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भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और पीएम-वाणी

  • 22 Sep 2023
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पीएम-वाणी, भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI)

मेन्स के लिये:

भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI), डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में पीएम-वाणी की भूमिका

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (PM-WANI) योजना भारत में सार्वजनिक वाई-फाई में क्रांति लाने के उद्देश्य से तैयार की गई है। इस योजना में भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) को पूरी तरह से बदलने की क्षमता है।

  • यह योजना छोटे रिटेल डेटा कार्यालयों के माध्यम से सार्वजनिक वाई-फाई डेटा सेवा की सुविधा उपलब्ध कराती है, जो संभावित रूप से दूरदराज़ के क्षेत्रों में न्यूनतम लागत के साथ ब्रॉडबैंड इंटरनेट प्रदान करती है।

पीएम-वाणी:

  • परिचय:
    • दिसंबर 2020 में दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा लॉन्च की गई पीएम-वाणी (PM-WANI), देश भर में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में एक मज़बूत डिजिटल संचार अवसंरचना स्थापित करने के लिये सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट तक पहुँच में वृद्धि के उद्देश्य से शुरू की गई एक प्रमुख योजना है।
    • यह खुदरा व थोक दुकानदार, चाय की दुकान अथवा किराना स्टोर के मालिकों को सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट सेवा प्रदाता बनकर ग्राहकों को इंटरनेट सेवा प्रदान करने में सक्षम बनाती है।
    • यह राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति, 2018 (National Digital Communications Policy- NDCP) के तहत मज़बूत डिजिटल संचार अवसंरचना के निर्माण के लक्ष्य को आगे बढ़ाती है।
  • महत्त्व:
    • इस योजना को व्यवसाय संचालन में सुगमता प्रदान करने और स्थानीय दुकानों व छोटे प्रतिष्ठानों को वाई-फाई प्रदाता बनने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु मंज़ूरी दे दी गई है। दूरदराज़ के क्षेत्रों में सार्वजनिक वाई-फाई प्रदाताओं को किसी भी लाइसेंस, पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होगी और न ही उन्हें DoT को कोई शुल्क देने की आवश्यकता होगी।
  • पीएम-वाणी (PM-WANI) इकोसिस्टम:
    • PM-WANI में चार घटक शामिल हैं:
      • सार्वजनिक डेटा कार्यालय (PDO): PDO वह इकाई है जो वाई-फाई हॉटस्पॉट की स्थापना, रखरखाव और संचालन करती है तथा दूरसंचार सेवा प्रदाताओं या इंटरनेट सेवा प्रदाताओं से इंटरनेट बैंडविड्थ प्राप्त कर उपयोगकर्ताओं को अंतिम-मील कनेक्टिविटी (अंतिम उपयोगकर्ता तक पहुँच) प्रदान करती है।
      • पब्लिक डेटा ऑफिसर एग्रीगेटर (PDOA): PDOA वह इकाई है जो PDO को प्राधिकरण और लेखांकन जैसी एग्रीगेशन सर्विसेज़ प्रदान करती है तथा उन्हें अंतिम उपयोगकर्ताओं को सेवाएँ प्रदान करने में सुविधा प्रदान करती है।
      • एप प्रदाता(App Provider): यह वह इकाई है जो उपयोगकर्ताओं को पंजीकृत करने और इंटरनेट सेवा तक पहुँच के लिये PM-WANI के अनुरूप वाई-फाई हॉटस्पॉट खोजने और प्रदर्शित करने हेतु एक एप्लीकेशन विकसित करती है तथा संभावित उपयोगकर्ताओं को प्रमाणित भी करती है।
      • केंद्रीय रजिस्ट्री: यह वह इकाई है जो एप प्रदाताओं, PDOA और PDO का विवरण रखती है। वर्तमान में इसका रखरखाव सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DoT) द्वारा किया जाता है।
    • स्थिति:
      • नवंबर 2022 तक PM-WANI केंद्रीय रजिस्ट्री के तहत 188 PDO एग्रीगेटर्स, 109 एप प्रदाताओं और 11,50,394 सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट के अस्तित्व की सूचना दी गई।
  • PM-WANI के लाभ:
    • यह ग्रामीण और दूरदराज़ के इलाकों में इंटरनेट पहुँच का विस्तार कर सकता है।
    • यह 5G जैसी मोबाइल प्रौद्योगिकियों की तुलना में इंटरनेट एक्सेस हेतु एक किफायती और सुविधाजनक विकल्प प्रदान कर सकता है, जिसके लिये उच्च निवेश तथा सदस्यता लागत की आवश्यकता होती है।
    • यह इंटरनेट बाज़ार में नवाचार और प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित कर सकता है।
  • PM-WANI की चुनौतियाँ:
    • यह वाई-फाई गुणवत्ता और उपयोगकर्ता अनुभव सुनिश्चित करने, बैंडविड्थ उपलब्धता, उपयोगकर्ता संख्या प्रबंधित करने, डिवाइस अनुकूलता एवं डेटा सुरक्षा तथा गोपनीयता बनाए रखने से संबंधित चुनौतियाँ पेश कर सकता है।
    • डेटा लीक, हैकिंग और मैलवेयर जैसे सुरक्षा खतरे उपयोगकर्ता और प्रदाता की गोपनीयता को खतरे में डाल सकते हैं।
    • PM-WANI की क्षमता और पहुँच के कारण मोबाइल टेलीकॉम कंपनियों को बाज़ार हिस्सेदारी एवं राजस्व हानि सहित अन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
    • कम इंटरनेट मांग और उच्च परिचालन लागत वाले ग्रामीण तथा दूरदराज़ के क्षेत्रों में PM-WANI का विस्तार एवं रखरखाव चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

PM-WANI भारत की डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी अवसंरचना के लिये गेम-चेंजर: 

  • PM-WANI भारत के डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। यह इंटरनेट की पहुँच को सार्वभौमिक बना सकता है और बिना किसी लाइसेंस, पंजीकरण या शुल्क के किसी को भी वाई-फाई प्रदाता एवं वाई-फाई उपयोगकर्ता बनने में सक्षम बनाकर डिजिटल विभाजन को कम कर सकता है।
  • वाई-फाई हॉटस्पॉट का एक वितरित और विकेंद्रीकृत नेटवर्क बनाने के लिये मौजूदा भौतिक एवं सामाजिक बुनियादी ढाँचे, जैसे- दुकानें, CSC, SDC, डाकघर, स्कूल, पंचायत आदि का लाभ उठाना तथा मौजूदा सुविधाओं का भी उपयोग करना। वाई-फाई सेवाओं के निर्बाध और सुरक्षित प्रमाणीकरण और भुगतान को सक्षम बनाने के लिये आधार, UPI, e-KYC, e-Sign  इत्यादि जैसे डिजिटल बुनियादी ढाँचे।
  • नागरिकों, समुदायों को सूचना, ज्ञान, अवसर व सेवाओं तक पहुँच प्रदान करके सशक्त बनाना जो उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं तथा उन्हें डिजिटल अर्थव्यवस्था एवं  समाज में भागीदारी और योगदान करने में भी सक्षम बनाते हैं।

डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI):

  • परिचय:
    • DPI डिजिटल पहचान, भुगतान बुनियादी ढाँचे और डेटा एक्सचेंज समाधान जैसे ब्लॉक या प्लेटफॉर्म को संदर्भित करता है जो देशों को अपने नागरिकों को आवश्यक सेवाएँ प्रदान करने, उन्हें सशक्त बनाने एवं डिजिटल समावेशन को सक्षम कर जीवन में सुधार करने में सहायता करता है।
    •  DPI जन, धन और सूचना के प्रवाह में मध्यस्थता की भूमिका निभाती है। सबसे पहले, डिजिटल ID प्रणाली के माध्यम से लोगों की पहचान और उनका प्रमाणीकरण। दूसरा, कम समय में तेज़ भुगतान प्रणाली के माध्यम से धन का प्रवाह। तीसरा, DPI के लाभों को साकार करने और डेटा को नियंत्रित करने की वास्तविक क्षमता के साथ नागरिकों को सशक्त बनाने के लिये सहमति-आधारित डेटा-साझाकरण प्रणाली के माध्यम से व्यक्तिगत सूचना का प्रवाह।
      • ये तीन पहलू एक प्रभावी DPI पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की नींव बनाते हैं।
    • यह खुले, पारदर्शी और सहभागी शासन के तहत कार्य करता है।
    • भारत, इंडिया स्टैक के माध्यम से डेटा एम्पावरमेंट प्रोटेक्शन आर्किटेक्चर (DEPA) पर निर्मित सभी तीन मूलभूत DPI- डिजिटल पहचान (आधार), रियल-टाइम फास्ट पेमेंट (UPI) और अकाउंट एग्रीगेटर विकसित करने वाला पहला देश बन गया है।
  • डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) का गठन:
    • DPI में तीन आधारभूत स्तर शामिल हैं:
      • बाज़ार: समावेशी उत्पाद डिज़ाइन करने वाले नवोन्वेषी और प्रतिस्पर्द्धी प्रतिभागी।
      • शासन: कानूनी और संस्थागत ढाँचे, सार्वजनिक कार्यक्रम और नीतियाँ।
      • प्रौद्योगिकी मानक: अंतर-संचालनीयता के लिये पहचान, भुगतान और डेटा साझाकरण मानक।
  • DPI दृष्टिकोण के लाभ:
    • कम विकास लागत और मॉड्यूलर अंतिम-उपयोगकर्ता समाधान।
    • विविध अनुप्रयोगों और कम प्रवेश बाधाओं का एक पारिस्थितिकी तंत्र।
    • अंतर्निहित स्केलेबिलिटी के साथ एक लोकतांत्रिक, गैर-एकाधिकार प्रणाली।
  • भारत में सफल DPI पहल:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. आधार कार्ड का प्रयोग नागरिकता या अधिवास के प्रमाण के रूप में किया जा सकता है।
  2. एक बार जारी करने के पश्चात् इसे निर्गत करने वाला प्राधिकरण आधार संख्या को निष्क्रिय या लुप्त नहीं कर सकता।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)

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