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भारतीय अर्थव्यवस्था

नकद लाभ हस्तांतरण में JAM की भूमिका

  • 16 May 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

JAM ट्रिनिटी

मेन्स के लिये:

नकद लाभ हस्तांतरण में JAM की भूमिका

चर्चा में क्यों?

हाल में COVID-19 महामारी के दौरान सरकार द्वारा सुभेद्य वर्गों को आर्थिक सहायता राशि 'जन धन योजना' (Jan Dhan Yojana) के तहत खोले गए बैंक खातों के माध्यम से प्रदान की गई। 

प्रमुख बिंदु:

  • जनधन-आधार-मोबाइल (Jandhan-Aadhaar-Mobile- JAM) अर्थात JAM ट्रिनिटी भारत की एक महत्त्वाकांक्षी अवसंरचना है।
  • आर्थिक सर्वेक्षण- 2015 में JAM को 'हर आँख से आँसू पोंछने' (Wiping Every Tear from Every Eye) वाली योजना के रूप में वर्णित किया है।

JAM (जैम) क्या है?

  • जन-धन, आधार और मोबाइल नंबर को संयुक्त रूप से JAM कहा जाता है। इसका उद्देश्य सुरक्षित और बिना किसी बाधा के डिजिटल भुगतान तंत्र का विकास करना है

JAM के फायदे:

  • JAM ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया है तथा इससे गरीब लोग भी बैंकिंग सेवाओं का उपयोग कर पा रहे हैं। 
  • सरकार को सब्सिडी का बोझ घटाने और लीकेज़ ख़त्म होने से राहत मिल रही है। वह ज़रुरतमंदों तक संसाधनों को तेज़ी से एवं सुरक्षित तरीके से पहुँचा पा रही है।

JAM के अर्थ में अस्पष्टता:

  • वास्तव में JAM का क्या मतलब है, इसमें व्यावहारिक दृष्टि से अस्पष्टता है।
  • JAM के वर्ष 2015 के मूल सूत्र में, JAM ट्रिनिटी के दो संभावित प्रकारों का उल्लेख किया गया था:
    • मोबाइल बैंकिंग आधारित; 
    • पोस्ट ऑफिस भुगतान आधारित;
  • दूसरे विकल्प अर्थात ‘पोस्ट ऑफिस आधारित भुगतान’ प्रणाली में बहुत कम वृद्धि देखी गई है क्योंकि इसमें शायद निजी लाभ की पर्याप्त गुंजाइश नहीं थी। 
  • इसलिये ‘आधार-सक्षम मोबाइल बैंकिंग सेवाओं’ को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई।

भुगतान आधारित बैंकिंग अवसंरचना का लगातार बना रहना: 

  • जनवरी 2017 में ‘राष्ट्रीय भारत परिवर्तनकारी संस्थान’ (National Institution for Transforming India- NITI) आयोग ने अनुमान लगाया कि मोबाइल बैंकिंग के अलावा अन्य सभी नकद धन हस्तांतरण के तरीके निकट भविष्य में शीघ्र ही समाप्त हो जाएंगे तथा सभी क्रेडिट कार्ड, एटीएम मशीन, पीओएस मशीन पूरी तरह से अप्रासंगिक हो जाएगी।

JAM ट्रिनिटी को लेकर विवाद क्यों?

  • वर्तमान में इस बात को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि यदि सरकार सभी को नकद हस्तांतरण करना चाहती है तो वह आधार आधारित JAM ट्रिनिटी के अलावा अन्य कौन-सा विकल्प हो सकता है।
  • COVID-19 महामारी के दौरान जब गरीबों को नकद हस्तांतरण करने का समय आया तो JAM बहुत कम उपयोग में आया।
  • गरीब लोग अभी भी मोबाईल आधारित बैंकिंग सेवाओं का बहुत कम लाभ ले पाते हैं वे अभी भी पुरानी पोस्ट-ऑफिस आधारित सेवाओं के माध्यम से लाभ प्राप्त करते हैं।
  • लोग लॉकडाउन के दौरान भी लोग लाभ प्राप्त करने के लिये लंबी कतारों में ‘सामाजिक दूरी’ नियमों की लगातार अवहेलना करते नजर आए।

JAM ट्रिनिटी में प्रमुख त्रुटियाँ:

जन-धन योजना में अपारदर्शिता:

  • प्रथम, जन-धन योजना के बैंक खातों की तुलना में मनरेगा के तहत जॉब-कार्ड की सूची कहीं अधिक पारदर्शी और सुव्यवस्थित है।
  • जब वर्ष 2014-15 में जन-धन योजना के तहत बैंक खातों के एक लक्ष्य को पूरा करने के लिये व्यापक पैमाने पर बैंक खाते खोले गए।
  • इस दौरान बैंकों द्वारा सभी बैंकिंग मानदंड की सही से जाँच नहीं की गई, जैसे:
    • बिना सहमति के खाते खोलना; 
    • डुप्लिकेट खातों की संख्या में वृद्धि, 
    • आधार नंबर को बिना सुरक्षा उपायों के उपयोग करना।
  • बाद में JDY खातों (मार्च, 2017 में 40% से जनवरी, 2020 में 19% तक) की एक बड़ी संख्या 'निष्क्रिय' हो गई क्योंकि ग्राहक या तो इन खातों का प्रयोग करने में असमर्थ थे या अनिच्छुक थे।
  • अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कितने JDY के खातों का आज भी परिचालन हो रहा है ताकि इसका पता लग सके कि इन खातों के माध्यम से किया गया धन हस्तांतरण सही समय में प्राप्तकर्त्ता तक पहुँच जाएगा।

जन-धन योजना के तहत महिला खातों संबंधी समस्या:

  • महिलाओं के JDY खातों में नकद हस्तांतरण में उनकी बड़ी संख्या के अपवर्जन की संभावना है।
  • येल यूनिवर्सिटी द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, केवल आधे से कम गरीब वयस्क महिलाओं के पास एक JDY खाता है।
  • मनरेगा तथा सामाजिक सुरक्षा पेंशन कार्यक्रमों के माध्यम से अपवर्जन त्रुटियों को कम किया जा सकता है।

नगरीय-ग्रामीण लाभार्थी संबंधी समस्या:

  • JDY दृष्टिकोण में अन्य त्रुटियाँ भी हो सकती हैं। मनरेगा के तहत जॉब कार्ड ग्रामीण श्रमिकों के लिये हैं जबकि JDY खाते सभी के लिये हैं। 
  • JDY लाभार्थी मनरेगा लाभार्थियों की तुलना में बेहतर आर्थिक स्थिति में होते हैं।
  • JDY खाते गरीब और गैर-गरीब परिवारों दोनों को समान रूप से शामिल करते हैं। 

निष्कर्ष:

डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने व ‘डिजिटल डिवाइड’ को दूर करने के लिये इंटरनेट का उपयोग और डिजिटल साक्षरता एक-दूसरे पर परस्पर निर्भर है, अतः डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के साथ-साथ डिजिटल कौशल प्रदान करने पर सरकार को ध्यान देना चाहिये। इससे दूरस्थ स्थानों पर रहने वाले गरीब लोग भी JAM ट्रिनिटी जैसी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे। 

स्रोत: द हिंदू

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