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डिजिटल इंडिया पहल के नौ वर्ष

  • 04 Jul 2024
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

डिजिटल इंडिया पहल, जीवन स्तर, पारदर्शिता को बढ़ावा देना, ई-गवर्नेंस, आर्थिक विकास, कॉमन सर्विस सेंटर, IT कौशल, डिजिटल साक्षरता, IT अधिनियम 2000,

मेन्स के लिये:

डिजिटल इंडिया पहल की चुनौतियाँ, पहल।

स्रोत: पी. आई. बी.

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया पहल के 9 वर्ष सफलतापूर्वक पूरे होने की सराहना की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल इंडिया एक सशक्त भारत का प्रतीक है जिससे लोगों का ‘जीवनयापन और ज़्यादा आसान' होता जा रहा है एवं पारदर्शिता भी बढ़ रही है।

डिजिटल इंडिया पहल क्या है?

  • परिचय
    • डिजिटल इंडिया 1 जुलाई, 2015 को भारत सरकार द्वारा लॉन्च किया गया था।
    • यह कार्यक्रम 1990 के दशक के मध्य में शुरू हुए ई-गवर्नेंस प्रयासों पर आधारित है, लेकिन इसमें सामंजस्य और अंतरक्रियाशीलता का अभाव था।
  • उद्देश्य:
    • डिजिटल विभाजन को कम करना: यह पहल तकनीक-प्रेमी व्यक्तियों और सीमित डिजिटल पहुँच वाले लोगों के बीच असमानता को कम करने के लिये काम करती है।
    • डिजिटल भागीदारी को बढ़ावा देना: यह शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सरकारी सेवाओं जैसे क्षेत्रों को शामिल करते हुए सभी नागरिकों के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकी लाभों तक समान पहुँच सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।
    • आर्थिक विकास को बढ़ावा देना: तकनीकी प्रगति और नवीन समाधानों का उपयोग करके, डिजिटल इंडिया का उद्देश्य पूरे देश में आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
    • जीवन स्तर को उन्नत करना: इस कार्यक्रम का उद्देश्य दैनिक जीवन के विभिन्न पहलुओं में प्रौद्योगिकी के रणनीतिक अनुप्रयोग के माध्यम से नागरिकों के जीवन की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाना है।
  • डिजिटल इंडिया पहल के नौ स्तंभ:
    • ब्रॉडबैंड हाईवे: कनेक्टिविटी और डिजिटल सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिये देश भर में व्यापक हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड नेटवर्क के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना।
    • मोबाइल कनेक्टिविटी तक सार्वभौमिक पहुँच: दूरदराज़ के क्षेत्रों तक मोबाइल कवरेज का विस्तार करना, जिससे सभी नागरिक मोबाइल सेवाओं से जुड़ सकें और डिजिटल अर्थव्यवस्था में भाग ले सकें।
    • सार्वजनिक इंटरनेट पहुँच कार्यक्रम: वहनीय इंटरनेट पहुँच उपलब्ध कराने, डिजिटल विभाजन को दूर करने और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने के लिये वंचित क्षेत्रों में सामान्य सेवा केंद्र स्थापित करना।
    • ई-गवर्नेंस, सरकारी सेवाओं को सुव्यवस्थित करने हेतु प्रौद्योगिकी का उपयोग: नागरिक सहभागिता को बढ़ाते हुए पहुँच, दक्षता एवं पारदर्शिता में सुधार करना।
    • ई-क्रांति: MyGov.in जैसे प्लेटफॉर्म पहुँच एवं परिचालन दक्षता को प्राथमिकता देते हुए नागरिकों को सरकारी सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी की सुविधा प्रदान करते हैं।
    • सभी के लिये सूचना: ऑनलाइन पहुँच के लिये सरकारी रिकॉर्ड को डिजिटाइज़ करना तथा नवाचार एवं विकास को बढ़ावा देने हेतु ओपन डेटा पहल को बढ़ावा देना।
    • इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण: आयात को कम करने, रोज़गार सृजन करने तथा विनिर्माण क्लस्टरों के साथ-साथ निवेश प्रोत्साहनों के माध्यम से डिजिटल आर्थिक विकास को समर्थन देने हेतु स्थानीय इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को प्रोत्साहित करना।
    • नौकरियों के लिये सूचना प्रौद्योगिकी (IT): डिजिटल साक्षरता मिशन तथा स्किल इंडिया जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से उद्योग जगत की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिये युवाओं के आईटी कौशल को बढ़ाना, कौशल संवर्धन के साथ-साथ आईटी क्षेत्र में रोज़गार पर ध्यान केंद्रित करना।
    • अर्ली हार्वेस्ट अग्रीमेंट: तत्काल डिजिटल आवश्यकताओं को संबोधित करने वाली विशिष्ट परियोजनाओं को शामिल करना, जैसे– स्कूली प्रमाण-पत्रों तक ऑनलाइन पहुँच, डिजिटल उपस्थिति एवं सार्वजनिक स्थानों पर वाई-फाई सुविधा।

डिजिटल इंडिया के लिये की गई विभिन्न डिजिटल इंडिया पहल क्या हैं?

  • आधार: एक बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली जो निवासियों को 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान करती है।
  • भारतनेट: यह परियोजना गाँवों में हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल सेवाएँ सक्षम बनाने के उद्देश्य से बनाई गई है।
  • स्टार्टअप इंडिया: यह उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और प्रोत्साहन, वित्तपोषण तथा मार्गदर्शन के माध्यम से स्टार्टअप्स को समर्थन देने की एक पहल है।
  • ई-नाम (e-NAM): एक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म जो कृषि बाज़ारों को जोड़ता है, उपज की कुशल बिक्री की सुविधा भी प्रदान करता है।
  • डिजिटल लॉकर: महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ों को सुरक्षित रूप से संग्रहीत करने के साथ-साथ डिजिटल रूप से उन तक पहुँचने के लिये एक क्लाउड-आधारित प्लेटफॉर्म।
  • भीम यूपीआई: एक डिजिटल भुगतान प्रणाली जो स्मार्टफोन का उपयोग करके सुरक्षित पीयर-टू-पीयर लेन-देन को सक्षम बनाती है।
  • ई-साइन फ्रेमवर्क: डिजिटल हस्ताक्षर का उपयोग करके दस्तावेज़ों पर ऑनलाइन हस्ताक्षर करने की अनुमति प्रदान करता है।
  • MyGov: एक नागरिक सहभागिता मंच जो शासन एवं नीतिगत चर्चाओं में भागीदारी की सुविधा प्रदान करता है।
  • ई-हॉस्पिटल: ऑनलाइन पंजीकरण और स्वास्थ्य रिकॉर्ड तक पहुँच सहित डिजिटल अस्पताल सेवाएँ।
  • SWAYAM प्लस प्लेटफॉर्म
  • उमंग एप (UMANG App) 
  • स्मार्ट सिटी
  • डिजिटल इंडिया अधिनियम (DIA), 2023: प्रस्तावित अधिनियम का उद्देश्य भारत के बढ़ते इंटरनेट उपयोगकर्त्ता आधार, तकनीकी प्रगति और नई डिजिटल चुनौतियों के अनुकूल, पुराने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 को प्रतिस्थापित करना है। DIA, AI और ब्लॉकचेन जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों को ज़िम्मेदारी से अपनाने के लिये दिशा-निर्देश प्रदान करता है, नैतिक मानकों को बनाए रखते हुए नवाचार को प्रोत्साहित करता है।

डिजिटल इंडिया के संबंध में चुनौतियाँ और आगे की राह क्या है?

चुनौतियाँ

आगे की राह


  • डिजिटल डिवाइड: 2021 तक भारत की इंटरनेट पहुँच दर लगभग 47% थी, जिससे आधी से ज़्यादा आबादी बिना पहुँच के रह गई। ग्रामीण क्षेत्र विशेष रूप से पिछड़े हुए हैं, जहाँ शहरी क्षेत्रों में 67% की तुलना में केवल 32% ग्रामीण इंटरनेट पहुँच है।
  • यद्यपि भारतनेट ने प्रगति की है, फिर भी वर्ष 2021 तक 2.5 लाख ग्राम पंचायतों में से केवल 1.7 लाख ही ऑप्टिकल फाइबर से जुड़ी थीं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे के अंतराल को दर्शाता है।
  • डिजिटल विभाजन को कम करना: सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क स्थापित करने के लिये पीएम-वाणी योजना जैसी पहलों को लागू करना, जिसका लक्ष्य वर्ष 2024 तक 2 मिलियन हॉटस्पॉट स्थापित करना है।
  • 5G इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करना, जिसका लक्ष्य वर्ष 2025 तक 40% आबादी को कवर करना है।
  • डिजिटल साक्षरता: डिजिटल साक्षरता की कमी एक बाधा बनी हुई है। IAMAI यानी इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया एंड कंतार की वर्ष 2021 की रिपोर्ट से पता चला है कि भारत की केवल 34% आबादी ही डिजिटल रूप से साक्षर मानी जाती है।
  • डिजिटल साक्षरता बढ़ाना: वर्ष 2023 तक 60 मिलियन ग्रामीण परिवारों को प्रशिक्षित करने के लक्ष्य तक पहुँचने के लिये प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (PMGDISHA) का विस्तार करना।
  • स्कूल पाठ्यक्रम में डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों को शामिल करना, जिसका लक्ष्य वर्ष 2025 तक डिजिटल रूप से साक्षर जनसंख्या को 34% से बढ़ाकर 50% करना है।
  • साइबर सुरक्षा और डेटा गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: CERT-In के अनुसार भारत को वर्ष 2020 में 11 मिलियन से अधिक साइबर सुरक्षा घटनाओं का सामना करना पड़ा।
  • भारत डिजिटल वैयक्तिक डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 (DPDPA) एक ऐतिहासिक कानून है जिसका उद्देश्य डिजिटल युग में व्यक्तियों की निजता की रक्षा करना है।
  • साइबर सुरक्षा का सुदृढ़ीकरण:

लक्ष्य मज़बूत कानून और निजता हेतु सुदृढ़ तंत्र के माध्यम से वर्ष 2026 तक साइबर अपराध की घटनाओं को 50% कम करने के लक्ष्य के साथ राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति क्रियान्वित करने की आवश्यकता है।

  • ई-गवर्नेंस चुनौतियाँ: यद्यपि ई-गवर्नेंस पहल में सुधार हुआ है फिर भी दूरवर्ती क्षेत्रों में डिजिटल पहचान सत्यापन और सेवा के वितरण संबंधी समस्याएँ बनी हुई हैं।
  • ई-गवर्नेंस की दक्षता वृद्धि:

वर्ष 2024 तक सभी सरकारी सेवाओं के लिये एकीकृत डिजिटल पहचान प्रणाली क्रियान्वित की जानी चाहिये। वर्ष 2025 तक उमंग ऐप की सहायता से उपलब्ध सेवाओं की मौजूदा संख्या 1,251 से बढ़ाकर 2,500 की जानी चाहिये।

  • कौशल अंतराल: नैसकॉम फ्यूचरस्किल्स रिपोर्ट के अनुसार भारत के 20% तकनीकी पेशेवरों में भविष्य की नौकरियों के लिये आवश्यक प्रासंगिक डिजिटल कौशल का अभाव है।
  • कौशल अंतराल को पाटना: उभरती प्रौद्योगिकियों में पेशेवरों को कुशल बनाने के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय डिजिटल कौशल कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। एक निजी सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2026 तक 30 मिलियन डिजिटल रूप से कुशल पेशेवरों की आवश्यकता होगी।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: डिजिटल इंडिया पहलों का निरीक्षण करते हुए उनके समक्ष विद्यमान चुनौतियों और इन चुनौतियों के प्रभावी समाधान के लिये आवश्यक उपायों का उल्लेख कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के   

प्रिलिम्स:

प्रश्न:  निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2022)

  1. आरोग्य सेतु 
  2. कोविन
  3. डिजीलॉकर
  4. दीक्षा

उपर्युक्त में से कौन-से ओपन-सोर्स डिजिटल प्लेटफाॅर्म पर बनाए गए हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (d)

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