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डिजिटल स्वास्थ्य प्रोत्साहन योजना

  • 08 Aug 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, डिजिटल स्वास्थ्य प्रोत्साहन योजना, एकीकृत स्वास्थ्य इंटरफेस, ब्लॉकचेन तकनीक, टेलीमेडिसिन

मेन्स के लिये:

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की विशेषताएँ, भारत में डिजिटल हेल्थकेयर से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों? 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (National Health Authority- NHA) ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत अपनी डिजिटल स्वास्थ्य प्रोत्साहन योजना (Digital Health Incentives Scheme- DHIS) के विस्तार की घोषणा की है।

  • 4 करोड़ रुपए तक के प्रोत्साहन की पेशकश के साथ DHIS को 31 दिसंबर, 2023 तक बढ़ा दिया गया है।

डिजिटल स्वास्थ्य प्रोत्साहन योजना: 

  • परिचय:
    • डिजिटल स्वास्थ्य प्रोत्साहन योजना के तहत अस्पतालों, नैदानिक ​​प्रयोगशालाओं और डिजिटल स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को परिवर्तनकारी डिजिटलीकरण नीतियों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
    • यह योजना आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के बड़े दृष्टिकोण के अनुरूप है और इसका उद्देश्य डिजिटल रूप से समावेशी स्वास्थ्य देखभाल पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना है।
  • पात्रता:
    • ABDM की हेल्थ फसिलिटी रजिस्ट्री (HFR) के तहत स्वास्थ्य केंद्र (अस्पताल, डायग्नोस्टिक लैब) और पंजीकृत डिजिटल सॉल्यूशन कंपनियाँ (DSC) इस योजना में भाग लेने के लिये पात्र हैं।
  • प्रोत्साहन आकलन:
    • वित्तीय प्रोत्साहन इस आधार पर तय किये जाते हैं कि कितने डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड तैयार किये गए और कितनों को आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खातों (ABHA) से जोड़ा गया है।
  • उपलब्धियाँ:
    • प्रोत्साहन प्राप्तकर्त्ता: जून 2023 तक कुल 1205 स्वास्थ्य केंद्रों ने DHIS के तहत पंजीकरण किया है, जिसमें 567 सार्वजनिक और 638 निजी अस्पताल, क्लीनिक और डायग्नोस्टिक लैब शामिल हैं।
    • डिजिटल समाधान कंपनियाँ: 25 पंजीकृत डिजिटल समाधान कंपनियों में से 22 निजी क्षेत्र से हैं

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन:  

  • परिचय: 
  • उद्देश्य: 
    • इसका उद्देश्य सभी भारतीय नागरिकों को अस्पतालों, बीमा कंपनियों और आवश्यकता पड़ने पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्वास्थ्य रिकॉर्ड तक पहुँचने में मदद करने के लिये डिजिटल स्वास्थ्य ID प्रदान करना है।
      • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) इसकी कार्यान्वयन एजेंसी है।
  • एकीकृत स्वास्थ्य इंटरफेस (UHI): 
    • ABDM के तहत UHI की कल्पना विभिन्न डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं के लिये एक मुक्त प्रोटोकॉल के रूप में की गई है। UHI नेटवर्क एंड यूज़र एप्लीकेशन (EUA) और साझेदार स्वास्थ्य सेवा प्रदाता (HSP) अनुप्रयोगों का एक मुक्त नेटवर्क है।
      • UHI मरीज़ों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं (HSP) के बीच अपॉइंटमेंट बुकिंग, टेली परामर्श, सेवा खोज तथा अन्य सुविधाओं समेत विभिन्न प्रकार की डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं को सक्षम बनाता है।
  • आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन सैंडबॉक्स:
    • मिशन के तहत स्थापित सैंडबॉक्स, प्रौद्योगिकी और उत्पादों के परीक्षण के लिये एक मंच के रूप में कार्य करता है।
      • यह निजी संस्थाओं सहित संगठनों को स्वास्थ्य सूचना प्रदाता या उपयोगकर्त्ता बनने में सहायता करता है। 

भारत में डिजिटल हेल्थकेयर से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ: 

  • बुनियादी ढाँचा और कनेक्टिविटी: विकास के बावजूद भारत के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से में अभी भी विश्वसनीय इंटरनेट कनेक्टिविटी और आवश्यक डिजिटल बुनियादी ढाँचे का अभाव है।
    • इससे दूरदराज़ और ग्रामीण क्षेत्रों तक डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच में बाधा उत्पन्न हुई है।
  • डिजिटल साक्षरता: अधिकांश लोग विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं या वृद्ध आबादी है, जो प्रौद्योगिकी से परिचित नहीं हैं, जिनके पास डिजिटल हेल्थकेयर प्लेटफॉर्मों तथा सेवाओं का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिये आवश्यक डिजिटल साक्षरता कौशल का अभाव है।
  • डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: डिजिटल हेल्थकेयर में रोगी के डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा को बनाए रखना एक महत्त्वपूर्ण चिंता का विषय है। हालाँकि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि संवेदनशील चिकित्सा जानकारी गोपनीय रहे और अनधिकृत पहुँच से सुरक्षित रहे।
  • टेलीमेडिसिन विनियम: हालाँकि टेलीमेडिसिन ने देश में लोकप्रियता हासिल की है लेकिन दवाओं के अभ्यास, नुस्खे के बारे में टेली परामर्श संबंधित विनियमों की स्पष्टता एक चुनौती रही है।

आगे की राह

  • स्वास्थ्य रिकॉर्ड के लिये ब्लॉकचेन: इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड को सुरक्षित रूप से संग्रहीत एवं प्रबंधित करने के लिये ब्लॉकचेन तकनीक को लागू करना। स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बीच डेटा अखंडता एवं अंतर-संचालनीयता सुनिश्चित करते हुए रोगी अपने डेटा तक पहुँच को नियंत्रित कर सकते हैं।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये डेटा एनालिटिक्स: बीमारी के प्रकोप की भविष्यवाणी करने, संसाधन आवंटन की योजना बनाने तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिये लक्षित हस्तक्षेप सुनिश्चित करने के लिये बिग डेटा एनालिटिक्स का लाभ उठाना।
  • ऑनलाइन प्रशिक्षण तथा कौशल विकास: डिजिटल उपकरणों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने हेतु स्वास्थ्य पेशेवरों को प्रशिक्षित करना। टेलीमेडिसिन, डेटा एनालिटिक्स एवं स्वास्थ्य देखभाल में AI अनुप्रयोगों जैसे क्षेत्रों में कौशल बढ़ाने के लिये चिकित्सा पेशेवरों के लिये ऑनलाइन पाठ्यक्रम की व्यवस्था करना।
  • डिजिटल स्वास्थ्य नीतियाँ तथा विनियम: डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों के लिये व्यापक नियम एवं दिशा-निर्देश स्थापित करना, जिससे रोगी की गोपनीयता, डेटा सुरक्षा के साथ डिजिटल सेवाओं तथा अन्य प्रौद्योगिकियों का नैतिक उपयोग सुनिश्चित हो सके।

स्रोत: पी.आई.बी.

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