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भारत में कौशल विकास

  • 09 Sep 2019
  • 12 min read

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस आलेख में भारत में बेरोज़गारी, कौशल विकास तथा स्किल इंडिया कार्यक्रम की चर्चा की गई है। साथ ही कौशल विकास हेतु आवश्यक सुझाव भी दिये गए हैं। आवश्यकतानुसार यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ

  • सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के अनुसार, वर्ष 2019 की प्रथम तिमाही के लिये 20-24 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं के मध्य बेरोज़गारी दर 34 प्रतिशत पर पहुँच गई है। शहरी क्षेत्र में यह 37.9 प्रतिशत है।
  • प्रत्येक वर्ष 8 मिलियन लोग नए रोज़गार की तलाश करते हैं जबकि वर्ष 2017 में, सिर्फ 5.5 मिलियन रोज़गारों का सृजन हो सका। मौजूदा समय में यह स्थिति और भी खराब है। ध्यातव्य है कि वर्तमान में बेरोज़गारी दर पिछले 45 वर्षों में सर्वाधिक है।
  • वर्ष 2018 की आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण रिपोर्ट (PLFS), जो राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (NSO) द्वारा जारी की जाती है, के अनुसार शहरी क्षेत्र में 15-29 वर्ष के लोगों के मध्य बेरोज़गारी दर 23.7 प्रतिशत है।

कौशल प्रशिक्षण एवं बेरोज़गारी

  • व्यापक स्तर पर बेरोज़गारी का प्रमुख कारण युवाओं को अपर्याप्त और गुणवत्ताविहीन कौशल प्रशिक्षण देना है। PLFS रिपोर्ट से यह रेखांकित होता है कि सिर्फ 7 प्रतिशत युवा ही औपचारिक अथवा अनौपचारिक रूप से कौशल प्रशिक्षण प्राप्त है।
  • हाल ही में जारी आँकड़ों से मिली जानकारी के अनुसार भारत के कुल कार्यबल का सिर्फ 2.3 प्रतिशत ही औपचारिक कौशल प्रशिक्षण प्राप्त करता है। जबकि यही आँकड़ा ब्रिटेन में 68 प्रतिशत, जर्मनी में 75 प्रतिशत, अमेरिका में 52 प्रतिशत, जापान में 80 प्रतिशत तथा दक्षिण कोरिया 96 प्रतिशत है।
  • दूसरी ओर हाल ही में जारी सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, 48 प्रतिशत भारतीय नियोक्ता ऐसे हैं, जो खाली पड़ी रिक्तियों को भरने में कठिनाई का सामना करते हैं क्योंकि लोगों में आवश्यक कौशल एवं प्रशिक्षण की कमी है।
  • CMIE की रिपोर्ट इस ओर संकेत करती है कि भारत में शिक्षित लोगों की संख्या में तीव्रता से वृद्धि हो रही है किंतु उस अनुपात में रोज़गारों का सृजन नहीं हो रहा है, अर्थात् अधिक शिक्षित लोगों के होने तथा उन्हें उचित मात्रा में रोज़गार प्राप्त न हो पाने से बेरोज़गारी दर में भी अधिक वृद्धि होगी। वर्ष 2018 की PLFS से यह सूचित होता है कि 15-29 वर्ष के औपचारिक रूप से प्रशिक्षित युवाओं में 33 प्रतिशत बेरोज़गार हैं।

सरकार की पहल

  • स्किल इंडिया कार्यक्रम: इस कार्यक्रम का उद्देश्य वर्ष 2022 तक कम-से-कम 30 करोड़ लोगों को कौशल प्रदान करना है।
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY): यह स्किल इंडिया का ही हिस्सा है जिसके अंतर्गत प्रशिक्षण संबंधी शुल्क सरकार वहन करेगी। इसका प्रमुख कार्य लोगों को कम अवधि का प्रशिक्षण, (150-300 घंटे का) प्रदान करना है। इस योजना के तहत प्रशिक्षण प्रदान करने वाले साझीदार कुछ प्रशिक्षुओं को रोज़गार प्राप्त करने में उनकी सहायता करते हैं।
  • वर्ष 2014 में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय का निर्माण किया गया। इस मंत्रालय के निर्माण का प्रमुख उद्देश्य प्रशिक्षण प्रक्रिया में बेहतर तालमेल स्थापित करना, परिणामों का मूल्यांकन एवं प्रमाणन तथा सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण रूप से औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (ITIs) का निर्माण एवं विकास करना था। ध्यातव्य है कि ITI को कौशल विकास एवं प्रशिक्षण के लिये एक आवश्यक घटक माना गया है।

अपेक्षित परिणाम नहीं

  • स्किल इंडिया कार्यक्रम का लक्ष्य वर्ष 2022 तक 30 करोड़ लोगों को कौशल एवं प्रशिक्षण प्रदान करना रखा गया था लेकिन वर्ष 2018 तक इस योजना के अंतर्गत केवल 25 मिलियन लोगों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा सका है। इसका प्रमुख कारण का उचित प्रबंधन न किया जाना तथा प्रशिक्षण हेतु कम लोगों द्वारा आवेदन करना था जिसकी वजह से उचित मात्रा में वित्त का व्यय नहीं किया जा सका, को माना जा सकता है। इसके साथ ही ऐसे लोग जिन्हें स्किल इंडिया तथा PMKVY के अंतर्गत प्रशिक्षण दिया गया, वे भी रोज़गार प्राप्त नहीं कर सके।
  • स्किल इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्तकर्त्ताओं की संख्या में वृद्धि हुई है। यह संख्या वर्ष 2016-17 में 3.5 लाख थी जो वर्ष 2017-18 में बढ़कर 16 लाख हो गई। किंतु प्रशिक्षण के पश्चात् रोज़गार की प्राप्ति दर में तेज़ी से कमी आई है, यह दर 50 प्रतिशत से घटकर 30 प्रतिशत पर पहुँच गई है।
  • PMKVY के अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्त लोगों में से सिर्फ 15 प्रतिशत लोगों को ही रोज़गार प्राप्त हो सका है।

कौशल विकास की चुनौतियाँ

  • अपर्याप्त प्रशिक्षण क्षमता: भारत में प्रशिक्षण प्राप्त लोगों के मध्य भी रोज़गार की दर कम है, इसका प्रमुख कारण पर्याप्त और गुणवत्तापरक प्रशिक्षण का प्राप्त न होना रहा है। कम अवधि के प्रशिक्षण में सीखने की संभावनाएँ सीमित होती हैं। जहाँ अभियांत्रिकी के विद्यार्थी किसी विषय के लिये चार वर्ष का समय लेते हैं, वहीं उसी विषय के समरूप कोई कौशल प्रशिक्षण कुछ माह में प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
  • उद्यमिता कौशल की कमी: सरकार का दृष्टिकोण था कि PMKVY के अंतर्गत कौशल एवं प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लोग स्वरोज़गार की ओर मुड़ेंगे, इससे रोज़गार सृजन में वृद्धि होगी। किंतु 24 प्रतिशत लोगों ने ही सिर्फ अपने व्यवसाय आरंभ किये जबकि इनमें से भी सिर्फ 10 हज़ार लोगों ने ही मुद्रा (Micro Units Development and Refinance Agency-MUDRA) ऋण हेतु आवेदन किया।
  • उद्योगों की सीमित भूमिका: अधिकांश प्रशिक्षण संस्थानों में उद्योग क्षेत्र की भूमिका सीमित होने के कारण प्रशिक्षण की गुणवत्ता तथा प्रशिक्षण के उपरांत रोज़गार एवं वेतन का स्तर निम्न बना रहा।
  • विद्यार्थियों में कम आकर्षण: कौशल प्रशिक्षण संस्थानों जैसे- ITI तथा पोलिटेक्निक में इनकी क्षमता के अनुपात में विद्यार्थियों का नामांकन कम हुआ। इसका प्रमुख कारण युवाओं के बीच कौशल विकास कार्यक्रमों को लेकर सीमित जागरूकता को माना जा सकता है।
  • नियोक्ताओं का रवैया: भारत में बेरोज़गारी की अधिकता के लिये सिर्फ कौशल प्रशिक्षण ही एकमात्र समस्या नहीं है बल्कि उद्यमों तथा लघु उद्योगों का लोगों को नियुक्त न करने की इच्छा भी एक बड़ा कारण है।
  • बैंकों से ऋण प्राप्ति में कठिनाई, गैर-निष्पादित संपत्तियों (NPAs) की अधिकता तथा निवेश दर के निम्न होने के कारण रोज़गार सृजन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

सुझाव

  • शिक्षा एवं प्रशिक्षण खर्च में वृद्धि: यदि शिक्षा पर खर्च सीमित बना रहता है तो स्किल इंडिया कार्यक्रम अपेक्षित परिणाम देने में सक्षम नहीं हो सकेगा। इसके लिये मूलभूत स्तर पर विद्यार्थियों के भीतर कौशल शिक्षा के प्रति रुझान को पैदा करना आवश्यक है। स्कूली शिक्षा के लिये सरकार का बजट आवंटन वर्ष 2013-14 के 2.81 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2018-19 में 2.05 प्रतिशत पर आ गया है, जो शिक्षा के क्षेत्र में उभरती गंभीर समस्या की ओर संकेत करता है। ध्यातव्य है कि शिक्षा पर गठित विभिन्न समितियाँ GDP के 5 प्रतिशत के बराबर खर्च शिक्षा क्षेत्र पर करने का पहले ही सुझाव देती रही हैं।
  • प्रशिक्षण संस्थानों का मूल्यांकन: राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) को प्रशिक्षण संस्थानों के मूल्यांकन तथा इन संस्थानों को बेहतर प्रदर्शन करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये, साथ ही ऐसी विधियों एवं तकनीकों का सृजन करना चाहिये जो प्रशिक्षण संस्थानों की कार्य-दक्षता में वृद्धि करें।
  • कौशल सर्वेक्षण: नियोक्ताओं एवं उद्यमों की आवश्यकताओं को समझने के लिये सर्वेक्षण किया जाना चाहिये। इस प्रकार के सर्वेक्षण कौशल एवं प्रशिक्षण से संबंधित पाठ्यक्रम के निर्माण में सहायक हो सकते हैं तथा इसके माध्यम से नियोक्ताओं की अपेक्षित आवश्यकताओं की भी पूर्ति की जा सकती है।
  • भारत को चीन, जापान, जर्मनी, ब्राज़ील, सिंगापुर आदि के व्यावसायिक तथा तकनीकी शिक्षा मॉडल से प्रेरणा लेनी चाहिये। इन देशों के समक्ष भी भारत के समान समस्याएँ थीं।

निष्कर्ष

मौजूदा समय में भारत में बेरोज़गारी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। इस समस्या के लिये एक बड़ी वजह भारत में कौशल विकास की कमज़ोर स्थिति को माना जा सकता है। भारत सरकार के स्किल इंडिया कार्यक्रम ने भी रोज़गार वृद्धि के लिये अपेक्षित परिणाम उत्पन्न नहीं किये हैं। भारत में कौशल विकास तथा बेरोज़गारी की समस्या के मूल में स्कूली स्तर पर व्यावसायिक शिक्षा की अनुपस्थिति तथा विभिन्न कौशल विकास योजनाओं का अप्रभावी क्रियान्वयन है। भारत विभिन्न विकसित देशों एवं पूर्वी एशिया के देशों से भारत प्रेरणा ले सकता है, साथ ही भारत स्थानीय समस्याओं पर ध्यान केंद्रित कर अपनी बड़ी युवा आबादी को जनसांख्यिकीय लाभांश में तब्दील कर सकता है।

प्रश्न: भारत में बेरोज़गारी अन्य समस्याओं के साथ-साथ कौशल विकास से भी संबंधित है। चर्चा कीजिये।

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