अंतर्राष्ट्रीय संबंध
चागोस द्वीप समूह को खाली करे ब्रिटेन
- 26 Feb 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice-ICJ) ने ब्रिटेन से कहा है कि वह चागोस द्वीप समूह को खाली कर उसे मॉरीशस को वापस लौटा दे।
न्यायालय की परामर्शदायी राय
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने कहा है कि चागोस द्वीपसमूह पर ब्रिटेन का कब्ज़ा अवैधानिक है।
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की परामर्शदायी राय के अनुसार, 1968 में मॉरीशस की आज़ादी के वक्त राजनैतिक स्वतंत्रता की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई थी क्योंकि चागोस द्वीपसमूह को अलग कर दिया गया था।
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने यह भी कहा है कि जितनी जल्दी हो सके ब्रिटेन को चागोस द्वीपसमूह पर अपना प्रशासनिक नियंत्रण छोड़ देना चाहिये।
पृष्ठभूमि
- संयुक्त राष्ट्र महासभा में 2017 में भारी मतदान के बाद इस मामले को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में भेजा गया था जो अंतर्राष्ट्रीय सीमा विवादों पर कानूनी मामले देखता है।
- मॉरीशस ने पिछले साल अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के समक्ष अपनी दलील में कहा था कि उसे चागोस द्वीपसमूह छोड़ने के लिये विवश किया गया था।
♦ स्वतंत्रता से पूर्व चागोस द्वीप समूह का मारीशस से अलग किया जाना संयुक्त राष्ट्र के रेज़ॉल्यूशन 1514 का उल्लंघन था। गौरतलब है कि 1960 में पारित इस रेज़ॉल्यूशन में स्वतंत्रता से पहले उपनिवेशों के विभाजन पर प्रतिबंध लगाया गया था।
- सुनवाई के दौरान ब्रिटेन ने कहा कि इस मामले पर सुनवाई करने का अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय को अधिकार ही नहीं है।
चागोस द्वीपसमूह
- चागोस द्वीपसमूह मध्य हिंद महासागर में एक द्वीपसमूह है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिणी हिस्से से लगभग 1,000 मील (1,600 किमी) दूर दक्षिण में स्थित है।
- 19वीं शताब्दी में चागोस मॉरीशस से शासित होता था, जो कि एक ब्रिटिश उपनिवेश हुआ करता था।
- ब्रिटेन की सरकार इसे ब्रिटिश हिंद महासागरीय क्षेत्र या BIOT (British Indian Ocean Territory) के रूप में संदर्भित करती है।
संभावित प्रभाव
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का यह फैसला कानूनी तौर पर बाध्यकारी नहीं, बल्कि परामर्शदायी है। लेकिन इस फैसले को संयुक्त राष्ट्र महासभा में बहस के लिये भेजा जाएगा। यहाँ पर ब्रिटेन का पक्ष न सिर्फ कमज़ोर होगा, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उसकी छवि भी खराब होगी।
- ब्रिटेन: संयुक्त राष्ट्र महासभा में 2017 के मतदान के दौरान ही ब्रिटेन के अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव का पता चल गया था, क्योंकि कई यूरोपीय देशों ने ब्रिटेन को समर्थन नहीं दिया और पारंपरिक सहयोगियों जैसे- कनाडा ने भी दूरी बनाए रखी।
- मॉरीशस: मॉरीशस ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि उपनिवेशवाद को समाप्त करने के प्रयासों और मानवाधिकारों, स्वतंत्रता तथा कानून के अंतर्राष्ट्रीय शासन को बढ़ावा देने के प्रयासों में यह एक ऐतिहासिक क्षण है।
भारत की स्थिति
- भारत ने चागोस द्वीपसमूह के मामले में मॉरीशस का समर्थन किया है।
- भारत ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि चागोस द्वीपसमूह मॉरीशस का हिस्सा रहा है।
स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस