भारतीय अर्थव्यवस्था
FII का भारत के सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड्स में निवेश
- 20 Apr 2024
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), विदेशी संस्थागत निवेशक, सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, वैधानिक तरलता अनुपात, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक मेन्स के लिये:सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड, ग्रीन बॉण्ड की स्थिति, ग्रीन फाइनेंस पहल। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड (SGrBs) भारत की निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्था के लिये वित्तपोषण का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं, इसके लिये हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) के अंर्तगत कार्य करने वाले विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) को निवेश करने की अनुमति देने का निर्णय लिया है जो इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
नोट:
- FII संस्थागत निवेशक हैं जो अपने संगठन के स्थान से भिन्न देश की परिसंपत्तियों में निवेश करते हैं।
- भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) देश में FII निवेश को नियंत्रित करता है, जबकि RBI, FII भागीदारी को नियंत्रण में रखने के लिये निवेश सीमा को बनाए रखता है।
सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड (SGrBs) क्या हैं?
- परिचय:
- केंद्रीय बजट 2022-23 में वित्त मंत्री ने SGrBs जारी करने की घोषणा की, यह एक प्रकार का सरकारी ऋण है जिससे विशेष रूप से न्यून कार्बन अर्थव्यवस्था में भारत की परियोजनाओं को वित्तपोषित किया जाता है।
- SGrBs के माध्यम से एकत्रित की गई धनराशि विशेष रूप से हरित परियोजनाओं के लिये निर्धारित की जाती है, जिससे फंड के उपयोग में पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
- SGrBs आमतौर पर सरकारी-प्रतिभूतियों (G-Secs) की तुलना में कम ब्याज दरों को प्रस्तुत करते हैं, जो सतत् विकास उद्देश्यों के साथ उनके संरेखण को दर्शाता है।
- SGrBs जारी करने हेतु वित्तपोषित परियोजनाओं की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त हरित मानकों एवं प्रमाणन प्रक्रियाओं का पालन करना आवश्यक है।
- वर्गीकरण:
- SGrB को वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) के तहत वर्गीकृत किया गया है, जो वित्तीय संस्थानों के लिये RBI द्वारा निर्धारित तरलता दर है।
- वित्तीय संस्थानों को ग्राहकों को ऋण देने से पहले SLR अपने पास रखना चाहिये, जिससे अन्य उद्देश्यों हेतु धन की उपलब्धता प्रभावित होती है।
- SGrB को वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) के तहत वर्गीकृत किया गया है, जो वित्तीय संस्थानों के लिये RBI द्वारा निर्धारित तरलता दर है।
- ग्रीनियम:
- चूंँकि SGB आमतौर पर पारंपरिक G-सेक की तुलना में न्यूनतम ब्याज दरें प्रदान करते हैं, SGrB और G-सेक के बीच ब्याज दरों के अंतर को ग्रीनियम कहा जाता है।
- वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंक और सरकारें हरित भविष्य में परिवर्तन का समर्थन करने के लिये ग्रीनियम को अपनाने को प्रोत्साहित करती हैं।
- चूंँकि SGB आमतौर पर पारंपरिक G-सेक की तुलना में न्यूनतम ब्याज दरें प्रदान करते हैं, SGrB और G-सेक के बीच ब्याज दरों के अंतर को ग्रीनियम कहा जाता है।
- सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड फ्रेमवर्क:
- वित्त मंत्रालय ने वर्ष 2022 में भारत का पहला SGrB फ्रेमवर्क जारी किया, जिसमें इस प्रकार की परियोजनाओं का विवरण दिया गया, जिन्हें इस वर्ग के बॉण्ड के माध्यम से धन प्राप्त होगा।
- वित्तपोषित परियोजनाएँ:
- फंड को नौ हरित परियोजना श्रेणियों की ओर निर्देशित किया जाएगा: जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, स्वच्छ परिवहन, जलवायु अनुकूलन, सतत् जल प्रबंधन, प्रदूषण नियंत्रण, सतत् भूमि उपयोग, हरित भवन और जैवविविधता संरक्षण शामिल हैं।
- बहिष्कृत परियोजनाएँ:
- जीवाश्म ईंधन निष्कर्षण, परमाणु ऊर्जा उत्पादन और प्रत्यक्ष अपशिष्ट दहन से जुड़ी परियोजनाएँ। इसके अतिरिक्त शराब, हथियार, तंबाकू, जुआ या पाम ऑयल उद्योगों से संबंधित परियोजनाओं को भी पृथक रखा गया है।
- इसके अतिरिक्त संरक्षित क्षेत्रों से बायोमास का उपयोग करने वाली नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ, लैंडफिल परियोजनाएँ और 25 मेगावाट से बड़े जलविद्युत संयंत्र पात्र नहीं हैं।
- भारत सरकार ने विश्वसनीयता बढ़ाने के लिये नॉर्वे स्थित वैलिडेटर सिसेरो से मान्यता की मांग की है। सिसेरो ने अंतर्राष्ट्रीय पूंजी बाज़ार संघ (ICMA) द्वारा निर्धारित वैश्विक हरित मानकों के साथ संरेखण दर्शाते हुए "सुशासन" के स्कोर के साथ भारतीय ढाँचे का "हरित माध्यम" के रूप में मूल्यांकन किया।
- SGrB की विशेषताएँ:
- इन्हें समान मूल्य नीलामी (एक सार्वजनिक विक्रय जहाँ एक ही कीमत पर समान वस्तुओं की एक निश्चित संख्या बेची जाती है) के माध्यम से जारी किया जाता है।
- पुनर्खरीद लेन-देन (रेपो) के लिये पात्र।
- SLR प्रयोजनों के लिये पात्र निवेश के रूप में गिनती।
- द्वितीयक बाज़ार में व्यापार के लिये पात्र।
- प्रबंधन:
- सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड आय को भारत के समेकित कोष में जमा किया जाएगा और वित्त मंत्रालय के सार्वजनिक ऋण प्रबंधन सेल द्वारा प्रबंधित किया जाएगा।
- हरित बॉण्ड के आवंटन और उपयोग का ऑडिट भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा किया जाएगा।
- लाभ:
- भारतीय हरित बॉण्ड न केवल स्थिरता लक्ष्यों का समर्थन करते हैं बल्कि निवेशकों को आकर्षित करके और केंद्रीय बैंक के भीतर निधि बढ़ाकर भारतीय मुद्रा को भी मज़बूत करते हैं।
- सामाजिक रूप से ज़िम्मेदार निवेश की बढ़ती मांग और हरित बॉण्ड की सीमित आपूर्ति उनकी कीमत और उपज बढ़ा सकती है।
हरित बॉण्ड में FII का निवेश भारत के हरित संक्रमण को कैसे बढ़ावा देता है?
- भारत की हरित परियोजनाओं में निवेश करने वाले FII देश के महत्त्वाकांक्षी 2070 शुद्ध शून्य लक्ष्यों को वित्तपोषित करने के लिये पूंजी पूल का विस्तार करते हैं, जिसका लक्ष्य भारत की 50% ऊर्जा गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से प्राप्त करना और देश की कार्बन तीव्रता को 45% तक कम करना, जैसा कि ग्लासगो 2021 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP 26) में वादा किया गया था।
- FII फंडिंग का एक वैकल्पिक स्रोत प्रदान करते हैं, घरेलू उधारदाताओं पर दबाव कम करते हैं और अन्य उपयोगों के लिये पूंजी मुक्त करते हैं।
- विदेशी निवेशकों के हालिया समावेश ने भारत के SGrB के लिये संभावित निवेशकों के पूल का विस्तार किया है, जिससे संभावित हरित परियोजनाओं के लिये अधिक निधि प्राप्त हो रही है, जिसका उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था के कार्बन फुटप्रिंट को कम करना है तथा भारत के सतत् विकास लक्ष्यों में योगदान देना है।
- सरकार का लक्ष्य वित्त वर्ष 2024 में SGrB के माध्यम से 20,000 करोड़ रुपए जुटाना है और वित्त वर्ष 2025 के पहले छह महीनों में 12,000 करोड़ रुपए उधार लेने की योजना है।
- विदेशी निवेशक हरित प्रौद्योगिकियों और परियोजना प्रबंधन में बहुमूल्य ज्ञान एवं अनुभव प्रदान कर भारतीय हरित बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को लाभ पहुँचा सकता हैं।
SGrB के संबंध में भारत की क्या चुनौतियाँ हैं?
- हरित वर्गीकरण का अभाव:
- किसी निवेश की पर्यावरणीय साख का आकलन करने के लिये हरित वर्गीकरण या मानकीकृत पद्धति का अभाव एक चुनौती उत्पन्न करता है।
- स्पष्ट मानदंडों के बिना ग्रीनवॉशिंग का जोखिम होता है, जहाँ परियोजनाएँ फंडिंग सुरक्षित करने के लिये पर्यावरण के अनुकूल होने का झूठा दावा करती हैं।
- किसी निवेश की पर्यावरणीय साख का आकलन करने के लिये हरित वर्गीकरण या मानकीकृत पद्धति का अभाव एक चुनौती उत्पन्न करता है।
- रूपरेखा का कार्यान्वयन:
- वित्त मंत्रालय ने भारत की पहली SGrB रूपरेखा जारी की, इसका कार्यान्वयन और प्रवर्तन संकटपूर्ण बना हुआ है।
- यह सुनिश्चित करना कि वित्तपोषित परियोजनाएँ परिभाषित मानदंडों के अनुरूप हों और पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान दें, इसके लिये मज़बूत निगरानी एवं मूल्यांकन तंत्र की आवश्यकता होती है।
- परियोजना चयन और प्रभाव:
- विश्वसनीय ऑडिट ट्रेल्स और उच्च प्रभाव वाली नई हरित परियोजनाओं की पहचान करना SGrB आय की इष्टतम प्राप्ति के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- सीमित निजी पूंजी वाली परियोजनाएँ, जैसे कि वितरित नवीकरणीय ऊर्जा और MSME के लिये स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण हेतु पर्याप्त धन आकर्षित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
- विश्वसनीय ऑडिट ट्रेल्स और उच्च प्रभाव वाली नई हरित परियोजनाओं की पहचान करना SGrB आय की इष्टतम प्राप्ति के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- उपयुक्त परियोजनाओं की उपलब्धता:
- पात्र हरित परियोजनाओं की पाइपलाइन को सुरक्षित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, विशेष रूप से अपतटीय पवन ग्रिड पैमाने पर सौर ऊर्जा उत्पादन और इलेक्ट्रिक वाहन (Electric Vehicles- EVs) जैसे क्षेत्रों में।
- सरकार को निवेश के अवसरों के निरंतर प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिये ऐसी परियोजनाओं के विकास को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
- पात्र हरित परियोजनाओं की पाइपलाइन को सुरक्षित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, विशेष रूप से अपतटीय पवन ग्रिड पैमाने पर सौर ऊर्जा उत्पादन और इलेक्ट्रिक वाहन (Electric Vehicles- EVs) जैसे क्षेत्रों में।
आगे की राह
- ग्रीन बॉण्ड जारी करने में पारदर्शिता बढ़ाना और मौजूदा चुनौतियों का समाधान करना।
- हरित परियोजनाओं में निवेश के लाभों को बढ़ावा देने के लिये विशेष जागरूकता कार्यक्रम लागू करना।
- निजी निवेशकों के लिये अनुकूल वातावरण सुनिश्चित कर कानूनी, डिफॉल्ट, तरलता और अन्य जोखिमों को कम करना।
- निवेशकों का विश्वास बढ़ाने के लिये डिफॉल्टरों के संबंध में मज़बूत कानूनी ढाँचे को लागू करना।
- घरेलू मांग को प्रोत्साहित करने के लिये हरित पूंजी पूल की स्थापना को प्राथमिकता देना।
- हरित परियोजनाओं को संस्थागत निवेशकों के पोर्टफोलियो में एकीकृत करना, जिसमें संभावित रूप से भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority of India - IRDAI) जैसे भारतीय संस्थान शामिल हों।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. हरित परियोजनाओं में निवेश को बढ़ावा देने और भारत के ग्रीन बॉण्ड बाज़ार के विकास को प्रोत्साहित करने के लिये आवश्यक नीतिगत उपायों का आकलन कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. भारतीय सरकारी बॉण्ड प्रतिफल निम्नलिखित में से किससे/किनसे प्रभावित होता है/होते हैं?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) मेन्सप्रश्न: नवंबर 2021 में ग्लासगो में COP26 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के वर्ल्ड लीडर्स समिट में शुरू की गई ग्रीन ग्रिड पहल के उद्देश्य की व्याख्या कीजिये। यह विचार पहली बार अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) में कब लाया गया था? (2021) |