनजातीय युद्ध को रोकना था।
- किंगिटांगा मूवमेंट की स्थापना सन् 1858 में ब्रिटिश उपनिवेशवाद के विरुद्ध न्यूज़ीलैंड के मूल निवासी माओरी जनजातियों को एकजुट करने के लिये की गई थी।
यूरोपियों द्वारा उपनिवेशित विभिन्न मूल जनजातियाँ कौन-कौन सी थीं?
- न्यूज़ीलैंड में माओरी: जनसंख्या, राजनीति, समाज और अर्थव्यवस्था के मामले में न्यूज़ीलैंड विशेष रूप से माओरी वर्ल्ड से पाकेहा (यूरोपीय) के प्रभुत्व वाले विश्व में परिवर्तित हो गया।
- यह परिवर्तन वर्ष 1769 में कैप्टन जेम्स कुक के आगमन और वर्ष 1914 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हुआ।
- न्यूज़ीलैंड में भूमि स्वामित्व और स्वदेशी संसाधनों पर ब्रिटिश नियंत्रण को लेकर माओरी तथा यूरोपीय लोगों के बीच कई संघर्ष हुए। उदाहरण के लिये, वैराऊ घाटी संघर्ष (वर्ष 1843), फ्लैगस्टाफ युद्ध (वर्ष 1845-46), वाइकाटो युद्ध (वर्ष 1863-64) आदि।
- ऑस्ट्रेलिया में आदिम निवासी: आदिवासी भूमि पर ब्रिटिश उपनिवेशवादियों ने इस आधार पर कब्ज़ा कर लिया था कि यह भूमि ‘किसी की नहीं’ (‘टेरा नुलियस’) है।
- आदिम निवासियों का भूमि से आध्यात्मिक और विरासत के आधार पर जुड़ाव था। फिर भी, वे ब्रिटिश संप्रभुता में विश्वास नहीं करते थे।
- ऑस्ट्रेलिया के उपनिवेशीकरण के परिणामस्वरूप आदिम निवासियों की आबादी में भारी गिरावट आई।
- कई स्थानीय पुरुष, महिलाएँ और बच्चे ऐसी बीमारियों से मर गए, जिनके प्रति उनमें कोई प्रतिरोध नहीं था, जैसे- चेचक, इन्फ्लूएंज़ा और खसरा।
- कई लोग यादृच्छिक हत्याओं, दंडात्मक अभियानों और संगठित नरसंहारों में भी मारे गए, जैसे कि मायल क्रीक नरसंहार (वर्ष 1838)।
- उत्तरी अमेरिका के रेड इंडियन: वर्ष 1492 में शुरू हुए अमेरिका के यूरोपीय उपनिवेशीकरण के परिणामस्वरूप चेचक जैसी नई बीमारियों के कारण मूल अमेरिकी आबादी में काफी कमी आई।
- 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में भारतीय युद्धों के अंत तक 238,000 से भी कम मूल निवासी बचे थे, जो वर्ष 1492 में कोलंबस के आगमन पर उत्तरी अमेरिका में रहने वाले अनुमानित 5 मिलियन से 15 मिलियन तक की तीव्र गिरावट थी। उदाहरण के लिये ग्नाडेनहुटेन नरसंहार (वर्ष 1782)।
- दक्षिण अफ्रीका में बोअर युद्ध: वर्ष 1899 और वर्ष 1902 के दौरान, ब्रिटिश सेना ने दक्षिण अफ्रीका में बोअर्स के विरुद्ध एक भयंकर औपनिवेशिक युद्ध लड़ा।
- बोअर डच या जर्मन वंश के दक्षिण अफ्रीकी थे, विशेष रूप से ट्रांसवाल और ऑरेंज फ्री स्टेट के प्रारंभिक निवासियों वालों में से एक।
- अफ्रीका में नरसंहार:
- नामीबिया: नामीबिया में, जर्मन औपनिवेशिक अधिकारियों ने हेरेरो और नामा जनजाति के लोगों द्वारा अपनी भूमि, पशुधन तथा संसाधनों के अधिग्रहण का विरोध करते हुए विद्रोह करने पर उनका क्रूरता से नरसंहार किया।
- कांगो: बेल्जियम के राजा लियोपोल्ड द्वितीय की एक निजी उपनिवेश, कांगो मुक्त राज्य, में रबर कोटा लागू करने के लिये मूल जनजाति के लोगों के साथ अत्यधिक हिंसा हुई जिसमें लोगों के साथ मार-काट, यातना और नरसंहार की घटनाएँ शामिल हैं।
- लीबिया: लीबिया में इटली के औपनिवेशिक शासन के दौरान, बेडौइन और सेनुसी जैसी मूल जनजातियों ने अपनी भूमि और संसाधनों को ज़ब्त करने के इतालवी प्रयासों का विरोध किया।
- इटली ने क्रूर प्रतिवाद रणनीति अपनाई, जिसमें लोगों को बंदी शिविर भेजा गया और बड़े पैमाने पर फाँसी की सज़ा दी गई। इस अवधि के दौरान अनुमानित रूप से 80,000 से 100,000 लीबियाई की मृत्यु हुई।
उपनिवेशवाद क्या है?
- उपनिवेशवाद को "किसी एक शक्ति द्वारा किसी आश्रित क्षेत्र या लोगों पर नियंत्रण" के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- यह तब होता है जब एक राष्ट्र दूसरे को अपने अधीन कर लेता है, वहाँ के लोगों पर नियंत्रण स्थापित करता है और उसका शोषण करता है तथा प्रमुखतः अपनी भाषा एवं सांस्कृतिक मूल्यों को वहाँ के लोगों पर थोपता है।
- वर्ष 1914 तक, विश्व के अधिकांश राष्ट्र किसी न किसी अवधि में यूरोप द्वारा उपनिवेशित किये जा चुके थे।
- प्रमुख उपनिवेशवादी राष्ट्र पुर्तगाल, स्पेन, इंग्लैंड, नीदरलैंड, फ्राँस और जर्मनी थे।
- पूर्व में उपनिवेश रहे देश भी अंततः स्वयं उपनिवेशवादी बन गए। उदाहरण के लिये अमेरिका, जो पहले ग्रेट ब्रिटेन के अधीन था, ने स्वतंत्रता संग्राम की सफलता के तुरंत बाद अपने क्षेत्र का विस्तार किया और तत्त्पश्चात् प्रशांत और लैटिन अमेरिका पर अपना विस्तार किया।
- भारत में 200 से अधिक वर्षों तक ब्रिटिश साम्राज्य का शासन रहा। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने ब्रिटिश क्राउन की सहयता से 18वीं शताब्दी में धीरे-धीरे भारत के अधिकांश भाग पर कब्ज़ा कर लिया।
आधुनिक विश्व में औपनिवेशिक आधिपत्य के उदाहरण क्या हैं?
- फ्रेंच गुयाना: फ्रेंच गुयाना दक्षिण अमेरिका के उत्तरी अटलांटिक तट पर स्थित है।
- फ्रेंच गुयाना दक्षिण अमेरिका में एक यूरोपीय अस्तित्व का प्रतीक है।
- फ्रेंच गुयाना फ्राँस के एक क्षेत्रीय समूह के रूप में फ्राँसीसी संविधान के प्रावधानों द्वारा शासित है।
- यह फ्राँसीसी गणराज्य का अभिन्न अंग है।
- फाॅकलैंड द्वीप: फाॅकलैंड द्वीप यूनाइटेड किंगडम का एक विदेशी क्षेत्र है लेकिन अर्जेंटीना भी उन पर दावा करता है, जो उन्हें लास माल्विनास कहता है।
- वर्ष 1982 में फाॅकलैंड द्वीप पर नियंत्रण को लेकर अर्जेंटीना और ग्रेट ब्रिटेन के बीच युद्ध हुआ था।
- रीयूनियन द्वीप: इसकी स्थापना 17वीं शताब्दी में फ्राँसीसियों ने की थी। यह फ्राँस के अनेक विदेशी क्षेत्रों में से एक है।
- गुआम द्वीप: संयुक्त राज्य अमेरिका ने 1898 के स्पेनिश-अमेरिकी युद्ध के बाद उत्तरी प्रशांत महासागर में गुआम द्वीप पर कब्ज़ा कर लिया। यहाँ अमेरिका की बड़ी सैन्य उपस्थिति है।
- ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र (BIOT): BIOT 58 द्वीपों का एक समूह है जो लगभग 640,000 वर्ग किलोमीटर विस्तृत है। इसका प्रशासन लंदन करता है और यह लगभग पूर्वी अफ्रीका और इंडोनेशिया के मध्य में स्थित है।
वर्तमान समय में स्वदेशी लोगों के सामने क्या चुनौतियाँ हैं?
- हरित उपनिवेशवाद: ग्लोबल नार्थ के देश ग्लोबल साउथ के देशों में सैन्यीकृत किला संरक्षण मॉडल को बढ़ावा देते हैं।
- ग्लोबल नार्थ अक्सर स्वदेशी लोगों के क्षेत्रों को निशाना बनाता है, जिन्हें वहाँ से भगा दिया गया है ताकि उन ज़मीनों को राष्ट्रीय उद्यानों में शामिल किया जा सके।
- इस परिघटना को 'हरित उपनिवेशवाद' कहा जाता है और यह बताता है कि कैसे वैश्विक उत्तर के 'बिग ग्रीन' संरक्षण NGO मूल निवासियों पर औपनिवेशिक शक्ति को मज़बूत कर रहे हैं।
- नवउपनिवेशवाद: नवउपनिवेशवाद साम्राज्यवाद का एक रूप है, जहाँ एक राज्य राष्ट्रीय संप्रभुता का दिखावा बनाए रखते हुए, दूसरे देश को नियंत्रित करने और उसका शोषण करने के लिये आर्थिक, राजनीतिक तथा मनोवैज्ञानिक दबाव का उपयोग करता है।
- यह एक ऐसी प्रणाली है जिसमें पूर्व औपनिवेशिक शक्तियाँ और नई महाशक्तियाँ किसी क्षेत्र पर नियंत्रण बनाए रखने के लिये आर्थिक और राजनीतिक रणनीतियों का उपयोग करती हैं। उदाहरणतः वियतनाम और अफगानिस्तान पर अमेरिकी आक्रमण, अमेरिका द्वारा अमित्र देशों में शासन परिवर्तन लागू करना।
- जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: जलवायु परिवर्तन के प्रत्यक्ष परिणामों का सामना करने वाले सबसे पहले लोगों में स्वदेशी लोग शामिल हैं।
- जलवायु परिवर्तन से उन आवासों और पारिस्थितिकी तंत्रों को खतरा है जिन पर मूल निवासी लोग भोजन, पानी, दवा, आजीविका तथा सांस्कृतिक पहचान के लिये निर्भर हैं।
- आत्मनिर्णय के उनके अधिकार का अतिक्रमण: कई स्वदेशी लोगों को अपनी सरकार या राजनीतिक व्यवस्था को स्वतंत्र रूप से चुनने के अधिकार से वंचित किया जाता है। उदाहरणतः इंडोनेशियाई सरकार ने पश्चिमी पापुआ में असंतोष और प्रतिरोध को दबाने के लिये सैन्य तथा पुलिस बलों को नियुक्त किया है।
- यह इस तथ्य के बावजूद है कि 15वीं शताब्दी के बाद उपनिवेशवादियों के आगमन से पहले हज़ारों वर्षों तक स्वदेशी लोग स्वतंत्र रूप से अपना शासन चला रहे थे।
- जबरन समावेशन: 19वीं और 20वीं शताब्दियों के दौरान, कनाडा ने मूलनिवासी बच्चों को उनके परिवारों से अलग कर दिया और उन्हें संघ द्वारा वित्तपोषित बोर्डिंग स्कूलों में भेज दिया, जिसका उद्देश्य उन्हें व्यापक कनाडाई समाज में समाहित करना था।
- इन ‘भारतीय आवासीय विद्यालयों’ में उन्हें अपनी भाषा बोलने या अपनी सांस्कृतिक विरासत और पहचान व्यक्त करने की अनुमति नहीं थी।
- सांस्कृतिक भूमि पर उनके अधिकार का अतिक्रमण: मूल निवासियों की भूमि, जो हमारे ग्रह की 80% से अधिक जैवविविधता का घर है और अक्सर प्राकृतिक संसाधनों, जैसे तेल, गैस और खनिजों से समृद्ध होती है, को निहित प्राधिकारियों द्वारा नियमित रूप से हड़प लिया जाता है, बेच दिया जाता है, पट्टे पर दे दिया जाता है या लूट लिया जाता है और प्रदूषित कर दिया जाता है।
आगे की राह
- भूमि अधिकारों की बहाली: फ्रेंच गुयाना, फॉकलैंड द्वीप समूह, रियूनियन, गुआम और ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र जैसे उपनिवेशों को मूल मालिकों को लौटा दिया जाना चाहिये तथा स्थानीय आबादी के आत्मनिर्णय के अधिकारों को मान्यता दी जानी चाहिये।
- समावेशी संरक्षण मॉडल को बढ़ावा देना: सैन्यीकृत बहिष्करण संरक्षण मॉडल से हटकर ऐसे दृष्टिकोण अपनाना चाहिये जो स्वदेशी संप्रभुता का सम्मान करते हों।
- यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि स्वदेशी लोगों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल किया जाए तथा जैवविविधता के संरक्षक के रूप में उनकी भूमिका को स्वीकार किया जाए।
- जबरन आत्मसातीकरण प्रथाओं को समाप्त करना: स्वदेशी भाषाओं, परंपराओं और पहचानों के लिये पुनर्स्थापनात्मक न्याय, सांस्कृतिक पुनरोद्धार कार्यक्रमों तथा कानूनी सुरक्षा को बढ़ावा देना चाहिये।
- स्वदेशी भूमि और संसाधनों की रक्षा करना: ऐसे कानून लागू करना जो स्वदेशी भूमि को अवैध विनियोग और संसाधन शोषण से सुरक्षित रखें। निष्पक्ष भूमि उपयोग नीतियों को बढ़ावा दें जो जैवविविधता की रक्षा करें, भूमि अधिकारों का सम्मान करें और स्वदेशी समुदायों को लाभ पहुँचाएँ।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. स्वदेशी लोगों पर उपनिवेशवाद के इतिहास पर संक्षेप में चर्चा कीजिये। साथ ही, भूमि अधिकार, सांस्कृतिक संरक्षण और राजनीतिक स्वायत्तता से संबंधित मुद्दों सहित उनके सामने आने वाली समकालीन चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये कौन-सा मंत्रालय नोडल एजेंसी है? (2021) (a) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय उत्तर: (d) प्रश्न. भारत के संदर्भ में 'हल्बी, हो और कुई' शब्द पद किससे संबंधित हैं? (2021) (a) पश्चिमोत्तर भारत का नृत्यरूप उत्तर: (d) प्रश्न. भारत के इतिहास के संदर्भ में "उलगुलान" अथवा महान उपद्रव निम्नलिखित में से किस घटना का विवरण था? (2020) (a) 1857 का विद्रोह उत्तर: (d) प्रश्न. भारत में विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा सही है? (a) 1, 2 और 3 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. स्वतंत्रता के बाद अनुसूचित जनजातियों (एस.टी) के पार्टी भेदभाव को दूर करने के लिये, राज्य द्वारा की गई दो मुख्य विधिक पहलें क्या हैं? (2017) प्रश्न. भारत में आदिवासियों को 'अनुसूचित जनजाति' क्यों कहा जाता है? उनके उत्थान के लिये भारत के संविधान में निहित प्रमुख प्रावधानों को इंगित करें। (2016) प्रश्न. आप उन आँकड़ों की व्याख्या कैसे करते हैं जो दिखाते हैं कि भारत में जनजातियों में लिंगानुपात अनुसूचित जातियों के लिंगानुपात की तुलना में महिलाओं के लिये अधिक अनुकूल है? (2015) |
भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत के वित्तीय भविष्य हेतु RBI की पाँच रणनीतिक प्राथमिकताएँ
प्रिलिम्स के लिये:ग्लोबल फिनटेक फेस्टिवल, भारतीय रिज़र्व बैंक, वित्तीय समावेशन सूचकांक, प्रधानमंत्री जन धन योजना, यूनिक लेंडिंग इंटरफेस, JAM ट्रिनिटी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मेन्स के लिये:भारत में वित्तीय सेवाओं में विकास के अवसर, वित्तीय समावेशन, बैंकिंग क्षेत्र |
स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स
चर्चा में क्यों?
मुंबई में ग्लोबल फिनटेक फेस्टिवल (GFF) 2024 में, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भारत के वित्तीय भविष्य के लिये पाँच रणनीतिक प्राथमिकताओं को रेखांकित किया और एक अग्रणी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की देश की महत्त्वाकांक्षी योजनाओं को रेखांकित किया।
भारत के वित्तीय भविष्य के लिये पाँच प्राथमिकताएँ क्या हैं?
- वित्तीय समावेशन: RBI गवर्नर ने वित्तीय समावेशन में महत्त्वपूर्ण प्रगति पर प्रकाश डाला, RBI का वित्तीय समावेशन सूचकांक मार्च 2021 के 53.9 से बढ़कर मार्च 2024 में 64.2 हो गया।
- प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) जोकि एक प्रमुख वित्तीय समावेशन पहल है, इस प्रगति का केंद्र रही है, जिसके तहत 530 मिलियन से अधिक बैंक खाते खोले गए। इनमें से 66% खाते ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए जिससे 55% महिलाओं को लाभ मिला।
- भविष्य को ध्यान में रखते हुए RBI गवर्नर ने वंचित क्षेत्रों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु आगामी दो दशकों में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के महत्त्व पर ज़ोर दिया तथा वित्तीय सेवाओं तक निर्बाध पहुँच सुनिश्चित करने व व्याप्त अंतराल को भरने में फिनटेक कंपनियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
- डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) में वृद्धि: गवर्नर द्वारा रेखांकित की गई दूसरी प्राथमिकता DPI को बढ़ाने पर केंद्रित थी, जिसे उन्होंने भारत की वित्तीय प्रणाली में उन्नत प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने में एक प्रमुख चालक के रूप में व्यक्त किया।
- RBI के गवर्नर ने यूनिक लेंडिंग इंटरफेस (ULI) पर RBI की पायलट परियोजना पर प्रकाश डाला, जिसे जल्द ही पूर्ण पैमाने पर लॉन्च किया जाएगा। मौजूदा JAM (जन धन-आधार-मोबाइल) ट्रिनिटी और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के साथ मिलकर यह पहल भारत की वित्तीय यात्रा में एक नए युग का प्रतिनिधित्व करती है।
- DPI में भारत में वित्तीय सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता है, जिससे पूरे देश में अधिक वित्तीय समावेशन और दक्षता आएगी।
- साइबर सुरक्षा को मज़बूत करना: तेज़ी से डिजिटल होते विश्व में, साइबर सुरक्षा भारत की वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा में एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ है।
- रियल टाइम निगरानी और विनियामक अनुपालन आवश्यक है, विशेष रूप से हाल ही में अधिनियमित डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2023 के साथ, जो व्यक्तियों को अपने डेटा पर अधिक नियंत्रण प्रदान करता है, जिससे डिजिटल वित्तीय सेवाओं में विश्वास बढ़ता है।
- बैंकों और फिनटेक फर्मों, विशेष रूप से गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) से अपेक्षा की जाती है कि वे ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाएँ, ताकि वित्तीय उत्पादों और निष्पक्ष ऋण प्रदायगी पद्धति में पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
- साइबर खतरों के प्रति निरंतर सतर्कता आवश्यक है तथा सुरक्षित डिजिटल अर्थव्यवस्था के निर्माण हेतु साइबर सुरक्षा जागरूकता को बढ़ावा देना भी महत्त्वपूर्ण है।
- सतत् वित्त को बढ़ावा देना: RBI गवर्नर ने वित्तीय क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में RBI की पहलों जैसे सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड तथा ग्रीन डिपॉजिट पर प्रकाश डाला, साथ ही ग्रीन बॉण्ड बाज़ार के और अधिक विस्तार की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया।
- पर्यावरणीय जोखिमों का आकलन करने और सतत् वित्त में परिवर्तन को गति देने में प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और बिग डेटा की परिवर्तनकारी भूमिका को रेखांकित किया।
- इस बात पर भी आशा व्यक्त की कि फिनटेक कंपनियाँ इस परिवर्तन का नेतृत्व करेंगी, जिससे भारत सतत् वित्त के अग्रेता के रूप में स्थापित हो सकेगा।
- वित्तीय अवसंरचना को सुदृढ़ बनाना: RBI गवर्नर ने सीमा-पार भुगतान पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत की वित्तीय अवसंरचना को सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया तथा UPI और रुपे (RuPay) को वैश्विक बनाने के RBI के प्रयासों पर प्रकाश डाला।
- उन्होंने AI को सावधानीपूर्वक अपनाने के बारे में आगाह किया तथा इंटरनेट ऑफ थिंग्स की क्षमता सहित भारत के वित्तीय बुनियादी ढाँचे को सुदृढ़ बनाने में नवाचार के महत्त्व पर ज़ोर दिया।
ग्लोबल फिनटेक फेस्टिवल- 2024 क्या है?
- परिचय: GFF 2024 वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े और सबसे प्रभावशाली फिनटेक सम्मेलनों में से एक है। पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI), नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) और फिनटेक कन्वर्जेंस काउंसिल (FCC) द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।
- GFF का मुख्य आकर्षण ग्लोबल फिनटेक अवार्ड्स (GFA) है, जो उद्योग में नवाचार और उत्कृष्टता के साथ विश्व भर से असाधारण फिनटेक पहलों एवं योगदानों को मान्यता देता है।
- पाँचवें संस्करण GFF- 2024 की थीम: ‘Blueprint for the Next Decade of Finance: Responsible AI | Inclusive | Resilient’ थी
- मुंबई में GFF- 2024 ने पिछले तीन वर्षों में 11,000 से अधिक स्टार्टअप और 6 बिलियन अमेरीकी डॉलर के वित्तपोषण के साथ भारत की फिनटेक वृद्धि को प्रदर्शित किया।
भारत के वित्तीय सेवा उद्योग की वर्तमान स्थिति क्या है?
- परिचय: भारत के वित्तीय सेवा उद्योग की विशेषता तेज़ी से विस्तार और विविधीकरण है। इस क्षेत्र में वाणिज्यिक बैंक, बीमा कंपनियाँ, NBFC, सहकारी समितियाँ, पेंशन फंड, म्यूचुअल फंड और छोटी वित्तीय संस्थाएँ शामिल हैं।
- हाल के घटनाक्रमों में भुगतान बैंकों जैसी नई संस्थाओं की शुरुआत देखी गई है, हालाँकि वाणिज्यिक बैंक प्रमुख बने हुए हैं, जिनके पास कुल परिसंपत्तियों का 64% से अधिक हिस्सा है।
- विकास:
- एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI): फरवरी 2024 में 18.28 लाख करोड़ रुपए के 12.10 बिलियन लेनदेन दर्ज किये गए।
- तत्काल भुगतान सेवा (IMPS): फरवरी 2024 में 5.58 ट्रिलियन रुपए के 534.6 मिलियन लेन-देन दर्ज किये गए।
- सरकारी पहल:
- ऋण गारंटी योजना: MSME को संपार्श्विक-मुक्त ऋण के साथ समर्थन देने के लिये 9,000 करोड़ रुपए की चल निधि के साथ वर्ष 2023 में नया रूप दिया गया।
- अंतर्राष्ट्रीय भुगतान: NPCI इंटरनेशनल पेमेंट्स (NIPL) ने 10 देशों (मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, वियतनाम, सिंगापुर, कंबोडिया, दक्षिण कोरिया, जापान, ताइवान और हांगकांग) में QR-आधारित UPI भुगतान को सक्षम करने के लिये लिक्विड ग्रुप के साथ भागीदारी की।
- e-RUPI: अगस्त, 2021 में QR कोड या SMS स्ट्रिंग के माध्यम से डिजिटल भुगतान समाधान के रूप में लॉन्च किया गया, जो एकमुश्त भुगतान की सुविधा देता है।
- वित्तीय समावेशन: दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM), प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, अटल पेंशन योजना जैसे कार्यक्रमों ने डिजिटल क्रांति को गति दी है और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक नागरिकों को डिजिटल वित्तीय सेवाओं के दायरे में लाया है।
- अंतर-मंत्रालयी संचालन समिति (IMSC): फिनटेक विकास के मुद्दों को हल करने और नियामक लोच को बढ़ाने के लिये आर्थिक कार्य विभाग (DEA) के तहत वर्ष 2018 में स्थापित।
- संयुक्त कार्य समूह (JWG): तीव्र गति से धन प्रेषण की सुविधा प्रदान करके तथा भारत के UPI और अंतर्राष्ट्रीय भुगतान प्लेटफॉर्मों के बीच कनेक्टिविटी स्थापित करके फिनटेक सहयोग को बढ़ावा देना।
- भविष्य की संभावनाएँ:
- निजी संपत्ति प्रबंधन: इसमें उल्लेखनीय वृद्धि होने की आशा है, वर्ष 2027 तक 16.57 लाख उच्च निवल संपत्ति वाले व्यक्ति (HNWIs) होने का अनुमान है, जिससे वर्ष 2028 तक भारत वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे बड़ा निजी संपत्ति बाज़ार बन जाएगा।
- बीमा बाज़ार: वर्ष 2025 तक 250 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, जिसमें 2020-30 तक 78 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अतिरिक्त जीवन बीमा प्रीमियम की संभावना है।
- म्यूचुअल फंड: एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) का लक्ष्य वर्ष 2025 तक एयूएम को लगभग पांच गुना बढ़ाकर 1.15 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर करना और निवेशक खातों में तीन गुना वृद्धि करना है।
- शेयर बाज़ार में वृद्धि: भारत के शेयर बाजार ने चौथे सबसे बड़े वैश्विक इक्विटी बाजार के रूप में अपना स्थान पुनः प्राप्त कर लिया है तथा 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक बाज़ार मूल्य के साथ हांगकांग को पीछे छोड़ दिया है।
भारत के वित्तीय सेवा क्षेत्र में विकास के अवसर क्या हैं?
- बढ़ती मांग: भारत के बीमा क्षेत्र में निवेश कोष वर्ष 2025 तक बढ़कर 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, जो मज़बूत विकास संभावनाओं को दर्शाता है।
- भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दूसरा सबसे बड़ा बीमा प्रौद्योगिकी बाज़ार है और वर्ष 2030 तक इसके 15 गुना बढ़कर 88.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है। भारत विश्व में सबसे तेज़ी से बढ़ते बीमा बाज़ारों में से एक के रूप में उभरने के लिये तैयार है।
- भारत विश्व के उभरते बीमा बाज़ारों में पाँचवाँ सबसे बड़ा जीवन बीमा बाज़ार है, जो प्रतिवर्ष 32-34% की दर से बढ़ रहा है।
- नवप्रवर्तन: भारत पहुँच और ग्राहक सहभागिता में सुधार के लिये फोनपे (PhonePe) जैसे स्टार्ट-अप सहित विभिन्न पद्धतियों का उपयोग करके अपनी वित्तीय सेवाओं का विस्तार कर रहा है।
- उभरते डिजिटल गोल्ड निवेश विकल्प निवेशकों के लिये नए अवसर प्रदान करते हुए लोकप्रिय हो रहे हैं।
- भारत का वित्तीय सेवा क्षेत्र प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने वाली कई प्रमुख सरकारी पहलों के साथ विस्तार कर रहा है। PMJDY सार्वभौमिक बैंकिंग पहुँच और वित्तीय सेवाएँ प्रदान करता है जबकि प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (PMGDISHA) ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देता है।
- डिजिटल इंडिया डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं को बढ़ाता है तथा आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AePS) आधार के माध्यम से सुरक्षित लेन-देन को सक्षम बनाती है। इसके अतिरिक्त UPI विभिन्न बैंकिंग कार्यों को एक ही ऐप में एकीकृत करता है ताकि निर्बाध लेन-देन हो सके।
- भारत का डिजिटल ऋण बाज़ार वर्ष 2022 में 270 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था और वर्ष 2023 तक 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।
- वर्ष 2025 तक, डिजिटल वित्त भारत की GDP को 950 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ा सकता है और 21 मिलियन नए रोज़गार के अवसर उत्पन्न कर सकता है।
- विदेशी निवेश में वृद्धि: प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में अपेक्षित वृद्धि से विशेष रूप से बुनियादी ढाँचे में विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- यद्यपि भारत में FDI सीमा में ढील के कारण कुछ पूंजी प्रवाह हुआ है, तथापि यदि नए वित्तपोषण मॉडल और कम जोखिम लागू किये जाएं तो आगे और वृद्धि की संभावना है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत में वित्तीय समावेशन की प्रगति और भविष्य की संभावनाओं तथा तकनीकी प्रगति पर चर्चा कीजिये। फिनटेक कंपनियाँ वंचित क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन में किस प्रकार योगदान दे सकती हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित पर विचार कीजिये। (2010)
उपर्युक्त में से किसे भारत में "वित्तीय समावेशन" प्राप्त करने के लिये उठाए गए कदमों के रूप में माना जा सकता है? (A) केवल 1 और 2 उत्तर: (D) मेन्स:प्रश्न. बैंक खाते से वंचित लोगों को संस्थागत वित्त के दायरे में लाने के लिये प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) आवश्यक है। क्या आप भारतीय समाज के गरीब वर्ग के वित्तीय समावेशन के लिये इससे सहमत हैं? अपने मत की पुष्टि के लिये उचित तर्क दीजिये। (2016) |