शासन व्यवस्था
आधार डेटा की सुरक्षा
- 31 May 2022
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:CAG, UIDAI, आधार अधिनियम 2016 मेन्स के लिये:आधार और संबंधित मुद्दे, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने पहले जनता को अपने आधार की एक फोटोकॉपी किसी भी संगठन के साथ साझा नहीं करने की चेतावनी जारी की और बाद में इस चेतावनी कोे वापस ले लिया।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण:
- सांविधिक प्राधिकरण: UIDAI 12 जुलाई, 2016 को आधार अधिनियम 2016 के प्रावधानों का पालन करते हुए ‘इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय’ के अधिकार क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा स्थापित एक वैधानिक प्राधिकरण है।
- UIDAI की स्थापना भारत सरकार द्वारा जनवरी 2009 में योजना आयोग के तत्त्वावधान में एक संलग्न कार्यालय के रूप में की गई थी।
- जनादेश: UIDAI को भारत के सभी निवासियों को एक 12-अंकीय विशिष्ट पहचान (UID) संख्या (आधार) प्रदान करने का कार्य सौंपा गया है।
- 31 अक्तूबर, 2021 तक UIDAI ने 131.68 करोड़ आधार नंबर जारी किये थे।
UIDAI की प्रारंभिक चेतावनी:
- UIDAI ने "आम जनता को किसी भी संगठन के साथ अपने आधार की फोटोकॉपी साझा नहीं करने की चेतावनी दी, क्योंकि इसका दुरुपयोग किया जा सकता है"।
- इसके स्थान पर ‘मास्क्ड’ आधार का उपयोग करने की सिफारिश की, जो आधार संख्या के केवल अंतिम चार अंक प्रदर्शित करता है"।
- इसने जनता से अपने ई-आधार को डाउनलोड करने के लिये सार्वजनिक कंप्यूटरों का उपयोग करने से बचने के लिये भी कहा।
- उस स्थिति में उन्हें उसी की भी डाउनलोड की गई प्रतियों को "स्थायी रूप से हटाने" के लिये कहा गया था।
- केवल वे संगठन जिन्होंने यूआईडीएआई से उपयोगाकर्त्ता लाइसेंस प्राप्त किया है, वे किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के लिये आधार का उपयोग कर सकते हैं।
- इसके अलावा आधार अधिनियम के कारण होटल और मूवी थियेटर को आधार कार्ड की प्रतियाँ एकत्र करने या बनाए रखने की अनुमति नहीं है।
आधार से संबंधित चिंताएंँ:
- आधार डेटा का दुरुपयोग:
- देश में कई निजी संस्थाएँं आधार कार्ड पर ज़ोर देती हैं और उपयोगाकर्त्ता अक्सर विवरण साझा करते हैं।
- इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि यें संस्थाएँ कैसे इन डेटा को निजी और सुरक्षित रखती हैं।
- हाल ही में कोविड -19 परीक्षण के साथ, कई लोगों ने देखा होगा कि अधिकांश प्रयोगशालाएँ आधार कार्ड के डेटा पर ज़ोर देती हैं, जिसमें एक फोटोकॉपी भी शामिल है।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिये कि कोविड-19 परीक्षण करवाने के लिये इसे साझा करना अनिवार्य नहीं है।
- ज़बरन थोपना:
- वर्ष 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया कि आधार प्रमाणीकरण को केवल भारत के समेकित कोष से भुगतान किये गए लाभों के लिये अनिवार्य बनाया जा सकता है और आधार के विफल होने पर पहचान सत्यापन के वैकल्पिक साधन हमेशा प्रदान किये जाने चाहिये।
- बच्चों को छूट दी गई थी लेकिन आंँगनवाड़ी सेवाओं या स्कूल में नामांकन जैसे बुनियादी अधिकारों के लिये बच्चों से नियमित रूप से आधार की मांग की जाती रही है।
- वर्ष 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया कि आधार प्रमाणीकरण को केवल भारत के समेकित कोष से भुगतान किये गए लाभों के लिये अनिवार्य बनाया जा सकता है और आधार के विफल होने पर पहचान सत्यापन के वैकल्पिक साधन हमेशा प्रदान किये जाने चाहिये।
- मनमाना बहिष्करण:
- केंद्र और राज्य सरकारों ने आधार के साथ कल्याणकारी लाभों के जुड़ाव को लागू करने के लिये "अल्टीमेटम पद्धति" का नियमित उपयोग किया है।
- इस पद्धति में यदि प्राप्तकर्त्ता सही समय में लिंकेज निर्देशों का पालन करने में विफल रहता है, जैसे कि अपने जॉब कार्ड, राशन कार्ड या बैंक खाते को आधार से लिंक करने में विफल होने पर लाभ को वापस ले लिया जाता है या निलंबित कर दिया जाता है।
- धोखाधड़ी-प्रवृत्त आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली (AePS):
- AePS एक ऐसी सुविधा है जो किसी ऐसे व्यक्ति को सक्षम बनाती है जिसके पास आधार से जुड़ा खाता है, वह भारत में कहीं से भी "बिज़नेस कॉरेस्पोंडेंट" के साथ बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से पैसे निकाल सकता है- एक तरह का मिनी-एटीएम।
- भ्रष्ट व्यापार कॉरेस्पोंडेंट द्वारा इस सुविधा का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया गया है।
- AePS एक ऐसी सुविधा है जो किसी ऐसे व्यक्ति को सक्षम बनाती है जिसके पास आधार से जुड़ा खाता है, वह भारत में कहीं से भी "बिज़नेस कॉरेस्पोंडेंट" के साथ बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से पैसे निकाल सकता है- एक तरह का मिनी-एटीएम।
हाल ही में उठा मुद्दा:
- भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने आधार कार्ड जारी करने से संबंधित कई मुद्दों पर भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) की निंदा की है।
- 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आधार अधिनियम की धारा 57 को रद्द कर दिया था।
- आधार अधिनियम की धारा 57 अनिवार्य रूप से निजी संस्थाओं को नागरिकों के आधार विवरण एकत्र करने की अनुमति देती है। सर्वोच्च न्यायालय ने प्रावधान की व्याख्या करते हुए इसे "असंवैधानिक" कहा था।
- बाद में आधार और अन्य कानून (संशोधन) अध्यादेश, 2019 जारी किया गया, जिसने बैंकों और दूरसंचार ऑपरेटरों को पहचान के प्रमाण के रूप में आधार विवरण एकत्र करने की अनुमति दी।
आधार का महत्त्व:
- पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा देना: आधार नंबर ऑनलाइन एवं किफायती तरीके से सत्यापन योग्य है।
- यह डुप्लीकेट और नकली पहचान को खत्म करने में अद्वितीय है तथा इसका उपयोग कई सरकारी कल्याण योजनाओं का लाभ प्राप्त करने हेतु किया जाता है जिससे पारदर्शिता एवं सुशासन को बढ़ावा मिलता है।
- निचले स्तर तक मदद: आधार ने बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को पहचान प्रदान की है जिनकी पहले कोई पहचान नहीं थी।
- इसका उपयोग कई प्रकार की सेवाओं में किया गया है तथा इसने वित्तीय समावेशन, ब्रॉडबैंड और दूरसंचार सेवाओं, नागरिकों के बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण में पारदर्शिता लाने में मदद की है।
- तटस्थ: आधार संख्या किसी भी जाति, धर्म, आय, स्वास्थ्य और भूगोल के आधार पर लोगों को वर्गीकृत नहीं करती है।
- आधार संख्या पहचान का प्रमाण है, हालांँकि आधार संख्या इसके धारक को नागरिकता या अधिवास का कोई अधिकार प्रदान नहीं करती है।
- जन-केंद्रित शासन: आधार सामाजिक और वित्तीय समावेशन, सार्वजनिक क्षेत्र के सुविधाओं के पहुँच में सुधारों, वित्तीय बजटों के प्रबंधन, सुविधा बढ़ाने और समस्या मुक्त जन-केंद्रित शासन को बढ़ावा देने के लिये एक रणनीतिक नीति उपकरण है।
- स्थायी वित्तीय पता: आधार को स्थायी वित्तीय पते के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, यह समाज के वंचित और कमज़ोर वर्गों के वित्तीय समावेशन की सुविधा प्रदान करता है, अतः न्याय और समानता का एक उपकरण है।
- इस प्रकार आधार पहचान मंच 'डिजिटल इंडिया' के प्रमुख स्तंभों में से एक है।
आगे की राह
- सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का पालन करें:
- सरकार को सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करना चाहिये और उन्हें लागू करना चाहिये, जिनमें शामिल हैं:
- अनुमत उद्देश्यों के लिये अनिवार्य आधार का प्रतिबंध।
- आधार प्रमाणीकरण विफल होने पर विकल्प का प्रावधान।
- बच्चों के लिये बिना शर्त छूट।
- सरकार को सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करना चाहिये और उन्हें लागू करना चाहिये, जिनमें शामिल हैं:
- लाभ वंचना निषेध:
- लाभों को वापस या निलंबित नहीं करना चाहिये:
- उन नामों का अग्रिम प्रकटीकरण, जिन्हें हटाए जाने की संभावना है, साथ ही प्रस्तावित विलोपन का कारण।
- प्रभावित लोगों को कारण बताओ नोटिस जारी करना और उन्हें जवाब देने या अपील करने का अवसर (पर्याप्त समय के साथ) प्रदान करना।
- दिनांक और कारण सहित विलोपन के सभी मामलों का पूर्व एवं पश्चात प्रकटीकरण।
- लाभों को वापस या निलंबित नहीं करना चाहिये:
- मज़बूत सुरक्षा उपायों की ज़रूरत है:
- भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) को आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली की कमियों और उचित शिकायत निवारण सुविधाओं के खिलाफ शीघ्र मज़बूत सुरक्षा उपाय करने चाहिये।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d)
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